कोरोना महामारी की वजह से साल-2021 वाहन निर्माता और ग्राहकों के लिए कुछ खास नहीं रहा. कार निर्माता कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. यही नहीं, वाहनों के निर्माण में लागत बढ़ने से कंपनियां अपनी कारों की कीमतें भी लगातार बढ़ा रही हैं. देश में सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वे जनवरी-2022 से कारों की कीमतें बढ़ाएगी.
इसी कड़ी में होंडा (Honda Cars), टाटा मोटर्स (Tata Motors) और रेनॉ (Renault) जैसी कार निर्माता कंपनियां भी बढ़ती लागत का हवाला देते हुए जनवरी से वाहनों की कीमतें बढ़ाने की योजना बना ली है. इसके अलावा ऑडी और मर्सिडीज-बेंज जैसी कंपनियां अगले महीने से गाड़ियों की कीमतों में बढ़ोतरी करने जा रही हैं.
अगले साल से और महंगी होंगी कारें
मारुति सुजुकी ने जनवरी-2022 से कारों की कीमतें बढ़ाने की योजना बना रखी है. कंपनी ने बताया कि अलग-अलग मॉडलों के लिए अलग-अलग कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही मर्सिडीज-बेंज ने कहा कि बढ़ती निर्माण लागत और फीचर्स बढ़ाने से कुछ चुनिंदा मॉडलों की कीमतों में 2% तक की बढ़ोतरी की जाएगी. इस बीच, ऑडी ने कहा कि उसके नई कीमतें 1 जनवरी 2022 से लागू हो जाएंगी. इसकी सभी मॉडल रेंज पर 3% तक की बढ़ोतरी होगी.
वहीं टाटा मोटर्स ने भी ने कहा कि कच्चे माल और अन्य आंतरिक लागतों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है. लागत बढ़ोतरी को कुछ कम करने के लिए कारों की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला लेना जरूरी हो गया है. कंपनी घरेलू बाजार में पंच, नेक्सॉन और हैरियर जैसे मॉडल बेचती है.
लागत बढ़ने का हवाला
होंडा कार्स इंडिया ने भी कहा कि वह निकट भविष्य में कीमतों में बढ़ोतरी पर विचार कर रही है. कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी से इनपुट लागत पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. हम भी इसका सामाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं कि कितना इसको कम किया जा सकता है.
वहीं, रेनॉ इंडिया ने कहा कि वह जनवरी से कारों की कीमतें बढ़ाने की सोच रही है. यह फ्रेंच कंपनी भारतीय बाजार में Kwid, Triber और Kiger जैसे मॉडल बेचती है.
बात दें, पिछले एक साल में स्टील, एल्यूमिनियम, तांबा, प्लास्टिक के दामों में इजाफा हुआ है. अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर भी बढ़ोतरी का असर देखा गया है. ऐसे में कंपनियां कार की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए मजबूर हो गई हैं. इसके अलावा अभी कुछी दिनों में बेसिक उपकरण और ट्रांसपोर्ट महंगे होने के कारण मैन्युफेक्चरिंग लागत में इजाफा हुआ है.