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World Soil Day 2021: यहां के किसान अब जैविक खेती की राह पर, हो रहा आर्थिक लाभ और खेत की उर्वरा शक्ति भी बरकरार

World Soil Day 2021 दुनिया में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हो रहे मृदा प्रदूषण के प्रति जागरूक करना है। दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की की बैठक में विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 12:19 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 12:24 PM (IST)
World Soil Day 2021: यहां के किसान अब जैविक खेती की राह पर, हो रहा आर्थिक लाभ और खेत की उर्वरा शक्ति भी बरकरार
5 दिसंबर को मनाया जाता विश्व मृदा दिवस ( फाइल फोटो)।

राजीव, दुमका। World Soil Day 2021 दुमका के किसानों को अब जैविक खेती करना सुहाने लगा है। हालांकि जिले में अभी इनकी संख्या सैकड़ों में ही है, लेकिन इससे जुड़े किसानों का कहना कि भविष्य में अगर जैव खाद सहजता से उपलब्ध हो जाए तो बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ जाएंगे। बहरहाल, संताल परगना प्रमंडल में एकमात्र दुमका जिला में जीवाणु खाद का प्रयोग कर किसानों ने खेती करना शुरू किया है। इस वर्ष तकरीबन 475 एकड़ भू-भाग पर जैव खेती का लक्ष्य तय है। जिसमें तकरीबन 100 किसान खरीफ में धान और गैर दलहनी फसलों की खेती जैविक खाद के जरिए करेंगे। जबकि दलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों की तादाद करीब 400 के आसपास होगी।

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रामगढ़ और शिकारीपाड़ा के किसानों ने अपनाया है जैविक खेती

दुमका के रामगढ़ और शिकारीपाड़ा के किसानों ने जैविक खाद को अपना जैविक खेती कर रहे हैं। पिछले साल भी तकरीबन 325 एकड़ भू-भाग पर जैविक खेती की गई थी, जिसका परिणाम काफी सुखद था। इस वर्ष रामगढ़ और शिकारीपाड़ा के गमरा के अलावा विशुबांध के सुशील सोरेन, लखी सोरेन, सुमंत सोरेन, सुनीलाल बास्की एवं रूपलाल बास्की ने भी जैव खेती करने का निर्णय लिया है। रामगढ़ के बंसदुमा के बुधराय मुर्मू, मंडल हेंब्रम, बारिश मुर्मू, कुरूमटांड के मिस्त्री हेंब्रम, सनथ मुर्मू, नोरेन सोरेन, जियापानी के फणीभूषण मांझी, भुवनेश्वर मांझी, जरमुंडी के पूरन मंडल एवं मसलिया प्रखंड के बरमसिया के सुरेश टुडू जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

धान और गैर दलहनी फसलों के लिए एजेनोबैक्टर और पीएसपी का प्रयोग

किसानों को कम खर्च पर खेती और रसायनिक खादों से निर्भरता कम करने के उद्देश्य से जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल हो रही है। इसके लिए जीवाणु खाद को विकल्प के तौर पर किसानों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। एजेनोबैक्टर और पीएसपी जैसे जीवाणु खाद मात्र 15 रुपये में 100 ग्राम की मात्रा उपलब्ध ह, जिसका प्रयोग आधा एकड़ जमीन के लिए तय बीज की मात्रा में किया जा सकता है। मात्र 150 रुपये के करीब खर्च कर किसान एक एकड़ भू-भाग पर बिना रसायनिक खाद के प्रयोग किए बेहतर खेती कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी यह है कि मिट्टी के पोषक तत्वों की जांच करा लेने के बाद इसका उपयोग ज्यादा प्रभावी है। एजेनोबैक्टर हवा से नाइट्रोजन लेकर नाइट्रोजन को खाद के फार्म में बदलता है। इससे पौधे को प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन मिलता है। जबकि, फास्फेट साल्यूबलाइङ्क्षजग बैक्टेरिया नन-साल्यूबल फास्फोरस को साल्यूबल बनाता है। इससे पौधे को फास्फोरस मिलता है।

पहाड़पुर के किसान कर रहे वर्मी कंपोस्ट से सब्जी व फल की खेती

रामगढ़ प्रखंड के पहाड़पुर गांव के किसान बीते दो साल से सिर्फ वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल कर सब्जी और फल की खेती कर रहे हैं। बीते वर्ष इस गांव के तकरीबन दो दर्जन से अधिक किसानों ने पांच हेक्टेयर में हरी सब्जी की खेती औसतन एक किसान पांच से छह हजार रुपये की आमदनी किए थे जो रासायनिक खाद के खेती से अपेक्षाकृत एक से दो हजार रुपये ज्यादा थी। इस बार यही किसान जैविक आलू की भी खेती कर रहे हैं। इसी गांव के बलदेव मुसूप केले की जैविक खेती कर 70-80 हजार रुपये की कमाई कर चुके हैं। जबकि, गांव के राजधन मुसूप, नेमानी मुसूप, चिगडू मुसूप, महेश मुसूप समेत कई किसान सामूहिक रूप से आम का बागीचा लगाए हैं, जिससे पिछले साल सवा लाख रुपये की आमदनी हुई है। इस बागीचा में भी जैविक खाद का ही प्रयोग किया जा रहा है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने वाले प्रेम कुमार साह के मुताबिक पहाड़पुर में तकरीबन दो दर्जन किसान खुद वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं। इन्हें उद्यान विभाग, आत्मा और कृषि विज्ञान केंद्र से भी समय-समय पर जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित व प्रोत्साहित किया जाता है। पहाड़पुर के बलदेव मुसूप कहते हैं कि वह किसान क्लब से जुड़कर आसपास के गांव तालझरनी, मोहनपुर, तुलसी, झापरडीह, गोविंददपुर के अलावा कई गांवों के किसानों को जैविक खेती करने और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाए रखने के लिए जागरूक व प्रेरित कर रहे हैं जिसका सुखद परिणाम सामने आ रहा है।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जीवाणु खाद तैयार किया जाता है। चूंकि जीवाणु खाद बाजार में उपलब्ध नहीं है इसलिए किसानों की सहज पहुंच इस तक नहीं है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दुमका में कृषि विज्ञान केंद्र में जैविक खाद उपलब्ध हैैं। जैविक खाद के प्रयोग रसायनिक खाद का प्रयोग करने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा किसानों को गोबर से तैयार खाद, वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग के लिए प्रेरित व प्रशिक्षित किया जा रहा है।

-डा.अजय कुमार द्विवेदी, वरीय कृषि विज्ञानी, केवीके, दुमका

समय-समय पर आत्मा की ओर से किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देने की पहल की जाती है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान भी किसानों को जैविक खेती से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी देकर इसे अपनाने के लिए जागरूक किया जाता है। इसका परिणाम भी सुखद मिलने लगा है। किसान इस ओर रूख कर रहे हैं।

-संजय मंडल, परियोजना उप निदेशक, आत्मा, दुमका

क्या मनाया जाता विश्व मृदा दिवस

दुनियाभर में आज के दिन को विश्व मृदा के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हो रहे मृदा प्रदूषण के प्रति जागरूक करना है। आज के समय में लोगों द्वारा मिट्टी का भरपूर तरीके से दुरुपयोग किया जा रहा है। लोगों को मिट्टी की गुणवत्ता बताने के लिए ही विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। इसी शुरूआत दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में पारित संकल्प के द्वारा 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था। इस दिवस को मनाने का उदेश्य किसानों के साथ आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है।


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