पंजाब की 23 साल की एथलीट हरमिलन कौर बैंस ने वारंगल में 15 से 17 सितंबर के बीच हुई राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 800 मीटर और 1500 मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने 800 मीटर की रेस 2:03.82 मिनट और 1500 मीटर की रेस 4:05.39 मिनट में पूरी की। इसके साथ ही उन्होंने 2002 बुसान एशियाई खेलों की 1500 मीटर स्पर्धा में भारत की सुनीता रानी का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। सुनीता रानी ने तब 4:06.03 मिनट में 1500 मीटर की रेस पूरी कर गोल्ड मेडल जीता था और एशियाड रिकॉर्ड भी बनाया था।

खास यह है हरमिलन कौर बैंस के माता-पिता भी जाने-माने एथलीट रह चुके हैं। उनकी मां माधुरी सक्सेना ने 2002 एशियाई खेलों में 800 मीटर रेस में रजत पदक जीता था। वह महज 0.77 के अंतर से गोल्ड जीतने से चूक गईं थीं। तब भारत की केएम बीनामोल ने 2:04.17 मिनट में 800 मीटर की रेस पूरी कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। माधुरी ने अपनी रेस पूरी करने में 2:04.94 मिनट लिए थे।

हालांकि, अब हरमिलन कौर बैंस ने 2:03.82 मिनट में 800 मीटर की रेस पूरी कर अपनी मां और केएम बीनामोल दोनों का रिकॉर्ड तोड़ा। हरमिलन इससे पहले 10 अक्टूबर 2019 को रांची में हुई 59वीं राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 4:22.10 मिनट के साथ चौथे नंबर पर रही थीं। हरमिलन के पिता अमनदीप बैंस भी दक्षिण एशियाई खेलों में 1500 मीटर रेस में देश के लिए पदक जीत चुकेहैं।

हालांकि, शायद ही कम लोगों को विश्वास हो कि हरमिलन बैंस की सफलता की कहानी के पीछे नफरत और प्यार का बहुत बड़ा हाथ है। दो अंतरराष्ट्रीय एथलीट्स की संतान होने के कारण हरमिलन को बचपन में परियों की कहानियों की जगह स्पोर्ट्स स्टोरीज ही सुनने को मिलीं। इस चीज ने शायद उनके दिल में खेल खासकर दौड़ के प्रति नफरत पैदा कर दी।

हरमिलन पढ़ाई में काफी अच्छी थीं। इसके बावजूद माता-पिता उन्हें सुबह-सुबह उठाकर रनिंग ट्रैक पर दौड़ाते थे। यह सब वह बेमन से करती थीं। उनकी जो थोड़ी बहुत एथलेटिक्स में रुचि थी भी वह तब गायब हो गई, जब स्थानीय प्रतियोगिता में वह एक लड़के से हार गईं। तब उनकी मां ने उन्हें चुनौती दी।

माधुरी ने अपनी छोटी बेटी को एक और दौड़ में हिस्सा लेने, उसी लड़के को हराने और एक विजेता के रूप में एथलेटिक्स को छोड़ने के रूप में प्रेरित किया। हरमिलन ने मां की यह चुनौती स्वीकार की। उन्होंने एक साल तक कड़ा अभ्यास किया और उसी लड़के को हराकर रेस जीती, जिससे वह पिछले साल हार गईं थीं।

इस जीत ने उनके मानस पटल पर ऐसा असर डाला कि सात साल की हरमिलन कौर बैंस को एथलेटिक्स से प्यार हो गया। हरमिलन की मां माधुरी मूल रूप से उत्तर प्रदेश की लखनऊ की रहने वाली हैं, जबकि पिता पंजाब से हैं।

हरमिलन ने शनिवार को एक डबल पूरा किया। उन्होंने 800 मीटर और 1500 मीटर की रेस जीती। हरमिलन कहती हैं, ‘जब मैं केवल सात साल की थी, तब जिस रेस में मैंने उस लड़के को हराया, उस जीत से मुझमें दौड़ने के लिए रुचि पैदा हुई। मुझे हर समय जीतना पसंद है।’

हरमिलन पुरानी यादें ताजा करते हुईं कहती हैं, ‘धीमी प्रगति और चोटों के कारण मैं हताशा से जूझ रही थी, इसलिए मैं प्रशिक्षण लेने के लिए धर्मशाला चली गई।’ हरमिलन को लगता था कि इससे ट्रेनिंग के दौरान वह माता-पिता के हस्तक्षेप से भी बच पाएंगी। उन्होंने बताया, ‘दौड़ना कुछ ऐसा था जिसे मेरे माता-पिता जानते और समझते थे। वे इसे मुझे देना चाहते थे, लेकिन मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी।’

हरमिलन पंजाब यूनिवर्सिटी एक एथलीट के रूप में तैयार हुईं। उन्होंने 2019 में 4:16.68 मिनट के समय के साथ यूनिवर्सिटीज में 1,500 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ा। उन्होंने 2016 एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में दोहरा स्वर्ण पदक जीता।

हरमिलन बैंस को भारत के घरेलू सर्किट में अगली बड़े एथलीट के रूप में बताया जा रहा है। वह फेडरेशन कप और इंडियन ग्रां प्री खिताब भी जीत चुकी हैं। हरमिलन कौर बैंस अपने ओलंपिक में पदक जीतकर अपना और अपने माता-पिता का सपना पूरा करना चाहती हैं।