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कामयाबी:सब मेरी शादी कराना चाहते थे, पर मुझे कुछ बड़ा करना था और अब बन गई हूं एंटरप्रेन्योर से इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर

3 वर्ष पहलेलेखक: मीना
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मुझे लगता है मेरा जन्म ही शादी के लिए हुआ था। 12-13 साल की हुई कि घर वालों से लोग बोलने लगे लड़की की शादी नहीं करोगे, इतनी बड़ी हो गई है। गांव जाती तो शादी, गली में निकलती तो शादी, किसी के पास बैठ जाती तो शादी...उफ्फ! हर जगह शादी पुराण सुनकर मैं थक गई थी। मुझे लगता कि क्या मेरी जिंदगी सिर्फ शादी के लिए ही है? मुझे कुछ बड़ा करना था पर क्या! यह नहीं समझ पा रही थी। ये शब्द हैं एंटरप्रेन्योर से इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर बनीं नेहा नागर के।

बिजनेसवुमन नेहा नागर
बिजनेसवुमन नेहा नागर

26 साल की नेहा भास्कर वुमन से बातचीत में बताती हैं, ‘मेरा जन्म गौतमबुद्धनगर के कचैड़ा गांव में हुआ। बचपन से पढ़ने-लिखने में तेज थी। गांव में ही छठी क्लास तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। 11 साल की उम्र तक गांव में रहे। हमारे परिवार की फाइनेंशियल कंडीशन बहुत अच्छी नहीं थी। पापा जिस फैक्ट्री में काम करते थे, वो गाजियाबाद शिफ्ट हो गई थी। इस वजह से हम सब भी गाजियाबाद आ गए। जब शहर आए तो यहां भी बागों में बहार नहीं थी। 10 बाई 12 के एक कमरे में हम पांच लोग रहते।
पहली जरूरत शादी, फिर करिअर
गाजियाबाद आकर पापा ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला करवा दिया। अभी तक सरकारी स्कूल में हिंदी मीडियम से पढ़ी थी, अब अंग्रेजी में पढ़ना था। बहुत मेहनत की और दसवीं में 70 फीसद मार्क्स हासिल किए। थोड़ा कॉन्फिडेंस बढ़ा और लगा कि अब अपने और परिवार के लिए कुछ बड़ा करूंगी। ये ख्याल इसलिए आया क्योंकि मेरे खानदान में मैं ही इकलौती लड़की हूं जो सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी है। हमारे यहां लड़कियों की पढ़ाई से ज्यादा शादी पर फोकस किया जाता है। उनका करिअर सेकेंडरी हो जाता है। मुझे याद है जब मैं दसवीं में थी तबसे लोग मेरी शादी के पीछे पड़े थे। जब पााप गांव जाते तो लोग उनसे कहते, बेटी को प्राइवेट स्कूल में क्यों पढ़ा रहा है? वो कलेक्टरनी या अफसरनी नहीं बन जाएगी। शादी के बाद रोटियां ही बनानी हैं। गांव जाती तो आंटियां कहतीं, अभी जी ले जितना जीना है। बाद में तो घर के काम ही करने हैं। गांव के इंफ्लुएंस ने गाजियाबाद तक पीछा नहीं छोड़ा। मेरे घर वालों को सिखाया जाता, बेटियों को सूट क्यों नहीं पहनाते हो? लोगों की बातों की वजह से पापा पर भी प्रेशर में आने लगते और हमें लेकर स्ट्रिक्ट हो जाते। हमें सूट पहनने को कहने लगते, लेकिन धीरे-धीरे हमने कोशिश की हमारे पेरेंट्स बदलें। शहर के माहौल ने पेरेंट्स को बदला। पेरेंट्स समझते थे शहर की जिंदगी, लेकिन खुलकर नहीं बोलते थे।

जिंदगी की एक नई शुरुआत
जिंदगी की एक नई शुरुआत

बीपीओ की नौकरी की
मेरे आसपास इतनी नेगेटिविटी थी कि मैं उससे तंग आ गई थी। अपने खानदान में मैं ही इकलौती थी जो ज्यादा पढ़ रही थी, इसलिए कुछ बड़ा करने का और दूसरों के लिए एग्जांपल सेट करने का दबाव था। अब सीए का एग्जाम देने की सोची। सीए का पहला एग्जाम क्लिअर हो गया। दो लेवल क्लिअर नहीं हो पाए। वो तीन साल बहुत डिफिकल्ट थे। क्योंकि कुछ करने का प्रेशर था और जब कुछ करने लगी तो सफल नहीं हुई। पेरेंट्स ने भी मुझसे उम्मीद छोड़ दी। कॉरेसपॉन्डेंस से बीए कर रही थी। उसको लेकर भी मैंने उम्मीद छोड़ दी थी। मेरा कॉन्फिडेंस भी छूट रहा था। मैंने पापा से रिक्वेस्ट की कि मुझे जॉब करने दो। 15-15 दिन कई जगहों पर नौकरी की और एक दिन बीपीओ के बारे में मालूम हुआ कि वहां पैसा अच्छा दे देते हैं। फिर मैंने एक साल बीपीओ की नौकरी की।
इस नौकरी ने मेरी कम्युनिकेशन स्किल्स और कॉन्फिडेंस में बढोतरी की। मेरे पास पैसा आने लगा तो अब लगा कि कुछ बड़ा कर लूंगी। अब लगा कि सीए तो नहीं निकलेगा एमबीए कर लेती हूं, लेकिन एमबीए हवा में नहीं होने वाला था, उसके लिए पैसे चाहिए थे। पापा ने वो देने से मना कर दिया, उन्हें लगा कि मैं एमबीए नहीं कर पाऊंगी। मेरा एक साल घर वालों को मनाने में निकल गया। अगले साल पापा ने एमबीए करने की परमिशन दी। तब मैंने ऐसे कॉलेज ढूंढ़े जिनकी फीस कम थी।

एमबीए के दौरान करिअर को मिली नई उड़ान
एमबीए के दौरान करिअर को मिली नई उड़ान

एमबीए बना टर्निंग प्वॉइंट
एमबीए के दो साल के दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा। कई कॉम्पीटिशन में गई। पर्सनैलिटी डेवलपमेंट किया। गांव से निकलकर शहर में आई तो लोगों के बीच एडजस्ट नहीं हो पा रही थी, लेकिन एमबीए के दौरान इस पर काम किया और कोप-अप करने की कोशिश की। यहां से मैंने एक फाइनेंस की कंपनी में इंटर्नशिप की। मेरी प्लेसमेंट भी कॉलेज से हो गई। एमबीए में फाइनेंस को लेकर अपना इंटरेस्ट समझ पाई। फाइनेंस की पढ़ाई में इसलिए भी मजा आ रहा था क्योंकि अभी तक मैंने अपने आसपास देखा था कि लड़कियों को फाइनेंशियल मैटर्स से अलग रखा जाता रहा है। अगर कोई लड़की कमाने भी लगती है तब भी उसे फाइनेंस के लिए भाई या पिता पर डिपेंडेंट होना पड़ता है, लेकिन मैं ये डिपेंडेंसी नहीं चाहती थी। अपना पैसा खुद संभालना सीख गई थी।
कॉलेज के दौरान मिस फेस ऑफ एनसीआर का मॉडलिंग शो हो रहा था, उसमें पार्टिसिपेट किया। फेलियर का डर थोड़ा सा खत्म हो गया। पेरेंट्स को बिना बताए पार्टिसिपेट किया। उस शो की मैं विनर रही। जी न्यूज की म्युजिक एलबम ‘भूल हम जाएंगे’ में लीड रोल मिला। इस एलबम को देखने के बाद पंगा हो गया। अब घर वाले मेरी शादी के लिए मेरे ऊपर तुल पड़े। इसी समय पर मेरी जॉब भी लग गई थी।
शादी की तलवार हमेशा लटकी रहती
ऑफिस से जब घर आती तो फिर से शादी कथा चालू हो जाती। शादी के डर की ये तलवार मेरे ऊपर हमेशा लटकी रही। वो तो शुकर है कि मेरे पेरेंट्स को लड़का ही इतना लेट मिला, वरना मेरी शादी कब की हो चुकी होती। मैं घर की बड़ी थी तो छोटे भाई बहन मेरे सपोर्ट में क्या बोल सकते थे।शादी के विद्रोह में मैं अकेली ही थी। अब मैं घर वालों से और नहीं लड़ सकती थी और गिव अप कर दिया। 24 साल की उम्र में चार्टेड अकांटेंड से मेरी शादी हो गई।

अपनी पहचान से बढ़ा आत्मविश्वास
अपनी पहचान से बढ़ा आत्मविश्वास

कंसल्टेंसी का बिजनेस
शादी के बाद नौकरी संभालना मुश्किल हो रहा था इसलिए घर में रहकर कंसल्टेंसी का बिजनेस स्टार्ट किया। जब लॉकडाउन हुआ तो बिजनेस भी नहीं चल पाया। फिर मैंने सोशल मीडिय की हेल्प ली। अपनी पढ़ाई के दौरान फाइनेंस की जो किताबें पढ़ी थीं, उनकी नॉलेज लोगों को देने के लिए वीडियो बनाने शुरू कर दिए। भले ही मैं सीए नहीं बन पाई थी लेकिन मैंने लोगों को आरटीआर, जीएसटी, स्टॉक मार्केट, फाइनेंस के बारे में नॉलेज दी। मेरे ये वीडियोज वायरल होने लगे। एक महीने के भीतर टिकटॉक पर तीन लाख फॉलोअर्स हो गए थे। यूट्यूब पर भी सब्सक्राइबर्स बढ़ने लगे। ये नंबर देखकर मुझमें और कॉन्फिडेंस आने लगा। मैं सीखती गई। मैंने 2020 में वीडियो बनानी शुरू की थी। जब टिकटॉक बंद हुआ तब मुझे समझ नहीं आया कि अब क्या करूं। कुछ समय का ब्रेक लिया। अब यूट्यूब पर मेहनत करने लगी तो यहां दो लाख सब्सक्राइबर हो गए हैं। इंस्टाग्राम पर सात लाख से ऊपर फॉलोअर्स हैं।
मुश्किलें अभी बाकी हैं...
अभी भी दिक्कतें आती हैं। फैमिली को बहुत टाइम नहीं दे पाती। शादी को तीन साल होने को आए हैं तो अब लोग चाइल्ड प्लानिंग के लिए भी फोर्स करने लगे हैं, लेकिन चूंकि मैंने परिवार को प्रुव करके दिखाया है तो उतनी टोकाटाकी नहीं होती जितनी पहले होती थी। अब मेरी अर्निंग इंस्टाग्राम और यूट्यूब से होती है। अब जिंदगी सिर्फ घर की चारदीवारी तक नहीं है बल्कि इंवेंट्स के स्टेज तक है। लोग टॉक शो के लिए भी बुलाते हैं।

आगे बढ़ते रहें, रुके नहीं
आगे बढ़ते रहें, रुके नहीं

ट्राय करते रहें, गिव अप न करें
हम लड़कियों को हमेशा पीछे खींचा जाता है। उन्हें अपने हिसाब से अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी नहीं होती, ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता, खुलकर जीने के लिए भी अपनों से लड़ना पड़ता है। तो कई बार इंसान थक जाता है, लेकिन हमें गिव अप नहीं करना है। ट्राय करते रहना है। अगर पेरेंट्स आपको पढ़ने या नौकरी करने के लिए मना कर रहे हैं या शादी के लिए फोर्स कर रहे हैं तो उन्हें पहले कुछ करके दिखाएं। तभी आप अपने मन का काम कर पाएंगे। आपको अपने लिए खुद स्टैंड लेना होगा। ट्राय करते रहें कभी न कभी कामयाबी का दरवाजा खुल ही जाएगा।

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