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मोबाइल की रोशनी में लखवीर का संस्कार:पंचायत, सत्कार कमेटी और ग्रामीणों के विरोध के चलते सिर्फ परिवार रहा मौजूद, अंतिम अरदास भी नहीं हुई

हरदयाल सिंह/तरनतारन3 वर्ष पहले
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चीमा गांव में शनिवार शाम को अंधेरे में ही लखवीर का संस्कार कर दिया गया। - Dainik Bhaskar
चीमा गांव में शनिवार शाम को अंधेरे में ही लखवीर का संस्कार कर दिया गया।

सिंघु बॉर्डर पर निहंगों की बर्बरता का शिकार हुए लखवीर सिंह की बॉडी शनिवार शाम को तरनतारन जिले में उनके गांव चीमा पहुंच गई। हरियाणा से बॉडी लेकर आई एम्बुलेंस को सीधे गांव के श्मशान घाट ले जाया गया जहां पहले से ही लखवीर के परिवार के सदस्य और पुलिसवाले मौजूद थे। लखवीर के संस्कार के समय श्मशान घाट में पर्याप्त रोशनी नहीं थी। ऐसे में मोबाइल फोन की रोशनी में संस्कार किया गया। चीमा गांव की पंचायत, सत्कार कमेटी और ग्रामीणों ने सुबह ही लखवीर के संस्कार में न जाने की बात कह दी थी इसलिए शाम को श्मशानघाट में सिर्फ लखवीर की पत्नी, बहन और परिवार के दूसरे सदस्य ही मौजूद रहे। संस्कार के समय होने वाली अंतिम अरदास भी नहीं की गई।

शनिवार शाम को लखवीर की बॉडी चीमा गांव पहुंचने के बाद श्मशानघाट में विलाप करती उसकी पत्नी जसप्रीत कौर और बहन राज कौर।
शनिवार शाम को लखवीर की बॉडी चीमा गांव पहुंचने के बाद श्मशानघाट में विलाप करती उसकी पत्नी जसप्रीत कौर और बहन राज कौर।

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