प्रशांत किशोर ने हाल ही में राहुल गांधी से मुलाकात की थी। कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर जल्द कांग्रेस के साथ आ सकते हैं। लेकिन इस बार बातचीत थोड़ी आसान नहीं है क्योंकि प्रशांत किशोर ने राहुल से पार्टी में बड़ा पद मांगा है। साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। कांग्रेस इन चुनावों में पूरा दम लगाना चाहती है। प्रशांत किशोर ने वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने साल 2014 के चुनाव से संबंधित एक सवाल पूछा था।

बरखा दत्त पूछती हैं, ‘नीतीश कुमार ने नोटबंदी को बहुत बड़ी गलती बताया था और विपक्षी नेताओं की एकता की मांग की, लेकिन फिर अचानक बदल गए। तेजस्वी ने तो फिर उन्हें सही पलटू चाचा कहा। क्या 2014 में नरेंद्र मोदी से अलग होना गलती थी?’ प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘मुझे ये समझाने के लिए दो मिनट का समय दीजिए। आपने सही कहा कि नीतीश ने सबको एक करने का प्रयास किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि विपक्ष को अपने मुद्दों पर आना चाहिए। नीतीश ने जरूर कोशिश की थी।’

नीतीश कुमार को नहीं चाहते थे हराना: प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘मैंने उन्हें कहा कि आप पब्लिक में जाइए और बताइए। अब 2014 में नरेंद्र मोदी से अलग होने का सवाल बिहार से है या बाहर से है? 2014 में जब नीतीश ने लोकसभा का चुनाव हारा तो उन्हें सीएम के पद से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं थी। बिहार के लोगों ने भी उनके इस फैसले को पसंद नहीं किया। क्योंकि साल 2014 में मोदी को वोट देने का मतलब नीतीश कुमार को हराना नहीं था।’

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव पर क्या बोले प्रशांत किशोर: चुनाव रणनीतिकार ने कहा, ‘जनता नीतीश को ही सीएम बनाना चाहती थी। अगर आप बिहार में देखेंगे तो नीतीश को काफी पसंद किया जाता है, लेकिन बाहर ऐसा नहीं है। बिहार में भी लोग कहते थे कि ये चुनाव तो मोदी का चुनाव था, बिहार में तो हमें नीतीश ही चाहिए। क्योंकि वहां मोदी और बीजेपी है। आप बिहारी हैं तो नीतीश कुमार जरूर ठीक लगेंगे। तो ऐसा ही हुआ भी 2015 के चुनाव में और पार्टी को अच्छे-खासे मार्जिन से जीत भी मिली।’