जम्मू और कश्मीर में अगले साल हो सकते हैं विधानसभा चुनाव: भाजपा नेता
जम्मू और कश्मीर में भाजपा की प्रांतीय इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने शनिवार को कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.
हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि विधानसभा चुनाव परिसीमन का काम पूरा होने के बाद ही कराए जाएंगे.
रवींद्र रैना ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "आतंकवाद के समर्थक इस केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के दुश्मन हैं और उनके साथ क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई की जाएगी और क़ानून सब के लिए बराबर है, चाहे वो सरकारी कर्मचारी हो, राजनेता हो या कोई आम व्यक्ति."
भारतीय जनसंघ के नेता और संघ के विचारक रहे पंडित दीन दयाल उपाध्याय की स्मृति में आयोजित के कार्यक्रम के दौरान रवींद्र रैना ने बताया कि परिसीमन पर काम चल रहा है और इसके इस साल के आख़िर तक पूरा हो जाने की संभावना है.
'मेरे बेटे को पहले पेट में गोली मारी फिर उसके सीने पर कूद-कूद कर मारा': असम के दरंग ज़िले से ग्राउंड रिपोर्ट
असम के दरंग जिले के 3 नंबर धौलपुर गांव में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी सुता के किनारे एक अस्थायी ठिकाने से रुक-रुक कर छोटे बच्चों और महिलाओं के रोने की आवाज़ आ रही थी.
कुछ दिनों पहले इस गांव के लोगों की जिंदगी सामान्य थी, लेकिन 23 सितंबर को असम सरकार के आदेश पर 'अवैध अतिक्रमण' के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई और ग्रामीणों के साथ हिंसक झड़प ने पूरे गांव को उजाड़ कर रख दिया.
दरंग जिला प्रशासन के मुताबिक़, गुरुवार को हुई एक हिंसक झड़प में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि नौ पुलिसकर्मी और सात ग्रामीण घायल हो गए. घायल सभी ग्रामीणों का इलाज गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में किया जा रहा है.
हालांकि 3 नंबर धौलपुर गांव में प्रवेश करने पर हिंसक झड़प से होने वाला नुकसान प्रशासन के दावों से कहीं ज्यादा दिखाई पड़ता है.
सिपाझार शहर से करीब 14 किलोमीटर अंदर की ओर आने पर 'नो नदी' का खार घाट मिलता है. इस घाट से नदी पार करने के लिए देशी नाव ही एकमात्र सहारा है.
एंगेला मर्केल: 16 साल तक सत्ता में रहने वाली नेता को जर्मनी के लोग कैसे याद करेंगे?
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जर्मनी में रविवार को आम चुनाव के लिए मतदान होने जा रहा है.
इसके साथ ही जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल का अंतिम कार्यकाल ख़त्म हो जाएगा.
16 सालों तक जर्मनी की सत्ता में रहने के बाद एंगेला मर्केल अपना पद छोड़ देंगी.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतिहास मर्केल को किस रूप में याद रखेगा?
एंगेला मर्केल की नेतृत्व शैली और उनके ट्रैक रिकॉर्ड के आकलन के लिए बीबीसी ने चार विशेषज्ञों से बात की. पेश है इन चारों विशेषज्ञों से हुई बातचीत पर आधारित ये रिपोर्ट पढ़ें.
अब तस्वीरों में खूब दिखने वाले तालिबान के नेताओं को पहले इससे क्यों था परहेज
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बात 1996 की है, जब जॉन सिम्पसन बीबीसी की रिपोर्टिंग के लिए अपने एक सहयोगी के साथ अफ़ग़ानिस्तान में जलालाबाद जा रहे थे. वो क़ंधार से गुज़र रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि आज वहां बहुत बड़ा जमावड़ा है. उन्होंने शहर के बीच हज़ारों की भीड़ देखी. भीड़ के बीच में शायद ट्रक या स्टेज पर एक इंसान खड़ा था.
वो तालिबान के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर थे. उनके हाथ में कथित तौर पर इस्लाम के पैगंबर का चोग़ा (एक तरह का वस्त्र) था. और वहां मौजूद लोग पूरे जोश में नारे लगा रहे थे. उन्होंने अपने सिर पर बंधी पगड़ियां मुल्ला उमर की ओर उछालना शुरू की, ताकि उनकी पगड़ियां उस चोग़े को छू ले.
उसी दिन मुल्ला उमर को वहां मौजूद लोगों ने 'अमीर अल-मोमिनीन' यानी मुसलमानों के सरदार की उपाधि दी थी.
जॉन सिम्पसन पहले छुपकर वीडियो बना रहे थे. लेकिन जब उन्होंने देखा कि हर किसी की नज़र केवल चोगे की ओर है, तो उन्होंने अपने कैमरामैन से कैमरा निकाल कर रिकॉर्डिंग करने को कहा. भीड़ में से किसी ने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया. और इस तरह मुल्ला उमर का पहला और इकलौता वीडियो सामने आया.
चीन-कनाडा के बीच क़ैदियों की अदला-बदली, ख़्वावे की सीएफ़ओ हुईं रिहा
दुनिया की दिग्गज कम्युनिकेशन कंपनी ख्वावे टेक्नॉलाजीज की मुख्य वित्त अधिकारी मेंग वानझोउ कनाडा की हिरासत से रिहा होने के बाद घर वापस लौट आई हैं.
कनाडा और अमेरिका के साथ चीन की हुई एक संधि के तहत ऐसा संभव हो पाया है. इस संधि के तहत चीन ने भी कनाडा के दो हाईप्रोफ़ाइल कैदियों को छोड़ा है. मेंग वानझोउ ख्वावे कंपनी के संस्थापक की बेटी भी हैं.
मेंग वानझोउ ने इसके लिए अमेरिका के संघीय अभियोजकों (प्रॉसिक्यूटर) के साथ एक सुलह की है.
इसके तहत उनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों को अगले साल ख़त्म कर दिया जाएगा.
इस समझौते के तहत उन्होंने ईरान में कंपनी के व्यापारिक सौदों को गलत तरीके से पेश करने की जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है.
समझौता होने वाले दिन ही चीन ने कनाडा के नागरिकों को जेल से रिहा करके उन्हें उनके पास भेज दिया.
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चीन की मीडिया में छाई है लौटने की ख़बर
देर से ही सही लेकिन मेंग के लौटने की ख़बर चीन के इंटरनेट और वहां की सरकारी टीवी 'सीसीटीवी' की दोपहर की ख़बरों में अहम थी. चैनल ने अपनी ख़बर में बताया कि मेंग की वापसी चीन की सरकार के सतत प्रयासों के चलते हो रही है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मेंग के कनाडा छोड़ने की ख़बर को सोशल मीडिया पर लिखा. इसमें लिखा था, "घर में आपका स्वागत है."
मालूम हो कि अमेरिका के प्रत्यर्पण अनुरोध पर कनाडा ने मेंग को गिरफ्तार किया था. इसके बाद, चीन ने कनाडा के पूर्व राजनयिक माइकल कोवरिग और उद्यमी माइकल स्पावर को दिसंबर 2018 में अपनी गिरफ्त में ले लिया था.
उसके बाद, चीन ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने का आरोप लगाया. कोवरिग को 11 साल की जेल की सजा सुनाई गई. हालांकि उनकी गिरफ्तारी को लगभग सभी ने मेंग मामले में लाभ उठाने का प्रयास माना.
IPL 2021- राजस्थान पर जीत के साथ दिल्ली फिर टॉप पर
IPL 2021Copyright: IPL 2021
आईपीएल-2021 में शनिवार को दिल्ली कैपिटल ने राजस्थान रॉयल्स को 33 रनों के बड़े अंतर से हराते हुए टूर्नामेंट के प्ले ऑफ़ राउंड में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली. इसके साथ ही पॉइंट टेबल में भी वो एक बार फिर टॉप पर पहुंच गई है.
शुक्रवार को बेंगलुरु पर 6 विकेट से जीत हासिल कर (14 अंकों के साथ) चेन्नई सुपरकिंग्स पॉइंट टेबल के टॉप पर पहुंची थी लेकिन राजस्थान पर जीत के साथ ही दिल्ली के 16 अंक हो गए और वह फिर से शीर्ष पर काबिज हो गई.
दिल्ली ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 154 रन बनाए. इसके जवाब में राजस्थान की टीम 20 ओवरों में 6 विकेट पर 121 रन बना सकी और मैच 33 रनों से हार गई.
राजस्थान के संजू सैमसन ने कप्तानी पारी खेलते हुए सर्वाधिक 70 रन बनाए लेकिन अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके.
दिल्ली की ओर से एनरिक नोर्तजे ने सबसे अधिक दो विकेट लिए. आवेश खान, अश्विन, रबाडा और अक्षर पटेल को 1-1 विकेट मिले.
वहीं दिल्ली के पारी में श्रेयस अय्यर ने सबसे अधिक 43 रन बनाए. राजस्थान के गेंदबाज़ों में मुस्तफिज़ुर रहमान और चेतन सकारिया ने 2-2 जबकि कार्तिक त्यागी और राहुल तेवतिया ने 1-1 विकेट लिए.
आईआईटी-एमआईटी की डिग्री पर टीचर की नौकरी, चार साल बाद बेरोज़गारी का मंडराता ख़तरा
1500 से ज़्यादा सरकारी शिक्षक 30 सितंबर को बेरोज़गार हो जाएंगे. मोदी सरकार ने साल 2017 में तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए IIT और NIT जैसे संस्थानों से पास शिक्षकों की भर्ती की थी.
ये भर्ती TEQIP प्रोजेक्ट के तहत हुई, जो तीन साल के लिए था, इसके बाद राज्यों के साथ इन्हें बनाए रखने का समझौता हुआ था.
लेकिन अब ये ख़त्म हो रहा है और संबंधित राज्यों ने समझौते पर अमल नहीं किया है. अब तक कई शिक्षकों को बता दिया गया है कि 30 सितंबर को उनकी सेवाएं समाप्त हो रही हैं.
यूपीएससी टॉपर शुभम ने बताया कोरोना में कैसे की तैयारी?
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे घोषित हो गए और इस बार बिहार के रहने वाले शुभम कुमार ने इस परीक्षा में टॉप किया.
शुभम आईआईटी बॉम्बे से सिविल इंजीनियरिंग कर चुके हैं और सिविल सेवा परीक्षा में यह उनका तीसरा प्रयास था.
शुभम फिलहाल पुणे में इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विसेज की ट्रेनिंग कर रहे हैं. पुणे में उनके साथ बीबीसी ने ख़ास बातचीत की.
हिमाचल के ख़ूबसूरत पहाड़ों के ख़ौफ़नाक बनने की कहानी
किन्नौर... तिब्बत के साथ भारत की सीमा पर हिमाचल प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग में एक ऐसी जगह जिसे "परिकथाओं की भूमि" भी कहा जाता है.
बर्फ से ढके पहाड़, गहरी घाटियां, गरजती सतलुज नदी और सेब के बाग़ किन्नौर की पहचान हैं.
लेकिन हर साल मॉनसून आते ही लैंड-स्लाइड्स या भूस्खलन की घटनाएं इस जगह को बेहद खतरनाक बना देती हैं.
इसी साल, दो बड़े लैंड-स्लाइड्स में 37 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. कुछ दिनों बाद कई और लैंड-स्लाइड्स भी हुए.
इन हादसों ने इस इलाके को झकझोड़ कर रख दिया है.
हिमाचल प्रदेश को उत्तर भारत का हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी पावरहाउस माना गया है. उत्तर भारत में बनने वाली कुल पनबिजली का करीब 50 प्रतिशत इस छोटे से पहाड़ी राज्य में ही बनता है.
दिलचस्प बात यह है कि हिमाचल प्रदेश में बनने वाली करीब 10000 मेगावाट हाइड्रो-पावर का 30 प्रतिशत किन्नौर में बनता है.
किन्नौर के लोग "बम्पर टू बम्पर" या बहुत कम दूरी पर एक के बाद एक पनबिजली संयंत्र बनाए जाने को इस इलाके में आ रही प्राकृतिक आपदाओं की एक बड़ी वजह मानते हैं.
पिछले कुछ सालों से यहां के स्थानीय लोग इस क्षेत्र में हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट्स और तेज़ी से की जा रहीं सड़क विस्तार परियोजनाओं के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन हालिया हादसों ने इन आवाज़ों को मानो एक आंदोलन की शक्ल दे दी है.
पर्यावरणविदों ने भी इस इलाके की नाज़ुक टोपोग्राफी पर हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट्स और अन्य निर्माण गतिविधियों के असर के बारे में चिंता जतानी शुरू कर दी है.
इस बात में कोई शक नहीं की भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ज़रुरत है और हाइड्रो-पावर उस स्वच्छ ऊर्जा का एक अच्छा ज़रिया है. तो फिर क्यों इन प्रोजेक्ट्स का विरोध हो रहा है? यही जानने के लिए बीबीसी संवाददाता राघवेंद्र राव और विडियो जर्नलिस्ट शुभम कौल किन्नौर के सुदूर इलाकों में गए.
बीबीसी इंडिया बोल, 25 सितंबर 2021
नरेंद्र मोदी और जो बाइडन की मुलाक़ात से क्या हासिल होगा?
बीबीसी इंडिया बोल, 25 सितंबर 2021, Narendra Modi और Joe Biden की मुलाक़ात से क्या हासिल होगा?
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच शुक्रवार को द्विपक्षीय मुलाक़ात हुई. इस मुलाकात का हासिल क्या होगा? बीबीसी इंडिया बोल में आज इसी विषय पर होगी चर्चा मोहनलाल शर्मा के साथ.
संयुक्त राष्ट्र में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दुनिया के सामने आतंकवाद का ख़तरा मंडरा रहा है
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधन के दौरान कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आंतकवाद के लिए न हो.
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, "गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व, 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है. ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं और परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं."
"मैं उस देश का प्रधिनिधित्व कर रहा हूं, जिसे मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी का गौरव हासिल है. लोकतंत्र की हज़ारों सालों की महान परंपरा रही है. इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आज़ादी के 75वें साल में प्रवेश किया है. हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है. हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है. एक देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन-सहन, खानपान है. ये वाइब्रैंट डेमोक्रेसी का बेहतरीन उदाहरण है."
"सबसे लंबे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री और फिर पिछले सात साल से भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे सरकार के मुखिया की भूमिका में देशवासियों की सेवा करते हुए 20 साल होने जा रहे हैं. और मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं- हां, लोकतंत्र दे सकता है और लोकतंत्र ने दिया है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो देश आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण के तौर पर कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा ख़तरा है.
विदेश न जाने देने से पता चलता है कि मोदी कितने ईर्ष्यालु हैं: ममता बनर्जी
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने शनिवार को कोलकाता में केंद्र सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है.
एक कार्यक्रम के सिलसिले में इटली के रोम जाने के उनके प्रस्ताव को केंद्र की अनुमति न मिल पाने के चलते उन्होंने सरकार की कड़ी आलोचना की है.
ममता बनर्जी ने इस बारे में केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ''आप मुझे रोक नहीं पाएंगे. मैं विदेश जाने के लिए लालायित नहीं रहती, लेकिन मेरा ये दौरा देश के सम्मान के लिए था.''
प्रधानमंत्री ईर्ष्यालु हैं
पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि नरेंद्र मोदी हिंदुओं की बातें करते रहते हैं और मैं भी एक हिंदू महिला हूं. उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल पूछने के अंदाज में कहा कि आपने मुझे विदेश जाने की अनुमति क्यों नहीं दी?
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा कि विदेश जाने की अनुमति न देना जाहिर करता है कि 'वो पूरी तरह ईर्ष्यालु हैं'.
ममता बनजी ने कहा है कि हमें अपनी आज़ादी को बचाना है. इस देश को 'तालिबानी' भाजपा नहीं चला सकती.
भबानीपुर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना प्रचार करने के दौरान उन्होंने ये बातें कही हैं.
इस दौरान उन्होंने दावा किया कि अकेले टीएमसी भाजपा को हराने में सक्षम है. बनर्जी ने कहा कि 'खेला' भबानीपुर से शुरू होगा और ये तभी ख़त्म होगा, जब हम पूरे देश में जीत हासिल कर लेंगे.
विश्व शांति की चर्चा में जाना था
ममता बनर्जी ने रोम के प्रस्तावित दौरे के मकसद को साफ करते हुए कहा कि रोम में विश्व शांति के मुद्दे पर आयोजित होने वाली एक सभा के लिए मुझे बुलाया गया था. उस कार्यक्रम में जर्मनी की चांसलर के साथ पोप (फ्रांसिस) को भी भाग लेना है.
उन्होंने ये भी बताया कि इटली ने इसमें भाग लेने की विशेष अनुमति उन्हें दी थी. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने यात्रा को मंजूरी देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी मुख्यमंत्री का वहां जाना वाजिब नहीं है.
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं. वो वहां क्वाड की बैठक और अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडन से मुलाक़ात करने के साथ यूनाइटेड नेशन को भी संबोधित करेंगे. पहले भी नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरे को लेकर कई आलोचक उन पर हमले करते रहे हैं.
पाकिस्तान क्रिकेट पर ब्लॉग- 'हमारा सम्मान भी बहुत जल्दी हो जाता है, हमें अपमानित होने में भी देर नहीं लगती'
बचपन से ही हमारी माताओं ने हमें सिखाया है कि इंसान की इज़्ज़त अपने ही हाथों में होती है. लेकिन हमें पता नहीं क्या समस्या है कि हमारी इज़्ज़त भी बहुत जल्दी हो जाती है और हमारा अपमान होने में भी देर नहीं लगती है.
मुझे लगता है कि पाकिस्तान से सबसे दूर जो देश है, वह न्यूजीलैंड है. वहाँ एक मस्जिद पर हमला हुआ, वहाँ बहुत उत्पीड़न हुआ और गोरी वज़ीर-ए-आज़म उत्पीड़ितों के साथ खड़ी हुई.
उनका उत्पीड़ितों को सांत्वना देना भी बनता था .
जब वह हमारे उत्पीड़ित मुस्लिम भाइयों और बहनों से मिलने गईं, तो उन्होंने अपने सिर को ढँका हुआ था.
हमारी पूरी कौम की पता नहीं क्या समस्या है, अगर हम किसी गोरी महिला के सिर पर दुपट्टा या चादर देखते हैं तो हमारा ईमान जाग जाता है.
हमने यहाँ हज़ारों मील दूर बैठे ही, टीवी पर गोरी वज़ीर-ए-आजम को चादर लिए हुए देख कर नारेबाजी कर दी.
किसी ने उसे बड़ी बहन बना लिया, किसी ने भूया और कई तो अपने लड़के का रिश्ता तक भेजने को तैयार हो गए थे, बाद में पता चला कि उसके बच्चे भी हैं.
हमने ऐसे ही उसे इस्लाम के दायरे में लाने की कोशिश की.
हाल ही में जब न्यूज़ीलैंड की क्रिकेट टीम ने अचानक दौरा ख़त्म कर दिया तो पाकिस्तान ने इस फ़ैसले की काफ़ी आलोचना की है. इस मुद्दे पर पढ़िए पाकिस्तान से मोहम्मद हनीफ़ का लेख
अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान ने हेरात शहर के चौराहों पर चार लोगों की लाशें लटकाईं
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पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में शहर से मिल रही रिपोर्टों के अनुसार, वहां अलग-अलग चौराहों पर चार लोगों की लाशें लटका दी गई हैं.
बीबीसी की फारसी सेवा की रिपोर्ट के मुताबिक़, तालिबान ने इन चार लोगों को किडनैपिंग के आरोप में गिरफ़्तार किया था.
उन्हें पहले गोली मारी गई और फिर शनिवार शहर के अलग-अलग चौराहों पर लटका दिया गया.
तालिबान के अधिकारियों ने इस घटना पर आधिकारिक रूप से अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है.
तालिबान के राज में सज़ा-ए-मौत के इस तरीके को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है.
तालिबान नेता मुल्लाह नूरुद्दीन तुराबी ने इसी हफ़्ते कहा था कि उनके राज में सार्वजनिक तौर पर न सही पर सज़ा-ए-मौत और शरीर के अंग काटने जैसी सज़ाएं दी जाएंगी.
शरीर के अंग काटने जैसी सज़ाओं के एलान पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका इसकी कड़ी निंदा करती है.
पिछले दो दशकों से अफ़ग़ानिस्तान में सज़ा-ए-मौत सार्वजनिक तौर पर नहीं जा रही थी, हालांकि अफ़ग़ानिस्तान के क़ानून में इसका प्रावधान था और कुछ एक मामलों में इस पर अमल भी किया गया है.
पीएम मोदी के दौरे पर अमेरिकी मीडिया में क्या कहा जा रहा है?
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अमेरिका दौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मुलाक़ात की है.
इस दौरे में जो सबसे अहम चीज़ थी, वो क्वॉड की व्हाइट हाउस में प्रस्तावित बैठक जो कि शुक्रवार को हुई.
इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने साथ मिलकर बैठक की. अमेरिका में पीएम मोदी की मौजूदगी को क्या अमेरिकी मीडिया ने तवज्जो दी है?
अमेरिकी मीडिया में मोदी के दौरे को लेकर बहुत दिलचस्पी नहीं दिखी लेकिन क्वॉड की बैठक की चर्चा ज़रूर हुई है.
इस बैठक में कोरोना वायरस महामारी के अलावा, तकनीक साझा करने और भारत-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा हुई.
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने लिखा है कि भारत से संबंध रखने वालीं उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने नरेंद्र मोदी से मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई है. अख़बार का कहना है कि यह ट्रंप प्रशासन से बिल्कुल अलग रुख़ है.
इस विवाद ने अब तूल पकड़ना शुरू कर दिया है और उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से लेकर मध्य प्रदेश के मुरैना तक इसे लेकर एक असहज माहौल पैदा हो रहा है.
गौतम बुद्ध नगर के दादरी में 22 सितम्बर को बालिका इंटर कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ही विवाद शुरू तब हुआ जब शिलापट्ट पर पर लिखे 'गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज' पर 'गुर्जर' शब्द पर किसी ने कालिख पोत दी.
घटना को लेकर राजपूतों और गुर्जरों के बीच तनाव पैदा हो गया.
क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले संगठन 'करनी सेना' ने शिलापट्ट पर 'गुर्जर' शब्द लिखने का विरोध करते हुए दावा किया कि सम्राट मिहिर भोज 'क्षत्रिय' थे, इसलिए उन्हें सिर्फ 'गुर्जर' जाति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
सम्राट मिहिर भोज गुर्जर थे या राजपूत? इस विवाद ने अब तूल पकड़ना शुरू कर दिया है और उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से लेकर मध्य प्रदेश के मुरैना तक इसे लेकर एक असहज माहौल पैदा हो रहा है.
बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तूफ़ान को लेकर मौसम विभाग के अनुमान को ध्यान में रखते हुए तटवर्ती राज्य ओडिशा ने सात ज़िलों को हाई अलर्ट पर रखा है.
मौसम विभाग का अनुमान है कि ये चक्रवातीय तूफ़ान ओडिशा के दक्षिणी इलाकों से होकर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने स्पेशल रिलीफ़ कमिश्नर पीके जेना के हवाले से बताया है कि सरकार ने ख़तरे वाले इलाकों में बचाव टीमों को भेज दिया है. साथ ही निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजने के लिए भी प्रशासन को निर्देश दिया गया है.
ओडिशा के सात ज़िलों गजपति, गंजम, रायगढ़, कोरापुट, मलकानगिरि, नबरंगपुर और कंधमाल में ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स की 42 टीमों, नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के 24 स्क्वैड्स के अलावा अग्निशमन विभाग के लोगों को भी भेजा गया है.
एनडीआरएफ़ ने एक बयान जारी कर बताया है कि दक्षिणी ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश में साइक्लोन एलर्ट को देखते हुए 13 टीमें ओडिशा और 5 टीमों को आंध्र प्रदेश में तैनात किया गया है.
पीके जेना ने बताया कि गंजम के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है. वहां 15 बचाव टीमें तैनात की गई हैं.
कमला भसीन: वो महिला जिन्होंने अपने गीतों से भारतीय महिलाओं को सशक्त बनाने के आंदोलन को ऊंचाई दी
दक्षिण एशिया में अपने नारों, गीतों और अकाट्य तर्कों से नारीवादी आंदोलन को बुलंदियों पर ले जाने वालीं मशहूर लेखिका और नारीवादी आंदोलनकारी कमला भसीन का शनिवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया है.
सारी उम्र अपनी शर्तों और मानकों पर ज़िंदगी जीने वाली 76 वर्षीय कमला भसीन जीवन के आख़िरी समय में कैंसर से जूझ रही थीं.
कमला भसीन को बेहद क़रीब से जानने वालीं नारीवादी कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव बताती हैं कि वह अपने अंतिम दिनों में भी अपने गानों, दोहों और कविताओं से लोगों में जीवन की ऊर्जा का संचार करती रहीं.
वह कहती हैं, "जून महीने में ही उन्हें लिवर कैंसर डिटेक्ट हुआ था. और बस तीन महीनों में वो हमें छोड़कर चली गयीं. क्या कहा जा सकता है... ये एम्परर ऑफ़ ऑल मेलेडीज़ (सबसे बड़ी बीमारी) है."
कमला भसीन ने दक्षिण एशिया के नारीवादी आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में एक अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने अपने गीतों, सरल भाषा और सहज़ स्वभाव से अपने विचारों को आम जनमानस तक पहुंचाया.
बीते शुक्रवार की शाम को जब दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में परामर्श संपादक पूर्व क्रिकेटर वेंकट सुंदरम और लेखक सचिन बजाज की संपादित पुस्तक ''बिशन सिंह बेदी, द सरदार ऑफ़ स्पिन'' का जिस अंदाज़ में विमोचन हुआ, तो मिर्ज़ा ग़ालिब के ये शेर ज़ेहन में अचानक तैर गए.
25 सितंबर 1946 को पंजाब के अमृतसर शहर में जन्मे भारत के पूर्व कप्तान, कोच, चयनकर्ता और हवा में लहराती और दिशा बदलती अपनी चतुराई भरी फ़्लाइटेड गेंदों के दम पर 67 टेस्ट मैच में 266 विकेट अपने नाम करने वाले बिशन सिंह बेदी ने अपने जीवन के 75 बसंत पूरे किए हैं.
ज़ाहिर है चर्चा तो उनकी गेंदबाज़ी की होनी चाहिए थी लेकिन बीती शाम तो उनकी मयकशी और आशिक़ मिज़ाजी के क़िस्सों में बीती. बीच-बीच में उनके खेल की बातें भी होती रहीं.
कभी अपनी गेंदों की विविधता के दम पर दुनिया भर के दिग्गज और सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों के क़दमों की लय बिगाड़ने वाले बिशन सिंह बेदी अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण जब व्हीलचेयर पर बैठकर अपने परिवार के सदस्यों, पूर्व खिलाड़ियों, दोस्तों, पड़ोसियों, संबंधियों, खेल पत्रकारों और अन्य लोगों के साथ खचाखच भरे हॉल में पहुँचें तो तालियों की गड़गड़ाहट से समां गूंज उठा.
हॉल में बिशन सिंह बेदी की पत्नी, सुपुत्री नेहा, पुत्र अंगद बेदी, पूर्व क्रिकेटर मदन लाल, अंशुमान गायकवाड़, कीर्ति आज़ाद, गुरशरण सिंह, वेंकटसुंदरम, विनय लाम्बा और वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार-लेखक राजदीप सरदेसाई जैसी हस्तियाँ भी मौजूद थीं.
हवा में लहराती और दिशा बदलती अपनी चतुराई भरी फ़्लाइटेड गेंदों के दम पर 266 टेस्ट विकेट हासिल करने वाले पूर्व कप्तान, कोच, चयनकर्ता बिशन सिंह बेदी 75 साल के हो गए हैं.
लाइव रिपोर्टिंग
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जम्मू और कश्मीर में अगले साल हो सकते हैं विधानसभा चुनाव: भाजपा नेता
जम्मू और कश्मीर में भाजपा की प्रांतीय इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने शनिवार को कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.
हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि विधानसभा चुनाव परिसीमन का काम पूरा होने के बाद ही कराए जाएंगे.
रवींद्र रैना ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "आतंकवाद के समर्थक इस केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के दुश्मन हैं और उनके साथ क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई की जाएगी और क़ानून सब के लिए बराबर है, चाहे वो सरकारी कर्मचारी हो, राजनेता हो या कोई आम व्यक्ति."
भारतीय जनसंघ के नेता और संघ के विचारक रहे पंडित दीन दयाल उपाध्याय की स्मृति में आयोजित के कार्यक्रम के दौरान रवींद्र रैना ने बताया कि परिसीमन पर काम चल रहा है और इसके इस साल के आख़िर तक पूरा हो जाने की संभावना है.
'मेरे बेटे को पहले पेट में गोली मारी फिर उसके सीने पर कूद-कूद कर मारा': असम के दरंग ज़िले से ग्राउंड रिपोर्ट
असम के दरंग जिले के 3 नंबर धौलपुर गांव में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी सुता के किनारे एक अस्थायी ठिकाने से रुक-रुक कर छोटे बच्चों और महिलाओं के रोने की आवाज़ आ रही थी.
कुछ दिनों पहले इस गांव के लोगों की जिंदगी सामान्य थी, लेकिन 23 सितंबर को असम सरकार के आदेश पर 'अवैध अतिक्रमण' के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई और ग्रामीणों के साथ हिंसक झड़प ने पूरे गांव को उजाड़ कर रख दिया.
दरंग जिला प्रशासन के मुताबिक़, गुरुवार को हुई एक हिंसक झड़प में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि नौ पुलिसकर्मी और सात ग्रामीण घायल हो गए. घायल सभी ग्रामीणों का इलाज गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में किया जा रहा है.
हालांकि 3 नंबर धौलपुर गांव में प्रवेश करने पर हिंसक झड़प से होने वाला नुकसान प्रशासन के दावों से कहीं ज्यादा दिखाई पड़ता है.
सिपाझार शहर से करीब 14 किलोमीटर अंदर की ओर आने पर 'नो नदी' का खार घाट मिलता है. इस घाट से नदी पार करने के लिए देशी नाव ही एकमात्र सहारा है.
ये ग्राउंड रिपोर्ट विस्तार से पढ़ें.
एंगेला मर्केल: 16 साल तक सत्ता में रहने वाली नेता को जर्मनी के लोग कैसे याद करेंगे?
जर्मनी में रविवार को आम चुनाव के लिए मतदान होने जा रहा है.
इसके साथ ही जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल का अंतिम कार्यकाल ख़त्म हो जाएगा.
16 सालों तक जर्मनी की सत्ता में रहने के बाद एंगेला मर्केल अपना पद छोड़ देंगी.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतिहास मर्केल को किस रूप में याद रखेगा?
एंगेला मर्केल की नेतृत्व शैली और उनके ट्रैक रिकॉर्ड के आकलन के लिए बीबीसी ने चार विशेषज्ञों से बात की. पेश है इन चारों विशेषज्ञों से हुई बातचीत पर आधारित ये रिपोर्ट पढ़ें.
अब तस्वीरों में खूब दिखने वाले तालिबान के नेताओं को पहले इससे क्यों था परहेज
बात 1996 की है, जब जॉन सिम्पसन बीबीसी की रिपोर्टिंग के लिए अपने एक सहयोगी के साथ अफ़ग़ानिस्तान में जलालाबाद जा रहे थे. वो क़ंधार से गुज़र रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि आज वहां बहुत बड़ा जमावड़ा है. उन्होंने शहर के बीच हज़ारों की भीड़ देखी. भीड़ के बीच में शायद ट्रक या स्टेज पर एक इंसान खड़ा था.
वो तालिबान के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर थे. उनके हाथ में कथित तौर पर इस्लाम के पैगंबर का चोग़ा (एक तरह का वस्त्र) था. और वहां मौजूद लोग पूरे जोश में नारे लगा रहे थे. उन्होंने अपने सिर पर बंधी पगड़ियां मुल्ला उमर की ओर उछालना शुरू की, ताकि उनकी पगड़ियां उस चोग़े को छू ले.
उसी दिन मुल्ला उमर को वहां मौजूद लोगों ने 'अमीर अल-मोमिनीन' यानी मुसलमानों के सरदार की उपाधि दी थी.
जॉन सिम्पसन पहले छुपकर वीडियो बना रहे थे. लेकिन जब उन्होंने देखा कि हर किसी की नज़र केवल चोगे की ओर है, तो उन्होंने अपने कैमरामैन से कैमरा निकाल कर रिकॉर्डिंग करने को कहा. भीड़ में से किसी ने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया. और इस तरह मुल्ला उमर का पहला और इकलौता वीडियो सामने आया.
पढ़ें पूरी स्टोरी.
चीन-कनाडा के बीच क़ैदियों की अदला-बदली, ख़्वावे की सीएफ़ओ हुईं रिहा
दुनिया की दिग्गज कम्युनिकेशन कंपनी ख्वावे टेक्नॉलाजीज की मुख्य वित्त अधिकारी मेंग वानझोउ कनाडा की हिरासत से रिहा होने के बाद घर वापस लौट आई हैं.
कनाडा और अमेरिका के साथ चीन की हुई एक संधि के तहत ऐसा संभव हो पाया है. इस संधि के तहत चीन ने भी कनाडा के दो हाईप्रोफ़ाइल कैदियों को छोड़ा है. मेंग वानझोउ ख्वावे कंपनी के संस्थापक की बेटी भी हैं.
मेंग वानझोउ ने इसके लिए अमेरिका के संघीय अभियोजकों (प्रॉसिक्यूटर) के साथ एक सुलह की है.
इसके तहत उनके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों को अगले साल ख़त्म कर दिया जाएगा. इस समझौते के तहत उन्होंने ईरान में कंपनी के व्यापारिक सौदों को गलत तरीके से पेश करने की जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है.
समझौता होने वाले दिन ही चीन ने कनाडा के नागरिकों को जेल से रिहा करके उन्हें उनके पास भेज दिया.
चीन की मीडिया में छाई है लौटने की ख़बर
देर से ही सही लेकिन मेंग के लौटने की ख़बर चीन के इंटरनेट और वहां की सरकारी टीवी 'सीसीटीवी' की दोपहर की ख़बरों में अहम थी. चैनल ने अपनी ख़बर में बताया कि मेंग की वापसी चीन की सरकार के सतत प्रयासों के चलते हो रही है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मेंग के कनाडा छोड़ने की ख़बर को सोशल मीडिया पर लिखा. इसमें लिखा था, "घर में आपका स्वागत है."
मालूम हो कि अमेरिका के प्रत्यर्पण अनुरोध पर कनाडा ने मेंग को गिरफ्तार किया था. इसके बाद, चीन ने कनाडा के पूर्व राजनयिक माइकल कोवरिग और उद्यमी माइकल स्पावर को दिसंबर 2018 में अपनी गिरफ्त में ले लिया था.
उसके बाद, चीन ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने का आरोप लगाया. कोवरिग को 11 साल की जेल की सजा सुनाई गई. हालांकि उनकी गिरफ्तारी को लगभग सभी ने मेंग मामले में लाभ उठाने का प्रयास माना.
IPL 2021- राजस्थान पर जीत के साथ दिल्ली फिर टॉप पर
आईपीएल-2021 में शनिवार को दिल्ली कैपिटल ने राजस्थान रॉयल्स को 33 रनों के बड़े अंतर से हराते हुए टूर्नामेंट के प्ले ऑफ़ राउंड में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली. इसके साथ ही पॉइंट टेबल में भी वो एक बार फिर टॉप पर पहुंच गई है.
शुक्रवार को बेंगलुरु पर 6 विकेट से जीत हासिल कर (14 अंकों के साथ) चेन्नई सुपरकिंग्स पॉइंट टेबल के टॉप पर पहुंची थी लेकिन राजस्थान पर जीत के साथ ही दिल्ली के 16 अंक हो गए और वह फिर से शीर्ष पर काबिज हो गई.
दिल्ली ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 154 रन बनाए. इसके जवाब में राजस्थान की टीम 20 ओवरों में 6 विकेट पर 121 रन बना सकी और मैच 33 रनों से हार गई.
राजस्थान के संजू सैमसन ने कप्तानी पारी खेलते हुए सर्वाधिक 70 रन बनाए लेकिन अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके.
दिल्ली की ओर से एनरिक नोर्तजे ने सबसे अधिक दो विकेट लिए. आवेश खान, अश्विन, रबाडा और अक्षर पटेल को 1-1 विकेट मिले.
वहीं दिल्ली के पारी में श्रेयस अय्यर ने सबसे अधिक 43 रन बनाए. राजस्थान के गेंदबाज़ों में मुस्तफिज़ुर रहमान और चेतन सकारिया ने 2-2 जबकि कार्तिक त्यागी और राहुल तेवतिया ने 1-1 विकेट लिए.
आईआईटी-एमआईटी की डिग्री पर टीचर की नौकरी, चार साल बाद बेरोज़गारी का मंडराता ख़तरा
1500 से ज़्यादा सरकारी शिक्षक 30 सितंबर को बेरोज़गार हो जाएंगे. मोदी सरकार ने साल 2017 में तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए IIT और NIT जैसे संस्थानों से पास शिक्षकों की भर्ती की थी.
ये भर्ती TEQIP प्रोजेक्ट के तहत हुई, जो तीन साल के लिए था, इसके बाद राज्यों के साथ इन्हें बनाए रखने का समझौता हुआ था.
लेकिन अब ये ख़त्म हो रहा है और संबंधित राज्यों ने समझौते पर अमल नहीं किया है. अब तक कई शिक्षकों को बता दिया गया है कि 30 सितंबर को उनकी सेवाएं समाप्त हो रही हैं.
यूपीएससी टॉपर शुभम ने बताया कोरोना में कैसे की तैयारी?
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे घोषित हो गए और इस बार बिहार के रहने वाले शुभम कुमार ने इस परीक्षा में टॉप किया.
शुभम आईआईटी बॉम्बे से सिविल इंजीनियरिंग कर चुके हैं और सिविल सेवा परीक्षा में यह उनका तीसरा प्रयास था.
शुभम फिलहाल पुणे में इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विसेज की ट्रेनिंग कर रहे हैं. पुणे में उनके साथ बीबीसी ने ख़ास बातचीत की.
हिमाचल के ख़ूबसूरत पहाड़ों के ख़ौफ़नाक बनने की कहानी
किन्नौर... तिब्बत के साथ भारत की सीमा पर हिमाचल प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग में एक ऐसी जगह जिसे "परिकथाओं की भूमि" भी कहा जाता है. बर्फ से ढके पहाड़, गहरी घाटियां, गरजती सतलुज नदी और सेब के बाग़ किन्नौर की पहचान हैं.
लेकिन हर साल मॉनसून आते ही लैंड-स्लाइड्स या भूस्खलन की घटनाएं इस जगह को बेहद खतरनाक बना देती हैं. इसी साल, दो बड़े लैंड-स्लाइड्स में 37 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. कुछ दिनों बाद कई और लैंड-स्लाइड्स भी हुए.
इन हादसों ने इस इलाके को झकझोड़ कर रख दिया है. हिमाचल प्रदेश को उत्तर भारत का हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी पावरहाउस माना गया है. उत्तर भारत में बनने वाली कुल पनबिजली का करीब 50 प्रतिशत इस छोटे से पहाड़ी राज्य में ही बनता है.
दिलचस्प बात यह है कि हिमाचल प्रदेश में बनने वाली करीब 10000 मेगावाट हाइड्रो-पावर का 30 प्रतिशत किन्नौर में बनता है. किन्नौर के लोग "बम्पर टू बम्पर" या बहुत कम दूरी पर एक के बाद एक पनबिजली संयंत्र बनाए जाने को इस इलाके में आ रही प्राकृतिक आपदाओं की एक बड़ी वजह मानते हैं.
पिछले कुछ सालों से यहां के स्थानीय लोग इस क्षेत्र में हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट्स और तेज़ी से की जा रहीं सड़क विस्तार परियोजनाओं के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन हालिया हादसों ने इन आवाज़ों को मानो एक आंदोलन की शक्ल दे दी है.
पर्यावरणविदों ने भी इस इलाके की नाज़ुक टोपोग्राफी पर हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट्स और अन्य निर्माण गतिविधियों के असर के बारे में चिंता जतानी शुरू कर दी है.
इस बात में कोई शक नहीं की भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ज़रुरत है और हाइड्रो-पावर उस स्वच्छ ऊर्जा का एक अच्छा ज़रिया है. तो फिर क्यों इन प्रोजेक्ट्स का विरोध हो रहा है? यही जानने के लिए बीबीसी संवाददाता राघवेंद्र राव और विडियो जर्नलिस्ट शुभम कौल किन्नौर के सुदूर इलाकों में गए.
बीबीसी इंडिया बोल, 25 सितंबर 2021
नरेंद्र मोदी और जो बाइडन की मुलाक़ात से क्या हासिल होगा?
बीबीसी इंडिया बोल, 25 सितंबर 2021, Narendra Modi और Joe Biden की मुलाक़ात से क्या हासिल होगा?
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच शुक्रवार को द्विपक्षीय मुलाक़ात हुई. इस मुलाकात का हासिल क्या होगा? बीबीसी इंडिया बोल में आज इसी विषय पर होगी चर्चा मोहनलाल शर्मा के साथ.
संयुक्त राष्ट्र में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दुनिया के सामने आतंकवाद का ख़तरा मंडरा रहा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधन के दौरान कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आंतकवाद के लिए न हो.
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, "गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व, 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है. ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं और परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं."
"मैं उस देश का प्रधिनिधित्व कर रहा हूं, जिसे मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी का गौरव हासिल है. लोकतंत्र की हज़ारों सालों की महान परंपरा रही है. इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आज़ादी के 75वें साल में प्रवेश किया है. हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है. हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है. एक देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन-सहन, खानपान है. ये वाइब्रैंट डेमोक्रेसी का बेहतरीन उदाहरण है."
"सबसे लंबे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री और फिर पिछले सात साल से भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे सरकार के मुखिया की भूमिका में देशवासियों की सेवा करते हुए 20 साल होने जा रहे हैं. और मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं- हां, लोकतंत्र दे सकता है और लोकतंत्र ने दिया है."
यूएन में बोले मोदी, अफ़ग़ानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो देश आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक उपकरण के तौर पर कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा ख़तरा है.
और पढ़ेंसंयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: भारत बढ़ेगा तो दुनिया बढ़ेगी...
विदेश न जाने देने से पता चलता है कि मोदी कितने ईर्ष्यालु हैं: ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने शनिवार को कोलकाता में केंद्र सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है.
एक कार्यक्रम के सिलसिले में इटली के रोम जाने के उनके प्रस्ताव को केंद्र की अनुमति न मिल पाने के चलते उन्होंने सरकार की कड़ी आलोचना की है. ममता बनर्जी ने इस बारे में केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ''आप मुझे रोक नहीं पाएंगे. मैं विदेश जाने के लिए लालायित नहीं रहती, लेकिन मेरा ये दौरा देश के सम्मान के लिए था.''
प्रधानमंत्री ईर्ष्यालु हैं
पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि नरेंद्र मोदी हिंदुओं की बातें करते रहते हैं और मैं भी एक हिंदू महिला हूं. उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल पूछने के अंदाज में कहा कि आपने मुझे विदेश जाने की अनुमति क्यों नहीं दी?
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा कि विदेश जाने की अनुमति न देना जाहिर करता है कि 'वो पूरी तरह ईर्ष्यालु हैं'.
'तालिबानी बीजेपी को हराना है'
ममता बनजी ने कहा है कि हमें अपनी आज़ादी को बचाना है. इस देश को 'तालिबानी' भाजपा नहीं चला सकती.
भबानीपुर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना प्रचार करने के दौरान उन्होंने ये बातें कही हैं.
इस दौरान उन्होंने दावा किया कि अकेले टीएमसी भाजपा को हराने में सक्षम है. बनर्जी ने कहा कि 'खेला' भबानीपुर से शुरू होगा और ये तभी ख़त्म होगा, जब हम पूरे देश में जीत हासिल कर लेंगे.
विश्व शांति की चर्चा में जाना था
ममता बनर्जी ने रोम के प्रस्तावित दौरे के मकसद को साफ करते हुए कहा कि रोम में विश्व शांति के मुद्दे पर आयोजित होने वाली एक सभा के लिए मुझे बुलाया गया था. उस कार्यक्रम में जर्मनी की चांसलर के साथ पोप (फ्रांसिस) को भी भाग लेना है.
उन्होंने ये भी बताया कि इटली ने इसमें भाग लेने की विशेष अनुमति उन्हें दी थी. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने यात्रा को मंजूरी देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी मुख्यमंत्री का वहां जाना वाजिब नहीं है.
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं. वो वहां क्वाड की बैठक और अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडन से मुलाक़ात करने के साथ यूनाइटेड नेशन को भी संबोधित करेंगे. पहले भी नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरे को लेकर कई आलोचक उन पर हमले करते रहे हैं.
पाकिस्तान क्रिकेट पर ब्लॉग- 'हमारा सम्मान भी बहुत जल्दी हो जाता है, हमें अपमानित होने में भी देर नहीं लगती'
बचपन से ही हमारी माताओं ने हमें सिखाया है कि इंसान की इज़्ज़त अपने ही हाथों में होती है. लेकिन हमें पता नहीं क्या समस्या है कि हमारी इज़्ज़त भी बहुत जल्दी हो जाती है और हमारा अपमान होने में भी देर नहीं लगती है.
मुझे लगता है कि पाकिस्तान से सबसे दूर जो देश है, वह न्यूजीलैंड है. वहाँ एक मस्जिद पर हमला हुआ, वहाँ बहुत उत्पीड़न हुआ और गोरी वज़ीर-ए-आज़म उत्पीड़ितों के साथ खड़ी हुई. उनका उत्पीड़ितों को सांत्वना देना भी बनता था .
जब वह हमारे उत्पीड़ित मुस्लिम भाइयों और बहनों से मिलने गईं, तो उन्होंने अपने सिर को ढँका हुआ था. हमारी पूरी कौम की पता नहीं क्या समस्या है, अगर हम किसी गोरी महिला के सिर पर दुपट्टा या चादर देखते हैं तो हमारा ईमान जाग जाता है.
हमने यहाँ हज़ारों मील दूर बैठे ही, टीवी पर गोरी वज़ीर-ए-आजम को चादर लिए हुए देख कर नारेबाजी कर दी. किसी ने उसे बड़ी बहन बना लिया, किसी ने भूया और कई तो अपने लड़के का रिश्ता तक भेजने को तैयार हो गए थे, बाद में पता चला कि उसके बच्चे भी हैं. हमने ऐसे ही उसे इस्लाम के दायरे में लाने की कोशिश की.
पाकिस्तान क्रिकेट पर ब्लॉग- 'हमारा सम्मान भी बहुत जल्दी हो जाता है, हमें अपमानित होने में भी देर नहीं लगती'
हाल ही में जब न्यूज़ीलैंड की क्रिकेट टीम ने अचानक दौरा ख़त्म कर दिया तो पाकिस्तान ने इस फ़ैसले की काफ़ी आलोचना की है. इस मुद्दे पर पढ़िए पाकिस्तान से मोहम्मद हनीफ़ का लेख
और पढ़ेंअफ़ग़ानिस्तान: तालिबान ने हेरात शहर के चौराहों पर चार लोगों की लाशें लटकाईं
पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में शहर से मिल रही रिपोर्टों के अनुसार, वहां अलग-अलग चौराहों पर चार लोगों की लाशें लटका दी गई हैं.
बीबीसी की फारसी सेवा की रिपोर्ट के मुताबिक़, तालिबान ने इन चार लोगों को किडनैपिंग के आरोप में गिरफ़्तार किया था.
उन्हें पहले गोली मारी गई और फिर शनिवार शहर के अलग-अलग चौराहों पर लटका दिया गया. तालिबान के अधिकारियों ने इस घटना पर आधिकारिक रूप से अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है.
तालिबान के राज में सज़ा-ए-मौत के इस तरीके को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. तालिबान नेता मुल्लाह नूरुद्दीन तुराबी ने इसी हफ़्ते कहा था कि उनके राज में सार्वजनिक तौर पर न सही पर सज़ा-ए-मौत और शरीर के अंग काटने जैसी सज़ाएं दी जाएंगी.
शरीर के अंग काटने जैसी सज़ाओं के एलान पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका इसकी कड़ी निंदा करती है.
पिछले दो दशकों से अफ़ग़ानिस्तान में सज़ा-ए-मौत सार्वजनिक तौर पर नहीं जा रही थी, हालांकि अफ़ग़ानिस्तान के क़ानून में इसका प्रावधान था और कुछ एक मामलों में इस पर अमल भी किया गया है.
पीएम मोदी के दौरे पर अमेरिकी मीडिया में क्या कहा जा रहा है?
अमेरिका दौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मुलाक़ात की है.
इस दौरे में जो सबसे अहम चीज़ थी, वो क्वॉड की व्हाइट हाउस में प्रस्तावित बैठक जो कि शुक्रवार को हुई.
इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने साथ मिलकर बैठक की. अमेरिका में पीएम मोदी की मौजूदगी को क्या अमेरिकी मीडिया ने तवज्जो दी है?
अमेरिकी मीडिया में मोदी के दौरे को लेकर बहुत दिलचस्पी नहीं दिखी लेकिन क्वॉड की बैठक की चर्चा ज़रूर हुई है.
इस बैठक में कोरोना वायरस महामारी के अलावा, तकनीक साझा करने और भारत-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा हुई.
पीएम मोदी के दौरे पर अमेरिकी मीडिया में क्या कहा जा रहा है?
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने लिखा है कि भारत से संबंध रखने वालीं उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने नरेंद्र मोदी से मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताई है. अख़बार का कहना है कि यह ट्रंप प्रशासन से बिल्कुल अलग रुख़ है.
और पढ़ेंसम्राट मिहिर भोज पर विवाद की आंच ग्रेटर नोएडा से मध्य प्रदेश के मुरैना तक- ग्राउंड रिपोर्ट
सम्राट मिहिर भोज गुर्जर थे या राजपूत?
इस विवाद ने अब तूल पकड़ना शुरू कर दिया है और उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से लेकर मध्य प्रदेश के मुरैना तक इसे लेकर एक असहज माहौल पैदा हो रहा है.
गौतम बुद्ध नगर के दादरी में 22 सितम्बर को बालिका इंटर कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ही विवाद शुरू तब हुआ जब शिलापट्ट पर पर लिखे 'गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज' पर 'गुर्जर' शब्द पर किसी ने कालिख पोत दी.
घटना को लेकर राजपूतों और गुर्जरों के बीच तनाव पैदा हो गया.
क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले संगठन 'करनी सेना' ने शिलापट्ट पर 'गुर्जर' शब्द लिखने का विरोध करते हुए दावा किया कि सम्राट मिहिर भोज 'क्षत्रिय' थे, इसलिए उन्हें सिर्फ 'गुर्जर' जाति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
सम्राट मिहिर भोज पर विवाद की आंच ग्रेटर नोएडा से मध्य प्रदेश के मुरैना तक- ग्राउंड रिपोर्ट
सम्राट मिहिर भोज गुर्जर थे या राजपूत? इस विवाद ने अब तूल पकड़ना शुरू कर दिया है और उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से लेकर मध्य प्रदेश के मुरैना तक इसे लेकर एक असहज माहौल पैदा हो रहा है.
और पढ़ेंओडिशा और आंध्र प्रदेश में साइक्लोन अलर्ट, एनडीआरएफ़ की 18 टीमें तैनात
बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तूफ़ान को लेकर मौसम विभाग के अनुमान को ध्यान में रखते हुए तटवर्ती राज्य ओडिशा ने सात ज़िलों को हाई अलर्ट पर रखा है.
मौसम विभाग का अनुमान है कि ये चक्रवातीय तूफ़ान ओडिशा के दक्षिणी इलाकों से होकर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने स्पेशल रिलीफ़ कमिश्नर पीके जेना के हवाले से बताया है कि सरकार ने ख़तरे वाले इलाकों में बचाव टीमों को भेज दिया है. साथ ही निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजने के लिए भी प्रशासन को निर्देश दिया गया है.
ओडिशा के सात ज़िलों गजपति, गंजम, रायगढ़, कोरापुट, मलकानगिरि, नबरंगपुर और कंधमाल में ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स की 42 टीमों, नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के 24 स्क्वैड्स के अलावा अग्निशमन विभाग के लोगों को भी भेजा गया है.
एनडीआरएफ़ ने एक बयान जारी कर बताया है कि दक्षिणी ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश में साइक्लोन एलर्ट को देखते हुए 13 टीमें ओडिशा और 5 टीमों को आंध्र प्रदेश में तैनात किया गया है.
पीके जेना ने बताया कि गंजम के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है. वहां 15 बचाव टीमें तैनात की गई हैं.
कमला भसीन: वो महिला जिन्होंने अपने गीतों से भारतीय महिलाओं को सशक्त बनाने के आंदोलन को ऊंचाई दी
दक्षिण एशिया में अपने नारों, गीतों और अकाट्य तर्कों से नारीवादी आंदोलन को बुलंदियों पर ले जाने वालीं मशहूर लेखिका और नारीवादी आंदोलनकारी कमला भसीन का शनिवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया है.
सारी उम्र अपनी शर्तों और मानकों पर ज़िंदगी जीने वाली 76 वर्षीय कमला भसीन जीवन के आख़िरी समय में कैंसर से जूझ रही थीं.
कमला भसीन को बेहद क़रीब से जानने वालीं नारीवादी कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव बताती हैं कि वह अपने अंतिम दिनों में भी अपने गानों, दोहों और कविताओं से लोगों में जीवन की ऊर्जा का संचार करती रहीं.
वह कहती हैं, "जून महीने में ही उन्हें लिवर कैंसर डिटेक्ट हुआ था. और बस तीन महीनों में वो हमें छोड़कर चली गयीं. क्या कहा जा सकता है... ये एम्परर ऑफ़ ऑल मेलेडीज़ (सबसे बड़ी बीमारी) है."
कमला भसीन: वो महिला जिन्होंने अपने गीतों से भारतीय महिलाओं को सशक्त बनाने के आंदोलन को ऊंचाई दी
कमला भसीन ने दक्षिण एशिया के नारीवादी आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में एक अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने अपने गीतों, सरल भाषा और सहज़ स्वभाव से अपने विचारों को आम जनमानस तक पहुंचाया.
और पढ़ेंबिशन सिंह बेदी 'द सरदार ऑफ़ स्पिन'
बीते शुक्रवार की शाम को जब दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में परामर्श संपादक पूर्व क्रिकेटर वेंकट सुंदरम और लेखक सचिन बजाज की संपादित पुस्तक ''बिशन सिंह बेदी, द सरदार ऑफ़ स्पिन'' का जिस अंदाज़ में विमोचन हुआ, तो मिर्ज़ा ग़ालिब के ये शेर ज़ेहन में अचानक तैर गए.
25 सितंबर 1946 को पंजाब के अमृतसर शहर में जन्मे भारत के पूर्व कप्तान, कोच, चयनकर्ता और हवा में लहराती और दिशा बदलती अपनी चतुराई भरी फ़्लाइटेड गेंदों के दम पर 67 टेस्ट मैच में 266 विकेट अपने नाम करने वाले बिशन सिंह बेदी ने अपने जीवन के 75 बसंत पूरे किए हैं.
ज़ाहिर है चर्चा तो उनकी गेंदबाज़ी की होनी चाहिए थी लेकिन बीती शाम तो उनकी मयकशी और आशिक़ मिज़ाजी के क़िस्सों में बीती. बीच-बीच में उनके खेल की बातें भी होती रहीं.
कभी अपनी गेंदों की विविधता के दम पर दुनिया भर के दिग्गज और सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों के क़दमों की लय बिगाड़ने वाले बिशन सिंह बेदी अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण जब व्हीलचेयर पर बैठकर अपने परिवार के सदस्यों, पूर्व खिलाड़ियों, दोस्तों, पड़ोसियों, संबंधियों, खेल पत्रकारों और अन्य लोगों के साथ खचाखच भरे हॉल में पहुँचें तो तालियों की गड़गड़ाहट से समां गूंज उठा.
हॉल में बिशन सिंह बेदी की पत्नी, सुपुत्री नेहा, पुत्र अंगद बेदी, पूर्व क्रिकेटर मदन लाल, अंशुमान गायकवाड़, कीर्ति आज़ाद, गुरशरण सिंह, वेंकटसुंदरम, विनय लाम्बा और वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार-लेखक राजदीप सरदेसाई जैसी हस्तियाँ भी मौजूद थीं.
बिशन सिंह बेदी 'द सरदार ऑफ़ स्पिन'
हवा में लहराती और दिशा बदलती अपनी चतुराई भरी फ़्लाइटेड गेंदों के दम पर 266 टेस्ट विकेट हासिल करने वाले पूर्व कप्तान, कोच, चयनकर्ता बिशन सिंह बेदी 75 साल के हो गए हैं.
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