नई दिल्ली
पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुरूप है। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यह बात कही।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि झूठ बोलना और भ्रम फैलाना राहुल गांधी की आदत रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिये भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है। ‘सरकार की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता।
न्यायालय के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकरण में विपक्ष के रुख का समर्थन किया है। संसद के आगामी सत्र में इस पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया गया।
पात्रा ने कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को लेकर राहुल गांधी ने फिर उन्हीं शब्दों का उच्चारण किया, जो वो हमेशा करते हैं। राहुल गांधी के पास कुछ भी नया नहीं है। वही बातें, वही शब्दावली...राहुल गांधी कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, लोकतंत्र पर हमला हो रहा है, लोकतंत्र को बचाना है और भाजपा भारत के संविधान पर भाजपा हमले कर रही है। यही राहुल गांधी के शब्दकोश में है।’
उन्होंने कहा कि न ही राहुल गांधी और न ही कांग्रेस इस विषय को लेकर शीर्ष अदालत में गए थे।
उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने न्यायालय में जो हलफनामा दिया था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निहित स्वार्थ के लिए एक समूह के लोग एक गलत धारणा पूरे देश में बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे ध्वस्त करने के लिए यह आवश्यक है कि विशेषज्ञों की समिति गठित की जाए।
उन्होंने कहा, ‘...और आज अदालत ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है। जो सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था, वही हुआ।’
पात्रा ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करती है और कथित जासूसी का यह मामला एक ‘निर्मित’ विवाद है जो अनुमानों और अप्रमाणित रिपोर्टों पर अधारित है।
उन्होंने कहा, ‘देश में और देश के बाहर निहित स्वार्थ वाले कुछ समूह हैं जो देश को बदनाम करना चाहते हैं। विशेषज्ञ अब इस मामले को देखेंगे। हम इसका स्वागत करते हैं।
पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुरूप है। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यह बात कही।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि झूठ बोलना और भ्रम फैलाना राहुल गांधी की आदत रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिये भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है। ‘सरकार की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता।
न्यायालय के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकरण में विपक्ष के रुख का समर्थन किया है। संसद के आगामी सत्र में इस पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया गया।
पात्रा ने कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को लेकर राहुल गांधी ने फिर उन्हीं शब्दों का उच्चारण किया, जो वो हमेशा करते हैं। राहुल गांधी के पास कुछ भी नया नहीं है। वही बातें, वही शब्दावली...राहुल गांधी कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, लोकतंत्र पर हमला हो रहा है, लोकतंत्र को बचाना है और भाजपा भारत के संविधान पर भाजपा हमले कर रही है। यही राहुल गांधी के शब्दकोश में है।’
उन्होंने कहा कि न ही राहुल गांधी और न ही कांग्रेस इस विषय को लेकर शीर्ष अदालत में गए थे।
उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने न्यायालय में जो हलफनामा दिया था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निहित स्वार्थ के लिए एक समूह के लोग एक गलत धारणा पूरे देश में बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे ध्वस्त करने के लिए यह आवश्यक है कि विशेषज्ञों की समिति गठित की जाए।
उन्होंने कहा, ‘...और आज अदालत ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है। जो सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था, वही हुआ।’
पात्रा ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करती है और कथित जासूसी का यह मामला एक ‘निर्मित’ विवाद है जो अनुमानों और अप्रमाणित रिपोर्टों पर अधारित है।
उन्होंने कहा, ‘देश में और देश के बाहर निहित स्वार्थ वाले कुछ समूह हैं जो देश को बदनाम करना चाहते हैं। विशेषज्ञ अब इस मामले को देखेंगे। हम इसका स्वागत करते हैं।
पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुरूप है। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यह बात कही।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि झूठ बोलना और भ्रम फैलाना राहुल गांधी की आदत रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिये भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है। ‘सरकार की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता।
न्यायालय के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकरण में विपक्ष के रुख का समर्थन किया है। संसद के आगामी सत्र में इस पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया गया।
पात्रा ने कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को लेकर राहुल गांधी ने फिर उन्हीं शब्दों का उच्चारण किया, जो वो हमेशा करते हैं। राहुल गांधी के पास कुछ भी नया नहीं है। वही बातें, वही शब्दावली...राहुल गांधी कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, लोकतंत्र पर हमला हो रहा है, लोकतंत्र को बचाना है और भाजपा भारत के संविधान पर भाजपा हमले कर रही है। यही राहुल गांधी के शब्दकोश में है।’
उन्होंने कहा कि न ही राहुल गांधी और न ही कांग्रेस इस विषय को लेकर शीर्ष अदालत में गए थे।
उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने न्यायालय में जो हलफनामा दिया था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निहित स्वार्थ के लिए एक समूह के लोग एक गलत धारणा पूरे देश में बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे ध्वस्त करने के लिए यह आवश्यक है कि विशेषज्ञों की समिति गठित की जाए।
उन्होंने कहा, ‘...और आज अदालत ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है। जो सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था, वही हुआ।’
पात्रा ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करती है और कथित जासूसी का यह मामला एक ‘निर्मित’ विवाद है जो अनुमानों और अप्रमाणित रिपोर्टों पर अधारित है।
उन्होंने कहा, ‘देश में और देश के बाहर निहित स्वार्थ वाले कुछ समूह हैं जो देश को बदनाम करना चाहते हैं। विशेषज्ञ अब इस मामले को देखेंगे। हम इसका स्वागत करते हैं।
पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुरूप है। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यह बात कही।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि झूठ बोलना और भ्रम फैलाना राहुल गांधी की आदत रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिये भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है। ‘सरकार की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता।
न्यायालय के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकरण में विपक्ष के रुख का समर्थन किया है। संसद के आगामी सत्र में इस पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति व संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया गया।
पात्रा ने कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को लेकर राहुल गांधी ने फिर उन्हीं शब्दों का उच्चारण किया, जो वो हमेशा करते हैं। राहुल गांधी के पास कुछ भी नया नहीं है। वही बातें, वही शब्दावली...राहुल गांधी कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, लोकतंत्र पर हमला हो रहा है, लोकतंत्र को बचाना है और भाजपा भारत के संविधान पर भाजपा हमले कर रही है। यही राहुल गांधी के शब्दकोश में है।’
उन्होंने कहा कि न ही राहुल गांधी और न ही कांग्रेस इस विषय को लेकर शीर्ष अदालत में गए थे।
उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने न्यायालय में जो हलफनामा दिया था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निहित स्वार्थ के लिए एक समूह के लोग एक गलत धारणा पूरे देश में बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे ध्वस्त करने के लिए यह आवश्यक है कि विशेषज्ञों की समिति गठित की जाए।
उन्होंने कहा, ‘...और आज अदालत ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है। जो सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था, वही हुआ।’
पात्रा ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करती है और कथित जासूसी का यह मामला एक ‘निर्मित’ विवाद है जो अनुमानों और अप्रमाणित रिपोर्टों पर अधारित है।
उन्होंने कहा, ‘देश में और देश के बाहर निहित स्वार्थ वाले कुछ समूह हैं जो देश को बदनाम करना चाहते हैं। विशेषज्ञ अब इस मामले को देखेंगे। हम इसका स्वागत करते हैं।