उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले-मथुरा की तैयारी, छिड़ी बहस

केशव प्रसाद मौर्य

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केशव प्रसाद मौर्य

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर नई बहस छिड़ गई है.

केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बात की है और कहा है, "मथुरा की तैयारी है."

कई संगठन हाल में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर आंदोलन चलाने का एलान करते रहे हैं.

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आगामी 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी है और इस दिन कई संगठनों ने मथुरा में कार्यक्रमों का एलान किया है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने कार्यक्रमों के अनुमति नहीं दी है लेकिन इसी बीच आए मौर्य के बयान ने माहौल की गर्मी बढ़ा दी है.

कई लोग ख़ासकर विपक्षी दल मौर्य के बयान पर सवाल उठा रहे हैं और इसे आने वाले चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर

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केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, "अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है. मथुरा की तैयारी है."

उपमुख्यमंत्री मौर्य का बयान ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने जा रहे हैं. इस कॉरिडोर के बनने की शुरुआत 2019 में हुई थी.

इस बीच, बुधवार को ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या में पहुंचे.

योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में कहा, "राम हमारे पूर्वज हैं. उपासना विधि बदलने से पूर्वज नहीं बदल जाते हैं."

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योगी आदित्यनाथ ने कहा, "श्री अयोध्या जी ने 500 वर्षों तक लंबे संघर्ष को देखा है. समय-समय पर हमले होते रहे, लेकिन अयोध्या कभी चुप नहीं बैठी. हम लोग अन्याय व अत्याचार बर्दाश्त नहीं करते. यही अयोध्या है!"

उन्होंने कहा, "प्रभु श्री राम ने न कभी अन्याय किया और न अन्याय सहा. अर्थात हम अधर्म नहीं करेंगे और अधर्म नहीं सहेंगे. अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी है."

विपक्षी दलों ने उठाए सवाल

बीजेपी नेताओं के बयान पर विपक्षी दलों के नेताओं ने सवाल उठाए हैं. केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ज़ोरदार हमला किया.

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अखिलेश यादव ने कहा, "बीजेपी का ग़रीबों को लूटने और अमीरों की जेब भरने का एजेंडा है. वो हमेशा अमीरों के लाभ के लिए काम करते रहे हैं. लेकिन आने वाले चुनाव में रथ यात्रा या नया मंत्र कोई काम नहीं आएगा."

कांग्रेस के नेताओं ने भी मौर्य के बयान पर सवाल उठाए हैं.

मथुरा की मान्यता श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ ज़मीन पर मालिकाना हक़ को लेकर कई लोग कोर्ट भी गए हैं. इस ज़मीन के एक हिस्से पर शाही ईदगाह है.

विश्व हिंदू परिषद अयोध्या के साथ काशी (वाराणसी) और मथुरा को भी अपने एजेंडे में बताती रही है.

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योगी सरकार गायों के लिए चलाएगी एम्बुलेंस

वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बीते साल अगस्त में बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली को बताया था कि फ़िलहाल उनके संगठन का पूरा ध्यान अयोध्या पर केंद्रित है और वो कहीं और ध्यान नहीं दे रहे.

उन्होंने आगे कहा, 'काशी और मथुरा हमारे संकल्प का हिस्सा है और वो ख़त्म नहीं हुआ'.

हालांकि, नौ नवंबर, 2019 को राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया था कि संघ मथुरा और काशी को लेकर किसी तरह के आंदोलन में शामिल नहीं होगा.

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अयोध्या के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद की चर्चा क्यों?

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इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोशल मीडिया के ज़रिए 6 दिसंबर को मथुरा में बड़ी संख्या में लोगों से एकत्र होने का आह्वान किया जा रहा है. कुछ दिनों पहले हिंदू महासभा ने 6 दिसंबर को मथुरा चलो का नारा भी दिया था.

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का तोड़ दिया था.

हालांकि मथुरा पुलिस ने जानकारी दी कि किसी भी ऐसे कार्यक्रम या पदयात्रा की अनुमति नहीं दी गई है, और आगे भी नहीं दी जाएगी.

मथुरा पुलिस ने बताया, "इस क्षेत्र में धारा 144 लागू है. कोई भी व्यक्ति यदि सोशल मीडिया के माध्यम से या किसी अन्य माध्यम से किसी प्रकार की अफ़वाह, अराजकता, भ्रम फ़ैलाने या धार्मिक भावनाएं उकसाने या भीड़ इकट्ठा करने का प्रयास करता है तो उसके ख़िलाफ़ सख़्त और कठोर कार्रवाई की जाएगी. सोशल मीडिया पर विशेष रूप से नज़र रखी जा रही है."

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साथ ही पुलिस ने ऐसे किसी भी अफ़वाह से बचने और ऐसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल न होने की सलाह दी है.

कॉपी- अभिजीत श्रीवास्तव

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