देशभर में आईआईटी एस्पिरेंट्स को जेईई मेंस के परीक्षा के नतीजों का इंतजार था अब उस परीक्षा के नतीजे घोषित हो चुके हैं. पूरे देश में 18 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने ऑल इंडिया रैंक वन हासिल की है. इसके साथ ही 300 में से 300 अंक प्राप्त किए हैं. ये वो बच्चे हैं जिन्होंने 100 परसेंटाइल हासिल किया है. साथ ही पहली रैंक पर इन्होंने कब्जा जमाया है.
इसके अलावा देश भर में कुल 44 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने 100 परसेंटाइल हासिल किया है. बात करें दिल्ली की तो दिल्ली में दो ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने 300 अंक हासिल किए हैं और साथ ही ऑल इंडिया रैंक वन पर कब्जा किया है.
इन्हीं में से एक हैं 18 साल के रुचिर बंसल जिन्होंने करीब 10 से 12 घंटे की पढ़ाई करके यह मुकाम हासिल किया. रुचिर के चेहरे की खुशी से हिसाब से लगता है कि उन्होंने इतनी मेहनत और लगन के साथ अपने आप को पढ़ाई में पूरी तरह से झोंक दिया पर आज यह उनकी मेहनत का नतीजा है.
रुचिर ने बताया कि इस परीक्षा की तैयारी उन्होंने 11वीं कक्षा से ही शुरू कर दी थी. 11वीं में वो पढ़ाई के साथ रोजाना छह से सात घंटे की तैयारी करते थे. लेकिन, 12वीं में उन्होंने तैयारी का समय बढ़ा कर 10 घंटे कर दिया था. जेईई मेन्स में टॉप करने के बाद रुचिर का लक्ष्य अब जेईई एडवांस परीक्षा में टॉप करना है.
उन्होंने बताया कि वो आगे चलकर कंप्यूटर के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं ताकि समाज की जरूरत को देखते हुए नई तकनीकों को विकसित कर सके। रुचिर ने चाणक्यपुरी स्थित संस्कृति स्कूल से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है.
रुचिर के लिए कोविड -19 महामारी का दौर काफी तनावपूर्ण था, क्योंकि एंट्रेस एग्ज़ाम की तारीखों को टालने से तैयारी में अनिश्चितता आ गई थी. हालांकि महामारी अनिश्चितता पैदा करती है, लेकिन इसने तैयारी में कोई बाधा नहीं डाली. यह वास्तव में काफी फायदेमंद था क्योंकि यात्रा और बाहरी गतिविधियों पर खर्च किया जाने वाला समय पूरी तरह से पढ़ाई में लगा दिया.
वैसे तो रूचिर को उनसे परिवार से ही प्रेरणा मिलती है क्योंकि उनके पिता, संजय बंसल एक आईआरएस अधिकारी हैं और दिल्ली में सीमा शुल्क आयुक्त के रूप में तैनात हैं. उनके बड़े भाई ने भी 2016 में जेईई मेन्स में टॉप किया था और बाद में जेईई एडवांस क्वालिफाई करके और आईआईटी दिल्ली में सीट पाकर अव्वल आए. वो यहीं नहीं रुके उनके भाई राजस अब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस करने के लिए कैलिफोर्निया जाने की तैयारी कर रहे हैं.
रुचिर ने अपने बड़े भाई राजस बंसल द्वारा निभाई गई भूमिका को भी श्रेय दिया. रुचिर ने कहा कि उनके भाई ने एक होम ट्यूटर की भूमिका निभाई, जिसने उनकी शंकाओं को दूर करने में मदद की और प्रवेश द्वार में चमकने के लिए तरकीबें प्रदान कीं.
एक गृहिणी के रूप में उनकी मां लक्ष्य को प्राप्त करने में उनकी सबसे बड़ी ताकत और सहयोगी रही हैं. वो कहती हैं कि यह केवल रूचिर की ही परीक्षा नहीं थी लेकिन उनके लिए भी यह दौर किसी परीक्षा से कम नहीं था, लेकिन कहीं न कहीं मन में उन्हें विश्वास था कि रूचिर कुछ न कुछ अच्छा कर ही लेगा.