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Pitru Paksha 2021 Tarpan Vidhi: पितरों की आत्म तृप्ति के लिए कैसे करें तर्पण? जानें सही विधि एवं मंत्र

Pitru Paksha 2021 Tarpan Vidhi आज 21 सितंबर से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो रहा है। पितृ पक्ष 21 सितंबर से लेकर 06 अक्टूबर तक रहेगा। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म होता है जिसमें तर्पण प्रमुख होता है। जानते हैं कि पितरों के तर्पण की सही विधि क्या है?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 08:36 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 07:34 AM (IST)
Pitru Paksha 2021 Tarpan Vidhi: पितरों की आत्म तृप्ति के लिए कैसे करें तर्पण? जानें सही विधि एवं मंत्र
Pitru Paksha 2021 Tarpan Vidhi: पितरों की आत्म तृप्ति के लिए कैसे करें तर्पण? जानें सही विधि एवं मंत्र

Pitru Paksha 2021 Tarpan Vidhi: आज 21 सितंबर से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष पितृ पक्ष 21 सितंबर से लेकर 06 अक्टूबर तक रहेगा। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म होता है, जिसमें तर्पण प्रमुख होता है। ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि पितरों के तर्पण की सही विधि क्या है? एक व्यक्ति को किन लोगों को तर्पण करना चाहिए? तर्पण करने का मंत्र आदि क्या है?

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पितृ पक्ष में इनका करें तर्पण

पितृ पक्ष में कोई भी व्यक्ति अपने माता-पिता के अलावा दादा (पितामह), परदादा (प्रपितामह), दादी, परदादी, नाना (मातामह), नानी (मातामही), चाचा, ताऊ, भाई-बहन, बहनोई, मामा-मामी, मौसा-मौसी, गुरु, गुरुमाता आदि की आत्म तृप्ति के लिए तर्पण कर सकता है।

पितृ पक्ष में तर्पण की सही विधि

1. स्नान आदि के बाद आप सबसे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशा के मोटक पर अक्षत् से देव तर्पण करें। इस दौरान जनेऊ बाएं कन्धे पर रखें।

2. इसके बाद उत्तर की ओर मुख कर अपना जनेऊ गले में माला की तरह पहन लें। इसके बाद कुश से पानी में जौ डालें और ऋषि-मनुष्य तर्पण करें।

3. अब अन्त में जनेऊ दाएं कन्धे पर रख लें। फिर दक्षिण की ओर अपना मुख करें। इसके बाद बायां पैर मोड़कर कुश से पानी में काला तिल डालें और पितरों का तर्पण करें।

तर्पण मंत्र

1. यदि आप किसी पुरुष के लिए तर्पण कर रहे हैं तो “तस्मै स्वधा” का उच्चारण करें।

2. यदि आप किसी स्त्री के लिए तर्पण कर रहे हैं तो “तस्यै स्वधा” का उच्चारण करें।

अपने देव-ऋषि-पितर का तर्पण करने के बाद आप चाहें, तो कुल या समाज के उन लोगों के लिए भी तर्पण कर सकते हैं जिनकी कोई संतान नहीं है। ऐसा करने से उनकी आत्म तृप्त होगी और आपको आशीष मिलेगा। इसके लिए आप एक गमछे के कोने में काला तिल लें, उसे पानी से भिंगो दें। इसके बाद उसे बाईं ओर निचोड़ दें। इस दौरान नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करें।

“ये के चास्मत्कूले कुले जाता,

अपुत्रा गोत्रिणो मृता।

ते तृप्यन्तु मया दत्तम

वस्त्र निष्पीडनोदकम।।

आप और बेहतर तरीके से तर्पण करना चाहते हैं तो इसके लिए पुस्तक नित्य-कर्म विधि ले सकते हैं।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


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