सिंघु बॉर्डर पर सिख धर्मग्रंथ की बेअदबी के आरोपी लखबीर सिंह का शनिवार को तरन तारन में उसके पैतृक गांव में कड़ी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार किया गया। अंत्येष्टि के दौरान केवल परिवार के करीबी सदस्य ही मौजूद रहे। लखबीर निहंगों की ‘लिचिंग’ का शिकार बना था।

मृतक लखबीर पंजाब के तरन तारन का रहने वाला था। शख्स पर आरोप लगाया गया था कि उसने पवित्र धर्म ग्रंथ की बेअदबी की है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अंतिम संस्कार के दौरान अरदास’ के लिए कोई सिख ग्रंथी मौजूद नहीं था। उसके गांव चीमा कलां से भी कोई व्यक्ति अंत्येष्टि में शामिल नहीं हुआ।

इस दौरान, उसकी पत्नी जसप्रीत कौर, सास सविंदर कौर, बहन राज कौर और तीन नाबालिग बेटियों समेत परिवार के केवल 12 सदस्य उपस्थित रहे। सूत्रों के मुताबिक लखबीर सिंह पर पवित्र ग्रंथ की कथित बेअदबी के आरोप लगे हैं, इसलिए गांव के कुछ लोगों ने परिवार के सदस्यों को केवल अंत्येष्टि करने की अनुमति दी थी। परिवार के किसी सदस्य को कोई धार्मिक रस्म अदा नहीं करने दी गई। भारी सुरक्षा के बीच पुलिस एंबलेंस में उसका शव लेकर अंत्येष्टि स्थल पहुंची। अंतिम संस्कार के दौरान भी जवान तैनात रहे।

लखबीर का पार्थिव देह शनिवार शाम करीब पौने 7 बजे एंबुलेंस में उसके गांव चीमा पहुंची। एंबुलेंस को सीधे श्मशान ले जाया गया। चिता पहले ही सजा दी गई थी। देह एंबुलेंस से उतारकर सीधे चिता पर रखी गई। पॉलीथिन में बंद लखबीर सिंह का चेहरा भी उनके परिवार के सदस्यों को नहीं दिखाया गया। पत्नी जसप्रीत ने कोशिश की, लेकिन उसे भी चेहरा नहीं दिखाया गया। देह से पॉलीथिन भी नहीं उतारी गई। लकड़ियां आग जल्दी पकड़ें इसके लिए डीजल डाला गया।

लखबीर सिंह के शरीर पर धारदार हथियार से हमले के करीब 10 जख्म मिले थे। उसके शव को सिंघु बॉर्डर पर बेरिकेड्स से बांधा गया था। इस घटना के लिए निहंग सिखों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हत्या के कुछ घंटों बाद एक निहंग सिख मीडिया के सामने आया और उसने इस हत्या की जिम्मेदारी ले ली।

आरोपी ने दावा किया कि लखबीर को पवित्र ग्रंथ की बेअदबी करने के कारण उसने मारा है। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को अरेस्ट किया है। दूसरे आरोपी को आज अमृतसर से गिरफ्तार किया गया है।