चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों से अमेरिका को क्यों है परेशानी?

2019 में बीजिंग में एक परेड के दौरान हाइपरसोनिक मिसाइल

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अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉएड ऑस्टिन ने गुरुवार को कहा कि हाइपरसोनिक हथियारों के पीछे चीन की दौड़ से क्षेत्र में तनाव पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि चीन की तरफ़ से आने वाले किसी भी संभावित ख़तरे से निपटने के लिए अमेरिका तैयार रहेगा.

दक्षिण कोरिया के साथ सुरक्षा को लेकर होने वाली सालाना चर्चा में हिस्सा लेने के लिए ऑस्टिन सियोल पहुंचे थे. इस दौरान दोनों देशों में दक्षिण कोरिया के दो पड़ोसी मुल्कों चीन और उत्तर कोरिया के कारण पैदा हुई चिंताओं पर चर्चा हुई.

चीन और उत्तर कोरिया दोनों ही अधिक ताक़तवर हथियार बनाने की कोशिश में लगे हैं. उत्तर कोरिया बार-बार मिसाइल टेस्ट करता रहा है. वहीं चीनी सेना ने पिछले कुछ समय में दो बार ऐसे रॉकेट लॉन्च किए हैं जिसने पूरी धरती का चक्कर काटने के बाद अपने टार्गेट को निशाना बनाया. माना जा रहा है कि अमेरिका इस टेस्ट को लेकर परेशान है.

इसी साल जुलाई में चीन ने एक परीक्षण किया था जिसके बारे में जानकारों का कहना था कि ये हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट था. हालांकि चीन का कहना था कि ये पुराने अंतरिक्ष यान को फिर से इस्तेमाल करने से जुड़ा टेस्ट था.

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अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉएड ऑस्टिन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई उन

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जुलाई में चीन के टेस्ट के बारे में चर्चा करते हुए लॉएड ऑस्टिन ने कहा, "चीन जिस सैन्य क्षमता का विकास कर रहा है उसे लेकर हमें चिंता है, क्योंकि इससे क्षेत्र में तनाव पैदा हो रहा है."

उन्होंने सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए नए हथियार बनाने की चीन की कोशिशों की ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, "हम अपनी और अपने सहयोगियों की रक्षा के लिए अपनी क्षमता बढ़ाना जारी रखेंगे और चीन की तरफ़ से आने वाले किसी भी ख़तरे से निपटने के लिए तैयार रहेंगे."

वीडियो कैप्शन, हाइपरसोनिक मिसाइल कैसे काम करती है?

अमेरिका भी बना रहा है हाइपरसोनिक हथियार

बीते महीने अमेरिकी सेना के जॉइंट चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ जनरल मार्क मिले ने कहा था कि अमेरिका भी हाइपरसोनिक हथियार बनाने पर काम कर रहा है.

उन्होंने इन हथियारों के बारे में अधिक जानकारी देने से मना कर दिया, हालांकि बताया कि इन हथियारों का रास्ता, उनकी तेज़ गति, हवा में अपनी चाल को नियंत्रित कर पाने की क्षमता मिसाइल को डिटेक्ट करने वाले सिस्टम से बच कर निकलने में इनकी मदद करेगा.

उन्होंने कहा कि जिस तरह का हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट चीन ने किया है, अब तक उस तरह का टेस्ट अमेरिका नहीं कर सका है.

वहीं सोमवार को रूस ने दावा किया था कि उसकी नौसेना ने सफलतापूर्वक एक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण किया है.

इस टेस्ट के बारे में रूस का कहना था कि ये ज़िरकॉन क्रूज़ मिसाइल थी जिसने अभ्यास के दौरान 400 किलोमीटर दूर मौजूद अपने लक्ष्य को भेदा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि ज़िरकॉन सिरीज़ की मिसाइलें आवाज़ की गति से नौ गुना तेज़ी से मार कर सकती हैं और एक हज़ार किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य भी भेद सकती हैं. रूसी सेना जल्द ही इस सिरीज़ की मिसाइलों को सेना में शामिल करने वाली है.

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जानकार मानते हैं कि अमेरिका इस बात को लेकर चिंता में है कि हथियारों में रेस में वो कहीं रूस और चीन से पिछड़ न जाए.

इस साल सितंबर में अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइलों का सफलतापूर्वक टेस्ट करने का दावा किया था.

हाइपरसोनिक मिसाइलें माक 5 या उससे अधिक गति (आवाज़ की गति से 5 गुना या उससे अधिक की स्पीड) से जा सकती हैं और अपनी स्पीड और गति नियंत्रित करने की क्षमता के कारण मिसाइल डिफेन्स सिस्टम को चकमा देकर लक्ष्य को भेद सकती हैं.

हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि संभावित तनाव की स्थिति को टालने या जारी हथियारों की दौड़ को रोकने में हाइपरसोनिक मिसाइलों का शायद की कोई योगदान होगा.

उत्तर कोरिया की सैन्य परेड

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'उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक रास्ता अपनाने को तैयार'

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उत्तर कोरिया के बारे में लॉएड ऑस्टिन ने कहा कि उन्होंने इस बारे में दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सू वूक के विस्तृत चर्चा की है और द्विपक्षीय साझेदारी पर भी बात की है.

उन्होंने कहा कि मिसाइल बनाने की उत्तर कोरिया की कोशिशों से क्षेत्रीय सुरक्षा में अस्थिरता पैदा हो रही है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उत्तर कोरिया के मामले में अमेरिका और दक्षिण कोरिया दोनों कूटनीतिक बातचीत का रास्ता अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

इधर दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सू वूक ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थाई शांति स्थापित हो सके इसके लिए ज़रूरी है कि उसके सहयोगी को दक्षिण कोरिया-उत्तर कोरिया और उत्तर कोरिया-अमेरिका के बीच प्रतिबद्धताओं की समझ हो.

गंभीर आर्थिक संकट और कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उत्तर कोरिया बातचीत शुरू करने की अमेरिकी पेशकश को ठुकराता रहा है. उत्तर कोरिया का कहना है कि अमेरिका पहले उत्तर कोरिया को लेकर अपना रवैय्या बदले और उस पर लगे प्रतिबंध हटाए.

दूसरी तरफ बाइडन प्रशासन का कहना है कि उत्तर कोरिया पर लगाए गए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध तब तक हटाए नहीं जाएंगे जब तक वो परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर प्रभावी कदम न उठाए.

इस सप्ताह की शुरुआत में पेंटागन ने एक वैश्विक समीक्षा रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि चीनी सेना के आक्रामक रवैय्ये और उत्तर कोरिया की तरफ़ से संभावित ख़तरे से निपटने के लिए अमेरिका को अपने सहयोगी मुल्कों के साथ साझेदारी बढ़ानी चाहिए.

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