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अमर उजाला खास: उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम पर लिया फैसला, अब भू कानून की बारी

राकेश खंडूड़ी, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Thu, 02 Dec 2021 02:36 AM IST
सार

उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहितों की तरह ही राज्य में विभिन्न संगठनों के बैनर तले सशक्त भू कानून की मांग को लेकर लोग आंदोलित हैं।

Uttarakhand News: After Devasthanam Board Government may take big decision on Land Law Now
सीएम पुष्कर सिंह धामी - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
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विस्तार
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उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम पर कदम पीछे खींचने के बाद प्रदेश सरकार पर भू कानून को लेकर दबाव बन गया है। सबकी निगाहें अब सरकार पर लगी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित की है उसने सात दिसंबर को देहरादून में एक अहम बैठक बुला ली है। इस बैठक के बाद समिति उसे अब तक प्राप्त हो चुके 163 सुझावों पर मंथन करेगी। इस दौरान जन सुनवाई के बाद समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे सकती है।



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तीर्थ पुरोहितों की तरह ही राज्य में विभिन्न संगठनों के बैनर तले सशक्त भू कानून की मांग को लेकर लोग आंदोलित हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी भू कानून को चुनावी मुद्दा बनाया। आम आदमी पार्टी से लेकर उत्तराखंड क्रांति दल समेत अन्य सामाजिक संगठन भी सरकार से मजबूत भू कानून बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।
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चौतरफा मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल के अलावा भाजपा नेता अजेंद्र अजेय सदस्य हैं। समिति ने लोगों से सार्वजनिक सूचना के माध्यम से सुझाव मांगे थे। अब तक उसके पास 163 सुझाव पहुंच चुके हैं। अब इन सुझावों पर विचार विमर्श के बाद जन सुनवाई होगी। अब भू कानून को लेकर दबाव बढ़ने के आसार हैं।
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हिमाचल की तर्ज पर भू कानून चाहते हैं लोग
समिति के पास जो सुझाव पहुंचे हैं, उनमें ज्यादातर लोगों ने हिमाचल की तर्ज पर भू कानून की मांग की है। सरकार को राज्य से बाहर दिल्ली और हिमाचल से भी अप्रवासी उत्तराखंडियों के सुझाव प्राप्त हुए हैं। 

विरोध को लेकर हैं कई आशंकाएं 

भू-कानून का विरोध करने वालों का मानना है कि प्रदेश में ‘उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 संशोधन कानून 2018 को जमीन की खरीद फरोख्त के नियमों को लचीला बना दिया गया। अब कोई भी पूंजीपति प्रदेश में कितनी भी जमीन खरीद सकता है।

इसके तहत पहाड़ में उद्योग लगाने के लिए भूमिधर स्वयं भूमि बेचे या उससे कोई भूमि खरीदेगा तो भूमि को अकृषि कराने के लिए अलग से कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी होगी। औद्योगिक प्रायोजन से भूमि खरीदने पर भूमि का स्वत: भू उपयोग बदल जाएगा। अधिनियम की धारा 154 (4) (3) (क) की उपधारा (2) जोड़ी गई। इसके तहत 12.5 एकड़ भूमि की बाध्यता और किसान होने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई है। 

समिति की सात दिसंबर को बैठक बुलाई है। जिन्होंने अपने सुझावों के साथ अपना पक्ष रखने को कहा है, उनकी सुनवाई भी की जाएगी। हमने आपत्ति और सुझाव मांगे थे, जो हमें प्राप्त हो चुके हैं। आपत्तियां सुनने के बाद हम रिपोर्ट फाइनल कर देंगे। 
- सुभाष कुमार, अध्यक्ष, भू कानून अध्ययन समिति

मुख्यमंत्री भू कानून के मामले में गंभीर हैं। जिस तरह देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम पर उन्होंने जनभावना के अनुरूप निर्णय लिया, उसी तरह भू कानून के मामले में भी निर्णय लेंगे।
- अजेंद्र अजय, सदस्य, भू कानून अध्ययन समिति
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