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Parivartani Ekadashi Puja Vidhi: आज परिवतर्नी एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें पूरी विधि

Parivartani Ekadashi 2021 Puja Vidhi आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। आज के दिन परिवतर्नी एकादशी का व्रत रहते हैं और भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करते हैं। आइए जानते हैं कि परिवतर्नी एकादशी की पूजा विधि क्या है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 10:22 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 11:03 AM (IST)
Parivartani Ekadashi Puja Vidhi: आज परिवतर्नी एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें पूरी विधि
Parivartani Ekadashi 2021 Puja Vidhi: आज परिवतर्नी एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें पूरी विधि

Parivartani Ekadashi 2021 Puja Vidhi: आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। आज की तिथि को परिवतर्नी एकादशी या वामन एकादशी व्रत होता है। आज के दिन परिवतर्नी एकादशी का व्रत रहते हैं और भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करते हैं। आज के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरराज बलि से देवताओं की रक्षा के लिए वामन अवतार लिया था, इसलिए इस तिथि को वामन एकादशी भी कहते हैं। आज परिवतर्नी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा होती है। आइए जानते हैं कि परिवतर्नी एकादशी की पूजा विधि क्या है।

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परिवतर्नी एकादशी 2021 पूजा विधि

आज प्रात: सबसे पहले स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहनें। उसके बाद हाथ में जल, पुष्प और अक्षत् लेकर परिवतर्नी एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प करें। इसके बाद पूजा स्थान पर भगवान विष्णु या वामन भगवान की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।

अब भगवान विष्णु को पुष्प, अक्षत्, रोली, चंदन, तुलसी का पत्ता, हल्दी, पंचामृत, गंगाजल, गाय का दूध, धूप, दीप, गंध, फल, मिठाई, यज्ञोपवीत आदि अर्पित करें। इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम आ​दि का पाठ करें। इसके बाद परिवतर्नी एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करें। पूजा के अंत में भगवान विष्णु जी की आरती कपूर या गाय के घी वाले दीपक से करें।

अब भगवान विष्णु को प्रणाम करके अपनी मनोकामना उनके समक्ष प्रकट कर दें। फिर दिनभर फलाहार करते हुए रात्रि के समय भगवत जागरण करें। इसके बाद अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद भगवान विष्णु की पूजा करके ब्रह्मणों को दान-दक्षिणा दें। इसके पश्चात पारण करके परिवतर्नी एकादशी व्रत को पूरा करें।

पारण समय

18 सितंबर दिन शनिवार को प्रात: 06:07 बजे से प्रात: 06:54 बजे के बीच पारण कर लें क्योंकि इसके बाद द्वादशी तिथि का समापन हो जाएगा। द्वादशी तिथि में ही पारण करना उत्तम होता है।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


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