scorecardresearch
 

बिहार: मानवाधिकार आयोग ने माना- आरा में भूख से तड़पकर आठ साल के बच्चे की गई जान

अधिकारी इस जांच रिपोर्ट को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा को समर्पित करेंगे. उसके बाद फैसला लिया जाएगा कि मृत बच्चे के परिजनों को क्या मुआवजा मिलना चाहिए. इसके साथ ही इस गंभीर घटना में जो भी दोषी है उन पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए, यह भी तय किया जाएगा.

Advertisement
X
दो साल पहले भूख से गई थी बच्चे की जान (फोटो- आजतक)
दो साल पहले भूख से गई थी बच्चे की जान (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दो साल पहले भूख से गई थी बच्चे की जान
  • राशन नहीं मिलने के अभाव में बच्चा बीमार पड़ा
  • बाद में सरकारी अस्पताल में जांच भी नहीं हुई

बिहार के आरा जिले में एक 8 साल के बच्चे की भूख से तड़पकर और उचित इलाज के अभाव में जान चली गई. हालांकि यह मामाला पिछले कुछ दिनों का नहीं है. यह बात लगभग दो साल पुरानी है. इस घटना में नई बात यह है कि सोमवार को दो साल के बाद मानवाधिकार आयोग की टीम जांच के लिए पहुंची.

टीम में शामिल अधिकारियों ने सबसे पहले नवादा थाना क्षेत्र के जवाहर टोला मुहल्ले में घटना स्थल पर पहुंच मृतक के परिजनों व आसपास के लोगों से उस वक्त की हुई घटना के बारे में बारीकी से जानकारी ली. दो साल बीत जाने के बाद एक बार फिर से मानवाधिकार आयोग के द्वारा जांच में भोजन और इलाज के अभाव में मृत्यु होने की पुष्टि भी हो गई है.

अधिकारी इस जांच रिपोर्ट को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा को समर्पित करेंगे. उसके बाद फैसला लिया जाएगा कि मृत बच्चे के परिजनों को क्या मुआवजा मिलना चाहिए. इसके साथ ही इस गंभीर घटना में जो भी दोषी है उन पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए, यह भी तय किया जाएगा.

बता दें कि 28 मार्च 2020 को आरा के नवादा थाना क्षेत्र के जवाहरटोला वार्ड नबंर 40, मुसहर टोला निवासी दुर्गा पासवान के 8 वर्षीय पुत्र राकेश कुमार उर्फ राहुल की मौत भूख से तड़पते हुए हो गई थी. इस घटना को लेकर उस समय काफी हो हंगामा भी मचा. जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए थे. 

Advertisement

सोमवार को मानवाधिकार आयोग के सचिव राजेश कुमार और रजिस्ट्रार शैलेन्द्र कुमार सिंह की टीम आरा पहुंचकर, जवाहर टोला स्थित मृत बच्चे के घर पहुंच कर पूरे मामले की गहनता से पड़ताल की. मौके पर मृत बच्चे के माता-पिता और आसपास के लोगों से भी पूरे मामले की बातचीत कर जानकारी ली. जिसमें पाया गया कि दो साल पूर्व मृत राकेश कुमार उर्फ राहुल और उसके परिवार को सही तरीके से सरकारी राशन नहीं दी जा रही थी. गरीबी की वजह से बच्चे को ठीक से खाना नहीं मिल पाया. जिससे वो बीमार हो गया था और बीमार होने के बाद सरकारी अस्पताल में उसको उचित इलाज नहीं मिल पाया. जिससे उसकी मौत हो गई थी.

और पढ़ें- आरा: पुलिस हिरासत में महिला की संदिग्ध मौत, नाराज लोगों ने किया थाने का घेराव

बताया यह भी जा रहा था कि मृत राहुल के पिता दुर्गा पासवान पेशे से दैनिक मजदूर हैं और लॉकडाउन होने की वजह से उस समय वो बेरोजगार हो गए थे. इस कारण घर में खाने के लाले पड़ गए थे. इसी बीच उनके बेटे की तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई. 

वहीं घटना की पड़ताल करने के बाद मनवाधिकार आयोग के सचिव राजेश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया की जांच के क्रम में कौन कौन सी बातें सामने आई हैं. उनके मुताबिक बच्चे की मौत भूख और उचित इलाज के अभाव में हुई है. उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट मनवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को सौंपा जायगा. जिसके बाद फैसला लिया जाएगा कि मृत बच्चे के परिजनों को क्या मुआवजा दिया जाय और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाए.

 

Advertisement
Advertisement