नरेंद्र मोदी ने कोवैक्सीन ली थी, तो उन्हें अमेरिका जाने की अनुमति कैसे मिली? जानिए पूरा सच

नरेंद्र मोदी

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इमेज कैप्शन, 1 मार्च 2021 को वैक्सीन की पहली डोज़ लेते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए इन दिनों अमेरिका में हैं.

लेकिन उनकी यात्रा को लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं और ये सवाल कोरोना वैक्सीन को लेकर है.

दरअसल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में बनी कोवैक्सीन की दोनों डोज़ ली है. अभी तक कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मान्यता नहीं दी है.

अब सोशल मीडिया पर कई लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि अगर नरेंद्र मोदी ने कोवैक्सीन ली है और उसे मान्यता नहीं मिली है, तो वे अमेरिका के दौरे पर कैसे जा सकते हैं.

नरेंद्र मोदी ने एक मार्च को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक ली थी. उस वक्त उन्हें टीका लगाने वाली नर्सों ने बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी तरह से भारतीय और भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन की डोज ली थी. इसके बाद अप्रैल महीने में उन्होंने इस वैक्सीन की दूसरी डोज़ ली थी.

मशहूर रियलिटी टीवी शो इंडियन आयडल के निर्माता निखिल अल्वा ने ट्वीट करके पूछा है कि नरेंद्र मोदी ने कौन सी वैक्सीन लगवाई है?

उन्होंने ट्वीट किया, "पीएम की तरह मैंने भी 'आत्मनिर्भर' कोवैक्सीन लगवाई थी. ईरान और नेपाल और कुछ गिनती के देशों को छोड़ दें, तो मैं किसी और देश की यात्रा नहीं कर सकता. मैं यह सुनकर हैरान था कि प्रधानमंत्री अमेरिका की यात्रा कर रहे हैं, जहाँ कोवैक्सीन की मान्यता तक नहीं है. इसलिए उन्होंने वास्तव में कौन-सी वैक्सीन ली थी?"

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कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया कार्डिनेटर विनय कुमार ढोकनिया ने भी सवाल उठाया है कि कोवैक्सीन लगवाने वाले मोदी जी अमेरिका कैसे गए? उन्होंने निखिल अल्वा के ट्वीट में ही लिखा, "प्रधानमंत्री को अमेरिका जाने की अनुमति कैसे मिली? वह भी तब जब उन्होंने जो कोवैक्सीन लगवाई है, जो कि अमेरिका में मान्य नहीं है."

राजनीतिक पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने भी ट्वीट किया कि 'कोवैक्सीन को अमेरिका में मान्यता नहीं है. ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका जाने की अनुमति कैसे मिली?'

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तथ्य

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आइए जानते हैं इन सवालों से संबंधित तथ्य क्या हैं. पहली बात ये कि मोदी को न्यूयॉर्क आने का न्यौता संयुक्त राष्ट्र ने दिया है.

1945 में बने इस संगठन में सभी सदस्य देशों को समान अधिकार प्राप्त हैं और इस कारण कोविड को लेकर लगाई गई अमेरिका की पाबंदियाँ संयुक्त राष्ट्र आने वाले किसी भी सदस्य देश के राष्ट्राध्याक्ष पर लागू नहीं होगी.

साथ ही ये बात भी महत्वपूर्ण है कि राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते मोदी को इम्यूनिटी मिली हुई है.

ग़ौरतलब है कि ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो भी संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शिरकत करने के लिए अमेरिका पहुँचे हुए हैं. उन्होंने अब तक कोरोना वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली है.

इस सवाल के जवाब में अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार शैलेंद्र देवलांकर ने बताया, "वैक्सीन का मामला केवल भारत से जुड़ा नहीं है. यह दुनिया के तमाम देशों से जुड़ा है. हर देश के पास तो वह वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो सकती, जिसे अमेरिका में मान्यता है. ऐसे में प्रावधानों में रियायत दी जाती है."

शैलेंद्र देवलांकर कहते हैं, "जब भी विदेशी संबंधों वाले दौरे होते हैं, राजनयिकों को विशेष रियायत दी जाती है. इसी तरह की रियायत इस बार भी मिली होगी."

बीबीसी मराठी से बात करते हुए कई देशों में भारत के राजदूत रहे अनिल त्रिगुणायत ने बताया, "कोरोना संकट का समय हर किसी के लिए नया अनुभव है. राजनीतिक संवाद के लिए मेज़बान देश नियमों में रियायत दे सकता है. यह संयुक्त राष्ट्र की बैठक के लिए भी संभव है."

वीडियो कैप्शन, पूरी दुनिया को इस वक़्त एक चीज़ का पूरी शिद्दत से इंतज़ार है- वैक्सीन.

अमेरिका आने वालों के लिए क्या पाबंदियाँ हैं?

संयुक्त राष्ट्र

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इमेज कैप्शन, प्रधानमंत्री अमेरिकी दौरे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे. इसमें दुनिया भर के 193 देशों के शासन प्रमुख शामिल होंगे.

इस सब बहसों के बीच सबसे अहम ये जानना है कि आख़िरकार अमेरिका ने अपने यहाँ विदेश से आने वाले लोगों के लिए क्या पाबंदियाँ लगा रखी हैं?

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका आने वालों के लिए जो ट्रैवल एडवायज़री जारी की है, उसके अनुसार भारत सहित कुल 33 देशों से आने वाले लोग सीधे अमेरिका नहीं आ सकते. अगर कोई व्यक्ति अमेरिका आने से पहले 14 दिन इन 33 देशों में से किसी देश में रहा है, तो उन्हें भी प्रवेश नहीं मिलेगा.

हालाँकि इसमें अमेरिका ने कई तरह की छूट भी दी है. जैसे- अमेरिकी नागरिक या अमेरिका के पर्मानेंट नागरिकों के बच्चों को देश में प्रवेश दिया जाएगा. इसमें कहा गया है कि अलग-अलग देशों से राजनयिकों को अनुमति दी जाएगी, साथ ही राष्ट्रहित में विदेश मंत्री कुछ यात्रियों को अमेरिका आने की अनुमति दे सकते हैं. साथ ही कुछ ख़ास वीज़ा वाले लोगों को अमेरिका आने से नहीं रोका जाता है.

लेकिन कोविड काल में अमेरिका ने अपने यहाँ आने को लेकर जो पाबंदियां लगाई हैं, उनमें वैक्सीन का ज़िक्र नहीं है.

हाँ, ये ज़रूर है कि इसी सप्ताह व्हाइट हाउस कोरोना वायरस रेस्पॉन्स टीम के कॉआर्डिनेटर जेफ़ ज़ेन्ट्स ने कहा कि नवंबर महीने से अमेरिका यात्रा पर लगी पाबंदियाँ हटाना शुरू करेगा और नया अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल सिस्टम लागू करेगा.

इसके अनुसार नवंबर से भारत सहित दुनिया के 33 देशों के उन लोगों को अमेरिका आने की अनुमति होगी, जो वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके होंगे. अमेरिका का कहना है कि वो उन्हीं टीकों को मान्यता देगा, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन मान्यता देगा. लेकिन ये शर्त अभी नहीं, नवंबर से लागू होगी.

और हो सकता है कि नवंबर तक भारत की कोवैक्सीन को डब्लूएचओ की मान्यता मिल जाए.

वीडियो कैप्शन, कोविड: क्या दो टीकों के बाद बूस्टर डोज़ की भी ज़रूरत होगी?

साथ ही नवंबर से लोगों को अमेरिका आने पर बाध्यकारी क्वारंटीन में नहीं रहना होगा. हालाँकि इसके लिए यात्रा से तीन दिन पहले टेस्ट कराना होगा और अपनी कोविड निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी.

कोरोना संक्रमण के बाद अमेरिका ने दूसरे देशों से अमेरिका आने पर रोक लगा दी थी. इस लिस्ट में जिन 33 देशों के नाम शामिल हैं, उनमें भारत, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे. हालाँकि आपातकालीन परिस्थितियों में अमेरिका अपने यहाँ लोगों को आने के लिए वीज़ा प्रदान कर रहा था.

पीएम मोदी

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मौजूदा समय में विदेश से अमेरिका आने वाले लोगों को यात्रा से तीन दिन के भीतर की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होती है. इसके अलावा, 90 दिनों के अंदर कोरोना से ठीक होने का प्रमाण-पत्र देना होता है. अमेरिकी सरकार के मुताबिक़, वो हर यात्री को अलग मामले के तौर पर देखती है.

तो निष्कर्ष ये निकलता है कि फ़िलहाल अमेरिका में कोविड प्रभावित देशों से आने वालों के लिए जो पाबंदियाँ हैं, उनमें वैक्सीन का ज़िक्र नहीं है. साथ ही राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते नरेंद्र मोदी और उनकी टीम के राजनयिकों को छूट मिली हुई है.

कोवैक्सीन को कब मिलेगी मान्यता?

फ़ाइज़र

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इमेज कैप्शन, सोमवार को व्हाइट हाउस ने कहा कि नवंबर से भारत सहित दुनिया के 33 देशों के उन लोगों को अमेरिका आने की अनुमति होगी, जो वैक्सीन की दोनो डोज़ ले चुके होंगे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, कोवैक्सीन के निर्माताओं ने वैक्सीन की मान्यता के लिए आवेदन दिया है, लेकिन अभी उन्हें कई जानकारियाँ मुहैया करानी है.

कोवैक्सीन को कब तक अनुमति मिलेगी? इस बारे में जून में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ़ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था, "भारत बायोटेक से बातचीत चल रही है. वैक्सीन की मान्यता के लिए तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे और वैक्सीन उत्पादन से जुड़ी जानकारियाँ जमा करानी होती है."

विशेषज्ञों के मुताबिक़ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोवैक्सीन के निर्माताओं से क्लिनिकल ट्रायल संबंधित जानकारी को पूरा करने को कहा है.

आपातकालीन स्थिति में कोवैक्सीन को मान्यता देने के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक अक्तूबर में होने की उम्मीद है.

17 सितंबर को भारत बायोटेक ने बताया है कि आपातकालीन परस्थिति में वैक्सीन के उपयोग को मंज़ूरी देने के लिए सभी क्लिनिकल ट्रायल के आँकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन को सौंप दिए गए हैं.

कंपनी ने ये भी दावा किया कि "विश्व स्वास्थ्य संगठन के सवालों के जवाब दे दिए गए हैं. अब उनकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार है, लेकिन हमारी वैक्सीन को कब तक अनुमति मिल पाएगी, इसका अनुमान लगाना उचित नहीं होगा."

कोविड वैक्सीन

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इमेज कैप्शन, कोवैक्सीन को मान्यता देने के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक अक्तूबर में होने की उम्मीद है

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