अनीता आनंदः कनाडा के पीएम ट्रूडो ने मुश्किल दौर में भारतीय मूल की महिला को बनाया रक्षा मंत्री

  • सुशीला सिंह
  • बीबीसी संवाददाता
अनीता आनंद

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कनाडा में भारतीय मूल की अनीता आनंद को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रक्षा मंत्री बनाया गया है. उन्हें ये पद ऐसे समय में सौंपा गया है जब कनाडा की सशस्त्र सेना यौन दुराचार के मामलों से जूझ रही है.

इससे पहले हरजीत सज्जन देश के रक्षा मंत्री थे, जो स्वयं एक फौजी रह चुके हैं. मगर संसद के पिछले सत्र में कनाडा में विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने हरजीत सज्जन के इस्तीफ़े की मांग की थी और आरोप लगाया था कि सरकार सेना में अनुचित व्यवहार की शिकायतों पर कदम नहीं उठा रही है. साथ ही उन्होंने इस मामले में सेना के उच्च अधिकारियों के शामिल होने का भी आरोप लगाया था.

देश के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को कैबिनेट में हुए फेरबदल के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ''हम जानते हैं कि हमारी कनाडाई आर्म्ड फोर्सेज़ की संस्कृति के सामने संकट है.''

जस्टिन ट्रूडो

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आर्म्ड फोर्सेज़ में ऐसे मामले सामने आने के बाद महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले समूहों और जनता का भी मानना था कि सरकार सेना में ऐसे मामलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में कमज़ोर रही है और एक महिला को रक्षा मंत्री बनाने की मांग भी उठ रही थी.

कनाडा में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार गुरप्रीत सिंह बीबीसी से बातचीत में बताते हैं कि ये बातें सामने आ रही थीं कि हरजीत सज्जन मंत्री पद के लिए योग्य नहीं है और उन्हें हटाने की मांग भी तेज़ हो रही थी. ऐसे में भारतीय मूल की ही अनीता आनंद को रक्षा मंत्री बनकार एक संतुलन बनाने की कोशिश की गई है.

हरजीत सज्जन

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वे बताते हैं, ''ये लगभग तय हो गया था कि सज्जन को हटाया जाएगा क्योंकि देश की सशस्त्र सेना में यौन दुराचार के मामले सामने आ रहे थे और इसमें महिलाओं के साथ कुछ गलत करने के मामलों में दर्जन भर अधिकारियों के नाम भी उछले थे. कुछ के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी हुई. ऐसे मामले बार-बार सामने आ रहे थे और जस्टिन ट्रूडो पर सवाल उठ रहे थे और ये कहा जा रहा था कि ये सब हरजीत सज्जन की नाक के नीचे हो रहा था. ऐसे में महिला के तौर पर अनीता आनंद को नियुक्त किया गया है.

कौन है अनीता आनंद

अनीता आनंद और जस्टिन ट्रूडो

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कनाडा के प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट पर छपी जानकारी के मुताबिक अनीता आनंद साल 2019 में पहली बार ऑकविल से सांसद चुनी गई थीं.

इसके बाद उन्हें पब्लिक सर्विस एंड प्रोक्योरमेंट यानी सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री बनाया गया था.

भारतीय मूल की अनीता एक स्कॉलर, वकील और शोधकर्ता के तौर पर काम कर चुकी हैं. वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो में क़ानून की प्रोफ़ेसर रह चुकी हैं.

साल 2015 में उन्हें वित्तीय नीतियों की सलाह और योजना के लिए बनी सरकारी समिति में नियुक्त किया गया था और वे वित्तीय बाज़ार के विनियमन, शेयरहोल्डर राइट्स, कॉर्पोरेट गवर्नेंस जैसे मुद्दों पर चर्चा में भाग लेती रही हैं.

अनीता आनंद

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साथ ही जानकार मानते हैं आर्म्ड फोर्सेज़ में जिस तरह से मामले सामने आए हैं उससे इस क्षेत्र में वहां काम कर रही महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही थीं और उनमें आत्मविश्वास की बहाली के लिए एक महिला को उस पद पर लाना ज़रूरी था लेकिन उस खांचे में अनीता आनंद फिट बैठती हैं उसे लेकर सवाल उठ रहे हैं.

अनीता आनंद रक्षा मामलों में अनुभवी नहीं है हालांकि इससे पहले रक्षा मंत्री रहे हरजीत सज्जन सेना में रहे हैं और फ़ौज में उनका करियर काफी सराहा भी गया है. ख़ास तौर पर अफ़ग़ानिस्तान में अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने कई मेडल भी जीते थे.

हरजीत सज्जन

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फिर वो पुलिस विभाग में शामिल हो गए थे. फ़ौज में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी पोस्टिंग बोस्निया और अफ़ग़ानिस्तान में रही.

इस बीच इस बात पर भी चर्चा तेज़ है कि कनाडा की उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड को भी इस पद के लिए नियुक्त किया जा सकता था क्योंकि वे विदेश मंत्री रह चुकी हैं, ऐसे में उन्हें या किसी तजुर्बे वाली महिला को अगर रक्षा मंत्री बनाया जाता तो सही होता.

क्या होंगी चुनौतियां

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ये भी बताया जाता है कि अनीता आनंद जस्टिस ट्रूडो की करीबी मानी जाती हैं. पत्रकारों से बातचीत में जस्टिस ट्रूडो कह चुके हैं अनीता आनंद का शासन चलाने का अच्छा अनुभव है.

अनीता आनंद के सामने चुनौतियां भी कई होंगी.

वो पत्रकारों से बातचीत में कह चुकी हैं कि 'वह अपने नए विभाग के साथ काम करने की तैयारी कर रही हैं और आने वाले दिनों में कई सवालों के "बहुत स्पष्ट" जवाब देने में सक्षम होंगी.'

साथ ही उनका कहना था, ''मैं एक महिला हूं, ये एक पहलू हो सकता है लेकिन इस रोल में मैं अपने अलग-अलग तजुर्बे भी लाऊंगी जिसमें मेरा काम का अनुभव, क़ानून की जानकारी और प्रक्रिया शामिल होगी.'''

नए रोल में अपनी भूमिका पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''मेरी पहली प्राथमिकता ये होगी कि सेना में सभी सुरक्षित महसूस करें और उन्हें जब चाहिए तब सहायता मिले और ऐसी व्यवस्था हो जो न्याय देने का आश्वासन दे.''

पत्रकार गुरप्रीत सिंह कहते हैं, ''अनीता आनंद के सामने सबसे बड़ी चुनौती सेना में काम कर रही महिलाओं का विश्वास जीतना है और ये भी दिखाना कि वो क्या अलग कर सकती हैं. ख़ासतौर पर जिन अधिकारियों पर सवाल उठे हैं , उन्हें लेकर वे क्या कदम उठाती है वो देखने की बात होगी.''

साथ ही रक्षा मामलों में वे क्या नीतियां अपनाती हैं, उदाहरण के तौर पर अफ़ग़ानिस्तान की ताज़ा स्थिति और वहां फंसे लोगों को लेकर उनकी क्या नीति रहेगी ये देखने वाली बात होगी.

अनीता आनंद कोविड-19 के दौर में सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के तौर पर काम कर रहीं थी. इस दौरान जहां उनके काम को सराहा गया तो उनकी तारीफ़ भी हुई थी.

गुरप्रीत सिंह बताते हैं कि भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर जस्टिन ट्रूडो ने बयान दिया था और फिर भारत से वैक्सीन की मांग भी की थी. इसे लेकर उनकी आलोचना भी हुई थी. माना जाता है कि ऐसा उन्होंने अनीता आनंद के कहने पर किया था.

जस्टिन ट्रूडो-नरेंद्र मोदी

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दरअसल भारत में किसान नए कृषि क़ानून के विरोध में कई महीनों से सड़क पर हैं.

इस पर ट्रूडो ने कनाडा में सिख समुदाय के क़रीब पाँच लाख लोगों के लिए गुरु नानक देव की जयंती पर दिए ऑनलाइन संदेश में कहा था कि अगर वो भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन को नोटिस नहीं करेंगे तो यह उनकी लापरवाही होगी.

साथ ही जस्टिन ट्रूडो ने कहा था, ''स्थिति चिंताजनक है. हम सभी प्रदर्शनकारियों के परिवार और दोस्तों को लेकर चिंतित हैं. मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि कनाडा हमेशा से शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के अधिकार को लेकर सजग रहा है. हम संवाद की अहमियत में भरोसा करते हैं. हमने भारत के अधिकारियों से इसे लेकर सीधे बात की है.'

ट्रूडो के बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई थी. इसके बाद दोनों देशों में एक तल्ख़ी देखी गई थी. लेकिन फिर कनाडा ने भारत से कोविड वैक्सीन देने की अपील की थी.

पत्रकार गुरप्रीत सिंह बताते हैं, ''जब भारत से वैक्सीन आई तो वो बांटी जाने से पहले एक्सपायर हो गईं थी और पूरी मात्रा में भी नहीं आई थी तो इसे लेकर आलोचना भी हो रही थी. साथ ही ये भी कहा जा रहा था कि ट्रूडो किसानों के मुद्दे पर बोल रहे हैं और भारत से मदद भी ले रहे हैं. ये कहा जा रहा था कि वो ऐसा आनंद के कहने पर कर रहे थे क्योंकि वो कनाडा इंडिया फाउंडेशन से भी जुड़ी रही हैं.''

कनाडा इंडिया फाउंडेशन को एक भारतीय समर्थित लॉबी ग्रुप माना जाता है.

ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि टीके को लेकर जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी तो वो रक्षा मंत्रालय कैसे संभाल पाएंगी. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि 'जस्टिन ट्रूडो इज़ इन हरी' यानी 'प्रधानमंत्री जल्दबाज़ी में हैं'. लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि किसी भारतीय मूल की पहली महिला को रक्षा मंत्री बनाया गया है और ये ऐतिहासिक है.

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