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गोरखपुऱः बसपा से बर्खास्त किए गए हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे, एक रिश्तेदार की भी पार्टी से छुट्टी

बहुजन समाज पार्टी ने गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक विनय शंकर तिवारी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. विनय शंकर तिवारी के अलावा उनके बड़े भाई कुशल तिवारी और उनके रिश्तेदार गणेश शंकर पांडेय को भी बीएसपी ने निष्कासित कर दिया है.

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विनय शंकर तिवारी. (फाइल फोटो)
विनय शंकर तिवारी. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विनय शंकर चिल्लूपार सीट से विधायक हैं
  • कुशल तिवारी संत कबीर नगर के सांसद थे

बहुजन समाज पार्टी ने बाहुबली रहे हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे विनय शंकर तिवारी और कुशल तिवारी को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है. साथ ही हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय को भी पार्टी से निकाल दिया गया है. इन तीनों को अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से निकाला गया है. इससे पहले विनय शंकर तिवारी के समाजवादी पार्टी में चर्चा चल रही थी.

हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे कुशल तिवारी दो बार संत कबीर नगर से सांसद रहे हैं तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा से बीएसपी विधायक हैं. गणेश शंकर पांडे, हरिशंकर तिवारी के भांजे हैं और बीएसपी सरकार में विधान परिषद के सभापति रहे हैं. 

कई दिनों से ऐसी चर्चा थी कि हरिशंकर तिवारी का पूरा कुनबा बसपा को छोड़ समाजवादी पार्टी में जा सकता है. शनिवार को ही विनय शंकर तिवारी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. इस मुलाकात ने इन चर्चाओं को और जोर दे दिया था. 

बताया जा रहा है कि 12 दिसंबर को अखिलेश यादव की मौजूदगी में विनय तिवारी, उनके बड़े भाई कुशल तिवारी और गणेश पांडेय सपा में शामिल हो सकते हैं. बताया ये भी जा रहा है कि इनके साथ दो अन्य ब्राह्मण विधायक भी सपा में शामिल होंगे.

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बाहुबलियों के गुरु थे हरिशंकर तिवारी

हरिशंकर तिवारी को पूर्वांचल का पहला बाहुबली नेता कहा जाता है. कहते हैं कि हरिशंकर तिवारी के नक्शे कदम पर चलकर ही मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह जैसे बाहुबलियों ने राजनीति में कदम रखा. हरिशंकर तिवारी के नाम से एक समय पूरा पूर्वांचल थर्राता था. उन्हें बाहुबलियों का गुरु भी कहा जाता है. 

पूर्वांचल में वीरेंद्र प्रताप शाही और पंडित हरिशंकर तिवारी की वर्चस्व की लड़ाई ने ठाकुर बनाम ब्राह्मण का रंग लिया.  हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र शाही दोनों एक ही विधानसभा क्षेत्र चिल्लूपार के रहने वाले थे. 1985 में हरिशंकर तिवारी जेल में रहते हुए चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. तिवारी 1997 से लेकर 2007 तक लगातार यूपी में किसी भी पार्टी की सरकार बनी हो, वो मंत्री रहे.  

चिल्लूपार से अजेय बन चुके पंडित हरिशंकर तिवारी को वर्ष 2007 और 2012 में पराजय मिली. साल 2017 में बसपा के टिकट पर उनके छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी विधानसभा पहुंच गए. हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी संत कबीरनगर से दो बार सांसद रह चुके हैं.


 

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