बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को जाति जनगणना कराने को लेकर फिर से अपनी मांग को दोहराया। उन्होंने कहा कि “जातिगत जनगणना कराना देश के हित में होगा।” नीतीश ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि जातिगत जनगणना ना कराने को लेकर अपने रुख पर वो “पुनर्विचार” करे। बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर इस मामले में साफ कर दिया है कि “वो जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी, और ये फैसला काफी सोच समझकर लिया है।”

NDA से अलग होंगे नीतीश?: नीतीश कुमार से दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान जब पत्रकारों ने सवाल किया कि अगर केंद्र उनके इस आग्रह को खारिज करता है तो क्या जदयू एनडीए से अलग हो जाएगी? इस पर नीतीश कुमार ने सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा, “अब उस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। हम साथ बैठेंगे और भविष्य के लिए रोडमैप तय करेंगे। वैसे अगर आप गौर करें तो यह सिर्फ हमारी मांग नहीं है बल्कि बिहार के अलावा कई और राज्यों द्वारा भी उठाई गई है। यह राष्ट्रहित में होगा।”

बता दें कि केंद्र द्वारा 2021 में जाति जनगणना कराने की मांग को खारिज करने के तीन दिन बाद नीतीश कुमार ने मोदी सरकार से इसको लेकर फिर से आह्वान आया किया है। नीतीश कुमार ने कहा कि, हम लोग पहले से ही कह रहे हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। बिहार के 10 राजनीतिक पार्टियों ने यह मामला उठाया है। वहीं बिहार विधानसभा से इसको लेकर सर्वसम्मत प्रस्ताव भी 2 बार पारित हुआ है। उन्होंने कहा कि, हमारा मत है कि इस मुद्दे पर फिर विचार कर जातिगत जनगणना कराई जाए।

केंद्र ने क्या कहा था हलफनामे में: सर्वोच्च न्यायालय में दिए हलफनामें में केंद्र सरकार ने कहा है कि, जातिगत जनगणना नहीं होगी, और यह फैसला काफी सोच समझकर लिया गया है। केंद्र ने कहा कि 2021 में जातिगत जनगणना नहीं की जा सकती है। पहले एससी और एसटी जातियों की जनगणना होती आ रही है, और इस बार भी वह होगी। लेकिन इससे अलग किसी और जाति की गणना नहीं होगी।