एक जहाज़ पर ड्रग्स पकड़े जाने के मामले में उस पर काम करने वाले चालक दल के पाकिस्तान के छह लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई है. उनके वकील का कहना है कि इस जहाज़ को मिस्र जाना ही नहीं था. ये कैसे हुआ इसकी जाँच होनी चाहिए.
संविधान दिवस के मौके पर बोले चीफ़ जस्टिस, न्यायपालिका का मकसद कार्यपालिका की जगह लेना नहीं
भारत के
सर्वोच्च न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने शुक्रवार को कहा है कि संविधान ने कार्यपालिका,
न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के बंटवारे की जो लक्ष्मण रेखा खींची है
वह पवित्र है.
संविधान
दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में चीफ़ जस्टिस रमन्ना ने न्यायपालिका पर बढ़ते
हुए हमलों से लेकर न्यायिक अधिकारियों पर बढ़ते हुए शारीरिक हमलों को लेकर चिंता जताई.
पीएम
मोदी की मौजूदगी में बोलते हुए चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, “न्यायपालिका के लिए सबसे
ज़्यादा चिंता के विषयों में से एक जजों पर बढ़ते हुए शारीरिक हमले हैं. न्यायिक अधिकारियों पर हमलों के मामले बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही मीडिया, विशेषत: सोशल
मीडिया पर न्यायपालिका पर हमले हो रहे हैं."
"ऐसा प्रतीत होता है कि ये हमले स्पॉन्सर्ड
और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. कानून का पालन करवाने वाली संस्थाओं विशेषत: केंद्रीय
संस्थाओं को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण हमलों का प्रभावी ढंग से सामना करने की
ज़रूरत है. सरकारों से एक सुरक्षित वातावरण बनाने की अपेक्षा की जाती है जिससे न्यायाधीश
और न्यायिक अधिकारी निडरता के साथ अपना काम कर सकें.”
न्यायपालिका
द्वारा अपनी सीमा से बाहर जाने से जुड़ी आलोचना पर उन्होंने कहा, “संविधान ने जो लक्ष्मण रेखा खींची है, वह पवित्र है.
लेकिन कभी – कभी ऐसे मौके आते हैं जब अदालतें न्याय की ख़ातिर लंबित मामलों की ओर ध्यान
खींचने के लिए मजबूर होती है. ऐसे सीमित न्यायिक दखलों का उद्देश्य कार्यपालिका का
ध्यान खींचना है. न कि उसकी भूमिका अख़्तियार करना.”
उन्होंने
कहा कि न्यायपालिका की ओर से किए जाने वाले इन दखलों को एक संस्थान द्वारा संस्थान
को निशाना बनाने के रूप में देखना ग़लत है, अगर इसे इसी तरह देखे जाने को बढ़ावा
मिलता है तो ये प्रयास लोकतंत्र की सेहत के लिए बेहतर नहीं होंगे.
मार्च में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बनाएगी: नारायण राणे
केंद्रीय
मंत्री नारायण राणे ने शुक्रवार को जयपुर में दावा किया है कि आगामी मार्च में
बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी. राणे ने ये बयान एक ऐसे समय में दिया है जब महाराष्ट्र
के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल दिल्ली पहुंचे हुए हैं.
इसके
साथ ही एनसीपी चीफ़ शरद पवार भी अपने क़रीबी साथी प्रफुल पटेल के साथ दिल्ली में
मौजूद हैं. ऐसे में राणे के बयान और इन नेताओं की दिल्ली में एक ही समय पर मौजूदगी
कई राजनीतिक कयासों को जन्म दे रही है.
इन
कयासों का खंडन करते हुए महाविकास अगाड़ी सरकार के नेताओं ने कहा है कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस
सरकार पर किसी तरह का ख़तरा नहीं मंडरा रहा है.
लेकिन समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, फडणवीस
ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की है.
राणे से जब पूछा गया कि वह ये बात किस आधार पर कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि सरकारें बनाने और गिराने का काम गुप्त तरीके से किया जाता है और इस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा, “बीजेपी के राज्य शाखा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने इस पर बयान दिया है, और मैं उम्मीद करता हूं कि ये सच साबित हो.”
इसके साथ ही बीजेपी और एनसीपी ने अपने नेताओं के दिल्ली पहुंचने से जुड़े कयासों का खंडन किया है.
बीजेपी ने कहा है कि फडणवीस एवं पाटिल संगठन के काम के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे हैं.
वहीं, एनसीपी के एक सूत्र ने कहा है कि पवार दिल्ली में रक्षा पर संसदकी स्थायी समिति की एक बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे थे.
इसके साथ ही शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राऊत ने कहा है कि बीजेपी को ऐसी डेडलाइन देना बंद कर देनी चाहिए, वह “खुद को मजाक का विषय बनाती है.”
किसान आंदोलन का एक साल पूरा, क्या खोया-क्या पाया
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अब से ठीक एक साल पहले जब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हुई थी तो सर्दियों का मौसम बस शुरू भर हुआ था. अधिकांश लोगों को ये उम्मीद नहीं थी कि किसान इतने लंबे समय तक अपने घर परिवार और खेतों को छोड़कर दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे.
लेकिन तमाम प्रदेशों से आए किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहकर भयानक सर्दी से लेकर गर्मी और भयंकर प्रदूषण का सामना किया.
यही नहीं, जब दुनिया भर में कोविड - 19 महामारी अपना कहर बरपा रही थी, सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी बरतने के नियम का पालन किया जा रहा था तब भी किसानों का हुजूम दिल्ली की सीमाओं पर डटा रहा.
जब-जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें महामारी से डर नहीं लगता तो उन्होंने कहा कि "हम इन क़ानूनों की वजह से वैसे भी मरने जा रहे हैं. ये ज़्यादा ख़तरनाक हैं."
इस दौरान दिल्ली की सीमाओं पर सैकड़ों किसान बिना मास्क लगाए कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते दिखे.
अब से ठीक एक साल पहले जब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हुई थी तो सर्दियों का मौसम बस शुरू हुआ था. अधिकांश लोगों को ये उम्मीद नहीं थी कि किसान इतने लंबे समय तक अपने घर, परिवार और खेतों को छोड़कर दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की नई सिरीज़ सोमवार से उपलब्ध होगी, जानें कीमत
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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 का नया सब्सक्रिप्शन 29 नवंबर से पांच दिनों के लिए उपलब्ध होगा.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमत 4791 रुपये प्रति ग्राम रखी गई है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 के सिरीज़- VIII का सब्सक्रिप्शन 29 नवंबर से 3 दिसंबर तक के लिए खुला रहेगा.
इसके अलावा जो लोग इसका सब्सक्रिप्शन ऑनलाइन खरीदेंगे और इसके लिए भुगतान डिजिटल तरीके से करेंगे, उन्हें 50 रुपये प्रति ग्राम के डिस्काउंट का भी ऑफ़र किया गया है.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बताया कि ऐसे निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड 4741 रुपये प्रति ग्राम की दर से उपलब्ध होगा.
सातवीं सिरीज़ के लिए 4761 रुपये प्रति ग्राम की कीमत रखी गई थी.
रिज़र्व बैंक भारत सरकार की तरफ़ से ये गोल्ड बॉन्ड जारी करता है.
फिजिकल गोल्ड की मांग कम करने के लिए नवंबर, 2015 में ये योजना शुरू की गई थी.
संविधान दिवसः परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर पीएम मोदी का सवाल और विपक्ष का पलटवार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राजनीति में परिवारवाद और भ्रष्टाचार के लिए सज़ा पा चुके लोगों को दोबारा से राजनीतिक गलियारे में उठने-बैठने की अनुमति दिए जाने पर तमाम विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लिया.
प्रधानमंत्री ने किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति का नाम लिए बग़ैर कहा कि अगर कोई पार्टी एक ही परिवार के ज़रिए कई पीढ़ियों तक चलाई जाती है, तो यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि भ्रष्टाचार के लिए सज़ा हो चुकी हो उनकी फिर से राजनीति में प्राण प्रतिष्ठा करने की प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है. इससे चिंतित होने की ज़रूरत है.
आज़ादी के अमृत महोत्सव के मद्देनज़र शुक्रवार को संविधान दिवस मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी अवसर पर संसद के सेंट्रल हॉल में बग़ैर किसी का नाम लिए ये बातें कहीं.
उन्होंने नाम तो किसी का नहीं लिया लेकिन घेरे में गांधी परिवार, यूपी-बिहार के यादव परिवार, कश्मीर के मुफ़्ती और अब्दुल्ला परिवार सभी आ गए.
संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां राजनीति में वंशवाद और भ्रष्टाचार पर चिंता ज़ाहिर की, वहीं विपक्ष ने उन पर संविधान की परंपराओं को दरकिनार कर निर्णय लेने का आरोप लगाया.
चीन और ताइवान को लेकर सोलोमन द्वीप में हिंसा, पीएम की गुहार पर पहुंची ऑस्ट्रेलियाई पुलिस
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ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने शुक्रवार को दक्षिण प्रशांत सागर द्वीप देश सोलोमन द्वीप में बढ़ते हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच राजधानी होनियारा को अपने नियंत्रण में ले लिया है.
स्थानीय लोगों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जानकारी दी है कि चाइना टाउन इलाक़े में आंसू गैस भेजे गए हैं.जहां शुक्रवार की सुबह से ही लूटपाट और इमारतों को जलाया जा रहा है. थोड़ी देर में यहां कर्फ्यू लगाए जाने की उम्मीद थी.
प्रधानमंत्री मनश्शे सोगावरे ने ऑस्ट्रेलिया से मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया.
शुक्रवार को प्रधानमंत्री सोगावरे ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के लिए विदेशी शक्तियों को दोषी ठहराया,लेकिन इस दौरान उन्होंने किसी देश क नाम नहीं लिया.
ज़्यादातर प्रदर्शनकारी सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत मलाइता से आते हैं और वह प्रांत में सरकार की अनदेखी से आक्रोशित हैं और इसके साथ ही वे सरकार के ताइवान के साथ राजनयिक संबंध खत्म कर चीन के साथ औपचारिक संबंध स्थापित करने के साल 2019 के फैसले का विरोध कर हैं.
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सोगावरे ने ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन से कहा, "मुझे मलाइता के लोगों के लिए खेद है क्योंकि उन्हें इस राजनयिक संबंधों के बदलाव को लेकर सोची-समझी झूठी बातें बताई गई हैं."
‘’मलाइता को प्रभावित करने वाले ये वही देश हैं जो चीन के साथ संबंध नहीं चाहते हैं,और वे नहीं चाहते कि सोलोमन द्वीप चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करे. ये देश हमें अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का पालन करने से रोक रहे हैं."
चीन और ताइवान दशकों से दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी रहे हैं,लेकिन कुछ द्वीप देश अपना खेमा बदल रहे हैं.
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और इसके किसी देश के साथ संबंधों के अधिकार को ख़ारिज करता है, वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है.इस वक़्त केवल 15 देशों के ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हैं. ताइवान के साथ राजनयिक संबंध ख़त्म करने वाले सबसे हालिया देश में सोलोमन द्वीप और किरिबाती हैं जिन्होंने सितंबर 2019 में ताइवान से अपने संबंध ख़त्म किए.
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर', 26 नवंबर 2021
कोरोना के नए वैरिएंट का डर, दुनिया भर में गिरे शेयर बाज़ार
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के सामने आने के बाद दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है.
लोगों को ये डर सता रहा है कि अर्थव्यवस्थाओं के वापस पटरी पर आने की प्रक्रिया में कोरोना महामारी की नई लहर से कोई अड़चन न खड़ी हो जाए.
शुक्रवार को आई गिरावट को इसी जड़ से जोड़कर देखा जा रहा है.
लंदन में 100 शेयरों के एफटीएसई सूचकांक में तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. एशिया, जर्मनी और फ्रांस भी इस गिरावट से अछूते नहीं रहे.
एयरलाइंस कंपनियों और ट्रैवल कारोबार से जुड़ी फर्मों को सबसे ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ा.
ब्रिटेन और अन्य देशों ने छह अफ्रीकी देशों से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने कहा है कि वैज्ञानिक कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर गहरी चिंता में हैं कि वो हमारी प्रतिरक्षा तंत्र से अपना बचाव करने में सक्षम हो सकता है.
ब्रिटेन ने फिलहाल अस्थाई रूप से दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बॉब्वे, बोत्सवाना, लेसोथो और इस्वातिनी से उड़ानों पर रोक लगाई है.
नेपाल में ओली की पार्टी के सम्मेलन में बीजेपी नेता क्या कर रहे हैं
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) की दसवीं कांग्रेस चितवन में आज से यानी 26 नवंबर से शुरू हुई है और यह 28 नवंबर तक चलेगी.
अभी नेपाल में सीपीएन-यूएमएल (नेकपा-एमाले) प्रमुख विपक्षी पार्टी है और साथ ही संसद में सबसे बड़ी पार्टी है.
2017 में ओली कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल (माओवादी सेंटर) के साथ गठबंधन में दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आए थे. यह गठबंधन मई 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले आ गया था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड भी शामिल थे.
लेकिन इस साल मार्च में आपसी विवाद के कारण यह पार्टी टूट गई. पहले प्रचंड अलग हुए और फिर बाद में एक और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने भी सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी) बना ली. इसी साल जुलाई में ओली की सरकार गिर गई थी.
पार्टी टूटने के बाद पहली बार यह सम्मेलन हो रहा है. इसी सम्मेलन में ओली को एक बार फिर से पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है. यानी अगले पाँच सालों के लिए ओली पार्टी प्रमुख बने रहेंगे. सोमवार को नए पार्टी प्रमुख की घोषणा की जाएगी. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस सम्मेलन में पार्टी के 2300 प्रतिनिधि शामिल होंगे.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी की दसवीं कांग्रेस में शामिल होने के लिए भारत से बीजेपी के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन और उत्तर प्रदेश में बस्ती से लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी पहुँचे हैं.
जेवर एयरपोर्ट: वो लोग किस हाल में हैं जिनकी ज़मीन पर बन रहा है हवाई अड्डा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया. इसका निर्माणकार्य साल 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जेवर एयरपोर्ट भाजपा के चुनावी वादों में शामिल रहा है.
दावा किया जा रहा है कि ये एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा. साथ ही फ़र्स्ट नेट ज़ीरो एमिशन एयरपोर्ट होगा यानी प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त. कई लोग यूपी में नया हवाई अड्डा बनने से खुश हैं लेकिन कुछ लोग नाराज़ भी हैं.
एयरपोर्ट बनाने के लिए जिन किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण किया गया उनमें से कुछ का दावा है कि अब तक मुआवज़ा नहीं मिला है.
साथ ही कुछ किसानों का कहना है नए प्लॉट छोटे हैं. इस पूरे मामले पर ADM बलराम सिंह का कहना है कि मुआवज़ा ज़मीन अधिग्रहण क़ानून के हिसाब से ही दिया गया है और इसमें प्रशासन ने नियम-क़ानूनों के मुताबिक़ ही कदम उठाए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा क्या पकड़ सकता है राजनीति की राह
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किसान नेताओं के दो बयान पिछले 24 घंटे में बेहद चर्चित रहे हैं. चर्चा की एक वजह किसान आंदोलन का एक साल पूरा होना है. और दूसरी वजह बयान में कही गई बातें हैं.
इनमें से एक बयान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का है, जो गुरुवार को हैदराबाद में थे. वहाँ उन्होंने एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का नाम लिए बिना उन पर हमला बोला.
उन्होंने कहा, "एक आपके यहाँ का बेलग़ाम नथ वाला सांड, खुला छोड़ दिया है, जो बीजेपी की मदद करता घूम रहा है. उसको यहीं बांध कर रखो, वो देश में सबसे ज़्यादा बीजेपी की मदद करता है. उसको यहाँ से बाहर मत जाने दो. वो बोलता कुछ और है और उसका मक़सद कुछ और है. उसकी जाँच कर लेना. उसको बांध कर यहीं रखो, उसको हैदराबाद और तेलंगाना से बाहर मत जाने दो."
अब तक चुनावी राजनीति से दूरी ही किसान आंदोलन की शक्ति मानी जाती रही है.
दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर किसानों को आंदोलन करते हुए आज एक साल पूरे हो गए. पिछले 24 घंटे में दो नेताओं के ऐसे बयान आए हैं, जिसके बाद चर्चा है कि क्या अब किसान नेता राजनीति में आना चाहते हैं?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी गई है.
हत्या के साथ परिवार की ही एक नाबालिग़ बच्ची के साथ गैंगरेप का आरोप भी लगा है. घटना प्रयागराज के फाफामऊ के मोहनगंज गोहरी गांव की है.
बुधवार रात को मोहनगंज गोहरी गांव में जब ये घटना हुई तब परिवार के मुखिया जिनकी उम्र 50 साल थी, साथ में उनकी 45 वर्षीय पत्नी, 16 साल की बेटी और 10 साल के बेटे घर में सो रहे थे.
सुबह घर का दरवाज़ा न खुलने पर गांव के लोगों ने पुकारा लेकिन घर के अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई.
गांव वालों ने पुलिस को जानकारी दी और पुलिस को घर में चारों के ख़ून से लथपथ शव मिले. घर से एक कुल्हाड़ी भी बरामद हुई है.
अगले महीने 6 दिसंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आएंगे. इस दौरे में राष्ट्रपति पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य के संबंधों और साझेदारियों पर बात करेंगे.
नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास ने कहा है कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष जी-20, ब्रिक्स और एसएसीओ में साथ मिलकर काम करने पर भी बात करेंगे. समचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पुतिन 21वीं भारत-रूस समिट में हिस्सा लेने आ रहे हैं.
भारत से अंतरराष्ट्रीय उड़ाने 15 दिसंबर से बहाल होंगी: विमानन मंत्रालय
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विमानन मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 15 दिसंबर से बहाल हो जाएंगी. नागर विमानन मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि व्यावसायिक सवारी उड़ानों की बहाली को लेकर गृह, विदेश और स्वास्थ्य मंत्रालय से परामर्श किया गया है.
विमानन मंत्रालय ने कहा कि परामर्श के बाद फ़ैसला लिया गया कि भारत से और भारत आने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 15 दिसंबर से बहाल हो सकती हैं.
इससे पहले नागर विमानन मंत्रालय के सेक्रेटरी राजीव बंसल ने कहा था कि दिसंबर महीने के आख़िर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सामान्य हो जाएंगी. पिछले साल 23 मार्च से ही निर्धारित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें निलंबित हैं.
टमाटर अगले दो महीने तक नहीं होगा सस्ता: क्रिसिल रिसर्च
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क्रिसिल रिसर्च के अनुसार, बेमौसम बारिश के कारण भारत के कई हिस्सों में सब्ज़ियों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं. क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो महीनों तक टमाटर की क़ीमतें सामान्य नहीं होंगी.
टमाटर की अच्छी उपज कर्नाटक में होती है लेकिन यहाँ की स्थिति इतनी गंभीर बनी हुई है कि सब्ज़ियां महाराष्ट्र के नासिक से भेजी जा रही हैं. क्रिसिल रिसर्च कहना है कि कर्नाटक में भारी बारिश के कारण फसलों को काफ़ी नुक़सान हुआ है.
आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भी यही हाल है जबकि अक्टूबर से दिसंबर तक सब्ज़ियों की आपूर्ति में इन राज्यों की अहम भूमिका रहती है.
सब्ज़ियों की क़ीमतों में 25 नवंबर तक 142 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और अगले दो महीनों तक क़ीमतों में कमी आने की उम्मीद नहीं है.
जनवरी से मध्य प्रदेश, राजस्थान से सब्ज़ियां बाज़ार में आएंगी तभी ऊंची क़ीमतों से राहत मिलेगी. अभी टमाटर 47 रुपए किलो मिल रहा है. जब टमाटर की नई फसल आएगी तो 30 प्रतिशत तक क़ीमत कम होगी.
पाकिस्तान के केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हमाद अज़हर ने पेट्रोल पंप मालिकों से अपील की है कि वो फ़ैसले पर विचार करें.
चीन यूरोप के इस छोटे से देश से क्यों इतना परेशान है?
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन और यूरोप
के एक बेहद छोटे देश लिथुआनिया के बीच पिछले कुछ समय से ताइवान को लेकर संघर्ष
जारी है.
लिथुआनिया ताइवान के मुद्दे पर चीन की वन चाइना
पॉलिसी को मानने से इनकार कर चुका है.
इसके साथ ही लिथुआनिया ने चीन के नेतृत्व वाले
यूरोपीय देशों के एक संगठन से ख़ुद को अलग कर लिया है.
इस वजह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते
अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच चुके हैं.
लेकिन बीते बुधवार लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रिलियस
लैंड्सबर्गिस ने चीन को लेकर जो कुछ कहा है, उसके बाद चीनी सरकार ने अपनी नाराज़गी
ज़ाहिर की है.
चीनी न्यूज़ वेबसाइट द ग्लोबल टाइम्स में छपी ख़बर
के मुताबिक़, लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रिलियस लैंड्सबर्गिस ने अमेरिका में एएफ़पी
के साथ बातचीत में कहा है कि उनका देश “दुनिया को ये दिखा रहा
है कि किस तरह सप्लाई चेन में विविधता लाकर और साथी लोकतांत्रिक
देशों के साथ एकजुट होकर चीन के बढ़ते दबाव का सामना किया जा सकता है.”
उन्होंने कहा,“मुझे लगता है कि लिथुआनिया से जो सबसे बड़ा सबक
सीखा जा सकता है, वो ये है कि आर्थिक दबाव का मतलब ये नहीं है कि एक देश विदेश
नीति से जुड़े अपने फ़ैसले स्वतंत्रता से लेने बंद कर दे.”
चीनी विदेश
मंत्रालय प्रवक्ता चाओ लिजियान ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है –
“लिथुआनिया के विदेश मंत्री ने जो कुछ कहा है, अगर
उसका असलियत से कोई वास्ता है – (अगर) लिथुआनिया सरकार स्वतंत्रता के साथ विदेश
नीति से जुड़े फैसले ले सकती है तो मैं जानना चाहता हूँ कि वह अमेरिका में क्या कर
रहे हैं?”
उन्होंने
कहा, “ये साबित करता है कि लिथुआनिया के आक्रामक क़दम के
पीछे एक कठपुतली चलाने वाला है जो कि ये एक सोची समझी रणनीति के तहत ये सब करवा
रहा है. मैं लिथुआनिया की डील पर ज़ोर देकर कहना चाहता हूँ कि चीन की संप्रभुता
को नुक़सान पहुँचाने के बदले में अमेरिका से एक्सपोर्ट क्रेडिट लेना बेहद अनैतिक और
ख़तरनाक है.”
लिथुआनिया इस साल की शुरुआत में चीन की अगुआई वाले सीईईसी (चीन और मध्य-पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच सहयोग) से अलग हो चुका है.
28 लाख से भी कम आबादी वाले लिथुआनिया के इस फ़ैसले को सीधे-सीधे चीन को चुनौती के रूप में देखा गया था.
चीन ने साल 2012 में ये सहयोग फ़ोरम बनाया था. इसे 17+1 भी कहा जाता है. लिथुआनिया ने न सिर्फ़ अपने को इस फ़ोरम से अलग किया है बल्कि बाक़ी सदस्य देशों से भी हटने की अपील की है.
इसके साथ ही ख़बरों के मुताबिक़, वन चाइना पॉलिसी को अस्वीकार करते हुए इस्टोनिया, लाटविया और लिथुआनिया के नेता आने वाले हफ़्तों में ताइपे पहुँचने वाले हैं.
ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित ख़बर में कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर लिथुआनिया इसी तरह अपनी चीन नीति पर टिका रहा तो वह अलग-थलग पड़ सकता है.
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे ग़रीब राज्य हैं: नीति आयोग
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नीति आयोग के मल्टिडायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स यानी एमपीआई के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे ग़रीब राज्य हैं.
एमपीआई के अनुसार, बिहार में 51.91 फ़ीसदी, झारखंड में 42.16 और उत्तर प्रदेश में 37.79 फ़ीसदी आबादी ग़रीब है.
इसके बाद मध्य प्रदेश 36.65 फ़ीसदी के साथ, ग़रीबी में चौथे नंबर पर है. पाँचवें नंबर पर मेघालय है, जहाँ की 32.67 फ़ीसदी आबादी ग़रीब है.
सबसे कम ग़रीबी केरल (0.71%), गोवा (3.76%), सिक्किम (3.82%), तमिलनाडु (4.89%) और पंजाब (5.59%) में है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, एमपीआई के आकलन में वैश्विक रूप से स्वीकृत प्रक्रिया अपनाई गई है. इस प्रक्रिया को ऑक्सफ़ोर्ड पोवर्टी, ह्यूमन डिवेलपमेंट इनिशिएटिव और संयुक्क राष्ट्र डिवेलपमेंट प्रोग्राम ने विकसित किया है.
ग़रीबी के आकलन में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, तीनों का बराबर का महत्व दिया गया है. कुल 12 मानकों के आधार पर ग़रीबी का आकलन किया गया है.
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सीबीआई को पूर्व जज एसएन शुक्ला के ख़िलाफ़ FIR की अनुमति मिली
केंद्रीय जाँच एजेंसी (सीबीआई) को इलाहाबाद हाई कोर्ट
से भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के ही एक रिटायर जज एसएन शुक्ला के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने की अनुमति मिल गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अधिकारियों ने
बताया है कि इस मामले में जस्टिस शुक्ला पर कथित रूप से एक निजी मेडिकल
कॉलेज को फ़ायदा पहुँचाने का आरोप है.
सीबीआई ने इससे पहले 16 अप्रैल को इलाहाबाद हाई
कोर्ट से प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट क़ानून के तहत रिटायर्ड जज के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज
करने की अनुमति मांगी थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से अनुमति मिलने के बाद
सीबीआई जस्टिस एसएन शुक्ला के ख़िलाफ़ चार्जशीट लेकर आ सकती है.
अधिकारियों ने बताया है कि सीबीआई ने इलाहाबाद
हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस शुक्ला के साथ-साथ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज
आई एम कुद्दैसी, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव, प्रसाद एजुकेशन
ट्रस्ट एवं भावना पांडेय और सुधीर गिरी को अपनी एफआईआर में नामज़द किया है.
इन लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा
120 बी (आपराधिक साजिश) और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट के प्रावधानों के तहत मामला
दर्ज किया गया था.
अधिकारियों ने बताया है कि इस ट्रस्ट द्वारा अपने
फायदे वाला आदेश देने के लिए एफआईआर में नामित एक अभियुक्त को रिश्वत दी गई थी.
लाइव रिपोर्टिंग
रिपोर्टर- कीर्ति दुबे, रजनीश कुमार और अनंत प्रकाश
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मिस्र में फांसी का इंतज़ार कर रहे पाकिस्तानी, और उनके बिखरे परिवार
मोहम्मद ज़ुबैर ख़ान
पत्रकार
एक जहाज़ पर ड्रग्स पकड़े जाने के मामले में उस पर काम करने वाले चालक दल के पाकिस्तान के छह लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई है. उनके वकील का कहना है कि इस जहाज़ को मिस्र जाना ही नहीं था. ये कैसे हुआ इसकी जाँच होनी चाहिए.
और पढ़ेंसंविधान दिवस के मौके पर बोले चीफ़ जस्टिस, न्यायपालिका का मकसद कार्यपालिका की जगह लेना नहीं
भारत के सर्वोच्च न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने शुक्रवार को कहा है कि संविधान ने कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के बंटवारे की जो लक्ष्मण रेखा खींची है वह पवित्र है.
संविधान दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में चीफ़ जस्टिस रमन्ना ने न्यायपालिका पर बढ़ते हुए हमलों से लेकर न्यायिक अधिकारियों पर बढ़ते हुए शारीरिक हमलों को लेकर चिंता जताई.
पीएम मोदी की मौजूदगी में बोलते हुए चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, “न्यायपालिका के लिए सबसे ज़्यादा चिंता के विषयों में से एक जजों पर बढ़ते हुए शारीरिक हमले हैं. न्यायिक अधिकारियों पर हमलों के मामले बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही मीडिया, विशेषत: सोशल मीडिया पर न्यायपालिका पर हमले हो रहे हैं."
"ऐसा प्रतीत होता है कि ये हमले स्पॉन्सर्ड और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. कानून का पालन करवाने वाली संस्थाओं विशेषत: केंद्रीय संस्थाओं को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण हमलों का प्रभावी ढंग से सामना करने की ज़रूरत है. सरकारों से एक सुरक्षित वातावरण बनाने की अपेक्षा की जाती है जिससे न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी निडरता के साथ अपना काम कर सकें.”
न्यायपालिका द्वारा अपनी सीमा से बाहर जाने से जुड़ी आलोचना पर उन्होंने कहा, “संविधान ने जो लक्ष्मण रेखा खींची है, वह पवित्र है. लेकिन कभी – कभी ऐसे मौके आते हैं जब अदालतें न्याय की ख़ातिर लंबित मामलों की ओर ध्यान खींचने के लिए मजबूर होती है. ऐसे सीमित न्यायिक दखलों का उद्देश्य कार्यपालिका का ध्यान खींचना है. न कि उसकी भूमिका अख़्तियार करना.”
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की ओर से किए जाने वाले इन दखलों को एक संस्थान द्वारा संस्थान को निशाना बनाने के रूप में देखना ग़लत है, अगर इसे इसी तरह देखे जाने को बढ़ावा मिलता है तो ये प्रयास लोकतंत्र की सेहत के लिए बेहतर नहीं होंगे.
मार्च में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बनाएगी: नारायण राणे
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शुक्रवार को जयपुर में दावा किया है कि आगामी मार्च में बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी. राणे ने ये बयान एक ऐसे समय में दिया है जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल दिल्ली पहुंचे हुए हैं.
इसके साथ ही एनसीपी चीफ़ शरद पवार भी अपने क़रीबी साथी प्रफुल पटेल के साथ दिल्ली में मौजूद हैं. ऐसे में राणे के बयान और इन नेताओं की दिल्ली में एक ही समय पर मौजूदगी कई राजनीतिक कयासों को जन्म दे रही है.
इन कयासों का खंडन करते हुए महाविकास अगाड़ी सरकार के नेताओं ने कहा है कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार पर किसी तरह का ख़तरा नहीं मंडरा रहा है.
लेकिन समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, फडणवीस ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की है.
राणे से जब पूछा गया कि वह ये बात किस आधार पर कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि सरकारें बनाने और गिराने का काम गुप्त तरीके से किया जाता है और इस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा, “बीजेपी के राज्य शाखा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने इस पर बयान दिया है, और मैं उम्मीद करता हूं कि ये सच साबित हो.”
इसके साथ ही बीजेपी और एनसीपी ने अपने नेताओं के दिल्ली पहुंचने से जुड़े कयासों का खंडन किया है.
बीजेपी ने कहा है कि फडणवीस एवं पाटिल संगठन के काम के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे हैं.
वहीं, एनसीपी के एक सूत्र ने कहा है कि पवार दिल्ली में रक्षा पर संसदकी स्थायी समिति की एक बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे थे.
इसके साथ ही शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राऊत ने कहा है कि बीजेपी को ऐसी डेडलाइन देना बंद कर देनी चाहिए, वह “खुद को मजाक का विषय बनाती है.”
किसान आंदोलन का एक साल पूरा, क्या खोया-क्या पाया
अब से ठीक एक साल पहले जब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हुई थी तो सर्दियों का मौसम बस शुरू भर हुआ था. अधिकांश लोगों को ये उम्मीद नहीं थी कि किसान इतने लंबे समय तक अपने घर परिवार और खेतों को छोड़कर दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे.
लेकिन तमाम प्रदेशों से आए किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहकर भयानक सर्दी से लेकर गर्मी और भयंकर प्रदूषण का सामना किया.
यही नहीं, जब दुनिया भर में कोविड - 19 महामारी अपना कहर बरपा रही थी, सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी बरतने के नियम का पालन किया जा रहा था तब भी किसानों का हुजूम दिल्ली की सीमाओं पर डटा रहा.
जब-जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें महामारी से डर नहीं लगता तो उन्होंने कहा कि "हम इन क़ानूनों की वजह से वैसे भी मरने जा रहे हैं. ये ज़्यादा ख़तरनाक हैं."
इस दौरान दिल्ली की सीमाओं पर सैकड़ों किसान बिना मास्क लगाए कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते दिखे.
किसान आंदोलन का एक साल पूरा, क्या खोया-क्या पाया
अब से ठीक एक साल पहले जब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हुई थी तो सर्दियों का मौसम बस शुरू हुआ था. अधिकांश लोगों को ये उम्मीद नहीं थी कि किसान इतने लंबे समय तक अपने घर, परिवार और खेतों को छोड़कर दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे.
और पढ़ेंसॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की नई सिरीज़ सोमवार से उपलब्ध होगी, जानें कीमत
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 का नया सब्सक्रिप्शन 29 नवंबर से पांच दिनों के लिए उपलब्ध होगा.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने शुक्रवार को बताया कि इस बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमत 4791 रुपये प्रति ग्राम रखी गई है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 के सिरीज़- VIII का सब्सक्रिप्शन 29 नवंबर से 3 दिसंबर तक के लिए खुला रहेगा.
इसके अलावा जो लोग इसका सब्सक्रिप्शन ऑनलाइन खरीदेंगे और इसके लिए भुगतान डिजिटल तरीके से करेंगे, उन्हें 50 रुपये प्रति ग्राम के डिस्काउंट का भी ऑफ़र किया गया है.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बताया कि ऐसे निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड 4741 रुपये प्रति ग्राम की दर से उपलब्ध होगा. सातवीं सिरीज़ के लिए 4761 रुपये प्रति ग्राम की कीमत रखी गई थी.
रिज़र्व बैंक भारत सरकार की तरफ़ से ये गोल्ड बॉन्ड जारी करता है. फिजिकल गोल्ड की मांग कम करने के लिए नवंबर, 2015 में ये योजना शुरू की गई थी.
संविधान दिवसः परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर पीएम मोदी का सवाल और विपक्ष का पलटवार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राजनीति में परिवारवाद और भ्रष्टाचार के लिए सज़ा पा चुके लोगों को दोबारा से राजनीतिक गलियारे में उठने-बैठने की अनुमति दिए जाने पर तमाम विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लिया.
प्रधानमंत्री ने किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति का नाम लिए बग़ैर कहा कि अगर कोई पार्टी एक ही परिवार के ज़रिए कई पीढ़ियों तक चलाई जाती है, तो यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि भ्रष्टाचार के लिए सज़ा हो चुकी हो उनकी फिर से राजनीति में प्राण प्रतिष्ठा करने की प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है. इससे चिंतित होने की ज़रूरत है.
आज़ादी के अमृत महोत्सव के मद्देनज़र शुक्रवार को संविधान दिवस मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी अवसर पर संसद के सेंट्रल हॉल में बग़ैर किसी का नाम लिए ये बातें कहीं.
उन्होंने नाम तो किसी का नहीं लिया लेकिन घेरे में गांधी परिवार, यूपी-बिहार के यादव परिवार, कश्मीर के मुफ़्ती और अब्दुल्ला परिवार सभी आ गए.
संविधान दिवसः परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर पीएम मोदी का सवाल और विपक्ष का पलटवार
संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां राजनीति में वंशवाद और भ्रष्टाचार पर चिंता ज़ाहिर की, वहीं विपक्ष ने उन पर संविधान की परंपराओं को दरकिनार कर निर्णय लेने का आरोप लगाया.
और पढ़ेंचीन और ताइवान को लेकर सोलोमन द्वीप में हिंसा, पीएम की गुहार पर पहुंची ऑस्ट्रेलियाई पुलिस
ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने शुक्रवार को दक्षिण प्रशांत सागर द्वीप देश सोलोमन द्वीप में बढ़ते हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच राजधानी होनियारा को अपने नियंत्रण में ले लिया है.
स्थानीय लोगों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जानकारी दी है कि चाइना टाउन इलाक़े में आंसू गैस भेजे गए हैं.जहां शुक्रवार की सुबह से ही लूटपाट और इमारतों को जलाया जा रहा है. थोड़ी देर में यहां कर्फ्यू लगाए जाने की उम्मीद थी.
प्रधानमंत्री मनश्शे सोगावरे ने ऑस्ट्रेलिया से मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया.
शुक्रवार को प्रधानमंत्री सोगावरे ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के लिए विदेशी शक्तियों को दोषी ठहराया,लेकिन इस दौरान उन्होंने किसी देश क नाम नहीं लिया.
ज़्यादातर प्रदर्शनकारी सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत मलाइता से आते हैं और वह प्रांत में सरकार की अनदेखी से आक्रोशित हैं और इसके साथ ही वे सरकार के ताइवान के साथ राजनयिक संबंध खत्म कर चीन के साथ औपचारिक संबंध स्थापित करने के साल 2019 के फैसले का विरोध कर हैं.
सोगावरे ने ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन से कहा, "मुझे मलाइता के लोगों के लिए खेद है क्योंकि उन्हें इस राजनयिक संबंधों के बदलाव को लेकर सोची-समझी झूठी बातें बताई गई हैं."
‘’मलाइता को प्रभावित करने वाले ये वही देश हैं जो चीन के साथ संबंध नहीं चाहते हैं,और वे नहीं चाहते कि सोलोमन द्वीप चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करे. ये देश हमें अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का पालन करने से रोक रहे हैं."
चीन और ताइवान दशकों से दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी रहे हैं,लेकिन कुछ द्वीप देश अपना खेमा बदल रहे हैं.
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और इसके किसी देश के साथ संबंधों के अधिकार को ख़ारिज करता है, वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है.इस वक़्त केवल 15 देशों के ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हैं. ताइवान के साथ राजनयिक संबंध ख़त्म करने वाले सबसे हालिया देश में सोलोमन द्वीप और किरिबाती हैं जिन्होंने सितंबर 2019 में ताइवान से अपने संबंध ख़त्म किए.
बीबीसी हिंदी का डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर', 26 नवंबर 2021
सुनिए सुशीला सिंह से
किसान आंदोलन का हुआ एक साल, दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में जुटे किसान
दुनिया भर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट को लेकर चिंता, क्या ये डेल्टा से ज्यादा ख़तरनाक हो सकता है?
NFHS 5 के सर्वे के अनुसार भारत में मर्दों के मुकाबले औरतों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
विवेचना में सुनेंगे 1971 युद्ध में जब भारत और पाकिस्तान के कमांडरों ने लिखे थे एक दूसरे को पत्र
कोरोना के नए वैरिएंट का डर, दुनिया भर में गिरे शेयर बाज़ार
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के सामने आने के बाद दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है.
लोगों को ये डर सता रहा है कि अर्थव्यवस्थाओं के वापस पटरी पर आने की प्रक्रिया में कोरोना महामारी की नई लहर से कोई अड़चन न खड़ी हो जाए.
शुक्रवार को आई गिरावट को इसी जड़ से जोड़कर देखा जा रहा है. लंदन में 100 शेयरों के एफटीएसई सूचकांक में तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. एशिया, जर्मनी और फ्रांस भी इस गिरावट से अछूते नहीं रहे.
एयरलाइंस कंपनियों और ट्रैवल कारोबार से जुड़ी फर्मों को सबसे ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ा. ब्रिटेन और अन्य देशों ने छह अफ्रीकी देशों से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने कहा है कि वैज्ञानिक कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर गहरी चिंता में हैं कि वो हमारी प्रतिरक्षा तंत्र से अपना बचाव करने में सक्षम हो सकता है.
ब्रिटेन ने फिलहाल अस्थाई रूप से दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बॉब्वे, बोत्सवाना, लेसोथो और इस्वातिनी से उड़ानों पर रोक लगाई है.
नेपाल में ओली की पार्टी के सम्मेलन में बीजेपी नेता क्या कर रहे हैं
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) की दसवीं कांग्रेस चितवन में आज से यानी 26 नवंबर से शुरू हुई है और यह 28 नवंबर तक चलेगी.
अभी नेपाल में सीपीएन-यूएमएल (नेकपा-एमाले) प्रमुख विपक्षी पार्टी है और साथ ही संसद में सबसे बड़ी पार्टी है.
2017 में ओली कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल (माओवादी सेंटर) के साथ गठबंधन में दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आए थे. यह गठबंधन मई 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले आ गया था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड भी शामिल थे.
लेकिन इस साल मार्च में आपसी विवाद के कारण यह पार्टी टूट गई. पहले प्रचंड अलग हुए और फिर बाद में एक और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने भी सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी) बना ली. इसी साल जुलाई में ओली की सरकार गिर गई थी.
पार्टी टूटने के बाद पहली बार यह सम्मेलन हो रहा है. इसी सम्मेलन में ओली को एक बार फिर से पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है. यानी अगले पाँच सालों के लिए ओली पार्टी प्रमुख बने रहेंगे. सोमवार को नए पार्टी प्रमुख की घोषणा की जाएगी. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस सम्मेलन में पार्टी के 2300 प्रतिनिधि शामिल होंगे.
नेपाल में ओली की पार्टी के सम्मेलन में बीजेपी नेता क्या कर रहे हैं
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी की दसवीं कांग्रेस में शामिल होने के लिए भारत से बीजेपी के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन और उत्तर प्रदेश में बस्ती से लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी पहुँचे हैं.
और पढ़ेंजेवर एयरपोर्ट: वो लोग किस हाल में हैं जिनकी ज़मीन पर बन रहा है हवाई अड्डा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया. इसका निर्माणकार्य साल 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जेवर एयरपोर्ट भाजपा के चुनावी वादों में शामिल रहा है.
दावा किया जा रहा है कि ये एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा. साथ ही फ़र्स्ट नेट ज़ीरो एमिशन एयरपोर्ट होगा यानी प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त. कई लोग यूपी में नया हवाई अड्डा बनने से खुश हैं लेकिन कुछ लोग नाराज़ भी हैं.
एयरपोर्ट बनाने के लिए जिन किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण किया गया उनमें से कुछ का दावा है कि अब तक मुआवज़ा नहीं मिला है.
साथ ही कुछ किसानों का कहना है नए प्लॉट छोटे हैं. इस पूरे मामले पर ADM बलराम सिंह का कहना है कि मुआवज़ा ज़मीन अधिग्रहण क़ानून के हिसाब से ही दिया गया है और इसमें प्रशासन ने नियम-क़ानूनों के मुताबिक़ ही कदम उठाए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा क्या पकड़ सकता है राजनीति की राह
किसान नेताओं के दो बयान पिछले 24 घंटे में बेहद चर्चित रहे हैं. चर्चा की एक वजह किसान आंदोलन का एक साल पूरा होना है. और दूसरी वजह बयान में कही गई बातें हैं.
इनमें से एक बयान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का है, जो गुरुवार को हैदराबाद में थे. वहाँ उन्होंने एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का नाम लिए बिना उन पर हमला बोला.
उन्होंने कहा, "एक आपके यहाँ का बेलग़ाम नथ वाला सांड, खुला छोड़ दिया है, जो बीजेपी की मदद करता घूम रहा है. उसको यहीं बांध कर रखो, वो देश में सबसे ज़्यादा बीजेपी की मदद करता है. उसको यहाँ से बाहर मत जाने दो. वो बोलता कुछ और है और उसका मक़सद कुछ और है. उसकी जाँच कर लेना. उसको बांध कर यहीं रखो, उसको हैदराबाद और तेलंगाना से बाहर मत जाने दो."
अब तक चुनावी राजनीति से दूरी ही किसान आंदोलन की शक्ति मानी जाती रही है.
संयुक्त किसान मोर्चा क्या पकड़ सकता है राजनीति की राह
दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर किसानों को आंदोलन करते हुए आज एक साल पूरे हो गए. पिछले 24 घंटे में दो नेताओं के ऐसे बयान आए हैं, जिसके बाद चर्चा है कि क्या अब किसान नेता राजनीति में आना चाहते हैं?
और पढ़ेंयूपी: प्रयागराज में दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या
विपक्ष ने उठाया क़ानून व्यवस्था का सवाल
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी गई है.
हत्या के साथ परिवार की ही एक नाबालिग़ बच्ची के साथ गैंगरेप का आरोप भी लगा है. घटना प्रयागराज के फाफामऊ के मोहनगंज गोहरी गांव की है.
बुधवार रात को मोहनगंज गोहरी गांव में जब ये घटना हुई तब परिवार के मुखिया जिनकी उम्र 50 साल थी, साथ में उनकी 45 वर्षीय पत्नी, 16 साल की बेटी और 10 साल के बेटे घर में सो रहे थे.
सुबह घर का दरवाज़ा न खुलने पर गांव के लोगों ने पुकारा लेकिन घर के अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई.
गांव वालों ने पुलिस को जानकारी दी और पुलिस को घर में चारों के ख़ून से लथपथ शव मिले. घर से एक कुल्हाड़ी भी बरामद हुई है.
यूपी: प्रयागराज में दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या, विपक्ष ने उठाया क़ानून व्यवस्था का सवाल
हत्या के साथ परिवार की ही एक नाबालिग़ बच्ची के गैंगरेप का आरोप भी लगा है. पीड़ित परिवार ने पुलिसवालों की भूमिका को लेकर शिकायत की है.
और पढ़ेंरूसी राष्ट्रपति पुतिन 6 दिसंबर को आ रहे हैं भारत
अगले महीने 6 दिसंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आएंगे. इस दौरे में राष्ट्रपति पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य के संबंधों और साझेदारियों पर बात करेंगे.
नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास ने कहा है कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष जी-20, ब्रिक्स और एसएसीओ में साथ मिलकर काम करने पर भी बात करेंगे. समचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पुतिन 21वीं भारत-रूस समिट में हिस्सा लेने आ रहे हैं.
भारत से अंतरराष्ट्रीय उड़ाने 15 दिसंबर से बहाल होंगी: विमानन मंत्रालय
विमानन मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 15 दिसंबर से बहाल हो जाएंगी. नागर विमानन मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि व्यावसायिक सवारी उड़ानों की बहाली को लेकर गृह, विदेश और स्वास्थ्य मंत्रालय से परामर्श किया गया है.
विमानन मंत्रालय ने कहा कि परामर्श के बाद फ़ैसला लिया गया कि भारत से और भारत आने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 15 दिसंबर से बहाल हो सकती हैं.
इससे पहले नागर विमानन मंत्रालय के सेक्रेटरी राजीव बंसल ने कहा था कि दिसंबर महीने के आख़िर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सामान्य हो जाएंगी. पिछले साल 23 मार्च से ही निर्धारित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें निलंबित हैं.
टमाटर अगले दो महीने तक नहीं होगा सस्ता: क्रिसिल रिसर्च
क्रिसिल रिसर्च के अनुसार, बेमौसम बारिश के कारण भारत के कई हिस्सों में सब्ज़ियों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं. क्रिसिल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो महीनों तक टमाटर की क़ीमतें सामान्य नहीं होंगी.
टमाटर की अच्छी उपज कर्नाटक में होती है लेकिन यहाँ की स्थिति इतनी गंभीर बनी हुई है कि सब्ज़ियां महाराष्ट्र के नासिक से भेजी जा रही हैं. क्रिसिल रिसर्च कहना है कि कर्नाटक में भारी बारिश के कारण फसलों को काफ़ी नुक़सान हुआ है.
आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भी यही हाल है जबकि अक्टूबर से दिसंबर तक सब्ज़ियों की आपूर्ति में इन राज्यों की अहम भूमिका रहती है.
सब्ज़ियों की क़ीमतों में 25 नवंबर तक 142 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और अगले दो महीनों तक क़ीमतों में कमी आने की उम्मीद नहीं है.
जनवरी से मध्य प्रदेश, राजस्थान से सब्ज़ियां बाज़ार में आएंगी तभी ऊंची क़ीमतों से राहत मिलेगी. अभी टमाटर 47 रुपए किलो मिल रहा है. जब टमाटर की नई फसल आएगी तो 30 प्रतिशत तक क़ीमत कम होगी.
पाकिस्तान के कराची में पेट्रोल के लिए मचा हाहाकार
पाकिस्तान के केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हमाद अज़हर ने पेट्रोल पंप मालिकों से अपील की है कि वो फ़ैसले पर विचार करें.
चीन यूरोप के इस छोटे से देश से क्यों इतना परेशान है?
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन और यूरोप के एक बेहद छोटे देश लिथुआनिया के बीच पिछले कुछ समय से ताइवान को लेकर संघर्ष जारी है.
लिथुआनिया ताइवान के मुद्दे पर चीन की वन चाइना पॉलिसी को मानने से इनकार कर चुका है.
इसके साथ ही लिथुआनिया ने चीन के नेतृत्व वाले यूरोपीय देशों के एक संगठन से ख़ुद को अलग कर लिया है.
इस वजह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच चुके हैं.
लेकिन बीते बुधवार लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रिलियस लैंड्सबर्गिस ने चीन को लेकर जो कुछ कहा है, उसके बाद चीनी सरकार ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है.
चीनी न्यूज़ वेबसाइट द ग्लोबल टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़, लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रिलियस लैंड्सबर्गिस ने अमेरिका में एएफ़पी के साथ बातचीत में कहा है कि उनका देश “दुनिया को ये दिखा रहा है कि किस तरह सप्लाई चेन में विविधता लाकर और साथी लोकतांत्रिक देशों के साथ एकजुट होकर चीन के बढ़ते दबाव का सामना किया जा सकता है.”
उन्होंने कहा,“मुझे लगता है कि लिथुआनिया से जो सबसे बड़ा सबक सीखा जा सकता है, वो ये है कि आर्थिक दबाव का मतलब ये नहीं है कि एक देश विदेश नीति से जुड़े अपने फ़ैसले स्वतंत्रता से लेने बंद कर दे.”
चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता चाओ लिजियान ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है –
“लिथुआनिया के विदेश मंत्री ने जो कुछ कहा है, अगर उसका असलियत से कोई वास्ता है – (अगर) लिथुआनिया सरकार स्वतंत्रता के साथ विदेश नीति से जुड़े फैसले ले सकती है तो मैं जानना चाहता हूँ कि वह अमेरिका में क्या कर रहे हैं?”
उन्होंने कहा, “ये साबित करता है कि लिथुआनिया के आक्रामक क़दम के पीछे एक कठपुतली चलाने वाला है जो कि ये एक सोची समझी रणनीति के तहत ये सब करवा रहा है. मैं लिथुआनिया की डील पर ज़ोर देकर कहना चाहता हूँ कि चीन की संप्रभुता को नुक़सान पहुँचाने के बदले में अमेरिका से एक्सपोर्ट क्रेडिट लेना बेहद अनैतिक और ख़तरनाक है.”
लिथुआनिया इस साल की शुरुआत में चीन की अगुआई वाले सीईईसी (चीन और मध्य-पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच सहयोग) से अलग हो चुका है.
28 लाख से भी कम आबादी वाले लिथुआनिया के इस फ़ैसले को सीधे-सीधे चीन को चुनौती के रूप में देखा गया था.
चीन ने साल 2012 में ये सहयोग फ़ोरम बनाया था. इसे 17+1 भी कहा जाता है. लिथुआनिया ने न सिर्फ़ अपने को इस फ़ोरम से अलग किया है बल्कि बाक़ी सदस्य देशों से भी हटने की अपील की है.
इसके साथ ही ख़बरों के मुताबिक़, वन चाइना पॉलिसी को अस्वीकार करते हुए इस्टोनिया, लाटविया और लिथुआनिया के नेता आने वाले हफ़्तों में ताइपे पहुँचने वाले हैं.
ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित ख़बर में कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर लिथुआनिया इसी तरह अपनी चीन नीति पर टिका रहा तो वह अलग-थलग पड़ सकता है.
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बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे ग़रीब राज्य हैं: नीति आयोग
नीति आयोग के मल्टिडायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स यानी एमपीआई के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे ग़रीब राज्य हैं.
एमपीआई के अनुसार, बिहार में 51.91 फ़ीसदी, झारखंड में 42.16 और उत्तर प्रदेश में 37.79 फ़ीसदी आबादी ग़रीब है.
इसके बाद मध्य प्रदेश 36.65 फ़ीसदी के साथ, ग़रीबी में चौथे नंबर पर है. पाँचवें नंबर पर मेघालय है, जहाँ की 32.67 फ़ीसदी आबादी ग़रीब है.
सबसे कम ग़रीबी केरल (0.71%), गोवा (3.76%), सिक्किम (3.82%), तमिलनाडु (4.89%) और पंजाब (5.59%) में है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, एमपीआई के आकलन में वैश्विक रूप से स्वीकृत प्रक्रिया अपनाई गई है. इस प्रक्रिया को ऑक्सफ़ोर्ड पोवर्टी, ह्यूमन डिवेलपमेंट इनिशिएटिव और संयुक्क राष्ट्र डिवेलपमेंट प्रोग्राम ने विकसित किया है.
ग़रीबी के आकलन में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, तीनों का बराबर का महत्व दिया गया है. कुल 12 मानकों के आधार पर ग़रीबी का आकलन किया गया है.
सीबीआई को पूर्व जज एसएन शुक्ला के ख़िलाफ़ FIR की अनुमति मिली
केंद्रीय जाँच एजेंसी (सीबीआई) को इलाहाबाद हाई कोर्ट से भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के ही एक रिटायर जज एसएन शुक्ला के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने की अनुमति मिल गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अधिकारियों ने बताया है कि इस मामले में जस्टिस शुक्ला पर कथित रूप से एक निजी मेडिकल कॉलेज को फ़ायदा पहुँचाने का आरोप है.
सीबीआई ने इससे पहले 16 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट से प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट क़ानून के तहत रिटायर्ड जज के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई जस्टिस एसएन शुक्ला के ख़िलाफ़ चार्जशीट लेकर आ सकती है.
अधिकारियों ने बताया है कि सीबीआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस शुक्ला के साथ-साथ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज आई एम कुद्दैसी, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट एवं भावना पांडेय और सुधीर गिरी को अपनी एफआईआर में नामज़द किया है.
इन लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.
अधिकारियों ने बताया है कि इस ट्रस्ट द्वारा अपने फायदे वाला आदेश देने के लिए एफआईआर में नामित एक अभियुक्त को रिश्वत दी गई थी.