बीजेपी के मंत्री ने 1947 में लाल किले से दिए नेहरू के भाषण को बताया महंगाई का कारण -प्रेस रिव्यू
मध्य प्रदेश में बीजेपी के एक मंत्री ने शनिवार को कहा कि महंगाई की समस्या एक या दो दिन में नहीं आई है. उन्होंने 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से जवाहरलाल नेहरू के दिए भाषण की गलतियों को देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति के लिए ज़िम्मेदार बताया.
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि अगर देश के पहले प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी ने अर्थव्यवस्था को अच्छी स्थिति में छोड़ा होता तो मुद्रास्फीति नियंत्रण में होती.
बढ़ती महंगाई और दूसरे मुद्दों पर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर भोपाल में पत्रकारों से बात करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश की आज़ादी के बाद अर्थव्यवस्था को लचर बनाकर महंगाई बढ़ाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह नेहरू परिवार को ही जाता है.
उन्होंने कहा कि महंगाई एक-दो दिन में नहीं बढ़ती. अर्थव्यवस्था की नींव एक-दो दिन में नहीं रखी जाती है. 15 अगस्त, 1947 को लाल किले की प्राचीर से जवाहरलाल नेहरू ने जो भाषण दिया, उन्हीं गलतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था की ये हालत हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले सात सालों में अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के शासन में महंगाई कम हुई है और लोगों की आय बढ़ी है. उन्होंने तंज़ करते हुए कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को 10 जनपथ जाकर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने कहा कि उस समय देश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी लेकिन जवाहर लाल नेहरू ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसकी उपेक्षा की.
उन्होंने कहा,"हमारी आबादी का सत्तर प्रतिशत हिस्सा कृषि पर निर्भर है लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की. ग्रामीण अर्थव्यवस्था टिकाऊ और आत्मनिर्भर थी. उन्होंने इसमें अपनी पश्चिमी मानसिकता डाल दी और गांव की अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया."
सारंग ने आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा परिस्थितियों के लिए नेहरू की ग़लत नीतियां ही ज़िम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि औद्योगीकरण करना ठीक था, लेकिन इसे कृषि आधारित होना चाहिए था.
विश्वास सारंग ने कहा कि कश्मीर विवाद, आंतरिक सुरक्षा और सीमा पार के मुद्दे जैसी समस्याएं नेहरू के समय की हैं और अभी भी बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि इन समस्याओं ने हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है.
विश्वास सारंग की इन टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है और मज़ाक भी उड़ाया है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सर्कस के योग्य मंत्री विश्वास सारंग 1947 में दिए नेहरू के भाषण को देश में बढ़ती महंगाई के लिए कारण बता रहे हैं. उस समय तो वह पैदा भी नहीं हुए होंगे. चिकित्सा शिक्षा मंत्री के रूप में क्या वह यह बता सकते हैं कि क्या नेहरू ही कोरोना वायरस महामारी के दौरान बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी के कारण हजारों मौतों के लिए जिम्मेदार थे?
मोदी सरकार को ऑक्सीजन की कमी से मौतों का आँकड़ा देने के लिए 10 दिन की मोहलत
"ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई, राज्यों से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली."
पिछले महीने केंद्र की मोदी सरकार की ओर से यह बयान संसद में दिया गया था जिसकी तीखी आलोचना हुई थी.
अब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने मोदी सरकार को ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का आँकड़ा जारी करने के लिए 10 दिनों का समय दिया है.
अंग्रेज़ी अख़बार द टेलिग्राफ़ ने यह रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित की है.
सीआईसी, सूचना के अधिकार क़ानून के तहत बनाई गई एक संवैधानिक संस्था है.
'राष्ट्रीय हितों का हवाला देना न्यायसंगत नहीं'
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सीआईसी ने निर्देश दिया है कि केंद्र सरकार अगले 10 दिन के भीतर मेडिकल ऑक्सीजन की व्यवस्था देखने वाले अधिकारियों और विशेषज्ञों के सामने आक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का आँकड़ा पेश करे.
केंद्रीय सूचना आयोग ने यह भी कहा है कि मोदी सरकार ने जिस तरह राष्ट्रीय हितों का हवाला देते हुए कोरोना महामारी से निबटने की तैयारियों की जानकारी देने से इनकार किया है, वो 'न्यायसंगत' नहीं मालूम पड़ता.
सीआईसी का यह आदेश दिल्ली के ट्रांसपैरेसी (पारदर्शिता) एक्टिविस्ट सौरभ दास की अपील के बाद आया है जिसमें उन्होंने मेडिकल ऑक्सीजन से जुड़े रिकॉर्ड सार्वजनिक करने की माँग की थी.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में मेडिकल ऑक्सीजन का भारी संकट पैदा हो गया था. दिल्ली समेत कई बड़े शहरों के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे थे और सरकार को विदेशों से ऑक्सीजन मँगानी पड़ी थी.
दिल्ली के तीन अस्पतालों में 40 से अधिक लोगों के ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने से मौत की ख़बरें भी आई थीं.
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संसद की कार्यवाही ठप होने से लोगों को 133 करोड़ रुपये ज़्यादा का नुक़सान
संसद में रोज़-रोज़ होने वाले हंगामे और सदन की कार्यवाही बाधित होने के कारण देश के करदाताओं को 133 करोड़ रुपये से ज़्यादा नुक़सान हुआ है.
अंग्रेज़ी अख़बार बिज़नस स्टैंडर्ड में छपी ख़बर में सरकारी सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक़ संसद के मॉनसून सत्र के कम से कम 89 घंटे बर्बाद हुए हैं.
मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष ने पेगासस जासूसी और अन्य मामलों पर जमकर हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित की जाती रही.
विपक्षी दलों ने सरकार पर चर्चा, बहस और जवाबदेही से बचने का आरोप लगाया तो सरकार ने विपक्षी पार्टियों पर सदन न चलने देने का आरोप.
इन सबके कारण संसद तय 107 घंटों में से महज 18 घंटे ही चल पाई और टैक्सपेयर्स को 133 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुक़सान हुआ.
संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था और 13 अगस्त तक चलेगा.
बार-बार लटक रहा है मोदी सरकार का प्रोजेक्ट
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी भारत नेट परियोजना की डेडलाइन एक बार फिर मिस हो गई है.
अंग्रेज़ी अख़बार डेक्कन हेरल्ड में छपी ख़बर के अनुसार केंद्र सरकार ने 30 जून को भारत नेट परियोजना के लिए एक 'संशोधित रणनीति' को मंज़ूरी दी. इसी के साथ परियोजना का बजट बढ़कर 42,068 करोड़ से 61,109 करोड़ हो गया है.
इस परियोजना के पहले चरण में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल की मदद से देश के 16 राज्यों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है.
भारत नेट परियोजना के तहत साल 2023 तक भारत के 6.3 लाख गाँवों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन पहुँचाने की बात कही गई थी.
ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से इसका ऐलान किया था.
शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के तहत अगस्त 2021 तक देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फ़ाइबर से जोड़ने का लक्ष्य रखा था लेकिन यह डेडलाइन भी मिस हो गई थी.
सरकार ने इस साल मार्च में संसद को बताया था कि अब तक सिर्फ़ 1.5 लाख ग्राम पंचायतों की सेवा तैयार है और 5.09 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल बिछाई गई है.
सरकार की ओर से तब कहा गया था कि कोरोना महामारी की पाबंदियों और लॉकडाउन के कारण इस परियोजना पर असर पड़ा.
जातीय जनगणना: 'पीएम मोदी से समय माँगेंगे नीतीश कुमार'
बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय माँगेंगे.
आरजेडी नेता तेजस्वी ने कहा, "मुख्यमंत्री बिहार विधानसभा की जाति आधारित जनगणना की माँग से सहमत हो गए हैं. वो इस बारे में औपचारिक रूप से बात करने के लिए पीएम मोदी से समय माँगेंगे."
केंद्र सरकार ने संसद में बयान दिया था कि जातीय जनगणना में अब सिर्फ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति को शामिल किया जाएगा.
इसके बाद बिहार समेत कई राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की भी जातीय जनगणना की माँग उठने लगी थी.
बिहार में बीजेपी के अलावा सभी पार्टियाँ पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को भी जातीय जनगणना में शामिल करने की माँग कर रही हैं.
यह ख़बर टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने प्रकाशित की है.
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