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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:वर्तमान समय में केवल थ्रिलर बन रहे हैं, नैराश्य के इस दौर में थ्रिलर एक दवा का काम करता है

3 वर्ष पहले
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जयप्रकाश चौकसे, फिल्म समीक्षक - Dainik Bhaskar
जयप्रकाश चौकसे, फिल्म समीक्षक

दूसरे विश्व युद्ध के समय हिटलर की सेना फ्रांस पर विजय प्राप्त कर चुकी थी। फ्रांस के देशभक्त हिटलर की फौजी टुकड़ियों पर गोरिल्ला शैली में आक्रमण करते थे। साधनों का अभाव था परंतु उनका जोश काम नहीं था। एक दिन उनके साथी कुछ हथियार अपने अंडर ग्राउंड कैंप तक भेजना चाहते थे। उन्होंने अपने दल के एक साथी से ट्रक के जुगाड़ के लिए कहा। किसी तरह ट्रक जुगाड़ा गया।

निचली सतह पर हथियार रखे और ऊपर मांस भर दिया गया। ट्रक पर तारपोलीन लगा दिया गया। कुछ दूर जाने पर सामने से आते हुए नाजी सैनिकों को साइड दी गई। इसी समय हथियार वाला ट्रक और नाजी सैनिकों का ट्रक आपस में सटकर निकले, जिससे तारपोलीन थोड़ा सा फट गया। उसमें भरे मांस के टुकड़े नीचे गिरने लगे। कुत्ते पीछे पड़ गए।

नाजी ट्रक ड्राइवर ने यह देखा और ट्रक का पीछा किया। सारे हथियार और ट्रक ड्राइवर नाजी सैनिकों के हाथ लग गया। इस प्रसंग पर फिल्म बनी। इस तरह सिनेमा में थ्रिलर फॉर्मेट का उदय हुआ। अल्फ्रेड हिचकॉक के रहस्य-रोमांच से अलग है थ्रिलर विधा। भारत में नीरज पांडे और उनके निकट रहे सहयोगी शिवम नायर ने थ्रिलर बनाए।

नीरज की ‘बेबी’ सराही गई। शिवम नायर की तरफ से तापसी पन्नू अभिनीत ‘नाम शबाना’ भी सफल रही। ज्ञातव्य है कि शिवम नायर, राज कपूर पर लगभग 4 घंटे के वृत्तचित्र की तैयारी कर रहे हैं। शिवम नायर ने सिमी ग्रेवाल द्वारा बनाया गया वृत्तचित्र देखा है। दूरदर्शन के लिए एक अन्य व्यक्ति ने भी वृत्तचित्र बनाया है। शिवम नायर नए दृष्टिकोण से वृत्तचित्र बनाना चाहते हैं।

ज्ञातव्य है कि भारतीय संसद पर पांच आतंकवादियों ने आक्रमण किया था। वे पांचों मार गिराए गए। शिवम नायर ने ‘स्पेशल ऑप्स’ में एक काल्पनिक रचना इस तरह की कि आतंकवादियों की संख्या 6 थी। यही व्यक्ति बच गया। बाद में इसी व्यक्ति ने अन्य साथियों की मदद से 26/11 को मुंबई में एक आतंकवादी आक्रमण कराया और इस बार वह भी मारा गया। 1993 में मुंबई धमाकों पर अनुराग कश्यप ने ‘ब्लैक फ्राईडे’ नामक डॉक्यू ड्रामा बनाया।

‘नाम शबाना’ की अगली कड़ी पर विचार किया जा रहा है। आदित्य चोपड़ा ने थ्रिलर विधा में नए ढंग में ‘एक था टाइगर’ बनाई। जिसमें प्रेम कथा भी गूंथी गई। अलग-अलग ढंग से बनाई जाने वाली फिल्मों के बीच कोई कटीले तार बिछाए नहीं जाते कि इधर से उधर नहीं हो सकते। वर्तमान समय के फिल्मकार विविध विषयों पर फिल्में बनाते हैं।

शुजित सरकार ने प्रयोग किए हैं। अजय बहल, अनीस बज्मी, कबीर खान और रोहित शेट्टी भी विविध फिल्में बनाते हैं। रोहित शेट्टी की ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण ने प्रभावोत्पादक अभिनय किया है। विगत कुछ वर्षों में राजकुमार हिरानी की सभी फिल्में लोकप्रिय हुई हैं। खबर है कि शाहरुख खान के साथ वे शीघ्र ही नई फिल्म की शूटिंग प्रारंभ करने जा रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ के लिए हिरानी ने पहले शाहरुख से ही बात की थी। शाहरुख को भय था कि फिल्म के निर्माता विधु विनोद चोपड़ा से उनकी पटेगी नहीं। इसलिए शाहरुख नहीं चाहते थे कि नए निर्देशक का नुकसान हो। बहरहाल इस समय कहीं कोई अनबन नहीं है। बोमन ईरानी भी राजकुमार हिरानी की सभी फिल्मों में अहम पात्र अभिनीत करते हैं। महामारी से सभी लोग आहत हैं। नैराश्य के इस दौर में थ्रिलर एक दवा का काम करता है।

शीघ्र ही सिनेमाघर प्रारंभ करने की इजाजत मिल जाएगी। कुछ शहरों में प्रदर्शन जारी हुआ है परंतु दर्शक संख्या बहुत ही कम है। टेलीविजन पर प्रसारित तथाकथित हास्य समझने वालों की नादानी पर रोना आता है। बहरहाल थ्रिलर ही बनाए जा रहे हैं। संगीत में प्रेम कथा कोई नहीं बना रहा है। दौर बदलते रहते हैं।

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