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Coal Shortage: उत्पादन बढ़ाना कोल इंडिया की सबसे बड़ी चुनौती, जानिए क्या कहते हैं ये आंकड़े

सरकार और सीआइएल ने 100 करोड़ टन का लक्ष्य इसलिए रखा है कि तीन से चार वर्षो में आयातित कोयले पर निर्भरता को बहुत हद तक कम किया जा सके। देश में 2.02 लाख मेगावाट क्षमता (कुल उत्पादन क्षमता का 53 फीसद) कोयला आधारित संयंत्र हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 08:09 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 08:12 PM (IST)
Coal Shortage: उत्पादन बढ़ाना कोल इंडिया की सबसे बड़ी चुनौती, जानिए क्या कहते हैं ये आंकड़े
पिछले पांच वर्षो के रिकार्ड को देखते हुए कंपनी का यह लक्ष्य हासिल करना लगभग असंभव

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली संकट भविष्य में भी होगा या नहीं, यह पूरी तरह इस पर निर्भर करेगा कि कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) कोयला उत्पादन के अपने लक्ष्यों को हासिल करती है या नहीं। सरकार के साथ विमर्श के बाद कंपनी ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 74 करोड़ टन और वर्ष 2023-24 तक 100 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। लेकिन पिछले पांच वर्षो के रिकार्ड को आधार माना जाए तो कंपनी का यह लक्ष्य हासिल करना लगभग असंभव लगता है।

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सीआइएल के चेयरमैन व एमडी प्रमोद अग्रवाल ने हाल ही में दैनिक जागरण को बताया था कि चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्पादन 65 करोड़ टन रहेगा, जबकि लक्ष्य 67 करोड़ टन रखा गया था। अगर कोल इंडिया चेयरमैन की यह बात सच साबित हो जाती है तो यह पिछले पांच वर्षो के दौरान सबसे बढ़िया प्रदर्शन होगा। वर्ष 2016-17 के बाद से कोल इंडिया का प्रदर्शन 60 करोड़ टन के आसपास बना हुआ है। कंपनी ने कोयला मंत्रालय की संसदीय समिति को बताया है कि वर्ष 2020-21 में कोरोना संकट के चलते उत्पादन 60.2 करोड़ टन से घटकर 59.6 करोड़ टन पर आ गया था। कोरोना संकट की आहट से पहले यह लक्ष्य 72 करोड़ टन निर्धारित किया गया था। उसके पिछले वर्ष यानी 2019-20 में भी कंपनी का उत्पादन 2018-19 के 60.7 करोड़ टन के मुकाबले घटकर 60.2 करोड़ रह गया था। यही वजह है कि संसदीय समिति ने भी कोयला मंत्रालय को वर्ष 2023-24 तक 100 करोड़ टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य को लेकर ज्यादा गंभीर होने को कहा है।

सरकार और सीआइएल ने 100 करोड़ टन का लक्ष्य इसलिए रखा है कि तीन से चार वर्षो में आयातित कोयले पर निर्भरता को बहुत हद तक कम किया जा सके। देश में 2.02 लाख मेगावाट क्षमता (कुल उत्पादन क्षमता का 53 फीसद) कोयला आधारित संयंत्र हैं। चालू साल के दौरान इन संयंत्रों को पहले सिर्फ 70 करोड़ टन कोयले की जरूरत का अनुमान था, जिसे वर्तमान बदली जरूरत में 85 करोड़ टन माना जा रहा है। कोयला मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2008-09 से वर्ष 2016-17 के दौरान देश में कोयला उत्पादन में महज 3.2 प्रतिशत सालाना की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान कोयले के आयात में सालाना 13.4 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है। दूसरी तरफ देश में बिजली की खपत औसतन 7.2 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है।

बिजली की खपत बढ़ने की वजह से कोयला-चालित बिजली संयंत्रों को भी अपना प्लांट लोड फैक्टर (उत्पादन क्षमता का उपयोग) मौजूदा 62-63 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक करना पड़ सकता है। ऐसे में बिजली कंपनियों की तरफ से कोयले की मांग वर्ष 2023 तक बढ़कर 112 करोड़ टन हो सकती है। अभी भी भारत कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। आयात निर्भरता घटाने के लिए ही कोल इंडिया को 100 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है।

पिछले पांच वर्षों में कोल इंडिया का प्रदर्शन

वर्ष उत्पादन (करोड़ टन में)

2016-17-      55.4

2017-18-      56.7

2018-19-      60.7

2019-20-      60.2

2020-21-     59.6

2021-22-      67 (लक्ष्य)

पिछले तीन वर्षों में कोयला उत्पादन व आपूर्ति की स्थिति

वर्ष-     कुल खपत-  घरेलू उत्पादन-  आयातित कोयला

2018-19-  96.4-     72.8-             23.54

2019-20-  95.59-   73.08-          24.84

2020-21-  90.60-   71.68-          21.49

(खपत, उत्पादन व आयात की मात्रा करोड़ टन में)


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