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J&K के 2 पूर्व CM का तालिबानी राग:महबूबा बोलीं- तालिबान शरिया कानून से सरकार चलाए, फारूक ने कहा- उम्मीद है तालिबानी सरकार इस्लाम के सिद्धांतों का पालन करेगी

श्रीनगर3 वर्ष पहले
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अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां से हिंसा और जुल्म की तस्वीरें सामने आ रही हैं। दूसरी तरफ कश्मीर में नेता उसके समर्थन में बयान दे रहे हैं। बुधवार को जम्मू-कश्मीर के 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों ने तालिबान सरकार का समर्थन किया। PDP चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि तालिबान अब हकीकत बन चुका है। यह बात समझनी चाहिए। तालिबान को अफगानिस्तान में शरिया कानून से सरकार चलाना चाहिए।

वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला ने भी तालिबान का समर्थन किया है। अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि मुझे उम्मीद है कि तालिबान अच्छी तरह सरकार चलाएगा। उम्मीद है कि तालिबान सरकार अफगानिस्तान में इस्लाम के सिद्धांतों का पालन करेगी और मानवाधिकारों का ख्याल रखेगी। तालिबान को सभी देशों से दोस्ताना रिश्ते बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

आर्टिकल 370 पर रुख में बदलाव नहीं
फारूक नेशनल कॉन्फ्रेंस के फाउंडर शेख अब्दुल्ला की 39वीं पुण्यतिथि पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे जम्मू कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 बहाल करने और राज्य का दर्जा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनके रुख में बदलाव नहीं आया है।

उमर अब्दुल्ला ने भी पूछा था केंद्र से सवाल
पिछले हफ्ते फारूक के बेटे उमर अब्दुल्ला ने तालिबान को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया था। उन्होंने कहा था कि केंद्र इस बात पर अपना रुख साफ करे क्या वह तालिबान को आतंकी संगठन मानता है या नहीं? अगर नहीं मानता है तो क्या संयुक्त राष्ट्र की आतंकी संगठनों की लिस्ट से तालिबान का नाम हटवाया जाएगा, क्योंकि भारत अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है।

AIMPLB के प्रवक्ता ने कहा था- तालिबान को सलाम

18 अगस्त को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने एक वीडियो मैसेज जारी किया था। इसमें उन्होंने तालिबानियों को अफगानिस्तान में हुकूमत कायम करने की बधाई दी थी और कहा था कि गरीब और निहत्थी कौम ने दुनिया की सबसे मजबूत फौज को शिकस्त दी, आपकी हिम्मत को सलाम।

उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त 2021 की तारीख इतिहास बन गई। अफगानिस्तान की सरजमीं पर एक निहत्थी और गरीब कौम, जिसके पास न साइंस, न टेक्नोलॉजी, न दौलत, न हथियार और न तादाद थी, उसने पूरी दुनिया की सबसे ज्यादा मजबूत फौजों को शिकस्त दी और काबुल के सरकारी महल में वो दाखिल हो गए।'

मुनव्वर राना ने RSS से की थी तालिबान की तुलना
शायर मुनव्वर राना ने तालिबान की तुलना RSS, BJP और बजरंग दल से की थी। उनके बयान पर काफी विवाद हुआ था। राना ने कहा था कि अफगानिस्तान से ज्यादा क्रूरता तो हिंदुस्तान में है। तालिबानी-अफगानी जो भी हैं, जैसे भी हैं, सब एक हैं। जैसे हमारे यहां बजरंग दल, BJP और RSS सब एक हैं। 1000 साल पुराना इतिहास उठाकर देख लीजिए, अफगानियों ने कभी हिंदुस्तान को धोखा नहीं दिया है।

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