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आतंकी बनाएंगे फौज:तालिबान ने कहा- बहुत जल्द रेग्युलर आर्मी तैयार करेंगे, पूर्व सैनिकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा
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अफगानिस्तान पर कब्जे के एक महीने बाद तालिबान ने ऐलान किया है कि वो मुल्क के लिए नई सेना तैयार करने जा रहा है और यह काम जल्द पूरा किया जाएगा। केयरटेकर गवर्नमेंट में चीफ ऑफ स्टाफ कारी फसीउद्दीन के मुताबिक, जो नई अफगान सेना तैयार की जाएगी उसमें उन पूर्व सैनिकों को भी शामिल किया जाएगा जो पिछली हुकूमतों के दौर में आर्मी का हिस्सा रह चुके हैं। कारी ने कहा- अफगानिस्तान को बाहर और अंदर से जो भी खतरे पेश आएंगे, हमारी सेना उनका मुकाबला करने के लिए तैयार रहेगी।
देश की सुरक्षा पर फोकस
तालिबान ने अपनी फौज बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। कारी ने टोलो न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा- हम अपने मुल्क से बहुत प्यार करते हैं। बाकी देशों की तरह हमारे पास भी रेग्युलर आर्मी होनी चाहिए और यह बहुत जल्द होगी। इसके जरिए हम भी अपने लोगों और अपनी सरहदों की हिफाजत करेंगे।
कारी ने आगे कहा- पिछली हुकूमत के दौरान जो फौज थी, उसके काबिल लोगों को शामिल किया जाएगा। इसमें प्रशिक्षित तालिबान भी रहेंगे। पुराने सैनिकों को सामने आना चाहिए और अपनी ड्यूटी फिर ज्वॉइन करना चाहिए। एक पूर्व आर्मी अफसर शकूरउल्लाह सुल्तानी ने कहा- तालिबान को उन 3 लाख पूर्व फौजियों के बारे में विचार करना चाहिए जो फिलहाल खाली हैं।
तालिबान का यह बयान अहम क्यों
कार्यवाहक सरकार का ऐलान करने के बाद से ही कई हलकों में यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि पूर्व सरकार की सिक्योरिटी, डिफेंस और इंटेलिजेंस यूनिट में काम कर चुके लोगों का क्या होगा? क्या तालिबानी हुकूमत इन पर कोई फैसला लेगी? क्या सेना और खुफिया विभागों को एक्टिव किया जाएगा।
डूरंड लाइन को नहीं मानता तालिबान
पाकिस्तान और अफगानिस्तान को अलग करने वाली सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है। वैसे तो पाकिस्तान सरकार, फौज और ISI तालिबान के साथ खड़ी नजर आती है, लेकन सच्चाई ये भी है कि तालिबान डूरंड लाइन को नहीं मानता। उसका कहना है कि पाकिस्तान के जितने भी पश्तून इलाके या क्षेत्र हैं, वो सभी अफगानिस्तान का हिस्सा हैं।
पाकिस्तान ने इस लाइन पर 90% तक कंटीले तारों की फेंसिंग कर दी है, लेकिन तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने पिछले दिनों साफ कर दिया था कि वो इस हरकत को सहन नहीं करेंगे। ब्रिटिश शासन के दौरान 12 नवंबर 1893 को तत्कालीन अफगान शासक आमिर अब्दुल रहमान और वहां के ब्रिटिश इंचार्ज हेनरी मर्टिमेर डूरंड के बीच एक सीमा समझौता हुआ था। ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर इसे डूरंड लाइन कहा जाता है।
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