उत्तराखंड में बीते 48 घंटों से मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के कारण भारी तबाही हुई है। अब तक 42 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कई लापता हैं और कई मकान मलबे में तब्दील हो चुके हैं। सबसे ज्यादा नुकसान नैनीताल जिले में हुआ है। जगह-जगह मलबा आने और सड़कें क्षतिग्रस्त होने से नैनीताल जिले से कुमाऊं मंडल के सभी संपर्क मार्ग कट गए हैं। मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का मानना है कि उत्तराखंड में लौटता मानसून और पश्चिमी विक्षोभ के टकराव से भारी तबाही हुई है।

नैनीताल जिले का प्रसिद्ध गर्जिया मंदिर भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में डूब गया है। उसका केवल एक भाग दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को प्रभावित क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण किया और अधिकारियों को संकट में फंसे लोगों की पूरी तरह से मदद करने के निर्देश दिए है। नैनीताल में प्रसिद्ध झील का पानी सड़कों पर आ गया है और कई दुकानों में घुस गया है।

राज्य के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में एसडीआरएफए, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हुईं हैं। सेना और वायु सेना को भी मदद के लिए बुलाया गया है। लगातार बारिश होने की वजह से राहत और बचाव कार्य में देरी हो रही है। संपर्क मार्ग कटने से राहत टीमों को बचाव कार्यों के लिए पैदल जाना पड़ रहा है। नैनीताल के जिला अधिकारी ने बताया कि आपदा से सबसे ज्यादा नुकसान नैनीताल जिले के दूरदराज के इलाकों में हुआ है। कई मकान बह गए हैं। इसके अलावा घरों में मलबा घुसने से सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। नैनीताल जिले में अभी तक 30 लोगों की मौत की जानकारी मिली है। अभी भी बहुत लोग लापता हैं जिनकी तलाश जारी है।

कार्बेट जिम पार्क में भी बड़ी मात्रा में पानी घुस गया है जिससे पर्यटकों की कारें पानी में डूब गई हैं। हल्लानी नैनीताल संपर्क मार्ग कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया है। नैनीताल का कुमाऊं गढ़वाल मंडल से संपर्क टूट गया है। नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में बादल फटने की घटना ने गोला नदी में बाढ़ का पानी आने से धान और गन्ने की फसल चौपट हो गई है। गोला नदी पर बने पूल के भी बहने की सूचना है। हल्द्वानी के कई क्षेत्र बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं।

नैनीताल जिले के दोसापानी में 5, थराली में 7, गरमपानी में 5, बोहराकोट में 2, चोपड़ा जौलीकोट में 1, ओखलकांडा में 9 जबकि भीमताल में 1 बच्चे की मौत हुई है। जिला नैनीताल के आपदा राहत केंद्र के मुताबिक 1000 से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया गया है। नैनीताल जिले की जिला अधिकारी प्रीति प्रियदर्शिनी ने बताया कि राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है।

नैनीताल जिले के राम मंदिर में उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध गर्जिया माता मंदिर का एक बड़ा हिस्सा कोसी नदी में बाढ़ आने से डूब गया है। इस मंदिर की सीढ़ियां भी जलमग्न हो गई है। मंदिर के आसपास दुकानों में पानी भर जाने से लोगों का भारी नुकसान हुआ है। गढ़वाल मंडल के चमोली उत्तरकाशी देहरादून पौड़ी टिहरी जिलों में भारी बारिश हो रही है। कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ अल्मोड़ा चंपावत बागेश्वर में भी भारी बारिश ने तांडव मचा रखा है।

मानसून और पश्चिमी विक्षोभ ने 2013 में भी मचाई थी तबाही
जून 2013 में मानसून के उत्तराखंड में प्रवेश करने और पश्चिमी विक्षोभ के साथ टकराने से केदारनाथ में आपदा आई थी। इस कारण हजारों लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ोंं गांव इस तबाही के कारण बर्बाद हो गए थे। रुड़की आइआइटी के पर्यावरणविद और मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर एसके मित्तल ने कहा कि इस बार लौटता मानसून और पश्चिमी विक्षोभ के बीच टकराव के कारण उत्तराखंड में आपदा आई है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डा डीसी भट्ट का कहना है कि जिस तरह से 2013 में केदारनाथ के समय मानसून के प्रवेश करते हुए और उसके पश्चिमी विक्षोभ के टकराने से बर्बादी हुई थी।