जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है। शरजील पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। पुलिस ने उन पर देशद्रोह जैसी संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया था।

वहीं अपनी जमानत याचिका में शरजील इमाम ने कहा है कि वो एक शांतिप्रिय नागरिक हैं और उन्होंने किसी विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में भाग नहीं लिया। शरजील के वकील ने भी कहा कि उनके भाषणों में हिंसा का कोई मामला नहीं बनता, ये राजद्रोह की श्रेणी में कैसे आता है।

बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इमाम को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने 28 जनवरी 2020 को उनके खिलाफ ये कार्रवाई की थी।

साकेत कोर्ट का कहना है कि 13 दिसंबर 2019 के भाषण को सरसरी तौर पर पढ़ने से ये पता लगा है कि ये स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक और विभाजनकारी तर्ज पर है। कोर्ट ने स्वामी विवेकानंद के एक उपदेश (कोटेशन) का भी जिक्र किया है। कोर्ट ने कहा कि हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। शब्द तो गौण हैं लेकिन विचार दूर तक यात्रा करते हैं।

कौन है शरजील इमाम

असम और उत्तर पूर्वी राज्यों को भारत से काटने की बात करने वाले शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज है।

वह बिहार के जहानाबाद जिले का निवासी है और दिल्ली की जेएनयू यूनिवर्सिटी से आधुनिक इतिहास में पीएचडी कर रहा है। शरजील इमाम के फेसबुक पेज पर दी गई जानकारी के अनुसार, शरजील ने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है। इसके साथ ही शरजील आईआईटी बॉम्बे में असिस्टेंट टीचर भी रह चुका है।

शरजील के प्रोफाइल के अनुसार, वह बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी एक कंपनी में काम कर चुका है और यूनिवर्सिटी ऑफ कॉपेनहेगन में बतौर प्रोग्रामर भी अपनी सेवाएं दे चुका है। शरजील ने जेएनयू से ही आधुनिक इतिहास में मास्टर्स और एमफिल की डिग्री ली है।

शरजील इमाम आइसा में दो साल से अधिक समय तक रहा और एक साल के लिए आइसा की कार्यकारिणी का सदस्य भी रहा। आइसा के प्रत्याशी के तौर पर शरजील ने जेएनयू में साल 2015 में काउंसलर का चुनाव भी लड़ा था।