नौकरी किसी की, दस्तावेज किसी के, लेकिन नौकरी का मजा कोई और ले रहा. यूपी एसटीएफ ने बीते 2 सालों में उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों की कार्रवाई में उस गैंग को दबोचा है जो फर्जी शिक्षकों को भर्ती करवा रहा था.
यूपी एसटीएफ ने इस मामले में परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद की मिलीभगत पर कार्रवाई करते हुए विभाग के एक कर्मचारी को दबोचा है जो बीते कई सालों से शिक्षकों की भर्ती में शामिल था.
बीते 2 सालों से यूपी एसटीएफ प्रदेश भर में फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने में जुटी है. सिर्फ अब तक इस साल में 123 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं. शक के दायरे में आए 450 से अधिक फर्जी शिक्षकों की सूची यूपी एसटीएफ शिक्षा विभाग को बीते साल ही सौंप चुकी है. यूपी एसटीएफ बीते 3 सालों में 1000 के लगभग फर्जी शिक्षकों को चिन्हित कर कार्रवाई कर चुकी है.
अब यूपी एसटीएफ ने फर्जी शिक्षकों को भर्ती कराने वाले गैंग को दबोचा है. गैंग का सरगना खुद फिरोजाबाद के जूनियर हाई स्कूल में प्राथमिक विद्यालय का सहायक अध्यापक रामनिवास उर्फ राम भैया है और उसका करीबी साथी रविंद्र कुमार देवरिया में फर्जी शिक्षक बनकर नौकरी कर रहा था. इन दोनों से पूछताछ के बाद शनिवार को यूपी एसटीएफ ने शिक्षक भर्ती कराने वाली संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी, प्रयागराज के कर्मचारी नरेंद्र कनौजिया को लखनऊ के विभूति खंड से गिरफ्तार किया है.
कैसे हुई फर्जी शिक्षकों की भर्ती
दरअसल, साल 2016, 2017 और 2018 में उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर टीचर भर्ती की परीक्षाएं हुईं. 2016 में 15000 पद, 2017 में 68500 पद और 2018 में 69000 पदों के लिए परीक्षाएं हुईं. होनहार मेधावी बच्चों ने इन सभी परीक्षाओं में भाग लिया और एक अभ्यर्थी ने कई परीक्षाएं पास भी कीं. लेकिन ये जालसाज कई परीक्षाओं को पास करने वाले मेधावी छात्रों पर ही आंखें गड़ाए थे.
2021 से पहले वेबसाइट पर चयनित हुए हर व्यक्ति का नाम उसके नंबर और उसके अंकों की प्रति उपलब्ध थी ताकि कोई भी अभ्यर्थी अपने मेरिट में नाम ना आने पर या किसी कम नंबर वाले का नाम मेरिट में शामिल होने पर ऐतराज जता सके. जालसाजों ने ऐसे ही मेधावी छात्रों की सूची बनाई, जो एक साथ कई परीक्षा पास कर चुके थे. उनकी वेबसाइट से अंकपत्र डाउनलोड किए और उनके नाम और रोल नंबर की फर्जी मार्कशीट तैयार कर ली. अमूमन दो परीक्षा पास करने वाला कैंडिडेट पहली परीक्षा में चयनित होने के बाद दूसरी नौकरी को छोड़ रहा था.
जालसाज इस दूसरी परीक्षा में पास हुए असली कैंडिडेट की जगह अपने दूसरे कैंडिडेट को असल अंक पत्र के साथ भेज देते थे. फर्जी अंक पत्र लेकर ये फर्जी शिक्षक बीएसए दफ्तर में ज्वाइन करता, बीएसए दफ्तर प्रयागराज मुख्यालय से सिर्फ नाम और रोल नंबर के आधार पर परीक्षा में पास होने और मेरिट में होने की तस्दीक करता. पकड़ा गया जालसाज रामनिवास इसी तरीके से अब तक 100 से अधिक फर्जी शिक्षकों को नौकरी दिला चुका है, जिसमें हरदोई में 9, इटावा में 10, अमेठी में 5, जालौन में 9, श्रावस्ती में 8 शामिल है.
इस पूरे खेल में परीक्षा कराने वाली संस्था का क्लर्क नरेंद्र कनौजिया अहम रोल अदा करता था. जब भी किसी फर्जी शिक्षक के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की जिलों के बीएसए से पत्र आता तो नरेंद्र उसको सही की रिपोर्ट लगाकर वापस भेजता था. जिसके एवज में नरेंद्र कनौजिया को हर कैंडिडेट से ₹50,000 मिलते थे. पैसा लेने के लिए नरेंद्र कनौजिया ने राहुल दिवाकर के नाम से फर्जी खाता भी खोल रखा था, वह खाते में भी पैसा जमा करा लेता था. जालसाजों की इस modus of operendi को समझने के बाद सरकार ने वेबसाइट पर किसी भी कैंडिडेट के डॉक्यूमेंट को देखना बंद कर दिया. वेबसाइट पर access बन्द होने के बाद गैंग ने दूसरा तरीका अपना लिया था. हाल ही में हुई 2021 की परीक्षा में भी यह गैंग फर्जी शिक्षक भर्ती करवाने में जुटा था.
आखिर शिक्षकों की नौकरी में ही फर्जीवाड़ा क्यों
लंबे समय से फर्जी शिक्षकों पर शिकंजा कर रही यूपी एसटीएफ के एडिशनल एसपी सत्यसेन का कहना है कि शिक्षा विभाग अकेला विभाग है जिसके अभ्यर्थी वेरिफिकेशन में खामी का जालसाज फायदा उठाते हैं. अमूमन सरकारी नौकरी लगने पर स्थानीय पते पर पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाता है. लेकिन टीचर की नौकरी मिलने पर कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होता. अगर पुलिस वेरिफिकेशन हो तो जालसाज के मूल पते का पता चल सकता है.
फ़िलहाल यूपी एसटीएफ की दो टीमें फर्जी शिक्षकों की भर्ती में लगी हुई है. 1 टीम फर्जी शिक्षकों का चिन्हीकरण कर कार्रवाई कर रही है तो दूसरी टीम ऐसे शिक्षकों को भर्ती कराने वाले गैंग पर शिकंजा कस रही है.