चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया है। सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने महंगाई को मुद्दा बनाते हुए कहा था, ‘बीजेपी के मंत्री कहते हैं कि 95 प्रतिशत जनता को बढ़ती पेट्रोल की कीमतों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। अब बहुत जल्दी उन्हें भी फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि सरकारी सुविधा बंद होने वाली है।’ दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव का वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला के साथ एक इंटरव्यू सामने आया है।

वायरल हो रहे इस इंटरव्यू में प्रभु चावला ने पूछा था, ‘अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि आपकी और उनकी विचारधारा लगभग एक जैसी है। बीजेपी से आपका झगड़ा किस बात को लेकर है या सिर्फ मुस्लिमों का मुद्दा ही आप दोनों के बीच मतभेद का कारण है?’ मुलायम सिंह यादव जवाब देते हैं, ‘अब ये बात अटल जी जानें कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा। हम दोनों पार्टियों के बीच तो मतभेद इतनी सारी बातों को लेकर था कि पूछिए नहीं। मुस्लिमों के कई मुद्दों में बीजेपी हस्तक्षेप करती है, इसको लेकर हमारा उनसे टकराव है।’

मुलायम सिंह यादव कहते हैं, ‘मुस्लिमों के प्रति अपनी राय नहीं बदल पा रही है बीजेपी। वोट लेने के लिए या सरकार बनाने के लिए मुस्लिमों का उपयोग करती है। स्वदेशी की बात करते-करते, विदेशी सामानों को ये लोग बढ़ावा देने लगे। हमने कभी किसी जाति या धर्म के आधार वोट नहीं मांगा है और न ही आगे मांगेंगे। समाजवादी पार्टी का बीजेपी और उनके सहयोगी दलों से कुछ लेना-देना नहीं है। समाजवादी पार्टी कभी किसी भी कीमत पर भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने में मदद नहीं करेगी।’

अपराधियों पर क्या बोले थे मुलायम: एक अन्य इंटरव्यू में यूपी के पूर्व सीएम से पूछा गया था, ‘अब ऐसा लगने लगा है कि कोई भी यूपी में बिना किसी अपराधी के सहयोग से सरकार नहीं बना सकता?’ इसका जवाब देते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा था, ‘हमारी जब भी सरकार बनी है तो समाजवादी पार्टी की तरफ से जोड़-तोड़ नहीं की गई है। जहां तक अपराधियों के समर्थन की बात है तो मैं पहली भी साफ कर चुका हूं कि हमने न तो कभी किसी अपराधी का समर्थन किया है और न ही कभी करेंगे। पिछली सरकारों में जरूर बदलने की भावना से कार्रवाई की गई है जो हमने खत्म कर दी है।’

बता दें, साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम परिवार में खुलकर मतभेद सामने आए थे। शिवपाल सिंह यादव ने अगल पार्टी का गठन कर लिया था। चुनाव के नतीजों में सपा को निराशा ही हाथ लगी थी और अखिलेश यादव को मुखयमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।