उत्तर प्रदेश: वसीम रिज़वी अब हैं जितेंद्र त्यागी, इस्लाम छोड़ने के बाद बोले-मंदिर से मिली ऊर्जा

  • शहबाज़ अनवर
  • बीबीसी हिंदी के लिए
वसीम रिज़वी और यति नरसिंहानंद गिरी

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उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने सोमवार को इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया. उन्हें अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाना जाएगा.

उन्होंने कहा, "हमें यति नरसिंहानंद गिरी जी ने जो नाम दिया, उस नाम से हमें ऊर्जा मिली है. आज मैं इस मंदिर में हूं, इस मंदिर के पवित्र स्थान से हमें ऊर्जा मिली है."

वसीम रिज़वी ने सोमवार सुबह ग़ाज़ियाबाद के डासना देवी मंदिर में सनातन धर्म अपनाया.

उन्होंने मंदिर में शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक किया. साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार और अनुष्ठानों के बाद विधिवत रूप से सनातन धर्म को स्वीकार कर लिया.

वसीम रिज़वी

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'सनातन धर्म को चुना क्योंकि...'

जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बने वसीम रिज़वी ने मीडिया से भी बात की.

उन्होंने कहा, " जो इस्लाम बार-बार उन्हें निकालता था, हर बात पर निकाला करता था, जब निकाल ही दिया तो अब हम स्वतंत्र हैं, कहीं भी जाएं, जहां मोहब्बत मिलेगी, जहां इंसानियत मिलेगी हम वहां जाएंगे. हमने सनातन धर्म को इसलिए चुना कि यह दुनिया का सबसे पुराना धर्म है. हिंदू समाज के साथ ज़ुल्म होता रहा है. मुस्लिम समाज के लोग करते रहे. आज भी घर जलाने के ख़्वाब देखे जा रहे हैं."

उन्होंने आगे कहा, "आईएसआईएस जैसे संगठन हिंदुओं का क़त्ल-ए-आम करना चाहते हैं, फिर भी हिंदू बेफ़िक्र हैं. उनको अपने कामकाज से छुट्टी नहीं है. उनको बताना है कि तुम किसी से डरो मत, हम नहीं कहते कि तुम किसी से लड़ो पर अपनी रक्षा के लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए. तुमको यह तैयार रहना चाहिए कि कौन पड़ोसी तुम्हारा घर जलाने की कोशिश कर रहा है. हम हिंदुओं को जागरूक करेंगे, हम फ़साद करना नहीं चाहते हैं लेकिन कोई हमको मारे यह भी बर्दाश्त नहीं करेंगे."

वसीम रिज़वी और यति नरसिंहानंद गिरी

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6 दिसंबर को क्यों चुना?

इस सवाल के जवाब में वसीम रिज़वी कहते हैं, "आज का दिन इसलिए विशेष है क्योंकि बाबर ने भगवान श्रीराम को अपमानित करते हुए मस्जिद बनवाई थी. आज का दिन वह दिन है जब हिंदुत्व ने अपना हल्का बल प्रयोग करते हुए अवैध क़ब्ज़े को वहां से धकेल दिया था, इसलिए हिंदुत्व के लिए यह गर्व का दिन है और आज हमने सनातन धर्म स्वीकार भी इसलिए किया है क्योंकि हमारी कहानी भी भगवान श्रीराम के मंदिर के संघर्ष से शुरू हुई थी."

उन्होंने आगे कहा, "जब मुझको पहली बार इस्लाम से निकाला गया था, हर जुमे की नमाज़ के बाद हमारे और यतीश जी के सिर काटने पर इनाम बढ़ाया जाता था, पुतले जलाए जाते थे, यह कौन सा धर्म है. तुम किसी को ज़िंदा जला रहे हो, किसी का सिर काटने पर इनाम रख रहे हो. तुम इंसान हो या भेड़िए."

वसीम रिज़वी और यति नरसिंहानंद गिरी

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परिवार और राजनीति के सवाल पर क्या बोले

परिवार के सवाल पर उन्होंने कहा, "परिवार का जो व्यक्ति मेरे साथ है वह मेरे साथ आएगा और क़ुबूल करेगा. जो मेरे साथ नहीं है वह चाहे परिवार हो, चाहे दोस्त हो, हम धार्मिक हिसाब से उनका त्याग कर देंगे."

राजनीति के सवाल पर कहा, "जो मुसलमानों के वोटों की राजनीति कर रहे हैं, वह इस चीज़ को अपने हिसाब से देख रहे हैं. लेकिन हम जानते हैं और भगवान महादेव जानते हैं कि इसको राजनीति से अलग रख कर्म किया है. राजनीति के गोशे में जब काम करना होगा तो करेंगे, राजनीति एक ताक़त है."

विवाद से नाता

वसीम रिज़वी पिछले काफ़ी समय से इस्लाम धर्म को लेकर विवादित बयान देते रहे हैं. इसे लेकर उनके ख़िलाफ जगह-जगह प्रदर्शन भी हुए और मुस्लिम समाज के लोगों ने अपने ग़ुस्से का इज़हार भी किया.

वसीम रिज़वी कभी मदरसों को बंद करने की बात कह कर चर्चाओं में आए तो कभी मदरसों में आतंकवादी पैदा होने जैसे विवादित दावे किए.

पैगंबर मोहम्मद साहब की ज़िंदगी पर किताब को लेकर भी वह विवादों में घिरे. वहीं क़ुरआन से 26 आयतों को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद भी उनके ख़िलाफ़ काफ़ी नाराज़गी देखी गई थी.

वसीम रिज़वी

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जापान-अमेरिका में कर चुके हैं नौकरी

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वसीम रिज़वी सामान्य परिवार से ताल्लुक़ रखते है. उन्होंने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है.

भाई बहनों में वह सबसे बड़े हैं. उनके पिता रेलवे कर्मचारी रह चुके हैं जिनका देहांत तभी हो गया था जब रिज़वी कक्षा 6 में थे.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ वसीम रिज़वी ने सऊदी अरब में एक होटल में काम किया.

उन्होंने जापान और अमेरिका में भी नौकरी की है. बाद में भारत आकर वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य बने और फिर उत्तर प्रदेश शिया वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन पद तक पहुंचे.

'भावनाओं के खिलवाड़ किया तो...'

वसीम रिज़वी के इस्लाम धर्म से सनातन धर्म को स्वीकार करने के बाद ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी यासूब अब्बास ने भी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने बीबीसी से कहा,"वसीम रिज़वी अब हिंदू हो गया है, मगर उसको यह हक़ नहीं कि हिंदू होने के बाद भी क़ुरआन पर उंगली उठाए या रसूले इस्लाम पर उंगली उठाये. वह किसी भी मज़हब में जाए, उसको इख़्तियार है."

वो आगे कहते हैं, "आज़ादी का मतलब यह नहीं कि वह हमारी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करे, अगर उसने हमारी भावनाओं से खिलवाड़ किया तो हम मुसलसल इस लड़ाई को उसके ख़िलाफ़ जारी रखेंगे."

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