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रावण से अभी मुलाकात नहीं हुई है, देखें क्या राजनीतिक परिस्थिति बनती हैः अखिलेश

समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण से मुलाकात की चर्चाओं को खारिज कर दिया है. उन्होंने आजतक से बातचीत में चंद्रशेखर से मुलाकात की बात को खारिज कर दिया है.

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भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर और सपा प्रमुख अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर और सपा प्रमुख अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अखिलेश और चंद्रशेखर रावण की नहीं हुई मुलाकात
  • दोनों नेताओं के बीच मुलाकात होने की चर्चाएं थीं

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण (Chandrashekhar Azad Ravan) से मुलाकात की चर्चाओं को खारिज कर दिया है. ऐसी चर्चा थी कि चंद्रशेखर आजाद अखिलेश यादव ने मिलने पहुंचे हैं, लेकिन सपा प्रमुख ने इन सभी बातों को खारिज कर दिया है. आजतक से बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि उनकी अभी तक चंद्रशेखर से कोई मुलाकात नहीं हुई. उन्होंने ये भी कहा कि आगे क्या राजनीतिक परिस्थिति बनती है, उसे देखा जाएगा.

आजतक से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की कोशिश कर रही है. हालांकि, जब उनसे चंद्रशेखर से मुलाकात को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'रावण से अभी मुलाकात नहीं हुई है देखते हैं क्या राजनीति परिस्थिति बनती है.'

दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की चर्चा ऐसी समय हुई थी जब यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने छोटी पार्टियों के लिए गठबंधन के दरवाजे खोल रखे हैं. सपा नेता सुनील सिंह साजन ने पिछले दिनों कहा था कि उनकी पार्टी लगातार छोटे दलों को साथ लाने की कोशिश कर रही है. 2022 के चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए सपा का दरवाजा सभी छोटे दलों के लिए खुला है. हालांकि, गठबंधन पर आखिरी फैसला अखिलेश यादव ही करेंगे.

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ये भी पढ़ें-- बड़े दलों से बड़ा दिल दिखाने की बात करने वाले चंद्रशेखर आजाद के दिल में आखिर क्या है? 

दलित समाज के युवा नेता के तौर पर उभरे चंद्रशेखर आजाद रावण की आजाद समाज पार्टी 2022 में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कुछ महीनों पहले गठबंधन की बात से इनकार तो नहीं किया था, लेकिन ये भी कहा था कि पार्टियों को साथ आना है तो बड़ा दिल दिखाना होगा. चंद्रशेखर तो यहां तक कह चुके हैं कि जिसकी सरकार बनेगी, उनकी वजह से बनेगी. ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन होता है तो इसे भी अखिलेश का मास्टरस्ट्रोक ही कहा जा सकता है. हालांकि, चंद्रशेखर ये भी कह चुके हैं कि वो उन्हें 6-7 सीटें नहीं, अच्छी-खासी सीटें चाहिए तभी वो गठबंधन के लिए राजी होंगे.

कितना दम रखते हैं चंद्रशेखर?

उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय की आबादी करीब 22 प्रतिशत हिस्सा है और पश्चिमी यूपी की कई सीटों में निर्णायक भूमिका वो निभाते हैं. यूपी की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 85 दलितों के लिए आरक्षित हैं. पहले दलित समुदाय का बसपा को एकमुश्त वोट बैंक के रूप में देखा जाता था, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में दलितों के बीच अपना मायावती का ग्राफ डाउन हुआ है. बसपा की राजनीतिक जमीन हथियाने और दलित मतों के अपने पाले में लाने के लिए तमाम अन्य दलों में होड़ मची हुई है. बीते कुछ सालों में चंद्रशेखर आजाद बड़ी तेजी के साथ दलित नेता के तौर पर उभरे हैं. इसके अलावा मायावती और चंद्रशेखर दोनों ही जाटव समुदाय के साथ-साथ पश्चिम यूपी से आते हैं. ऐसे में दोनों का एक ही वोटबैंक हैं.


 

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