उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने साल 1967 में जसवंत नगर सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा था। मुलायम अपने परिवार के पहले शख्स थे, जिन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया था। दरअसल, जसवंत नगर के तत्कालीन विधायक नत्थू सिंह ने मुलायम को पहली बार कुश्ती के अखाड़े में देखा था और उनके दांव-पेंच से इतने प्रभावित हुए कि अपनी सीट मुलायम के लिए छोड़ दी थी।

नत्थू सिंह ने न सिर्फ मुलायम के लिए सीट छोड़ी बल्कि उन्हें सोशलिस्ट पार्टी का टिकट दिलाने के लिए राम मनोहर लोहिया से सिफारिश भी की थी। मुलायम से उम्र में 3 साल छोटे अभय राम यादव ने ‘द लल्लनटॉप’ से बातचीत में उस चुनाव को याद करते हुए बताया था कि ‘नेताजी’ के पास सिर्फ एक गाड़ी हुआ करती थी और बाकि सब लोग पैदल या साइकिल से ही चला करते थे।

अभय राम कहते हैं, ‘मुलायम सिंह यादव तो टीचर हुआ करते थे, लेकिन नत्थू सिंह ने इन्हें चुनाव लड़वा दिया। वह मुलायम के भाषण से भी बहुत प्रभावित हो गए थे तो उन्होंने अपना चेला बनाकर मुलायम को चुनाव लड़ाया था। इनके पास सिर्फ एक ही गाड़ी थी। गांव के लोग साइकिल और पैदल ही प्रचार के लिए निकल पड़ते थे। पैसों की इतनी जरूरत भी नहीं पड़ती थी। 20 हजार रुपए में पूरा चुनाव हो गया था और इसमें नई गाड़ी भी ली थी। अब तो पूछो मत, लाखों रुपये तो कोई पूछता भी नहीं है।’

शिवपाल भी खेती छोड़ राजनीति में आए थे: चुनाव के खर्चों पर जोर देते हुए अभय राम ने कहा था, ‘अब चुनाव में बहुत ज्यादा खर्चा होने लगा है, लेकिन पहले ऐसा बिल्कुल नहीं होता था।’ जब उनसे पूछा गया, ‘आपने राजनीति में जाने का फैसला क्यों नहीं किया?’ उन्होंने कहा, ‘पहले हम सभी लोग खेती किया करते थे। अब हम कोई राजनीति के लिए नहीं बने हैं तो खेती छोड़कर राजनीति में क्यों जाते? पहले तो शिवपाल भी हमारे साथ ही खेती किया करता था। बहुत बाद में जाकर उसने भी खेती छोड़ी और राजनीति में आगे गया।’

कांग्रेस के नेता कसते थे मुलायम पर तंज: साल 1967 में कांग्रेस बड़ी पार्टी थी और केंद्र में भी सरकार में थी। ऐसे में जब मुलायम सिंह यादव पहली बार चुनाव मैदान में उतरे तो कांग्रेस के नेता उनपर तंज कसते थे। डॉक्टर सुनील जोगी ने अपनी किताब ‘एक और लोहियाः मुलायम सिंह यादव’ में इस घटना का जिक्र किया है। मुलायम के नाम की घोषणा होते ही सब हैरान रह गए थे। विरोधी दल कांग्रेस के नेताओं की बांछें खिल गई थीं। कांग्रेस के स्थानीय नेता मुलायम को ‘कल का छोकरा’ कहकर बुलाने लगे। लेकिन चुनाव के नतीजों ने सबको हैरान कर दिया था।