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ओमिक्रॉन का खतरा: 12 माह, 20 बैठकें, फिर भी जीनोम सीक्वेंसिंग पर राज्यों का ध्यान नहीं

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।  Published by: Amit Mandal Updated Thu, 02 Dec 2021 05:52 AM IST
सार

देश भर में सीक्वेंसिंग के लिए 288 जगहों की पहचान की गई, लेकिन इनमें से ज्यादातर राज्यों से पर्याप्त सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए नहीं आ रहे हैं।  

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Omicron: 12 Months, 20 Meetings, Still States Not Paying Attention to Genome Sequencing
जीनोम सिक्वेंसिंग - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सामान्य जांच के जरिए किसी भी तरह के संक्रमण की पहचान हो सकती है लेकिन ओमिक्रॉन जैसे वायरस के किसी भी स्वरूप को जानने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है। साल भर पहले इन्हीं दिनों में कोरोना वायरस में नए-नए परिवर्तन देखने को मिले थे, जिसके बाद देश में जीनोम सीक्वेंसिंग को अनिवार्य करते हुए इन्साकॉग का गठन हुआ। यह तय हुआ कि हर महीने राज्यों को पांच फीसदी सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए भेजना आवश्यक है, लेकिन 12 महीने में 20 से भी अधिक बैठक और निर्देश जारी होने के बाद भी राज्यों का अब तक इस पर ध्यान नहीं है।



स्थिति यह है कि इस साल जून से अगस्त के बीच ही 50 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। देश भर में सीक्वेंसिंग के लिए 288 जगहों की पहचान की गई, लेकिन इनमें से ज्यादातर राज्यों से पर्याप्त सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए नहीं आ रहे हैं।  


सैंपल की संख्या हुई कम
सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस साल जनवरी में 2207, फरवरी में 1321, मार्च में 7806, अप्रैल में 5713, मई में 10488, जून में 12257, जुलाई में 6990 और अगस्त में 6458 सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई।  सितंबर में 2100 और अक्तूबर में करीब 450 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए पहुंचे हैं। इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल 2021 में सरकार ने हर राज्य में जगहों का चयन करते हुए प्रत्येक जगह से 30 सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए भेजने का नियम भी बनाया, जिसके तहत बीते अगस्त माह के दौरान 36 राज्यों में 288 जगहों को चिन्हित करते हुए 8614 सैंपल भेजने का लक्ष्य भी रखा, लेकिन 19 राज्यों ने तय लक्ष्य के अनुसार सैंपल नहीं भेजे।  इस साल एक से 31 अगस्त के बीच 8332 सैंपल ही सीक्वेंसिंग के लिए लैब तक पहुंच पाए।
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नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि आगामी लहर से बचने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाना जरूरी है। वहीं, इन्साकॉग के ही एक अधिकारी का कहना है, हाल में राज्यों के साथ बैठक में हिदायत दी जा चुकी है।  नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल  के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन्साकॉग का गठन होने के बाद से जीनोम सीक्वेंसिंग पर ध्यान देने के लिए कहा जा रहा है।
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मृत्युदर में लगातार इजाफा
कोरोना के नए मामलों में भले ही उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा हो लेकिन मृत्युदर लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है। रोजाना तीन फीसदी तक मौतें दर्ज की जा रही हैं। पिछले एक दिन की स्थिति देखें तो 2.98 फीसदी मरीजों की मौत दर्ज की गई है। एक से 30 नवंबर के बीच देश में 10,777 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। वह भी तब जब कोरोना की संक्रमण दर पिछले 58 दिन से दो फीसदी से भी कम दर्ज की जा रही है।  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले एक दिन में कोरोना वायरस के 8,954 नए मामले सामने आए हैं और 267 लोगों की मौत हो गई है। इस दौरान 10,207 संक्रमित मरीज ठीक हुए हैं और सक्रिय मामलों की संख्या 99,023 है। अकेले केरल में 4,723 नए मामले आए हैं और इस दौरान 19 लोगों की कोरोना से मौत हो गई है।  एजेंसी

दूसरी डोज लगवाने पर मिलेगा स्मार्ट फोन
कोविड-19 से बचाव के लिए नागरिकों के पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य पाने के लिए अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने एक लकी ड्रॉ निकालने की घोषणा की है। वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने वालों के नाम इस ड्रॉ में शामिल होंगे और विजेता को 60 हजार रुपये कीमत का स्मार्टफोन दिया जाएगा। अहमदाबाद नगर निगम ने बताया कि 1 से 7 दिसंबर के बीच कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने वाले लोग योजना के पात्र होंगे। विजेता के नाम की घोषणा लकी ड्रॉ के बाद होगी। एजेंसी
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