{"_id":"617a28e7f78e3232914f4d23","slug":"ranveer-singh-lauds-ncert-for-rolling-out-textbooks-in-isl-for-deaf-children","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Indian Sign Language: रणवीर ने की NCERT की तारीफ, बोले, स्कूली किताबें इस भाषा में मिलना बड़ा कदम","category":{"title":"Bollywood","title_hn":"बॉलीवुड","slug":"bollywood"}}
Indian Sign Language: रणवीर ने की NCERT की तारीफ, बोले, स्कूली किताबें इस भाषा में मिलना बड़ा कदम
अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: अपूर्वा राय
Updated Thu, 28 Oct 2021 10:06 AM IST
सार
भारतीय संविधान में समय समय पर संशोधन करके इसमें विभिन्न क्षेत्रों की भाषाओं का आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। संविधान जब बना तो इसमें सिर्फ 14 भाषाएं थीं और अब आधिकारिक भाषाओं की संख्या 22 तक पहुंच चुकी है।
हिंदी सिनेमा के हीरो नंबर वन रणवीर सिंह अरसे से एक खास मुहिम में लगे हुए हैं। ये मुहिम है देश के बधिर लोगों की सांकेतिक भाषा को सांविधानिक दर्जा दिलाने की। तमाम सामाजिक संगठन इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर भारतीय सांकेतिक भाषा (इंडियन साइन लैंग्वेज-आईएसएल) को भारतीय संविधान के आठवें अनुच्छेद में शामिल आधिकारिक भाषाओं में शामिल करने की मांग करते रहे हैं। रणवीर सिंह ने इस मांग का लगातार समर्थन किया है और अब वह इस बात से खुश हैं अब राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकें इस भाषा में उपलब्ध होने जा रही हैं। रणवीर ने इस फैसले को लेकर एनसीईआरटी की मुक्त कंठ से सराहना की है।
गौरतलब है कि भारतीय संविधान में समय समय पर संशोधन करके इसमें विभिन्न क्षेत्रों की भाषाओं का आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। संविधान जब बना तो इसमें सिर्फ 14 भाषाएं थीं और अब आधिकारिक भाषाओं की संख्या 22 तक पहुंच चुकी है। आईएसएल को सांविधानिक दर्जा दिए जाने की वकालत करने वालों का कहना है कि देश में सिर्फ 10 लाख लोगो बोडो बोलते है। डोगरी बोने वालों की संख्या करीब 23 लाख है और मैथिली बोलने वाले करीब डेढ़ करोड़ लोग हैं। इन भाषाओं को सांविधानिक दर्जा मिल चुका है लेकिन बधिरों की मातृभाषा कही जाने वाली भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के 1.8 करोड़ लोगों की भाषा होने के बावजूद इसे सांविधानिक दर्जा नहीं मिल रहा है।
अभिनेता रणवीर सिंह बधिर समुदाय के सामने खड़े मुद्दों को उठाने का काम लगातार करते रहे हैं। वह सरकार से इंडियन साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को भारत की 23वीं आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने का आग्रह करते रहे हैं। इस नेक कार्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने एक याचिका पर हस्ताक्षर भी किए हैं। रणवीर कहते हैं, "एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को आईएसएल में कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने की खबर असली इन्क्लूसिव समाज बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। हमारे नेता इन गतिविधियों को पहचान और मान्यता दे रहे हैं। इस बात को लेकर मुझे गर्व है और मुझे आने वाले समय से भी बड़ी उम्मीदें हैं।“
विज्ञापन
विज्ञापन
ranveer singh
- फोटो : instagram
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने बधिर बच्चों को साइन लैंग्वेज में शैक्षिक सामग्री प्रदान करने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इंडियन साइन लैंग्वेज (आईएसएल) में एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी कि बधिर बच्चों को भी शैक्षिक संसाधन उपलब्ध हो सकें। ये शिक्षकों, शिक्षाविदों, माता-पिता और बधिर समुदाय के लिए एक उपयोगी और बेहद जरूरी संसाधन होंगे।
रणवीर कहते हैं, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक प्रगतिशील कदम रहा है जिसकी बधिर समुदाय और राष्ट्र को बहुत आवश्यकता थी। मैं इस बड़े कदम की सराहना करता हूं। यह बधिर समुदाय के नागरिकों को समान अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में की गई एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।”
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।