दिल्ली में पहले भी अति सुरक्षित अदालतों में जजों के सामने ही गोलियां चलने की घटनाएं हो चुकी हैं और गैंगस्टर भी ढेर हुए हैं। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने से आए दिन छोटी-बड़ी घटनाएं होती रहती हैं। रोहिणी में भी मेटल डिटेक्टर काम नहीं कर रहा और इसी प्रकार साकेत कोर्ट में भी सुरक्षा राम भरोसे ही है। यहां न तो मेटल डिटेक्टर ठीक से काम करता है और न ही प्रवेश के समय वकीलों या अन्य किसी की कोई जांच की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की जांच होती है और हाई कोर्ट में बिना पहचान पत्र दिखाए वकील कोर्ट परिसर में नहीं जा सकते लेकिन निचली अदालतों में सुरक्षा का ऐसा इंतजाम नहीं दिखता है। साल 2015 में कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में शातिर बदमाश इरफान उर्फ छेनू पहलवान पर इसी तरह से चार बदमाशों ने जानलेवा हमला किया गया था। इसमें अमरोहा में हुई तिहरे हत्याकांड का बदला लेना मुख्य कारण माना जा रहा था। फरवरी 2014 में छेनू पहलवान के गैंग ने दिल्ली के तीन युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

अमरोहा जिले में छेनू पहलवान समेत पांच बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस हमले में एक सिपाही की भी मौत हो गई थी। दो साल पहले मई में करीब 12 बजे सभी कैदियों को तीस हजारी कोर्ट ले जाया गया। बदमाश दिनेश को कोर्ट नंबर 17 में पेश करने के बाद पुलिस ने उसे लॉकअप गेट नंबर दो के पास खड़ी वैन में बैठा दिया। वह अकेला बैठा था तभी दोपहर 1.05 बजे 17 साल का किशोर वहां पहुंचा और वैन में लगी जाली से दिनेश पर गोली चला दी। गोली उसके कंधे में लगी। आरोपित कट्टा फेंक कर भागने लगा, लेकिन वहां से गुजर रहे स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर पीसी यादव व एसआइ भारत ने उसे दबोच लिया।

पूछताछ में नाबालिग ने बताया कि वह रोहतक के सांपला का रहने वाला है और जितेंद्र के विरोधी गिरोह सुनील ढिल्लो के लिए काम करता है।
हालांकि शुक्रवार को हुई रोहिणी कोर्ट गोलीबारी के बाद दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने कहा है कि दोनों बदमाशों ने रोहिणी कोर्ट में गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ गोगी गोली पर चलाई। सुरक्षा में हुई चूक के बाबत उन्होंने जांच समिति बैठाने और रिपोर्ट आने के बाद पुलिस वालों पर कार्रवाई की बात कही है।