तालिबान ने कहा, ''अगर तुर्की मस्लिम भाई के तरह सामने आएगा तो हम भी उसी भाव से सामने आएंगे और इस रुख़ का स्वागत है. हम तुर्की को 'मुस्लिम भाई' के तौर पर देखते हैं.''
सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध में चले अभियानों के बीच 'डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' नाम से हुई इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में हिंदुत्व को नफ़रत से प्रेरित विचारधारा बताया गया और इस पर सवाल खड़े किए गए.
बीबीसी हिंदी का यह लाइव पेज अब यहीं बंद हो रहा है. मंगलवार, 14 सितंबर के ताज़ा अपडेट्स, विश्लेषण और वीडियो के लिए यहाँ क्लिक करें.
पंजशीर घाटी में कम से कम 20 नागरिकों को मारा गया
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बीबीसी ने अपनी पड़ताल
में पाया है कि अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान और विरोधियों के बीच जारी
संघर्ष नें कम से कम 20 नागरिक मारे गए हैं.
पंजशीर घाटी में संचार
माध्यमों के बंद होने से रिपोर्टिंग काफ़ी मुश्किल हो गई है.
लेकिन बीबीसी के पास
इसके सबूत हैं कि संयम बरतने के वादे के बावजूद तालिबान ने लोगों को मारा है.
पंजशीर में धूल भरी
सड़क के किनारे के वीडियो फुटेज में वर्दी पहने एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है और उसे
तालिबान लड़ाकों ने घेर रखा है. तभी गोलियों की आवाज सुनाई देती है और वह जमीन पर गिर
जाता है .
यह साफ़ नहीं है कि
मारा गया व्यक्ति सेना का सदस्य था या नहीं- इस क्षेत्र में सेना जैसी वर्दी आम बात
है है. वीडियो में एक व्यक्ति ज़ोर देकर कहता है कि वह एक आम नागरिक है.
बीबीसी का मानना है
कि पंजशीर में कम से कम 20 इस तरह की मौतें हुई हैं.
पीड़ितों में से एक
व्यक्ति अब्दुल सामी दुकानदार और दो बच्चों का पिता था.
स्थानीय लोगों का
कहना है कि उसने तालिबान के लड़कों से कहा, "मैं सिर्फ़ एक ग़रीब दुकान का मालिक हूँ और युद्ध से मेरा कोई
लेना-देना नहीं है."
लेकिन उसे विरोधी
लड़ाकों को सिम कार्ड बेचने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया.
कुछ दिनों बाद उसका
शव उसके घर के पास फेंक दिया गया था. उसके शव को देखने वाले प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा
कि उसके शरीर पर यातना के निशान थे.
तालिबान: रूस के इस इनकार पर बोला चीन
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सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय की दैनिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में चाइना डेली ने सवाल पूछा कि अफ़ग़ान तालिबान ने अंतरिम सरकार का उद्घाटन समारोह रद्द कर दिया है. रूसी राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार के उद्घाटन समारोह में रूस शामिल नहीं होगा. इस आपकी क्या टिप्पणी है?
इस सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजिअन ने कहा, ''अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार का उद्घाटन समारोह होगा या नहीं, ये उनका आंतरिक मामला है. इसके साथ ही सभी देशों को अधिकार है कि वे किसी के उद्घाटन समारोह में जाएं या नहीं जाएं. चीन सभी देशों के फ़ैसलों का सम्मान करता है.''
चाओ लिजिअन ने एक और टिप्पणी में कहा कि अफ़ग़ान तालिबान ने अपनी ज़मीन का इस्तेमाल किसी भी मुल्क के ख़िलाफ़ नहीं होने देने का वादा किया है और उसे इस वादो को निभाना चाहिए.
सऊदी अरब जाना है तो ये नियम होंगे अनिवार्य
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सऊदी अरब की जनरल
अथॉरिटी ऑफ सिविल एविएशन यानी जीएसीए ने सोमवार को विदेशों से आने वालों के लिए नए
नियम जारी किए हैं.
सऊदी अरब की सरकारी
समाचार एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी यानी एसपीए के अनुसार नए नियम 23 सितंबर से प्रभावी
होंगे.
जिन्होंने कोविड वैक्सीन
नहीं लगवाई है या एक ही डोज़ लगवाई है और जिन्होंने वैसी कोविड वैक्सीन लगाई है, जिसका अप्रूवल विश्व
स्वास्थ्य संगठन या सऊदी अरब से नहीं मिला है या फिर WHO ने अप्रूवल दे दिया
है लेकिन सऊदी अरब ने नहीं दिया है, उनके लिए यह ज़रूरी है-
निगेटिव पीसीआर रिपोर्ट
अनिवार्य होगी और यह रिपोर्ट सऊदी रवाना होने से 72 घंटे पहले की होनी चाहिए.
सऊदी पहुँचने पर पाँच
दिनों का क्वॉरंटीन अनिवार्य होगा.
सऊदी आने के बाद पहले
और पाँचवे दिन पीसीआर टेस्ट अनिवार्य होगा.
टेस्ट निगेटिव आने
के बाद क्वॉरंटीन ख़त्म हो जाएगा.
सऊदी अरब में उमरा के लिए ये ग़लती की तो भुगतना होगा
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सऊदी अरब ने घोषणा
की है कि जो बिना अनुमति के मक्का में उमरा इबादत करने की कोशिश करेंगे, उन पर 10 हज़ार रियाल यानी 2,666 डॉलर का जुर्माना लगेगा. ये जानकारी सऊदी अरब के राष्ट्रीय
सुरक्षा टीम ने ट्वीट कर दी है.
सऊदी अरब की राष्ट्रीय
सुरक्षा टीम ने कहा है कि जुर्माना पवित्र शहर मक्का में बिना अनुमति के प्रवेश की
कोशिश पर लगेगा. सऊदी की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने कहा कि उमरा के दौरान कोरोना संक्रमण
नियंत्रण में रहे, इसीलिए यह फ़ैसला
लिया गया है.
जो भी उमरा के लिए
मक्का जाना चाहते हैं, उन्हें मस्जिद में
एंट्री के लिए एक पर्मिट लेना होगा. इसे सऊदी अरब की कोविड-19 ट्रैकिंग ऐप तावकालना (Tawakkalna) और एतमारना (Eatmarna) से हासिल किया जा सकता है. सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्रालय
ने पिछले बुधावार को घोषणा की थी कि 9 सितंबर से उमरा तीर्थयात्रियों की संख्या एक दिन 70,000 की जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र: अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय त्रासदी टालने के लिए 60 करोड़ डॉलर की ज़रूरत
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संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के लिए सहायता के लिए साठ करोड़ अमेरिकी डॉलर की ज़रूरत है.
यूएन ने साफ़ कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान एक बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने सोमवार को जिनेवा में एक सम्मेलन के दौरान बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में "तत्काल भोजन, दवा, स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षित पानी की आवश्यकता है."
उनका कहना था कि लोगों को राहत के लिए 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाने होंगे.
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “दशकों की जंग के बाद अब वक़्त आ गया है कि दुनिया अफ़ग़ान लोगों के साथ खड़ी हो. पिछले हफ़्तों के नाटकीय घटनाक्रम से पहले भी अफ़ग़ानिस्तान, दुनिया भर में सबसे ख़राब मानवीय संकट से जूझ रहा था. लेकिन अब लाखों लोग बेघर हैं. साथ ही देश में भयानक सूखा पड़ने के आसार हैं.”
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के बहुत सारे लोगों के पास इस महीने के आख़िर तक खाने के लिए कुछ नहीं होगा.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान को एक लाइफ़लाइन की ज़रूरत है, वरना वहां के हालात भयावह हो सकते हैं.
तालिबान ने प्रधानमंत्री अखुंद की ताज़ा तस्वीर जारी की
तालिबान ने सोमवार
को अफग़ानिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद की अभी की तस्वीर ट्विटर
पर पोस्ट की है.
क़तर की राजधानी दोहा
में तालिबान के दफ़्तर के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने ये तस्वीर पोस्ट की है. नईम ने तस्वीर
के साथ लिखा है, ''राष्ट्रपति भवन में
इस्लामिक अमीरात अफ़ग़ानिस्तान के प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद.''
तस्वीर में दिख रहा
है कि अखुंद कुर्सी पर बैठे हुए हैं. इससे पहले मुल्ला हसन अखुंद के जवानी के दिनों
के तस्वीर ही लोगों ने देखी थी. इस तस्वीर में अखुंद बुज़ुर्ग दिख रहे हैं.
1999 में अखुंद अफ़ग़ानिस्तान
के विदेश मंत्री के तौर पर पाकिस्तान आए थे और उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात की थी. दोनों नेताओं की गर्मजोशी के हाथ मिलाते हए तस्वीर
आज भी सोशल मीडिया पर शेयर की जाती है.
ये वही मुल्ला अखुंद
हैं, जिन्होंने 2001 में बामियान में बुद्ध की मूर्तियाँ तुड़वाई थीं.
कोरोना का इलाज किया, जान भी गंवाई, उन डॉक्टरों को मोदी सरकार से मिला क्या?: बीबीसी पड़ताल
बीबीसी ने एक ख़ास पड़ताल जिन स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना की वजह से मौत हुई थी उनको सरकार ने क्या मिला ये जानने का प्रयास किया.
महामारी की शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिवारों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर सराहना की थी. उन्हीं के कहने पर आम नागरिक थाली पीटते और दीये जलाते नज़र आए और स्वास्थ्यकर्मियों पर सेना के हेलीकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियों की बारिश की गई.लेकिन ये परिवार आज किस हालत में हैं. इसी पर है बीबीसी संवाददाता @jugal_rp कि ये रिपोर्ट विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
कहा जाता था कि 1980 और 1990 के दशक में इस्लामाबाद के सबसे ताक़तवर व्यक्ति डॉ. ख़ान ही थे. अविभाजित भारत में जन्मे डॉ क़दीर ख़ान को पाकिस्तान का 'रक्षक' कहा जाता है.
योगी पर ओवैसी का निशाना- बाबा काम किए होते तो अब्बा-अब्बा नहीं चिल्लाना पड़ता
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल
मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है.
12 सितंबर यानी रविवार
को यूपी के मुख्यमंत्री ने राज्य की पहले की सरकारों पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया था.
योगी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, ''क्या 2017 के पहले राशन मिलता
था? तब तो अब्बाजान करने वाले
राशन हजम कर जाते थे. तब कुशीनगर का राशन बांग्लादेश पहुँच जाता था, नेपाल पहुँच जाता था.''
योगी से इस बयान पर
ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया में ट्वीट कर कहा है, ''कैसा तुष्टीकरण? प्रदेश के मुसलमानों की साक्षरता-दर सबसे कम है. मुस्लिम बच्चों बीच में ही पढ़ाई
छोड़ने में सबसे आगे हैं. मुस्लिम इलाक़ों में स्कूल-कॉलेज नहीं खोले जाते. अल्पसंख्यकों
के विकास के लिए केंद्र सरकार से बाबा की सरकार को 16207 लाख मिले थे, बाबा ने सिर्फ ₹1602 लाख खर्च किया.''
ओवैसी ने अपने दूसरे
ट्वीट में लिखा है, ''2017-18 में प्रधानमंत्री
ग्रामीण आवास योजना के तहत मात्र 10 मुसलमानों को घर
मिले.”अब्बा के बहाने किसके वोटों
का तुष्टीकरण हो रहा है बाबा? देश के 9 लाख बच्चे गंभीर तौर पर कुपोषित हैं, जिनमें से चार लाख बच्चे सिर्फ़ यूपी से हैं.''
ओवैसी ने कहा,
''ग्रामीण उत्तर प्रदेश में 13944 सब-सेंटर्स की कमी है, 2936 पीएचसी की कमी है, 53% सीएचसी की कमी है. केंद्र सरकार के मुताबिक़ बाबा-राज में यूपी
के पीएचसी में सबसे कम डॉक्टर मौजूद हैं. कुल 2277 डॉक्टरों की कमी है. अगर काम किए होते तो अब्बा, अब्बा चिल्लाना नहीं पड़ता.''
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ऑस्कर फ़र्नांडिस का निधन, कई हफ़्तों से थे बीमार
@INCIndiaCopyright: @INCIndia
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ऑक्सर फ़र्नांडिस का मैंगलोर में निधन हो गया है. फ़र्नांडिस बीते कई हफ़्तों से बीमार चल रहे थे.
कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि उन्हें फ़र्नांडिस की कमी खलेगी.
पार्टी ने ट्वीट किया, "ऑस्कर फर्नांडीस जी के निधन से हमें गहरा दुख हुआ है, उनके परिवार के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना. उनकी समावेशी भारत का विज़न, हमारे वक़्त की सियासत को काफ़ी प्रभावित करता रहा.कांग्रेस परिवार को उनके मार्गदर्शन की कमी खलेगी.
वर्ष 1975-76 में उडुपी में नगरपालिका पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले फर्नांडीस, पहली बार 1980 में उडुपी से लोकसभा के लिए चुने गए थे.
उन्होंने लगातार पांच बार संसद में उडुपी का प्रतिनिधित्व किया.
मुल्ला बरादर के ज़ख़्मी होने या मारे जाने की ख़बर झूठी: सुहैल शाहीन
Getty ImagesCopyright: Getty Images
तालिबान के लिए प्रवक्ता के तौर पर अंतरराष्ट्रीय
मीडिया में बात करने वाले सुहैल शाहीन ने मुल्ला बरादर अखुंद के हवाले से उनके ज़ख़्मी होने या मारे जाने की ख़बर
को ख़ारिज किया है.
सुहैल शाहीन ने ट्वीट कर दावा किया, ''इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान के उप-प्रधानमंत्री ने वॉइस मैसेज में उन दावों को ख़ारिज किया है, जिनमें एक संघर्ष में उनके मारे जाने या ज़ख़्मी होने की बात कही जा रही थी. उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से झूठी और बेबुनियाद ख़बर है.''
अफ़ग़ानिस्तान की
कमान अपने हाथ में लेने के बाद तालिबान ने सात सितंबर को मुल्ला बरादर को उप-प्रधानमंत्री
बनाने की घोषणा की थी. तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद सरकार
के मुखिया यानी प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी.
साल 2010 से लेकर 2018 तक पाकिस्तान की जेल में रहने वाले बरादर ने तालिबान और अमेरिकी
सरकार के बीच समझौते में अहम भूमिका निभाई थी.
साल 2010 में पाकिस्तान ने बरादर को कराची में गिरफ़्तार
कर लिया और अगले 8 साल तक नहीं छोड़ा
था. कहा जाता है कि मुल्ला बरादर पाकिस्तान की पसंद नहीं थे, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिली.
तालिबान के एक और प्रवक्ता डॉ एम. नईम ने मुल्ला बरादर को उस वॉइस मैसेज को ट्विटर पर पोस्ट किया है.
मुल्ला बरादर ही 2019 से दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का नेतृत्व कर रहे थे और अंतरराष्ट्रीय वार्ता भी इन्हीं के नेतृत्व में चल रही थी.
मार्च 2020 में बरादर ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फ़ोन पर बात की थी. इसे डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में स्वीकार किया है.
कहा जा रहा था कि मुल्ला बरादर के पास ही अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार की कमान होगी, लेकिन ये भी कहा जा रहा था कि पाकिस्तान उन पर भरोसा नहीं करता है इसलिए मुश्किल है.
रमीज़ राजा बने पीसीबी के प्रमुख, कहा भारत से खेलने के लिए 'पीछे-पीछे' नहीं भागेंगे
पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और जाने-माने कंमेंटेटर रमीज़ राजा ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख के रूप में आज से एक नई पारी शुरू की है.
BBCCopyright: BBC
रमीज़ राजा ने पद संभालने के बाद पत्रकारों से बात की. एक सवाल के जवाब में रमीज़ राजा ने कहा कि वो भारत के साथ क्रिकेट खेलने के लिए, पीछे-पीछे नहीं भागेंगे.
भूपेंद्र पटेल ने ली गुजरात के CM पद की शपथ, पीएम मोदी ने दी बधाई
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भूपेंद्र पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. तेज़ी से बदलते घटनाक्रम में, निर्वतमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
शपथ समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे.
रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को विधायक दल का नेता चुना था.
नए मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई है और कहा, "भूपेंद्र भाई को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की बधाई. मैं उन्हें वर्षों से, उनके काम की वजह से जानता हूं. वे गुजरात के विकास को आगे ले कर जाएंगे."
पीएम मोदी ने विजय रुपाणी के बारे में कहा कि, "अपने पांच साल के कार्यकाल में विजय रुपाणी ने कई जनहित के कार्य किए हैं. वे समाज के सभी तबकों के लिए अथक मेहनत करते रहे. मुझे यक़ीन है कि आने वाले समय में भी वे जनसेवा में अपना योगदान देते रहेंगे."
शपथ ग्रहण समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, असम की मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद जोशी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने भाग लिया.
पेगासस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफ़िडेविट दायर करने से किया इनकार
ReutersCopyright: Reuters
कथित
पेगासस जासूसी मामले में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम
कोर्ट में कहा कि वो इस मामले की जाँच की पड़ताल के लिए दायर की गई याचिकाओं को
लेकर एफ़िडेविट दायर नहीं करेगी.
केंद्र
सरकार ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना की खंडपीठ के आगे यह कहा है कि ‘आतंकी संगठनों को यह नहीं पता चलना चाहिए कि आतंक से लड़ने
के लिए किन सॉफ़्टवेयर्स का इस्तेमाल हो रहा है.’
केंद्र के हलफ़नामा दाख़िल न करने के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस का ऑर्डर रिज़र्व रखा है. सुप्रीम कोर्ट अब अगले दो दिन में एक अंतरिम आदेश पास करेगा.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार
मेहता ने कहा कि ‘कोई ख़ास सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल होता
है या नहीं यह मामला पब्लिक डोमेन के लिए नहीं है.’
सुप्रीम
कोर्ट में केंद्र सरकार ने एक बार फिर ‘राष्ट्रीय
सुरक्षा’ का हवाला दिया है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के तर्क को
समझता है इसीलिए सरकार से सिर्फ़ लोगों के फ़ोन हैक करने जैसे दावों पर
प्रतिक्रिया मांगी गई है.
जस्टिस सूर्य कांत ने कहा,“पिछली बार भी राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क आया था और हमने
साफ़ किया था कि कोई भी किसी भी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा में दख़ल नहीं दे सकता
है. हमने आपसे पूछा था कि व्यक्तिगत रूप से लोगों के फ़ोन हैक होने का दावा है..
तो आप अपना एफ़िडेविट फ़ाइल करिए जिसको यह अधिकार दिया गया है.”
उन्होंने कहा, “हम व्यक्तिगत फ़ोन हैक होने के मुद्दों पर चिंतित हैं. किस
एजेंसी को यह शक्ति है और क्या कोई इसके लिए अधिकृत है या नहीं. यहां पर कुछ लोग
हैं जिन्होंने कहा है कि उनकी निजता के अधिकार का हनन हुआ है.”
केंद्र
सरकार ने जाँच समिति बनाने का दिया प्रस्ताव
सॉलिसिटर
जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे की जाँच इस कार्यक्षेत्र से जुड़े
विशेषज्ञों की एक समिति कर सकती है जो इसकी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में दाख़िल कर
सकती है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार विशेषज्ञों की एक
तकनीकी समिति बनाएगी और उन याचिकाकर्ताओं और लोगों के फ़ोन की जाँच करेगी
जिन्होंने उनकी जासूसी किए जाने का दावा किया है.
AFPCopyright: AFP
उन्होंने कहा कि यह समिति ही पता लगाएगी कि पेगासस से यह
जासूसी की गई थी या यह फ़ोन हैकिंग का मामला था.
चीफ़
जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सॉलिसिटर
जनरल मेहता से कहा, “सुप्रीम कोर्ट
ने एक डिटेल एफ़िडेविट फ़ाइल करने के लिए उचित और निष्पक्ष मौक़ा दिया था ताकि याचिका
से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी राय जानी जा सके. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है
तो सुप्रीम कोर्ट विभिन्न पक्षों को सुनेगा और एक उपयुक्त आदेश जारी करेगा.”
तीन जजों
की खंडपीठ ने 7 सितंबर को इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाओं पर जवाब देने के
लिए केंद्र सरकार को और समय दिया था क्योंकि उस समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने
कहा था कि एफ़िडेविट दायर करने को लेकर उनको आधिकारिक अनुमति नहीं मिल सकी है.
इसराइल की ग़ज़ा पट्टी पर जवाबी कार्रवाई, हमास के ठिकानों को बनाया निशाना
EPACopyright: EPA
हमास के नियंत्रण वाले ग़ज़ा पट्टी से दागे
गए रॉकेट के जवाब में सोमवार की सुबह इसराइली विमानों ने ग़ज़ा पट्टी पर कुछ जगहों
को निशाना बनाया है.
ऐसा लगातार तीसरी रात को भी हुआ है जब दोनों ने
एक-दूसरे को निशाना बनाया है.
पिछले
सप्ताह इसराइली जेल से छह फ़लस्तीनी क़ैदियों के भाग निकलने के बाद तनाव चरम पर है
जबकि इसी साल मई में 11 दिन तक चले युद्ध के बाद मिस्र की मध्यस्थता के कारण
युद्ध-विराम लागू हुआ था.
इसराइली
सेना का कहना है कि बीती रविवार रात और सोमवार सुबह को कुल तीन रॉकेट दागे गए
जिसमें से कम से कम दो को रॉकेट डिफ़ेंस सिस्टम ने उन्हें हवा में ही नाकाम कर
दिया था.
इसके
जवाब में इसराइली सेना ने हमास के कई ठिकानों को निशाना बनाया. दोनों ओर से अब तक
किसी नुक़सान की कोई ख़बर नहीं है.
दो
क़ैदियों को अभी भी ढूंढ रहा है इसराइल
बीते
सोमवार को इसराइल की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली एक जेल से छह फ़लस्तीनी क़ैदी
फ़रार हो गए जिनमें से चार को पकड़ लिया गया था.
फ़लस्तीनी
लड़ाकों ने इसके बाद रॉकेट हमले किए थे. इसराइल बाक़ी दो क़ैदियों को अभी भी ढूंढ
रहा है.
वहीं,
दूसरी ओर मिस्र एक लंबे युद्ध विराम की कोशिशें कर रहा है और ग़ज़ा में रहने वाले
परिवारों को क़तर की नई आर्थिक रक़म की प्रणाली को लेकर इसराइल को सहमत करने की
कोशिश कर रहा है.
इसराइल
ने गारंटी मांगी है कि हमास इस पैसे को सैन्य इस्तेमाल में नहीं लगाएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़तालिबान के क़ब्ज़े के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय उड़ान काबुल पहुंची
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने जानकारी दी है कि
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल
फ़्लाइट काबुल पहुंची है.
यह पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की उड़ान थी
जो कुछ यात्रियों को लेकर काबुल एयरपोर्ट पर उतरी है.
एएफ़पी के पत्रकार के अनुसार, इस उड़ान में ‘तक़रीबन 10 लोग’ थे. अल-जज़ीरा ने भी इसकी पुष्टि की है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिए क़तर के विशेष दूत क़हतानी ने अल-जज़ीरा को बताया है कि आज की फ़्लाइट इवेकुएशन (निकासी) के लिए नहीं बल्कि यात्रियों की बेरोक-टोक आवाजाही के लिए है.
लाइव रिपोर्टिंग
रिपोर्टर- मोहम्मद शाहिद, पवन सिंह अतुल और रजनीश कुमार
time_stated_uk
तुर्की और राष्ट्रपति अर्दोआन पर पहली बार बोला तालिबान
तालिबान ने कहा, ''अगर तुर्की मस्लिम भाई के तरह सामने आएगा तो हम भी उसी भाव से सामने आएंगे और इस रुख़ का स्वागत है. हम तुर्की को 'मुस्लिम भाई' के तौर पर देखते हैं.''
और पढ़ेंअमेरिका में हिंदुत्व के ख़िलाफ़ हुए सम्मेलन पर क्यों बरपा है इतना हंगामा?
दिलनवाज़ पाशा
बीबीसी संवाददाता
सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध में चले अभियानों के बीच 'डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' नाम से हुई इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में हिंदुत्व को नफ़रत से प्रेरित विचारधारा बताया गया और इस पर सवाल खड़े किए गए.
और पढ़ेंअल-क़ायदा: 9/11 के 20 साल बाद ये संगठन कहां खड़ा है?
अब्दुल सैय्यद
शोधकर्ता और विश्लेषक, स्वीडन
अल-क़ायदा का इतिहास और सच क्या है और पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान के साथ उसके कैसे संबंध रहे हैं, पढ़िए
और पढ़ेंधन्यवाद
बीबीसी हिंदी का यह लाइव पेज अब यहीं बंद हो रहा है. मंगलवार, 14 सितंबर के ताज़ा अपडेट्स, विश्लेषण और वीडियो के लिए यहाँ क्लिक करें.
पंजशीर घाटी में कम से कम 20 नागरिकों को मारा गया
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान और विरोधियों के बीच जारी संघर्ष नें कम से कम 20 नागरिक मारे गए हैं.
पंजशीर घाटी में संचार माध्यमों के बंद होने से रिपोर्टिंग काफ़ी मुश्किल हो गई है.
लेकिन बीबीसी के पास इसके सबूत हैं कि संयम बरतने के वादे के बावजूद तालिबान ने लोगों को मारा है.
पंजशीर में धूल भरी सड़क के किनारे के वीडियो फुटेज में वर्दी पहने एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है और उसे तालिबान लड़ाकों ने घेर रखा है. तभी गोलियों की आवाज सुनाई देती है और वह जमीन पर गिर जाता है .
यह साफ़ नहीं है कि मारा गया व्यक्ति सेना का सदस्य था या नहीं- इस क्षेत्र में सेना जैसी वर्दी आम बात है है. वीडियो में एक व्यक्ति ज़ोर देकर कहता है कि वह एक आम नागरिक है.
बीबीसी का मानना है कि पंजशीर में कम से कम 20 इस तरह की मौतें हुई हैं.
पीड़ितों में से एक व्यक्ति अब्दुल सामी दुकानदार और दो बच्चों का पिता था.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उसने तालिबान के लड़कों से कहा, "मैं सिर्फ़ एक ग़रीब दुकान का मालिक हूँ और युद्ध से मेरा कोई लेना-देना नहीं है."
लेकिन उसे विरोधी लड़ाकों को सिम कार्ड बेचने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया.
कुछ दिनों बाद उसका शव उसके घर के पास फेंक दिया गया था. उसके शव को देखने वाले प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि उसके शरीर पर यातना के निशान थे.
तालिबान: रूस के इस इनकार पर बोला चीन
सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय की दैनिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में चाइना डेली ने सवाल पूछा कि अफ़ग़ान तालिबान ने अंतरिम सरकार का उद्घाटन समारोह रद्द कर दिया है. रूसी राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार के उद्घाटन समारोह में रूस शामिल नहीं होगा. इस आपकी क्या टिप्पणी है?
इस सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजिअन ने कहा, ''अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार का उद्घाटन समारोह होगा या नहीं, ये उनका आंतरिक मामला है. इसके साथ ही सभी देशों को अधिकार है कि वे किसी के उद्घाटन समारोह में जाएं या नहीं जाएं. चीन सभी देशों के फ़ैसलों का सम्मान करता है.''
चाओ लिजिअन ने एक और टिप्पणी में कहा कि अफ़ग़ान तालिबान ने अपनी ज़मीन का इस्तेमाल किसी भी मुल्क के ख़िलाफ़ नहीं होने देने का वादा किया है और उसे इस वादो को निभाना चाहिए.
सऊदी अरब जाना है तो ये नियम होंगे अनिवार्य
सऊदी अरब की जनरल अथॉरिटी ऑफ सिविल एविएशन यानी जीएसीए ने सोमवार को विदेशों से आने वालों के लिए नए नियम जारी किए हैं.
सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी यानी एसपीए के अनुसार नए नियम 23 सितंबर से प्रभावी होंगे.
जिन्होंने कोविड वैक्सीन नहीं लगवाई है या एक ही डोज़ लगवाई है और जिन्होंने वैसी कोविड वैक्सीन लगाई है, जिसका अप्रूवल विश्व स्वास्थ्य संगठन या सऊदी अरब से नहीं मिला है या फिर WHO ने अप्रूवल दे दिया है लेकिन सऊदी अरब ने नहीं दिया है, उनके लिए यह ज़रूरी है-
सऊदी अरब में उमरा के लिए ये ग़लती की तो भुगतना होगा
सऊदी अरब ने घोषणा की है कि जो बिना अनुमति के मक्का में उमरा इबादत करने की कोशिश करेंगे, उन पर 10 हज़ार रियाल यानी 2,666 डॉलर का जुर्माना लगेगा. ये जानकारी सऊदी अरब के राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने ट्वीट कर दी है.
सऊदी अरब की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने कहा है कि जुर्माना पवित्र शहर मक्का में बिना अनुमति के प्रवेश की कोशिश पर लगेगा. सऊदी की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने कहा कि उमरा के दौरान कोरोना संक्रमण नियंत्रण में रहे, इसीलिए यह फ़ैसला लिया गया है.
जो भी उमरा के लिए मक्का जाना चाहते हैं, उन्हें मस्जिद में एंट्री के लिए एक पर्मिट लेना होगा. इसे सऊदी अरब की कोविड-19 ट्रैकिंग ऐप तावकालना (Tawakkalna) और एतमारना (Eatmarna) से हासिल किया जा सकता है. सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्रालय ने पिछले बुधावार को घोषणा की थी कि 9 सितंबर से उमरा तीर्थयात्रियों की संख्या एक दिन 70,000 की जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र: अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय त्रासदी टालने के लिए 60 करोड़ डॉलर की ज़रूरत
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के लिए सहायता के लिए साठ करोड़ अमेरिकी डॉलर की ज़रूरत है.
यूएन ने साफ़ कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान एक बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने सोमवार को जिनेवा में एक सम्मेलन के दौरान बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में "तत्काल भोजन, दवा, स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षित पानी की आवश्यकता है."
उनका कहना था कि लोगों को राहत के लिए 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाने होंगे.
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “दशकों की जंग के बाद अब वक़्त आ गया है कि दुनिया अफ़ग़ान लोगों के साथ खड़ी हो. पिछले हफ़्तों के नाटकीय घटनाक्रम से पहले भी अफ़ग़ानिस्तान, दुनिया भर में सबसे ख़राब मानवीय संकट से जूझ रहा था. लेकिन अब लाखों लोग बेघर हैं. साथ ही देश में भयानक सूखा पड़ने के आसार हैं.”
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के बहुत सारे लोगों के पास इस महीने के आख़िर तक खाने के लिए कुछ नहीं होगा.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान को एक लाइफ़लाइन की ज़रूरत है, वरना वहां के हालात भयावह हो सकते हैं.
तालिबान ने प्रधानमंत्री अखुंद की ताज़ा तस्वीर जारी की
तालिबान ने सोमवार को अफग़ानिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद की अभी की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की है.
क़तर की राजधानी दोहा में तालिबान के दफ़्तर के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने ये तस्वीर पोस्ट की है. नईम ने तस्वीर के साथ लिखा है, ''राष्ट्रपति भवन में इस्लामिक अमीरात अफ़ग़ानिस्तान के प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद.''
तस्वीर में दिख रहा है कि अखुंद कुर्सी पर बैठे हुए हैं. इससे पहले मुल्ला हसन अखुंद के जवानी के दिनों के तस्वीर ही लोगों ने देखी थी. इस तस्वीर में अखुंद बुज़ुर्ग दिख रहे हैं.
1999 में अखुंद अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री के तौर पर पाकिस्तान आए थे और उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात की थी. दोनों नेताओं की गर्मजोशी के हाथ मिलाते हए तस्वीर आज भी सोशल मीडिया पर शेयर की जाती है.
ये वही मुल्ला अखुंद हैं, जिन्होंने 2001 में बामियान में बुद्ध की मूर्तियाँ तुड़वाई थीं.
कोरोना का इलाज किया, जान भी गंवाई, उन डॉक्टरों को मोदी सरकार से मिला क्या?: बीबीसी पड़ताल
बीबीसी ने एक ख़ास पड़ताल जिन स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना की वजह से मौत हुई थी उनको सरकार ने क्या मिला ये जानने का प्रयास किया.
महामारी की शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिवारों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर सराहना की थी. उन्हीं के कहने पर आम नागरिक थाली पीटते और दीये जलाते नज़र आए और स्वास्थ्यकर्मियों पर सेना के हेलीकॉप्टर से फूलों की पंखुड़ियों की बारिश की गई.लेकिन ये परिवार आज किस हालत में हैं. इसी पर है बीबीसी संवाददाता @jugal_rp कि ये रिपोर्ट विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
पाकिस्तान को परमाणु बम देने वाले डॉ क़दीर ख़ान पीएम इमरान ख़ान से निराश
कहा जाता था कि 1980 और 1990 के दशक में इस्लामाबाद के सबसे ताक़तवर व्यक्ति डॉ. ख़ान ही थे. अविभाजित भारत में जन्मे डॉ क़दीर ख़ान को पाकिस्तान का 'रक्षक' कहा जाता है.
और पढ़ेंयोगी पर ओवैसी का निशाना- बाबा काम किए होते तो अब्बा-अब्बा नहीं चिल्लाना पड़ता
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई है.
12 सितंबर यानी रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री ने राज्य की पहले की सरकारों पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया था.
योगी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, ''क्या 2017 के पहले राशन मिलता था? तब तो अब्बाजान करने वाले राशन हजम कर जाते थे. तब कुशीनगर का राशन बांग्लादेश पहुँच जाता था, नेपाल पहुँच जाता था.''
योगी से इस बयान पर ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया में ट्वीट कर कहा है, ''कैसा तुष्टीकरण? प्रदेश के मुसलमानों की साक्षरता-दर सबसे कम है. मुस्लिम बच्चों बीच में ही पढ़ाई छोड़ने में सबसे आगे हैं. मुस्लिम इलाक़ों में स्कूल-कॉलेज नहीं खोले जाते. अल्पसंख्यकों के विकास के लिए केंद्र सरकार से बाबा की सरकार को 16207 लाख मिले थे, बाबा ने सिर्फ ₹1602 लाख खर्च किया.''
ओवैसी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है, ''2017-18 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत मात्र 10 मुसलमानों को घर मिले.”अब्बा के बहाने किसके वोटों का तुष्टीकरण हो रहा है बाबा? देश के 9 लाख बच्चे गंभीर तौर पर कुपोषित हैं, जिनमें से चार लाख बच्चे सिर्फ़ यूपी से हैं.''
ओवैसी ने कहा, ''ग्रामीण उत्तर प्रदेश में 13944 सब-सेंटर्स की कमी है, 2936 पीएचसी की कमी है, 53% सीएचसी की कमी है. केंद्र सरकार के मुताबिक़ बाबा-राज में यूपी के पीएचसी में सबसे कम डॉक्टर मौजूद हैं. कुल 2277 डॉक्टरों की कमी है. अगर काम किए होते तो अब्बा, अब्बा चिल्लाना नहीं पड़ता.''
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ऑस्कर फ़र्नांडिस का निधन, कई हफ़्तों से थे बीमार
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ऑक्सर फ़र्नांडिस का मैंगलोर में निधन हो गया है. फ़र्नांडिस बीते कई हफ़्तों से बीमार चल रहे थे.
कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि उन्हें फ़र्नांडिस की कमी खलेगी.
पार्टी ने ट्वीट किया, "ऑस्कर फर्नांडीस जी के निधन से हमें गहरा दुख हुआ है, उनके परिवार के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना. उनकी समावेशी भारत का विज़न, हमारे वक़्त की सियासत को काफ़ी प्रभावित करता रहा.कांग्रेस परिवार को उनके मार्गदर्शन की कमी खलेगी.
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
वर्ष 1975-76 में उडुपी में नगरपालिका पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले फर्नांडीस, पहली बार 1980 में उडुपी से लोकसभा के लिए चुने गए थे.
उन्होंने लगातार पांच बार संसद में उडुपी का प्रतिनिधित्व किया.
मुल्ला बरादर के ज़ख़्मी होने या मारे जाने की ख़बर झूठी: सुहैल शाहीन
तालिबान के लिए प्रवक्ता के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बात करने वाले सुहैल शाहीन ने मुल्ला बरादर अखुंद के हवाले से उनके ज़ख़्मी होने या मारे जाने की ख़बर को ख़ारिज किया है.
सुहैल शाहीन ने ट्वीट कर दावा किया, ''इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान के उप-प्रधानमंत्री ने वॉइस मैसेज में उन दावों को ख़ारिज किया है, जिनमें एक संघर्ष में उनके मारे जाने या ज़ख़्मी होने की बात कही जा रही थी. उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से झूठी और बेबुनियाद ख़बर है.''
अफ़ग़ानिस्तान की कमान अपने हाथ में लेने के बाद तालिबान ने सात सितंबर को मुल्ला बरादर को उप-प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी. तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद सरकार के मुखिया यानी प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी.
साल 2010 से लेकर 2018 तक पाकिस्तान की जेल में रहने वाले बरादर ने तालिबान और अमेरिकी सरकार के बीच समझौते में अहम भूमिका निभाई थी.
साल 2010 में पाकिस्तान ने बरादर को कराची में गिरफ़्तार कर लिया और अगले 8 साल तक नहीं छोड़ा था. कहा जाता है कि मुल्ला बरादर पाकिस्तान की पसंद नहीं थे, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिली.
तालिबान के एक और प्रवक्ता डॉ एम. नईम ने मुल्ला बरादर को उस वॉइस मैसेज को ट्विटर पर पोस्ट किया है.
मुल्ला बरादर ही 2019 से दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का नेतृत्व कर रहे थे और अंतरराष्ट्रीय वार्ता भी इन्हीं के नेतृत्व में चल रही थी.
मार्च 2020 में बरादर ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फ़ोन पर बात की थी. इसे डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में स्वीकार किया है. कहा जा रहा था कि मुल्ला बरादर के पास ही अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार की कमान होगी, लेकिन ये भी कहा जा रहा था कि पाकिस्तान उन पर भरोसा नहीं करता है इसलिए मुश्किल है.
रमीज़ राजा बने पीसीबी के प्रमुख, कहा भारत से खेलने के लिए 'पीछे-पीछे' नहीं भागेंगे
पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और जाने-माने कंमेंटेटर रमीज़ राजा ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख के रूप में आज से एक नई पारी शुरू की है.
रमीज़ राजा ने पद संभालने के बाद पत्रकारों से बात की. एक सवाल के जवाब में रमीज़ राजा ने कहा कि वो भारत के साथ क्रिकेट खेलने के लिए, पीछे-पीछे नहीं भागेंगे.
भूपेंद्र पटेल ने ली गुजरात के CM पद की शपथ, पीएम मोदी ने दी बधाई
भूपेंद्र पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. तेज़ी से बदलते घटनाक्रम में, निर्वतमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
शपथ समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे.
रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को विधायक दल का नेता चुना था.
नए मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई है और कहा, "भूपेंद्र भाई को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की बधाई. मैं उन्हें वर्षों से, उनके काम की वजह से जानता हूं. वे गुजरात के विकास को आगे ले कर जाएंगे."
पीएम मोदी ने विजय रुपाणी के बारे में कहा कि, "अपने पांच साल के कार्यकाल में विजय रुपाणी ने कई जनहित के कार्य किए हैं. वे समाज के सभी तबकों के लिए अथक मेहनत करते रहे. मुझे यक़ीन है कि आने वाले समय में भी वे जनसेवा में अपना योगदान देते रहेंगे."
शपथ ग्रहण समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, असम की मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद जोशी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने भाग लिया.
भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में भी नहीं थे. फिर कैसे वे बाज़ी मार ले गए. ये जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट
पेगासस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफ़िडेविट दायर करने से किया इनकार
कथित पेगासस जासूसी मामले में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस मामले की जाँच की पड़ताल के लिए दायर की गई याचिकाओं को लेकर एफ़िडेविट दायर नहीं करेगी.
केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना की खंडपीठ के आगे यह कहा है कि ‘आतंकी संगठनों को यह नहीं पता चलना चाहिए कि आतंक से लड़ने के लिए किन सॉफ़्टवेयर्स का इस्तेमाल हो रहा है.’
केंद्र के हलफ़नामा दाख़िल न करने के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस का ऑर्डर रिज़र्व रखा है. सुप्रीम कोर्ट अब अगले दो दिन में एक अंतरिम आदेश पास करेगा.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘कोई ख़ास सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल होता है या नहीं यह मामला पब्लिक डोमेन के लिए नहीं है.’
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने एक बार फिर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला दिया है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के तर्क को समझता है इसीलिए सरकार से सिर्फ़ लोगों के फ़ोन हैक करने जैसे दावों पर प्रतिक्रिया मांगी गई है.
जस्टिस सूर्य कांत ने कहा,“पिछली बार भी राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क आया था और हमने साफ़ किया था कि कोई भी किसी भी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा में दख़ल नहीं दे सकता है. हमने आपसे पूछा था कि व्यक्तिगत रूप से लोगों के फ़ोन हैक होने का दावा है.. तो आप अपना एफ़िडेविट फ़ाइल करिए जिसको यह अधिकार दिया गया है.”
उन्होंने कहा, “हम व्यक्तिगत फ़ोन हैक होने के मुद्दों पर चिंतित हैं. किस एजेंसी को यह शक्ति है और क्या कोई इसके लिए अधिकृत है या नहीं. यहां पर कुछ लोग हैं जिन्होंने कहा है कि उनकी निजता के अधिकार का हनन हुआ है.”
केंद्र सरकार ने जाँच समिति बनाने का दिया प्रस्ताव
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे की जाँच इस कार्यक्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों की एक समिति कर सकती है जो इसकी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में दाख़िल कर सकती है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार विशेषज्ञों की एक तकनीकी समिति बनाएगी और उन याचिकाकर्ताओं और लोगों के फ़ोन की जाँच करेगी जिन्होंने उनकी जासूसी किए जाने का दावा किया है.
उन्होंने कहा कि यह समिति ही पता लगाएगी कि पेगासस से यह जासूसी की गई थी या यह फ़ोन हैकिंग का मामला था.
चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने एक डिटेल एफ़िडेविट फ़ाइल करने के लिए उचित और निष्पक्ष मौक़ा दिया था ताकि याचिका से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी राय जानी जा सके. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो सुप्रीम कोर्ट विभिन्न पक्षों को सुनेगा और एक उपयुक्त आदेश जारी करेगा.”
तीन जजों की खंडपीठ ने 7 सितंबर को इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को और समय दिया था क्योंकि उस समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि एफ़िडेविट दायर करने को लेकर उनको आधिकारिक अनुमति नहीं मिल सकी है.
क्या है पेगासस मामला और यह भारत के लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक क्यों है? जानने के लिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें..
इसराइल की ग़ज़ा पट्टी पर जवाबी कार्रवाई, हमास के ठिकानों को बनाया निशाना
हमास के नियंत्रण वाले ग़ज़ा पट्टी से दागे गए रॉकेट के जवाब में सोमवार की सुबह इसराइली विमानों ने ग़ज़ा पट्टी पर कुछ जगहों को निशाना बनाया है.
ऐसा लगातार तीसरी रात को भी हुआ है जब दोनों ने एक-दूसरे को निशाना बनाया है.
पिछले सप्ताह इसराइली जेल से छह फ़लस्तीनी क़ैदियों के भाग निकलने के बाद तनाव चरम पर है जबकि इसी साल मई में 11 दिन तक चले युद्ध के बाद मिस्र की मध्यस्थता के कारण युद्ध-विराम लागू हुआ था.
इसराइली सेना का कहना है कि बीती रविवार रात और सोमवार सुबह को कुल तीन रॉकेट दागे गए जिसमें से कम से कम दो को रॉकेट डिफ़ेंस सिस्टम ने उन्हें हवा में ही नाकाम कर दिया था.
इसके जवाब में इसराइली सेना ने हमास के कई ठिकानों को निशाना बनाया. दोनों ओर से अब तक किसी नुक़सान की कोई ख़बर नहीं है.
दो क़ैदियों को अभी भी ढूंढ रहा है इसराइल
बीते सोमवार को इसराइल की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली एक जेल से छह फ़लस्तीनी क़ैदी फ़रार हो गए जिनमें से चार को पकड़ लिया गया था.
फ़लस्तीनी लड़ाकों ने इसके बाद रॉकेट हमले किए थे. इसराइल बाक़ी दो क़ैदियों को अभी भी ढूंढ रहा है.
वहीं, दूसरी ओर मिस्र एक लंबे युद्ध विराम की कोशिशें कर रहा है और ग़ज़ा में रहने वाले परिवारों को क़तर की नई आर्थिक रक़म की प्रणाली को लेकर इसराइल को सहमत करने की कोशिश कर रहा है.
इसराइल ने गारंटी मांगी है कि हमास इस पैसे को सैन्य इस्तेमाल में नहीं लगाएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़तालिबान के क़ब्ज़े के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय उड़ान काबुल पहुंची
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने जानकारी दी है कि अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल फ़्लाइट काबुल पहुंची है.
यह पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की उड़ान थी जो कुछ यात्रियों को लेकर काबुल एयरपोर्ट पर उतरी है.
एएफ़पी के पत्रकार के अनुसार, इस उड़ान में ‘तक़रीबन 10 लोग’ थे. अल-जज़ीरा ने भी इसकी पुष्टि की है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिए क़तर के विशेष दूत क़हतानी ने अल-जज़ीरा को बताया है कि आज की फ़्लाइट इवेकुएशन (निकासी) के लिए नहीं बल्कि यात्रियों की बेरोक-टोक आवाजाही के लिए है.