राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जन्म ग्वालियर राजघराने में हुआ था। वसुंधरा की मां विजयाराजे सिंधिया भी राजनीति में काफी सक्रिय थीं। वसुंधरा के अलावा उनके भाई माधव राव सिंधिया भी बड़े नेता थे। वसुंधरा को पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद विजयाराजे ने उन्हें धौलपुर में उनके ससुराल भेज दिया था। इसके बाद उन्होंने चुनाव जीता और आगे चलकर सूबे की मुख्यमंत्री तक बन गई थीं।

राजनीति में आने से पहले वसुंधरा राजे खुद को दूसरे बच्चों से अलग पाती थीं। क्योंकि वह राजघराने से ताल्लुक रखती थीं जबकि अन्य दोस्त साधारण परिवार से थे। पिता जीवाजी राव से वह बहुत ज्यादा डरती भी थीं। एक इंटरव्यू में वसुंधरा राजे ने बताया था, ‘मैं अपने पिता से इस कदर डरती थी कि उनकी आहत सुनते ही दूर भागने लगती थी। जब मेरे पिता का निधन हुआ तो मैं बहुत युवा थी। मैंने अपनी मां से जिद करना शुरू किया कि मुझे बाहर जाना है। क्योंकि हमारा जीवन सोने के पिंजरे में बंद चिड़िया के जैसा था।’

बोर्डिंग स्कूल पहुंचीं वसुंधरा राजे: वसुंधरा राजे ने कहा था, ‘हम लोग अंदर से बाहर देख सकते थे और लोग बाहर से अंदर देख सकते थे, लेकिन मिलना हमारा किसी से कहीं पर भी होता नहीं था। मैंने बोर्डिंग स्कूल जाने की जिद की। इसलिए मैं बोर्डिंग स्कूल गई। वहां पहुंचकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने ग्वालियर से बाहर जाने का ही फैसला किया था। मैं तमिलनाडु के हिल स्टेशन पर बसे एक बोर्डिंग स्कूल में पहुंच गई थी। मैं वहां टॉप ऑफ द क्लास बनी तो अपनी योग्यता पर बनी। मेरा जीवन वहां से बिल्कुल नया ही शुरू हुआ।’

भाई के कहने पर की शादी: ग्रेजुएशन के दिनों को याद करते हुए वसुंधरा राजे ने कहा था, ‘बोर्डिंग स्कूल के बाद मैंने ग्रेजुएशन की और कॉलेज भी ग्वालियर से बाहर ही चुना। यहां मुझे बहुत अच्छा लगा। एक तरह से जीवन का बिल्कुल नया अनुभव मिला। ऐसा नहीं है कि मुझे ग्वालियर पसंद नहीं था, लेकिन मैं नया अनुभव करना चाहती थी। मैं खुशनसीब थी कि मुझे बाहर पढ़ने का मौका मिला। कॉलेज के लिए मैं मुंबई चली गई थी। बी.ए पूरी करते-करते तक मैं शादीशुदा हो चुकी थी। अरेंज मैरिज थी तो परिवार और भाई के कहने पर मैंने शादी भी की।’

बता दें, वसुंधरा राजे ने साल 1984 में भिण्ड से पहला चुनाव तो लड़ा था लेकिन कांग्रेस की लहर का खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ा था। कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण सिंह की शानदार जीत हुई और वसुंधरा राजे की करीब 87 हजार वोटों से हार हुई थी। इसके बाद, साल 1985 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। वसुंधरा राजे ने इस चुनाव में कांग्रेस के भंवर लाल को करारी शिकस्त दी थी।