अमेरिका, इजरायल, यूएई व भारत का अंतरराष्ट्रीय फोरम बनाने का फैसला, आर्थिक सहयोग पर होगा नए 'क्वाड' का जोर
अमेरिका भारत इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपने नए गठबंधन का रोडमैप सामने रख दिया है। चारों देशों के विदेश मंत्रियों की सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह तक चली बैठक में आर्थिक सहयोग पर ही फिलहाल ध्यान केंद्रित रखने का फैसला किया गया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका, भारत, इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपने नए गठबंधन का रोडमैप सामने रख दिया है। चारों देशों के विदेश मंत्रियों की सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह तक चली बैठक में आर्थिक सहयोग पर ही फिलहाल ध्यान केंद्रित रखने का फैसला किया गया है, लेकिन सामुद्रिक सहयोग के क्षेत्र में भी ये देश गठजोड़ करेंगे। इनके बीच आर्थिक सहयोग पर अंतरराष्ट्रीय फोरम बनाने का एलान किया गया है जो भारत के कारोबार के लिए नए अवसर ला सकती है। साथ ही चारों देशों ने इस संगठन को क्वाड नाम से चिह्नित नहीं करने का फैसला किया है और इसे अंतरराष्ट्रीय फोरम बताया गया है।
दुबई-2020 में जल्द ही होगी चारों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक
हालांकि इस संगठन का एजेंडा बहुत हद तक हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थापित अमेरिका, जापान, भारत व आस्ट्रेलिया के क्वाड संगठन जैसा ही है। यह भी फैसला किया गया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, इजरायल के विदेश मंत्री येर लापिड और यूएई के विदेश मंत्री एबी जायेद के बीच आमने-सामने की पहली संयुक्त बैठक दुबई-2020 के दौरान जल्द की जाएगी। इजरायल के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी विस्तृत बयान में बताया गया है कि सोमवार रात हुई वर्चुअल बैठक में चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने आर्थिक सहयोग पर एक अंतरराष्ट्रीय फोरम बनाने का फैसला किया है। इस संगठन का सुझाव इजरायल की तरफ से ही उसके विदेश मंत्री ने पिछले दिनों अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान दिया था।
बुनियादी क्षेत्र में संयुक्त उद्यम की संभावनाओं पर किया विचार
विदेश मंत्री लापिड ने बैठक में कहा कि हम एक तरह की सिनर्जी (तालमेल) बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बुनियादी ढांचा, डिजिटल बुनियादी ढांचा, परिवहन, सामुद्रिक सुरक्षा व दूसरे क्षेत्रों में एक साथ काम कर सकें। इजरायल की तरफ से यह प्रस्ताव आया है कि चारों देश जल्द से जल्द इस संगठन के तहत सरकारी स्तर पर होने वाली सहयोग को उद्योग क्षेत्र में होने वाले सहयोग में तब्दील कर सकें।
इस पर जल्द से जल्द काम शुरू करने का प्रस्ताव करते हुए इजरायल ने यह भी कहा कि यह गठबंधन पूरी दुनिया में बुनियादी ढांचे में बदलाव का कारण बन सकता है। बैठक में चारों देशों ने सभी तरह के बुनियादी क्षेत्र में संयुक्त उद्यम की संभावनाओं पर विचार किया। चारों मंत्रियों की तरफ से जल्द ही अपने अपने देश के उच्चाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी तो इस गठबंधन के तहत परियोजनाओं को चिह्नित करने और उन्हें आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक में मध्य-पूर्व और एशिया में आर्थिक व राजनीतिक सहयोग को विस्तार देने को लेकर चर्चा हुई। इसके तहत कारोबार के साथ ही पर्यावरण सुरक्षा भी विमर्श का एक बड़ा मुद्दा रहा। इसके अलावा कोरोना महामारी से परेशान जनता को मदद पहुंचाने के विकल्पों पर भी बात हुई है। अमेरिका की तरफ से इन देशों के साथ संबंधित क्षेत्र व वैश्विक मंच पर भावी सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई। अमेरिका ने यह भी कहा है कि यह बैठक अब्राहम संधि के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी बताता है। अब्राहम संधि की घोषणा पिछले साल अमेरिका, यूएई और इजरायल की तरफ से की गई है।
भारत और खाड़ी देशों के बीच रिश्तों की नई शुरुआत
इसका मकसद इजरायल और अरब देशों के बीच सामंजस्य को बेहतर करना है। इसके बाद ही यूएई और बहरीन ने इजरायल को कूटनीतिक मान्यता दी है। अमेरिकी पक्ष ने इस बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन इजरायल की तरफ से बताया गया कि मौजूदा दुबई-2020 ट्रेड समारोह में चारों देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक होगी। कई कूटनीतिक विशेषज्ञों ने इन चारों देशों के गठबंधन को भारत और खाड़ी देशों के बीच रिश्तों की नई शुरुआत के तौर पर देखा है।
नेशनल यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर के निदेशक (इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशियन स्टडीज) सी. राजा मोहन ने लिखा है, हिंद प्रशांत क्षेत्र के बाद मध्य-पूर्व में दूसरे देशों के साथ संगठन बनाकर भारत ने यह दर्शाया है कि वह एक समग्र क्षेत्रीय नीति बनाने को तैयार है। भारत की इस पहल में अमेरिका उसका साझीदार होगा। राजा मानते हैं कि भारत अब उक्त दोनों क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार दिखता है।