उत्तर प्रदेश: पुलिस ने 'चोरों को लूटा', चार पुलिसवाले गए जेल

  • दिलनवाज़ पाशा
  • बीबीसी संवाददाता
पुलिस

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उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में चोरों से चोरी का पैसा लेकर सुरक्षित ज़िला पार कराने के आरोप में चार पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार किया गया है.

फ़िरोज़ाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, ''ऐसी सख़्त कार्रवाई से ही अपराधी पुलिसकर्मियों को सुधारा जा सकता है.''

अशोक कुमार ने कहा, "यदि पुलिस ही अपराध करने लगे तो समाज में बहुत गलत संदेश जाता है. इससे पहले भी इसी महीने एक शराब माफिया से रिश्वत लेने के आरोप में हमने चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया और उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया. एक को जेल भी भेजा."

स्थानीय पत्रकार मुकेश बघेल के मुताबिक़, चार पुलिसकर्मियों को जेल भेजने का ये प्रकरण ज़िले में चर्चा का विषय बना हुआ है और तैनात पुलिसकर्मी पहले से कहीं अधिक सतर्क नज़र आ रहे हैं.

क्या था घटनाक्रम?

15 अक्टूबर को रसूलपुर थाना क्षेत्र में एक डिलीवरी ऑटो से एक लाख दस हज़ार रुपए चोरी हुए थे. चोरों ने ड्राइविंग सीट काटकर पैसे निकाल लिए थे.

पीड़ित गौरव जब घर पहुंचे और पैसे नदारद देखे तो थाना रसूलपुर में जानकारी दी. चोरी का पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी में भी क़ैद हुआ था.

एसएसपी अशोक कुमार के मुताबिक, ''घटना की स्पष्ट फुटेज थी. चोर ऑटो से पैसे निकालते दिख रहे थे. हमने पूरे ज़िले को अलर्ट कर दिया और नाकेबंदी करके चेकिंग करवा दी.''

18 अक्टूबर को चोरी करने वाले दोनों चोर गिरफ़्तार कर लिए गए.

एसएसपी अशोक कुमार बताते हैं, ''जब चोरों से रकम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पैसे तो हमसे दरोगा जी ने ले लिए.''

राजेश

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इमेज कैप्शन, चोरी के आरोप में गिरफ़्तार राजेश

पुलिस पड़ताल में पता चला कि चौकी पर तैनात एसआई सुनील चंद और उनकी टीम ने चोरों से चोरी का पैसे लेने के बाद उन्हें अपनी गाड़ी से एस्कॉर्ट करके जिला फिरोज़ाबाद की सीमा पार कर दी थी.

पुलिस ने चोरों को लूटने वाली पूरी पुलिस टीम को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया और पैसे भी बरामद कर लिए हैं.

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गिरफ़्तार किए गए पुलिसवाले

अब एसएसपी ने कार्रवाई करते हुए चोरों से पैसा लेकर उन्हें ज़िला पार कराने वाले चारों पुलिसकर्मियों पर मुक़दमा दर्ज कराकर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया है. चारों पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया गया है.

जिन चार पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार किया गया है, उनमें से एक एसआई, दो सिपाही और एक पुलिस जीप के ड्राइवर हैं.

क्या इस घटनाक्रम से पुलिस की छवि ख़राब होगी, इस सवाल पर अशोक कुमार कहते हैं, "पुलिस की छवि पर जो काई जमी है उसे साफ करने के लिए थोड़ा ज़्यादा मेहनत करनी होगी. मेरा मानना है कि इस कार्रवाई से पुलिस की छवि और बेहतर होगी. आमतौर पर ये मान लिया जाता है कि पुलिस पुलिसकर्मियों के अपराध को छुपाती है, हमने इस धारणा को तोड़ा है. ये स्पष्ट संदेश दिया है कि दोषी चाहें जो भी हो कार्रवाई होगी."

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इमेज कैप्शन, चोरी के आरोप में गिरफतार बालकृष्ण

अशोक कुमार कहते हैं, ''पुलिस का काम अपराध रोकना है, अपराध में शामिल होना नहीं. यदि भविष्य में हमारे ज़िले में ऐसा कोई और मामला आता है, तो हम और भी बेरहम कार्रवाई करेंगे.''

क़त्ल के आरोप में पुलिसकर्मियों की गिरफ़्तारी

हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कानपुर के एक कारोबारी की होटल पर छापेमारी के दौरान हत्या के मामले में छह पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार किया गया है. इनमें एक एसएचओ और एक सब इंस्पेक्टर भी शामिल हैं.

गोरखपुर के मामले में पहले स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने पीड़ित परिवार पर मुक़दमा दर्ज न कराने का दबाव बनाने की कोशिश की थी.

लेकिन इस घटना के बाद पीड़ित परिवार धरने पर बैठ गया था. विपक्ष और मीडिया ने भी यह मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाया था, जिसके बाद अभियुक्त पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार कर लिया गया.

क़ानून व्यवस्था है मुद्दा

उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. क़ानून व्यवस्था चुनावों को दौरान अहम मुद्दा हो सकती है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का दावा है कि प्रदेश में अपराध कम हुए हैं और आमलोग पहले से अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

लेकिन पुलिस के हाथों क़त्ल और लूट जैसी वारदातों ने क़ानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

फ़िरोज़ाबाद के स्थानीय पत्रकार मुकेश बघेल के मुताबिक़, चोरों से पैसा लेने के आरोप में चार पुलिसकर्मियों की गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी कार्रवाई करके ही पुलिस भरोसा क़ायम कर सकती है.

मुकेश बघेल कहते हैं, "आम धारणा ये है कि पुलिस भ्रष्ट होती है. अब पुलिस के इस तरह के अपराध में लिप्त होने और उन पर सख़्त कार्रवाई होने के बाद स्थानीय लोगों को लग रहा है कि भ्रष्टाचार कुछ हद तक कम होगा. कम से कम अभी तो इसका स्पष्ट असर नज़र आ रहा है. पुलिसकर्मी पहले से अधिक ज़िम्मेदार दिखाई दे रहे हैं."

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