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यमन में अब तक हजारों बच्चे मारे गए या अपंग हुए

२० अक्टूबर २०२१

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का कहना है कि यमन में 2016 से अब तक 10,000 बच्चे मारे गए हैं या अपंग हो चुके हैं. युद्ध के कारण देश इस समय दुनिया के सबसे भीषण मानवीय संकट का सामना कर रहा है.

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तस्वीर: Mohammed Mohammed/Photoshot/picture alliance

यूनिसेफ ने मंगलवार, 19 अक्टूबर को कहा कि युद्धग्रस्त देश यमन में 10,000 से अधिक बच्चे मारे गए या घायल हुए हैं. एजेंसी के अनुसार यमन हर दिन चार बच्चों के मारे जाने या घायल होने के "शर्मनाक मील के पत्थर" पर पहुंच गया है.

यमन में पिछले पांच वर्षों से युद्ध छिड़ा हुआ है, जिसमें ईरानी समर्थित हूथी विद्रोही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार से लड़ रहे हैं. इस युद्ध में सऊदी अरब और क्षेत्र में उसके सहयोगी भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं.

यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने कहा कि उनकी एजेंसी का अनुमान है कि यमन में अब तक 10,000 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक 2015 में युद्ध में सऊदी गठबंधन के हस्तक्षेप के बाद से हर दिन लगभग चार बच्चे मारे गए या घायल हुए हैं.

यूनिसेफ ने इसे "शर्मनाक मील का पत्थर" बताया है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है मार्च 2015 से इस साल 30 सितंबर के बीच यमन में हुई लड़ाई में 3,455 बच्चे मारे गए और 6,600 घायल हुए.

दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट

युद्ध के परिणामस्वरूप अनगिनत यमनी बच्चे अप्रत्यक्ष रूप से घातक तरीकों से प्रभावित हो रहे हैं. यमन वर्तमान में संघर्षों, आर्थिक तबाही, सामाजिक विघटन और कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं से ग्रस्त है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यमन वर्तमान में दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट से जूझ रहा है, जिसमें लगभग दो करोड़ लोग या देश की एक तिहाई आबादी को किसी भी सहायता की सख्त जरूरत है. बच्चे इस स्थिति से बुरी तरह प्रभावित हैं और कुल 1.1 करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. यानी पांच में से चार यमनी बच्चों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

इसके अलावा यूनिसेफ के अनुसार लगभग चार लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. एजेंसी के जेम्स एल्डर ने कहा, "वे भूख से मर रहे हैं क्योंकि वयस्कों ने एक युद्ध शुरू कर दिया है जिसमें बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं."

यमन में गृहयुद्ध के चलते करीब 20 लाख बच्चे अब स्कूल नहीं जा पा रहे हैं जबकि हिंसा ने लगभग 17 लाख बच्चों और उनके परिवारों को विस्थापित कर दिया है.

एए/सीके (डीपीए, एपी)

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