रिपोर्टर- अनंत प्रकाश, रजनीश कुमार, सिंधुवासिनी, विभुराज और अपूर्व कृष्ण
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प्रेस फ्रीडम पर बोला चीन, अमेरिका पहले अपनी गिरेबां में झांककर देखे
अमेरिकी विदेश
मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा है कि अमेरिका चीन में
विदेशी पत्रकारों के प्रति जासूसी, उत्पीड़न और उन्हें डराने – धमकाने की घटनाओं
में बढ़ोतरी को लेकर बेहद चिंतित है.
उन्होंने लिखा है
कि चीनी सरकार इससे बेहतर कर सकती है और उसे करना चाहिए.
चीन ने अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमेरिकी सरकार को पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए.
अमेरिकी न्यूज़ समूह ब्लूमबर्ग ने शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता चाओ लिजियन से इस मसले पर सवाल पूछा.
इस सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए लिजियन ने अमेरिका में चीनी पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार को याद दिलाया.
उन्होंने कहा –
"हम इन अमेरिकी टिप्पणियों को दृढ़ता से ख़ारिज करते हैं. अमेरिकी बयान कुछ दिनों पहले तथाकथित फॉरेन कॉरेसपॉन्डेंट क्लब ऑफ़ चाइना द्वारा दिए गए बयान से अलग नहीं है. दोनों ही तथ्यों की अवहेलना करते हैं, सही और गलत को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं, और निराधार आरोपों के साथ चीन पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं."
सेंसरशिप पर क्या बोला चीन
लिजियन ने सेंसरशिप आरोप पर ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान पत्रकारों के साथ अमेरिका में हुए कथित सलूक का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “सेंसरशिप, उत्पीड़न और पत्रकारों को डराने-धमकाने की बात करते हुए, अमेरिका को निम्नलिखित तथ्यों को नहीं भूलना चाहिए.
2018 से, अमेरिका ने 20 से अधिक चीनी पत्रकारों को बिना कारण बताए वीजा देने से इनकार कर दिया है. इसने कई चीनी मीडिया के अमेरिकी दफ़्तरों को विदेशी मिशन के रूप में नामित किया है और उनके कर्मचारियों की संख्या पर एक सीमा रखी है, 60 चीनी पत्रकारों का नाम लिया गया है लेकिन सभी को निष्कासित कर दिया गया है.
चीनी पत्रकारों को सिर्फ तीन महीने लंबा प्रवास वीजा जारी करने के भेदभावपूर्ण प्रतिबंधात्मक उपाय को भी लागू किया है."
कैपिटल हिल प्रदर्शनों का ज़िक्र
उन्होंने कहा, "कई वीडियो रिकॉर्ड दिखाते हैं कि कैसे जॉर्ज फ़्लॉइड (की मृत्यु) के बाद प्रदर्शनों को कवर करने वाले पत्रकारों को अमेरिकी लॉ इनफोर्समेंट अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया. इसके साथ ही उन पर शारीरिक रूप हमला किया गया.
अमेरिकी कांग्रेस में प्रदर्शनकारियों द्वारा जबरन घुसने का प्रयास करने पर, कैपिटल हिल के बाहर सामान्य रूप से लाइव करने वाली जगह पर खड़े कई पत्रकारों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किया गया. इसमें एक चीनी पत्रकार भी शामिल था.
यदि ये पत्रकारों के ख़िलाफ़ दमन, उत्पीड़न, डराना और धमकाना नहीं हैं और उनकी सुरक्षा एवं स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन नहीं है, तो हम इन्हें क्या कहें?”
आख़िर में लिजियन ने कहा कि “अमेरिका के संबंध में, यह केवल पत्रकारों और प्रेस की स्वतंत्रता पर "बेहतर कर सकते हैं" की बात नहीं है, बल्कि ग़लतियों को सुधारने और तत्काल सुधार करने की आवश्यकता है. अमेरिका को खुद पर विचार करना चाहिए और चीन पर बेवजह हमले बंद करने चाहिए.”
अफ़ग़ान सरकार वजूद के संकट से जूझ रही: रिपोर्ट
EPACopyright: EPA
अमेरिकी संस्था
‘साइगर’ ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार एक बहुत बड़े ख़तरे का सामना
कर रही है, जिससे उसका अस्तित्व संकट में पड़ सकता है.
यूएस स्पेशल
इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफ़ग़ानिस्तान रिकंसलिएशन (साइगर) ने बताया है कि अब तक कुल मिलाकर जो स्थिति सामने आई है, वह स्पष्ट रूप से अफ़ग़ानिस्तान सरकार के लिए अनुकूल नहीं है.
इसका समाधान नहीं किया गया या इस ट्रेंड को बदला नहीं गया तो अफ़ग़ानिस्तान के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो सकता है.
इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान सरकार की सेना, वायु सेना, घटता राजस्व और बढ़ती हिंसा जैसे कई मुद्दों का आकलन किया गया है.
रिपोर्ट बताती है कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार का अब भी काबुल समेत 34 प्रांतीय राजधानियों पर नियंत्रण है.
दोहा समझौते के बाद बढ़ी हिंसा
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से आंकड़ों के माध्यम से बताया गया है कि क़तर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबानी गुटों के बीच समझौता होने के बाद ज़मीन पर हिंसा में किस तरह तेज़ी आई है.
रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल फ़रवरी में अमेरिका और तालिबान गुट में समझौता होने के बाद से तालिबानी लड़ाकों की ओर से किए जाने वाले हमलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इस साल मार्च 2021 से मई 2021 के बीच तालिबान लड़ाकों की ओर से 10383 हमले किए गए. इसके साथ ही समझौते के बाद आम लोगों की हत्याओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
साल 2021 की पहली तिमाही में 673 तो दूसरी तिमाही में 705 लोगों की मौत हुई है.
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राजस्व में कटौती
रिपोर्ट के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान सरकार को अपने कुल आयात शुल्क का 34.3 फ़ीसदी हिस्सा हेरात, कंधार और कुंदुज़ प्रांतों में स्थित सीमावर्ती चौकियों से मिलता था.
ख़बरों के मुताबिक़, इनमें से कई जगहों पर तालिबान गुटों का कब्जा है और कई जगहों पर दोनों पक्षों में हिंसक संघर्ष जारी है.
इसके साथ ही ऐसी ख़बरें भी आ रही हैं कि तालिबान ने इन चौकियों पर सीमा-शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है.
बुरी हालत में अफ़ग़ान सेना
रिपोर्ट के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान सेना के ज़्यादातर दस्ते अफ़ग़ान नेशनल आर्मी स्पेशल ऑपरेशन कॉर्प्स की मदद के बिना मिशन को अंजाम देने से मना कर देते हैं.
इसके साथ ही अफ़ग़ानिस्तान से नेटो सेना जाने के बाद से अफ़ग़ान वायु सेना पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है.
अफ़ग़ान वायु सेना एयर सपोर्ट से लेकर टोही अभियानों, आपूर्ति समेत कई अन्य तरह के अभियानों को अंजाम दे रही है.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अफ़ग़ान वायु सेना के विमान इन अभियानों को अंजाम देते हुए अपनी क्षमता से 25 फ़ीसदी अधिक काम कर रहे हैं. उन्हें जितना आराम मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिल पा रहा है, जिसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.
सोशल मीडिया पर यह वीडियो ख़ूब शेयर किया जा रहा है. इसमें रिंग में जाने से ठीक पहले महिला जूडो खिलाड़ी को उनके जर्मन कोच ज़ोर से झकझोड़ते और थप्पड़ मारते दिख रहे हैं.
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते लंबे समय तक देशभर के सिनेमा हॉल बंद रहे. अब इन्हें धीरे-धीरे कर खोला जा रहा है.
पाकिस्तान से मोरक्को तक फैला डेल्टा वैरिएंट, मध्य-पूर्व में 'चौथी लहर' शुरू
विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को बताया है कि डेल्टा वैरिएंट की वजह से मध्य-पूर्व
के देशों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है जिससे इस क्षेत्र में “चौथी लहर” शुरू हो रही है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, यहाँ टीकाकरण की दर बेहद कम है.
विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि सबसे पहले भारत में नज़र आए इस वैरिएंट को उसके
दायरे में आने वाले 22 में से 15 देशों में देखा गया है. इनमें पाकिस्तान से लेकर
मोरक्को जैसे देश शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य
संगठन के पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के निदेशक अहमद अल-मंधारी ने कहा, "ज़्यादातर नए मामले और
अस्पताल में भर्ती वाले मरीजों को अब तक टीका नहीं लगा है. अब हम इस क्षेत्र में
चौथी लहर में है.”
इस क्षेत्र
में 41 मिलियन यानी कुल आबादी के सिर्फ 5.5 फीसदी लोगों को वैक्सीन मिली है.
पिछले महीने
के मुक़ाबले इस क्षेत्र में संक्रमण 55 फीसदी बढ़ गया है और मौतों की संख्या में
15 फीसदी की बढ़त है. हर हफ़्ते इस क्षेत्र में 3500 लोगों की मौत और 3.1
लाख नए मामले सामने आ रहे हैं.
ट्यूनीशिया जैसे देश, जो उत्तरी अफ्रीका में सबसे अधिक
कोविड -19 मौतों का सामना कर चुके हैं, महामारी को रोकने के
लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इस क्षेत्र
में ऑक्सीज़न टैंक से लेकर आईसीयू बेड की भारी कमी देखी जा रही है.
विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि तेजी से फैलते इस वैरिएंट ने इस क्षेत्र में मुख्य
स्ट्रेन का स्थान हासिल कर लिया है.
दीपिका कुमारी पर जब देश भर की निगाहें टिकी थीं तब राँची में उनके घर पर सन्नाटा था
आनंद
दत्ता, राँची
से
बीबीसी हिंदी के लिए
दुनिया की नंबर एक तीरंदाज
दीपिका कुमारी का ओलंपिक सफ़र अब ख़त्म हो गया है. तीरंदाजी इवेंट के अंतिम आठ में वह अन सान से हार गईं.
शुक्रवार सुबह जब उन्होंने प्री क्वार्टर मुक़ाबला रोमांचक अंतर से जीता तो देश भर की उम्मीदें उन पर टिक गई थी
लेकिन रांची ज़िला
मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर रातु स्थित दीपिका के घर में कोई हलचल नहीं थी.
वजह, उनके घर में बिजली
नहीं थी. बीते दो दिन से हो रही भारी बारिश के कारण बिजली बार बार कट रही थी.
दीपिका का आख़िरी मैच भी घरवालों ने नहीं देखा. वहां माजूद कुछ मीडिया कर्मियों ने
उनके भाई दीपक कुमार से कहा कि मोबाइल पर ही मैच देख लें, लेकिन
उन्होंने इनकार कर दिया. ये शायद ओलंपिक खेलों में पदक जीतने को लेकर उम्मीदों के
बोझ का दवाब ही होगा.
दीपिका
के पिता शिवनारायण प्रजापति घर में मौजूद नहीं थे. वहीं मां गीता देवी लगातार घर
में ही बंद रही.
दीपिका
के भाई दीपक ने बताया कि "ये जो परिणाम आया है, उसके लिए मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता हूं.
दीदी ने बहुत अच्छा ट्राई किया. मेहनत की और आगे बढ़ी. अपना बेस्ट से बेस्ट दिया
है उन्होंने. ओलंपिक में दुनिया भर के खिलाड़ी आते हैं, सभी
जीतने के लिए ही आते हैं. हार गई तो कोई बात नहीं. फिर चार साल बाद ओलंपिक आएगा,
फिर दीदी अपना बेस्ट देंगी."
उन्होंने
कहा कि "मैच होते रहता है. दीदी को किसी तरह का दवाब नहीं लेना चाहिए."
शिल्पा शेट्टी को हाई कोर्ट की दो-टूक, मीडिया पर चाहती थीं लगाम, और 25 करोड़ हर्जाना
ANICopyright: ANI
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि गिरफ़्तार व्यवसायी राज कुंद्रा की पत्नी अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के बारे में ख़बर देने पर रोक लगाने से प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर असर पड़ेगा.
अदालत ने शिल्पा शेट्टी की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कहा. इसमें उन्होंने कहा था कि उनके और उनके परिवार के बारे में मानहानि करने वाले लेख प्रकाशित किए जा रहे हैं.
उन्होंने अपने अंतरिम आवेदन में मीडिया को “ग़लत, झूठे, विद्वेषपूर्ण और मानहानि करने वाली“ सामग्रियाँ छापने पर रोक लगाए जाने का आग्रह किया था.
जस्टिस गौतम पटेल ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा, "क्या अच्छी पत्रकारिता है और क्या बुरी, इसे लेकर न्यायपालिका की एक सीमा है क्योंकि ये प्रेस की स्वतंत्रता का एक नज़दीकी मामला है."
अदालत ने कहा कि शिल्पा शेट्टी ने जिन लेखों का ज़िक्र किया है उनसे मानहानि होती प्रतीत नहीं होती.
अदालत ने ये कहते हुए कि ज़्यादातर लेखों में पुलिस सूत्रों के हवाले से ख़बर दी गई थी, कहा- “पुलिस सूत्रों के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट मानहानि वाली नहीं हो सकती. अगर बात आपके घर के भीतर की होती और कोई नहीं होता वहाँ तो बात अलग थी. मगर ये जो बातें लिखी गई हैं वो दूसरों की मौजूदगी में हुईं. तो ये मानहानि कैसे है?“
जस्टिस पटेल ने पूछा, “ऐसा नहीं हो सकता कि अगर आप मेरे बारे में सब अच्छा-अच्छा नहीं छाप सकते तो आप कुछ नहीं छाप सकते. ऐसा कैसे हो सकता है?“
शिल्पा शेट्टी ने अपने आवेदन में ये कहते हुए 25 करोड़ रुपये के हर्जाने की भी माँग की थी कि मीडिया संगठनों और गूगल, फ़ेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वजह से उनकी प्रतिष्ठा को भारी नुक़सान हुआ है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए ये निर्देश जारी करने की भी माँग की थी कि उनसे कहा जाए कि वो अपने यहाँ से उनके और उनके परिवार के बारे में मानहानि करने वाली सामग्रियाँ हटा दें.
इस बारे में जस्टिस पटेल ने कहा, “आपका गूगल, यूट्यूब और फ़ेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों के संपादकीय सामग्रियों को नियंत्रित करने का अनुरोध करना ख़तरनाक बात है.“
हालाँकि, जस्टिस पटेल ने यूट्यूब के तीन निजी चैनलों पर पर तीन लोगों के वीडियो ये कहते हुए डिलीट करने और फिर से अपलोड नहीं करने का निर्देश दिया कि उनका इरादा सच्चाई को सामने लाना नहीं है.
पाकिस्तान कश्मीर चुनाव पर भारत की प्रतिक्रिया से नाराज़, राजनयिक को किया तलब
पाकिस्तान ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हुए चुनाव पर भारत की प्रतिक्रियाओं का "खंडन" करने के लिए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के एक शीर्ष राजनयिक को तलब किया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारतीय राजनयिक को ये बताने के लिए समन कर विदेश मंत्रालय बुलाया गया कि पाकिस्तान भारत के विरोध को पूरी तरह से ख़ारिज करता है.
25 जुलाई को हुए चुनाव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई को शानदार जीत मिली थी और वो पहली बार वहाँ सत्ता में आ गई है.
भारत ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के चुनाव को एक "दिखावा" बताते हुए कहा था कि ये और कुछ नहीं बल्कि पाकिस्तान के "अवैध कब्ज़े को ढकने की एक कोशिश" है और उसने इस पर अपना कड़ा विरोध दर्ज किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था कि पाकिस्तान का "भारतीय क्षेत्रों पर कोई अधिकार नहीं है" और उसे इन्हेंं अवश्य खाली करना चाहिए.
उन्होंने कहा था, "पाकिस्तान के अवैध क़ब्ज़े वाले भारतीय क्षेत्र में हुआ ये तथाकथित चुनाव और कुछ नहीं बस पाकिस्तान का अपने अवैध क़ब्ज़े पर पर्दा डालने का एक प्रयास है."
इसके जवाब में अब पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि "भारत को जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों से अपने अवैध क़ब्ज़े को तत्काल ख़त्म करना चाहिए और जम्मू और कश्मीर विवाद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को पूरी तरह से लागू करना चाहिए".
सीबीएसई परिणामः 99.37% पास, 65 हज़ार के नतीजे रोके गए
सरोज सिंह
बीबीसी संवाददाता
सीबीएसई
ने साल 2020-21 अकादमिक वर्ष के लिए बारहवीं कक्षा के नतीजे घोषित कर दिए हैं. इस
साल कोविड महामारी की वजह से इस साल परीक्षाएं आयोजित नहीं की गई हैं.
इस
साल 99.37 प्रतिशत छात्रों को पास घोषित किया गया है. ये सीबीएसई का अब तक का
सर्वोच्च पास प्रतिशत है.
सीबीएसई
के मुताबिक, 65184 छात्रों का रिज़ल्ट घोषित नहीं किया गया है. इनका रिज़ल्ट 3-4
अगस्त को जारी किया जा सकता है.
पिछले
साल सीबीएसई ने 13 जुलाई को रिज़ल्ट घोषित कर दिया था लेकिन इस साल 30 जुलाई को
रिज़ल्ट आया है. सीबीएसई को इस साल मार्किंग स्कीम तय करने और फिर उसके आधार पर
रिजल्ट तैयार करने में काफ़ी समय लग गया था. इस साल परीक्षा रद्द होने के कारण
टॉपर लिस्ट और मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं की गई है.
सीबीएसई
ने नतीजे असेसमेंट स्कीम के आधार पर दिए हैं और अधिकतर छात्रों को पास घोषित किया
है.
सीबीएसई
के पैनल ने मूल्यांकन के लिए 30-30-40 का फार्मूला अपनाया है जिसके तहत दसवीं और
11वीं के नतीजों को 30 प्रतिशत वेटेज दिया गया है जबकि 12वीं के प्री बोर्ड नतीजों
को 40 फीसदी वेटेज दिया गया है.
इसी
मार्किंग स्कीम के तहत नतीजे घोषित किए गए हैं.
क्यों
रोके गए साठ हजार से अधिक छात्रों के नतीजे?
जिन
छात्रों के नतीजे नहीं आए हैं वो ऐसे स्कूलों से हैं जहां इसी साल बारहवीं में
छात्रों को शामिल किया गया था.
सीबीएसई
के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बीबीसी को बताया कि साठ हज़ार से अधिक
छात्रों के नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं ये देशभर के 1060 से अधिक स्कूलों से हैं.
संयम
भारद्वाज ने बीबीसी से कहा,
'कुछ बच्चों के नतीजे हमने रोके हैं.
अधिकतर
रिजल्ट उन स्कूलों के रोके गए हैं जिन्होंने पहली बार बारहवीं की परिक्षाएं कराई
गई हैं.'
भारद्वाज
कहते हैं, 'सीबीएसई जब इनके नतीजों का आंकलन कर रहा था तो लग रहा था कि सही से उनका
असेसमेंट नहीं हो पा रहा है. इसलिए अभी उनके रिज़ल्ट को रोकने का निर्णय लिया गया
है. 03-04 अगस्त तक उनके नतीजे जारी कर दिए जाएंगे.'
भारद्वाज
कहते हैं, 'अब इन छात्रों को अलग से रेफ्रेंस इयर दिया जा रहा है ताकि इनका रिज़ल्ट
पुराने परीक्षा परिणामों के अनुरूप ही बन सके.'
रिज़ल्ट
लेटर उन बच्चों का होता है जिनका नतीजा किसी वजह से पूरा नहीं हो पाया होता है.
सीबीएसई हर साल ऐसे रिजल्ट रोकता है.
भारद्वाज
कहते हैं, 'लेकिन इतनी बड़ी तादाद में कभी बच्चों के नतीजे नहीं रोके गए हैं. इसकी
वजह है कि 1060 नए स्कूलों के नतीजे रोक दिए गए हैं.'
सीबीएसई
के मुताबिक उन स्कूलों के नतीजे भी रोके गए हैं जिनके बच्चों का डाटा पूरा नहीं
था.
संयम
भारद्वाज के मुताबिक, इस साल पास प्रतिशत बढ़ने की एक वजह ये भी है कि स्कूलों ने
बच्चों को नंबर दिए हैं. ऐसे छात्र जो एक या दो नंबरों से फेल हो रहे होंगे उन्हें
पास कर दिया गया है.
हांगकांग: चीनी राष्ट्रगान बजने पर लगे 'हाय-हाय' के नारे, हो रही है जाँच
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हांगकांग में कुछ लोगों ने उस समय चीन का राष्ट्रगान
बजने पर ‘हाय-हाय’ के नारे लगा दिए जब एदर चेंउग ने टोक्यो ओलंपिक में तलवारबाज़ी में गोल्ड मेडल
जीता.
हांगकांग के एक शॉपिंग मॉल में सैकड़ों लोग एदर चेंउग का मैच देखने और उनका समर्थन करने के लिए इकट्ठे हुए थे.
उनके गोल्ड मेडल जीतने के बाद नियमों के मुताबिक़ चीन का
राष्ट्रगान बजाया. जैसे ही चीनी राष्ट्रगान बजने लगा, भीड़ में से कुछ लोग ‘हाय-हाय’ करने लगे. वो लोग कह रहे थे, “हम लोग हांगकांग के हैं."
एक वीडियो में यह सारा घटनाक्रम
देखा जा सकता है.
हाल ही में पास हुए एक क़ानून के मुताबिक़ चीनी राष्ट्रगान
का अपमान करना ग़ैरक़ानूनी है.
इस क़ानून के मुताबिक़ दोषी पाए जाने वाले शख़्स को तीन साल
तक की जेल हो सकती है और 6,400 डॉलर (तकरीबन
पाँच लाख रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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ब्रिटेन का झंडा फहराया गया
कुछ रिपोर्ट्स का कहना है इस दौरान ब्रितानी झंडा भी फहराया
गया और लोगों ने नारे लगाए.
कहा जा रहा है कि इसे नेशनल सिक्योरिटी लॉ के उल्लंघन के
तौर पर भी देखा जा सकता है.
इस क़ानून के तहत चीन से अलग होने की माँग या 'अलगाववाद
को भड़काने वाले' को उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है.
पुलिस सूत्रों ने स्थानीय मीडिया से बताया कि वो मॉल के
सिक्यॉरिटी कैमरों से फुटेज जुटा रहे हैं और इसकी जाँच कर रहे हैं.
इसी हफ़्ते हांगकांग में नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत पहले
व्यक्ति को सज़ा हुई थी.
ये दोनों ही क़ानून पिछले हफ़्ते भारी विवाद के बीच पारित
किए गए थे. आलोचकों का कहना है कि ये क़ानून अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगाते
हैं.
वहीं, हांगकांग प्रशासन और चीनी सरकार इन आरोपों से
इनकार करते हैं और कहते हैं कि लोगों में शांति और 'देशभक्ति की भावना' बरक़रार रखने
के लिए ये क़ानून ज़रूरी हैं.
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क्यों होते हैं हांगकांग में चीन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन?
साल 2019 में हांगकांग में बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए थे.
हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर सुरक्षाबलों से भिड़ गए थे और लोकतांत्रिक सुधारों की माँग की थी.
इसके बाद से ही चीन ने पाबंदियां और कार्रवाइयाँ और कठोर कर दीं. कई ऐसे क़ानून पारित किए गए जिनका मक़सद ‘अलगाववाद’ और हिंसा पर लगाम लगाना था.
हांगकांग ब्रिटेन का उपनिवेश था जिसे साल 1997 में चीन को वापस सौंप दिया गया था.उसके बाद से ही इस पर ‘एक देश, एक व्यवस्था’ के तहत शासन किया गया है.
इसके तहत हांगकांग के लोगों को कुछ ऐसी आज़ादी और अधिकार मिलते हैं जो चीन के लोगों को नहीं मिलते हैं.
आलोचकों का कहना है कि नए चीनी क़ानूनों और पाबंदियों की
वजह से अब हांगकांग के लोगों की आज़ादी और अधिकारों पर ख़तरा है.
ब्रिटेन ने चीन पर उन शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया
है जिसके तहत इसने हांगकांग को इसे वापस सौंपा था.
हालाँकि चीन इन आरोपों से
इनकार करता आया है.
ब्रेकिंग न्यूज़भारत ने हॉकी में मेज़बान जापान को 5-3 से हराया, क्वार्टर फ़ाइनल में पहले ही पहुँच चुकी टीम
@NisithPramanikCopyright: @NisithPramanik
भारत की हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक के अंतिम पूल मैच में मेज़बान जापान को 5-3 से हरा दिया है.
भारत क्वार्टर फ़ाइनल में पहले ही पहुँच चुका है. अब उसका मुक़ाबला 1 अगस्त को होनेवाले मैच के विजेता से होगा.
शुक्रवार को इससे पहले भारतीय महिला टीम ने भी आयरलैंड को 1-0 से हरा दिया.
शनिवार को महिला टीम का मुकाबला दक्षिण अफ़्रीका से होना है जिसके बाद क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचनेवाली टीमों की स्थिति स्पष्ट होगी.
इस बीच पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी ने एलान किया है कि भारतीय हॉकी टीम यदि टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतती है तो टीम में शामिल प्रदेश के हर खिलाड़ी को सवा दो करोड़ रुपये दिए जाएँगे.
18 महीने बाद सऊदी अरब
रविवार से अपनी सीमा पयर्टकों के लिए खोलने जा रहा है.
कोरोना वायरस के संक्रमण
को रोकने के लिए सऊदी ने कई तरह की पाबंदी लगाई थी. इन्हीं पाबंदियों में सीमाओं को
भी बंद कर दिया था.
महामारी शुरू होने
से ठीक पहले सऊदी अरब ने पर्यटकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा लॉन्च किया था. सऊदी पर्यटकों
को लुभाने के लिए कई पहल कर रहा है. यहाँ की सरकार प्रकृति प्रेमी और उत्सुक पर्यटकों
को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
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सऊदी अरब का लक्ष्य
है कि पयर्टन उद्योग को विकसित कर अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता तेल से कम करे और
नई नौकरियाँ पैदा करे.
सऊदी ने अभी 49 देशों के लोगों को अपने यहाँ आने की अनुमति दी
है. इनमें ज़्यादातर यूरोप के देश हैं और साथ ही चीन, अमेरिका भी शामिल हैं.
इन देशों के नागरिकों
के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट और निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य है. इन्हें क्वॉरंटीन
नहीं किया जाएगा.
जिन्होंने चीन की
वैक्सीन सिनोफार्म या सिनोवैक ली है, उनके लिए किसी तीसरी वैक्सीन की एक डोज़ अनिवार्य है. भारत जैसे देशों को सऊदी
अरब ने अभी रेड लिस्ट में डालकर रखा है.
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दुनिया के नंबर वन जोकोविच ओलंपिक में हारे, गोल्डन स्लैम का सपना टूटा
सर्बिया के शीर्ष वरीयता प्राप्त टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच टोक्यो ओलंपिक में अपना जलवा बरक़रार नहीं रख सके. वो सेमीफ़ाइनल में जर्मनी के चौथी सीड के अलेक्ज़ेंडर ज़वरेव से 1-6, 6-3, 6-1 हार गए हैं.
इसके साथ ही उनके गोल्डन स्लैम बनाने, यानी चारों ग्रैंड स्लैम और ओलंपिक जीतने की कोशिश पर विराम लग गया है.
जोकोविच इस वर्ष ऑस्ट्रेलियन ओपन, फ़्रेंच ओपन और विंबलडन जीत चुके हैं. अब उनके सामने ओलंपिक और यूएस ओपन था जिसे जीत वो गोल्डन स्लैम बनाने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी बन सकते थे.
जर्मनी की स्टेफ़ी ग्राफ़ दुनिया की एकमात्र टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1988 में ये उपलब्धि हासिल की थी.
सांसदों के सीटियाँ बजाने पर सभापति वेंकैया नायडू नाराज़, दी चेतावनी
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राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में पेगासस मामले पर विरोध जता रहे कुछ सांसदों के व्यवहार पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि इससे सदन की मर्यादा और प्रतिष्ठा गिरी है.
उन्होंने शुक्रवार को सदन में कहा, "मुझे बताया गया कि कुछ सदस्य सदन में सीटी बजा रहे हैं. वो (शायद) सीटी बजा रहे हैं अपनी पुरानी आदत (की वजह) से. मगर ये सदन है."
"वहीं कुछ सदस्य मार्शलों के कंधों पर हाथ लगा रहे हैं. मुझे नहीं पता उन्होंने ऐसा क्यों किया. और कुछ ने मंत्रियों के सामने तख़्तियाँ लहराईं और उनको देखने नहीं दे रहे थे."
वेंकैया नायडू ने चेतावनी देने के लहज़े में कहा, "धैर्य की भी एक सीमा होती है और हमें सदन के धैर्य को समाप्त नहीं होने देना चाहिए."
उन्होंने कहा," इससे निबटने का दो ही रास्ता है - या तो इसे नज़रअंदाज़ किया जाए और सदन को बाज़ार बनने दे दिया जाये. हरेक अपनी सीटी बजाते रहे...और दूसरा - कार्रवाई की जाए."
वेंकैया ने सदस्यों से शालीनता बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, "इन सभी चीज़ों से सदन का मान और नीचे गिरा है. मैं इसे लेकर बहुत चिंतित हूँ."
ये कहते हुए कि उन्हें अफ़सोस है कि उन्हें आसन से ये कहना पड़ रहा है उन्होंने कहा," मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे सदस्य इस स्तर तक चले जाएँगे."
राज्यसभा में विपक्षी सांसद 19 जुलाई को मॉनसून सत्र के आरंभ होने के बाद से ही विभिन्न मुद्दों को लेकर सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे हैं.
इनमें इसराइली स्पाइवेयर पेगासस के ज़रिए अपने विरोधियों और आलोचकों की कथित जासूसी से लेकर कृषि क़ानून और तेल की कीमतों जैसे मुद्दे शामिल हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़पीवी सिंधु सेमीफ़ाइनल में, पदक के और करीब पहुँचीं
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ओलंपिक में लवलीना बरगोहाईं के बाद भारत की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु भी सेमीफ़ाइनल में पहुँच गई हैं.
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने क्वार्टर फ़ाइनल में जापान की खिलाड़ी अकाने यामागुची को 2-0 से मात देकर अंतिम चार खिलाड़ियों में जगह बनाई.
शुक्रवार को भारत के लिए ये दूसरी अच्छी ख़बर आई.
इससे पहले लवलीना बोरगोहाईं ने बॉक्सिंग के सेमीफ़ाइनल में पहुँचकर अपना पदक पक्का कर लिया.
लवलीना ने 69 किलोग्राम भारवर्ग के क्वार्टर फ़ाइनल में चीनी ताइपे की निएन-चिन-चेन को हराकर ओलंपिक में भारत का दूसरा और अपने लिए कम-से-कम कांस्य पदक हासिल करना निश्चित कर लिया.
हांगकांग में नए सुरक्षा क़ानून के तहत पहली सज़ा- नारे के लिए नौ साल जेल
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हांगकांग में एक व्यक्ति को विरोध प्रदर्शन करने पर नौ साल की सज़ा सुनाई गई है. उस व्यक्ति पर ये आरोप था कि उसने हाथ में नारे वाला एक झंडा लेकर पुलिस अफसरों के सामने मोटरसाइकिल चलाई थी.
टोंग यिंग-किट के हाथ में जो झंडा था, उस पर लिखा था, "हांगकांग को आज़ाद करो, ये हमारे समय की क्रांति है."
इससे पहले उन्हें अलगाववाद और चरमपंथ को भड़काने के आरोप में दोषी करार दिया गया था.
टोंग यिंग-किट पहले व्यक्ति हैं जिन पर हांगकांग के विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत मुकदमा चलाया गया है.
इस फ़ैसले के साथ ही ये साफ़ हो गया है कि आने वाले समय में इस सुरक्षा क़ानून के तहत किस तरह की कार्रवाई की जाएगी.
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साल 2020 में इस क़ानून को लागू किए जाने के बाद से 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. आलोचकों का कहना है कि ये क़ानून हांगकांग की स्वायत्ता को कमज़ोर करता है और इससे लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को सज़ा देना आसान हो गया है.
लेकिन चीन की दलील है कि ये क़ानून हांगकांग में स्थिरता लाने के लिए ज़रूरी हो गया था. साल 2019 में जब हांगकांग में व्यापक रूप से लोकतंत्र समर्थक आंदोलन शुरू हुए थे तो ये क़ानून लाया गया था.
टोंग यिंग-किट के ख़िलाफ़ ये मुक़दमा 15 दिनों तक चला. मुक़दमे में इस बात पर ख़ासा ज़ोर दिया गया कि टोंग यिंग-किट के हाथ में जो झंडा था, उस पर लिखे नारे का क्या अर्थ है. हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान ये नारा बहुत लोकप्रिय रहा है.
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अभियोजन पक्ष का कहना था कि ये नारा स्पष्ट रूप से हांगकांग को चीन की मुख्यभूमि से स्वतंत्र करने का आह्वान करता है जबकि बचाव पक्ष की दलील थी कि इस नारे के कई मतलब हो सकते हैं.
आख़िर में जज ने ये फ़ैसला दिया कि टोंग यिंग-किट के झंडे पर लिखे नारे से दूसरे लोगों में अलगाव के लिए उकसाया जा सकता था और उन्हें इसके लिए कसूरवार ठहराया जाता है.
टोंग यिंग-किट को इससे पहले बुधवार को बिना ज्यूरी वाली एक अदालत ने कसूरवार ठहराया था. अब तक हांगकांग में ब्रितानी परंपरा के तहत ज्यूरी वाली अदालतों में सुनवाई हुआ करती थी.
बचाव पक्ष ने ज्यूरी की मांग की थी लेकिन हांगकांग के जस्टिस सेक्रेटरी ने कहा कि शहर के संवेदनशील राजनीतिक माहौल को देखते हुए ज्यूरी के सदस्यों की सुरक्षा पर जोखिम हो सकता है.
चीन में कोरोना महामारी की नई लहर, डेल्टा वर्ज़न का खौफ़ और वैक्सीन पर सवाल
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चीन के नानजिंग शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस की एक नई किस्म बीजिंग और पांच अन्य प्रांतों में फैल गई है.
चीन के सरकारी मीडिया ने इसे "वुहान के बाद संक्रमण की सबसे गंभीर घटना" बताया है.
20 जुलाई को नानजिंग शहर के व्यस्त एयरपोर्ट पर कोरोना के इस प्रकार की पहचान की गई थी.
उसके बाद से लगभग 200 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं.
चीन के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने एक सूत्र के हवाले से कहा है कि नानजिंग एयरपोर्ट से विमान सेवाएं 11 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं.
अधिकारियों को इस नाकामी के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि नानजिंग में व्यापक स्तर पर टेस्टिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.
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चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिनहुआ का कहना है कि शहर की 93 लाख आबादी के अलावा यहां आने वाले सभी लोगों की टेस्टिंग की जाएगी.
अधिकारियों का मानना है कि कोरोना महामारी के नए मामले इस वायरस के अत्यंत संक्रामक डेल्टा वर्जन से जुड़े हो सकते हैं.
उनका कहना है कि इसका पता व्यस्त एयरपोर्ट पर चला और इसी वजह से बाक़ी जगहों पर फैल गया. इसके लिए एयरपोर्ट प्रबंधन की आलोचना की गई है.
कम्युनिस्ट पार्टी की एक वरिष्ठ अनुशासनात्मक समिति ने कहा है कि एयरपोर्ट पर निगरानी का पूरा इंतज़ाम नहीं था और ग़ैरपेशेवराना प्रबंधन व्यवस्था अपनाई गई थी.
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जांच से ये पता चला है कि नया वर्जन चीन के कम से कम 13 शहरों में फैल गया है जिसमें चेंगदु और राजधानी बीजिंग भी शामिल है.
हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि महामारी की पहचान शुरुआती स्तर में ही कर ली गई है और इसे रोका जा सकता है.
नानजिंग में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि संक्रमित हुए लोगों में सात की स्थिति बेहद गंभीर है.
उधर, कोरोना संक्रमण के नए मामलों को लेकर चीन के सोशल मीडिया पर ये बहस भी शुरू हो गई है कि चीनी वैक्सीन डेल्टा वर्ज़न के ख़िलाफ़ कारगर है या नहीं.
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हालांकि अभी तक ये बात साफ़ नहीं हो पाई है कि जो लोग संक्रमित हुए हैं, उन्होंने कोविड का टीका लिया था या नहीं.
दक्षिण एशिया के कई देश चीन में बनी कोविड वैक्सीन पर निर्भर कर रहे हैं.
हालांकि उनमें से कुछ देशों ने हाल ही में ये एलान किया है कि वे अन्य कंपनियों के वैक्सीन भी इस्तेमाल करेंगे.
ये कहा जाता है कि चीन अभी तक कोरोना महामारी पर काबू रखने में मोटे तौर पर कामयाब रहा है. उसने इसके लिए बोर्डर सील किए हैं और स्थानीय स्तर पर होने वाले संक्रमण को आगे फैलने से रोका है.
दीपिका कुमारी टोक्यो ओलंपिक में पदक पर निशाना लगाने से चूकीं
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दीपिका कुमारी टोक्यो ओलंपिक में पदक पर निशाना लगाने से चूक गई हैं.
दीपिका क्वार्टरफ़ाइनल में दक्षिण कोरिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी आन सान से मात खाकर पदकों की दौड़ से 0-6 से हारकर बाहर हो गईं.
इससे पहले दिन में दुनिया की नंबर एक तीरंदाज़ दीपिका ने सटीक 10 निशाने लगाकर क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
उन्होंने पूर्व वर्ल्ड नंबर वन रूसी तीरंदाज़ केसिना पेरोवा को 3-2 से हराकर अंतिम 8 खिलाड़ियों में जगह बनाकर भारत के लिए उम्मीद जगा दी थी.
तालिबान से बचाकर अमेरिका लाए जा रहे हैं सेना की मदद करने वाले अफ़गान
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अफ़गानिस्तान से सुरक्षित बचाए गए 2,500 एंटरप्रेटर
(दुभाषिए) और उनके परिजन आज अमेरिका पहुँच सकते हैं.
ये सभी वो लोग हैं जिन्होंने तालिबान की आक्रामकता और युद्ध
के बीच अमेरिकी सेना की मदद की थी.
ये 2,500 अफ़गान एंटरप्रेट्रर और उनके परिजन फ़िलहाल वॉशिंगटन
डीसी के पास स्थित फ़ोर्ट ली आर्मी बेस में ठहरेंगे जहाँ उनके स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा
(एसआईवी) की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा कार्यक्रम ख़ास तौर से उन्हीं लोगों के लिए है जिन्होंने
साल 2001 से अफ़गानिस्तान में शुरू हुए युद्ध में अमेरिका की मदद की है.
अमेरिकी सेना के वतन वापसी के ऐलान के साथ ही उनकी मदद करने
वाले अफ़गान लोगों को तालिबान से मिलने वाली धकमियाँ और ख़तरे भी बढ़ गए हैं.
ऐसे में इन लोगों को सुरक्षित बचाकर अमेरिका लाया जा रहा
है.
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अमेरिकी सेना की मदद करने वालों पर जान का ख़तरा
अमेरिकी सेना वीज़ा, मेडिकल जाँच और अन्य ज़रूरी प्रक्रिया
पूरी होने तक इन सभी 2,500 लोगों को फ़ोर्ट ली में ही रखेगी.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक़ साल 2008 से लेकर अब तक
करीब 70 हज़ार अफ़गान लोगों को स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा के माध्यम से अमेरिका में
बसाया जा चुका है.
पिछले हफ़्ते अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी
ने बताया था कि इस बार एसआईवी के लिए 20 हज़ार से ज़्यादा अफ़गान नागरिकों के आवेदन आए हैं जिनमें से करीब आधे लोगों को अभी प्रक्रिया का पहला चरण पूरा करना बाकी है.
अफ़गानिस्तान में तैनात रह चुके अमेरिकी सेना के पूर्व
बटालियन कमांडर माइक जेसन ने बीबीसी को बताया कि स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा के लिए
ज़रूरी कागजों का इंतज़ाम करने के लिए इन एंटरप्रेटर्स का तालिबान के क़ब्ज़े वाले
इलाके में जाना ‘जान से मारे जाने
के ख़तरे से खाली नहीं है.’
जैसन ने कहा, “अगर आप तालिबान के क़ब्ज़े वाले इलाके में जाते हैं तो एक तरीके से कबूल करते
हैं कि आपने अमेरिकी सेना के लिए काम किया है और दूसरी तरफ़ हम उन लोगों से सबूत
के साथ आने को कह रहे हैं.”
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सेना की मदद करने वाले सैकड़ों लोग मारे गए हैं
'नो वन लेफ़्ट बिहाइंड' नाम की एक ग़ैर सरकारी संस्था का
अनुमान है कि अब तक अमेरिकी-अफ़गान सेना की मदद करने वाले (या उनके परिजन) कम से कम 300
लोग मारे जा चुके हैं.
साल 2001 में अमेरिका सेना ने अफ़नास्तान में हमला करके
तालिबान को सत्ता से बाहर कर दिया था लेकिन पिछले कुछ महीनों से अफ़गान सेना और
तालिबान के बीच लड़ाई फिर तेज़ हो गई है.
अमेरिकी सैनिकों की वतन वापसी के ऐलान के बाद से तालिबान की
आक्रामकता लगातार बढ़ती ही जा रही है.
अभी हाल ही में तालिबान ने ऐलान किया था कि उसके लड़ाकों ने
अफ़गानिस्तान के 85 फ़ीसदी हिस्से पर क़ब्ज़ा पर लिया है.
हालाँकि अफ़गान सरकार इस दावे को ख़ारिज करती है और इसकी
स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना लगभग असंभव है.
लाइव रिपोर्टिंग
रिपोर्टर- अनंत प्रकाश, रजनीश कुमार, सिंधुवासिनी, विभुराज और अपूर्व कृष्ण
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बीबीसी के इस लाइव पेज से जुड़ने के लिए आपका शुक्रिया. यह लाइव पेज अब यहीं बंद हो रहा है. 31 जुलाई, शनिवार के अपडेट्स के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं.
प्रेस फ्रीडम पर बोला चीन, अमेरिका पहले अपनी गिरेबां में झांककर देखे
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा है कि अमेरिका चीन में विदेशी पत्रकारों के प्रति जासूसी, उत्पीड़न और उन्हें डराने – धमकाने की घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर बेहद चिंतित है.
उन्होंने लिखा है कि चीनी सरकार इससे बेहतर कर सकती है और उसे करना चाहिए.
चीन ने अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमेरिकी सरकार को पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए.
अमेरिकी न्यूज़ समूह ब्लूमबर्ग ने शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता चाओ लिजियन से इस मसले पर सवाल पूछा.
इस सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए लिजियन ने अमेरिका में चीनी पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार को याद दिलाया.
उन्होंने कहा –
"हम इन अमेरिकी टिप्पणियों को दृढ़ता से ख़ारिज करते हैं. अमेरिकी बयान कुछ दिनों पहले तथाकथित फॉरेन कॉरेसपॉन्डेंट क्लब ऑफ़ चाइना द्वारा दिए गए बयान से अलग नहीं है. दोनों ही तथ्यों की अवहेलना करते हैं, सही और गलत को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं, और निराधार आरोपों के साथ चीन पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं."
सेंसरशिप पर क्या बोला चीन
लिजियन ने सेंसरशिप आरोप पर ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान पत्रकारों के साथ अमेरिका में हुए कथित सलूक का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “सेंसरशिप, उत्पीड़न और पत्रकारों को डराने-धमकाने की बात करते हुए, अमेरिका को निम्नलिखित तथ्यों को नहीं भूलना चाहिए.
2018 से, अमेरिका ने 20 से अधिक चीनी पत्रकारों को बिना कारण बताए वीजा देने से इनकार कर दिया है. इसने कई चीनी मीडिया के अमेरिकी दफ़्तरों को विदेशी मिशन के रूप में नामित किया है और उनके कर्मचारियों की संख्या पर एक सीमा रखी है, 60 चीनी पत्रकारों का नाम लिया गया है लेकिन सभी को निष्कासित कर दिया गया है.
चीनी पत्रकारों को सिर्फ तीन महीने लंबा प्रवास वीजा जारी करने के भेदभावपूर्ण प्रतिबंधात्मक उपाय को भी लागू किया है."
कैपिटल हिल प्रदर्शनों का ज़िक्र
उन्होंने कहा, "कई वीडियो रिकॉर्ड दिखाते हैं कि कैसे जॉर्ज फ़्लॉइड (की मृत्यु) के बाद प्रदर्शनों को कवर करने वाले पत्रकारों को अमेरिकी लॉ इनफोर्समेंट अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया. इसके साथ ही उन पर शारीरिक रूप हमला किया गया.
अमेरिकी कांग्रेस में प्रदर्शनकारियों द्वारा जबरन घुसने का प्रयास करने पर, कैपिटल हिल के बाहर सामान्य रूप से लाइव करने वाली जगह पर खड़े कई पत्रकारों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किया गया. इसमें एक चीनी पत्रकार भी शामिल था.
यदि ये पत्रकारों के ख़िलाफ़ दमन, उत्पीड़न, डराना और धमकाना नहीं हैं और उनकी सुरक्षा एवं स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन नहीं है, तो हम इन्हें क्या कहें?”
आख़िर में लिजियन ने कहा कि “अमेरिका के संबंध में, यह केवल पत्रकारों और प्रेस की स्वतंत्रता पर "बेहतर कर सकते हैं" की बात नहीं है, बल्कि ग़लतियों को सुधारने और तत्काल सुधार करने की आवश्यकता है. अमेरिका को खुद पर विचार करना चाहिए और चीन पर बेवजह हमले बंद करने चाहिए.”
अफ़ग़ान सरकार वजूद के संकट से जूझ रही: रिपोर्ट
अमेरिकी संस्था ‘साइगर’ ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार एक बहुत बड़े ख़तरे का सामना कर रही है, जिससे उसका अस्तित्व संकट में पड़ सकता है.
यूएस स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफ़ग़ानिस्तान रिकंसलिएशन (साइगर) ने बताया है कि अब तक कुल मिलाकर जो स्थिति सामने आई है, वह स्पष्ट रूप से अफ़ग़ानिस्तान सरकार के लिए अनुकूल नहीं है.
इसका समाधान नहीं किया गया या इस ट्रेंड को बदला नहीं गया तो अफ़ग़ानिस्तान के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो सकता है.
इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान सरकार की सेना, वायु सेना, घटता राजस्व और बढ़ती हिंसा जैसे कई मुद्दों का आकलन किया गया है.
रिपोर्ट बताती है कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार का अब भी काबुल समेत 34 प्रांतीय राजधानियों पर नियंत्रण है.
दोहा समझौते के बाद बढ़ी हिंसा
रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से आंकड़ों के माध्यम से बताया गया है कि क़तर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबानी गुटों के बीच समझौता होने के बाद ज़मीन पर हिंसा में किस तरह तेज़ी आई है.
रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल फ़रवरी में अमेरिका और तालिबान गुट में समझौता होने के बाद से तालिबानी लड़ाकों की ओर से किए जाने वाले हमलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इस साल मार्च 2021 से मई 2021 के बीच तालिबान लड़ाकों की ओर से 10383 हमले किए गए. इसके साथ ही समझौते के बाद आम लोगों की हत्याओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
साल 2021 की पहली तिमाही में 673 तो दूसरी तिमाही में 705 लोगों की मौत हुई है.
राजस्व में कटौती
रिपोर्ट के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान सरकार को अपने कुल आयात शुल्क का 34.3 फ़ीसदी हिस्सा हेरात, कंधार और कुंदुज़ प्रांतों में स्थित सीमावर्ती चौकियों से मिलता था.
ख़बरों के मुताबिक़, इनमें से कई जगहों पर तालिबान गुटों का कब्जा है और कई जगहों पर दोनों पक्षों में हिंसक संघर्ष जारी है.
इसके साथ ही ऐसी ख़बरें भी आ रही हैं कि तालिबान ने इन चौकियों पर सीमा-शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है.
बुरी हालत में अफ़ग़ान सेना
रिपोर्ट के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान सेना के ज़्यादातर दस्ते अफ़ग़ान नेशनल आर्मी स्पेशल ऑपरेशन कॉर्प्स की मदद के बिना मिशन को अंजाम देने से मना कर देते हैं.
इसके साथ ही अफ़ग़ानिस्तान से नेटो सेना जाने के बाद से अफ़ग़ान वायु सेना पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है.
अफ़ग़ान वायु सेना एयर सपोर्ट से लेकर टोही अभियानों, आपूर्ति समेत कई अन्य तरह के अभियानों को अंजाम दे रही है.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अफ़ग़ान वायु सेना के विमान इन अभियानों को अंजाम देते हुए अपनी क्षमता से 25 फ़ीसदी अधिक काम कर रहे हैं. उन्हें जितना आराम मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिल पा रहा है, जिसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.
ओलंपिक में महिला जूडो खिलाड़ी को कोच का ये 'सहमति वाला थप्पड़'
सोशल मीडिया पर यह वीडियो ख़ूब शेयर किया जा रहा है. इसमें रिंग में जाने से ठीक पहले महिला जूडो खिलाड़ी को उनके जर्मन कोच ज़ोर से झकझोड़ते और थप्पड़ मारते दिख रहे हैं.
और पढ़ेंसिनेमा हॉल खुल तो गए लेकिन दर्शक हैं ग़ायब
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते लंबे समय तक देशभर के सिनेमा हॉल बंद रहे. अब इन्हें धीरे-धीरे कर खोला जा रहा है.
पाकिस्तान से मोरक्को तक फैला डेल्टा वैरिएंट, मध्य-पूर्व में 'चौथी लहर' शुरू
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को बताया है कि डेल्टा वैरिएंट की वजह से मध्य-पूर्व के देशों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है जिससे इस क्षेत्र में “चौथी लहर” शुरू हो रही है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, यहाँ टीकाकरण की दर बेहद कम है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि सबसे पहले भारत में नज़र आए इस वैरिएंट को उसके दायरे में आने वाले 22 में से 15 देशों में देखा गया है. इनमें पाकिस्तान से लेकर मोरक्को जैसे देश शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के निदेशक अहमद अल-मंधारी ने कहा, "ज़्यादातर नए मामले और अस्पताल में भर्ती वाले मरीजों को अब तक टीका नहीं लगा है. अब हम इस क्षेत्र में चौथी लहर में है.”
इस क्षेत्र में 41 मिलियन यानी कुल आबादी के सिर्फ 5.5 फीसदी लोगों को वैक्सीन मिली है.
पिछले महीने के मुक़ाबले इस क्षेत्र में संक्रमण 55 फीसदी बढ़ गया है और मौतों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़त है. हर हफ़्ते इस क्षेत्र में 3500 लोगों की मौत और 3.1 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं.
ट्यूनीशिया जैसे देश, जो उत्तरी अफ्रीका में सबसे अधिक कोविड -19 मौतों का सामना कर चुके हैं, महामारी को रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इस क्षेत्र में ऑक्सीज़न टैंक से लेकर आईसीयू बेड की भारी कमी देखी जा रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि तेजी से फैलते इस वैरिएंट ने इस क्षेत्र में मुख्य स्ट्रेन का स्थान हासिल कर लिया है.
दीपिका कुमारी पर जब देश भर की निगाहें टिकी थीं तब राँची में उनके घर पर सन्नाटा था
आनंद दत्ता, राँची से
बीबीसी हिंदी के लिए
दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी का ओलंपिक सफ़र अब ख़त्म हो गया है. तीरंदाजी इवेंट के अंतिम आठ में वह अन सान से हार गईं.
शुक्रवार सुबह जब उन्होंने प्री क्वार्टर मुक़ाबला रोमांचक अंतर से जीता तो देश भर की उम्मीदें उन पर टिक गई थी
लेकिन रांची ज़िला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर रातु स्थित दीपिका के घर में कोई हलचल नहीं थी.
वजह, उनके घर में बिजली नहीं थी. बीते दो दिन से हो रही भारी बारिश के कारण बिजली बार बार कट रही थी.
दीपिका का आख़िरी मैच भी घरवालों ने नहीं देखा. वहां माजूद कुछ मीडिया कर्मियों ने उनके भाई दीपक कुमार से कहा कि मोबाइल पर ही मैच देख लें, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. ये शायद ओलंपिक खेलों में पदक जीतने को लेकर उम्मीदों के बोझ का दवाब ही होगा.
दीपिका के पिता शिवनारायण प्रजापति घर में मौजूद नहीं थे. वहीं मां गीता देवी लगातार घर में ही बंद रही.
दीपिका के भाई दीपक ने बताया कि "ये जो परिणाम आया है, उसके लिए मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता हूं. दीदी ने बहुत अच्छा ट्राई किया. मेहनत की और आगे बढ़ी. अपना बेस्ट से बेस्ट दिया है उन्होंने. ओलंपिक में दुनिया भर के खिलाड़ी आते हैं, सभी जीतने के लिए ही आते हैं. हार गई तो कोई बात नहीं. फिर चार साल बाद ओलंपिक आएगा, फिर दीदी अपना बेस्ट देंगी."
उन्होंने कहा कि "मैच होते रहता है. दीदी को किसी तरह का दवाब नहीं लेना चाहिए."
शिल्पा शेट्टी को हाई कोर्ट की दो-टूक, मीडिया पर चाहती थीं लगाम, और 25 करोड़ हर्जाना
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि गिरफ़्तार व्यवसायी राज कुंद्रा की पत्नी अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के बारे में ख़बर देने पर रोक लगाने से प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर असर पड़ेगा.
अदालत ने शिल्पा शेट्टी की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कहा. इसमें उन्होंने कहा था कि उनके और उनके परिवार के बारे में मानहानि करने वाले लेख प्रकाशित किए जा रहे हैं.
उन्होंने अपने अंतरिम आवेदन में मीडिया को “ग़लत, झूठे, विद्वेषपूर्ण और मानहानि करने वाली“ सामग्रियाँ छापने पर रोक लगाए जाने का आग्रह किया था.
जस्टिस गौतम पटेल ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा, "क्या अच्छी पत्रकारिता है और क्या बुरी, इसे लेकर न्यायपालिका की एक सीमा है क्योंकि ये प्रेस की स्वतंत्रता का एक नज़दीकी मामला है."
अदालत ने कहा कि शिल्पा शेट्टी ने जिन लेखों का ज़िक्र किया है उनसे मानहानि होती प्रतीत नहीं होती.
अदालत ने ये कहते हुए कि ज़्यादातर लेखों में पुलिस सूत्रों के हवाले से ख़बर दी गई थी, कहा- “पुलिस सूत्रों के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट मानहानि वाली नहीं हो सकती. अगर बात आपके घर के भीतर की होती और कोई नहीं होता वहाँ तो बात अलग थी. मगर ये जो बातें लिखी गई हैं वो दूसरों की मौजूदगी में हुईं. तो ये मानहानि कैसे है?“
जस्टिस पटेल ने पूछा, “ऐसा नहीं हो सकता कि अगर आप मेरे बारे में सब अच्छा-अच्छा नहीं छाप सकते तो आप कुछ नहीं छाप सकते. ऐसा कैसे हो सकता है?“
शिल्पा शेट्टी ने अपने आवेदन में ये कहते हुए 25 करोड़ रुपये के हर्जाने की भी माँग की थी कि मीडिया संगठनों और गूगल, फ़ेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वजह से उनकी प्रतिष्ठा को भारी नुक़सान हुआ है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए ये निर्देश जारी करने की भी माँग की थी कि उनसे कहा जाए कि वो अपने यहाँ से उनके और उनके परिवार के बारे में मानहानि करने वाली सामग्रियाँ हटा दें.
इस बारे में जस्टिस पटेल ने कहा, “आपका गूगल, यूट्यूब और फ़ेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों के संपादकीय सामग्रियों को नियंत्रित करने का अनुरोध करना ख़तरनाक बात है.“
हालाँकि, जस्टिस पटेल ने यूट्यूब के तीन निजी चैनलों पर पर तीन लोगों के वीडियो ये कहते हुए डिलीट करने और फिर से अपलोड नहीं करने का निर्देश दिया कि उनका इरादा सच्चाई को सामने लाना नहीं है.
पाकिस्तान कश्मीर चुनाव पर भारत की प्रतिक्रिया से नाराज़, राजनयिक को किया तलब
पाकिस्तान ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हुए चुनाव पर भारत की प्रतिक्रियाओं का "खंडन" करने के लिए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के एक शीर्ष राजनयिक को तलब किया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारतीय राजनयिक को ये बताने के लिए समन कर विदेश मंत्रालय बुलाया गया कि पाकिस्तान भारत के विरोध को पूरी तरह से ख़ारिज करता है.
25 जुलाई को हुए चुनाव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई को शानदार जीत मिली थी और वो पहली बार वहाँ सत्ता में आ गई है.
भारत ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के चुनाव को एक "दिखावा" बताते हुए कहा था कि ये और कुछ नहीं बल्कि पाकिस्तान के "अवैध कब्ज़े को ढकने की एक कोशिश" है और उसने इस पर अपना कड़ा विरोध दर्ज किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था कि पाकिस्तान का "भारतीय क्षेत्रों पर कोई अधिकार नहीं है" और उसे इन्हेंं अवश्य खाली करना चाहिए.
उन्होंने कहा था, "पाकिस्तान के अवैध क़ब्ज़े वाले भारतीय क्षेत्र में हुआ ये तथाकथित चुनाव और कुछ नहीं बस पाकिस्तान का अपने अवैध क़ब्ज़े पर पर्दा डालने का एक प्रयास है."
इसके जवाब में अब पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि "भारत को जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों से अपने अवैध क़ब्ज़े को तत्काल ख़त्म करना चाहिए और जम्मू और कश्मीर विवाद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को पूरी तरह से लागू करना चाहिए".
सीबीएसई परिणामः 99.37% पास, 65 हज़ार के नतीजे रोके गए
सरोज सिंह
बीबीसी संवाददाता
सीबीएसई ने साल 2020-21 अकादमिक वर्ष के लिए बारहवीं कक्षा के नतीजे घोषित कर दिए हैं. इस साल कोविड महामारी की वजह से इस साल परीक्षाएं आयोजित नहीं की गई हैं.
इस साल 99.37 प्रतिशत छात्रों को पास घोषित किया गया है. ये सीबीएसई का अब तक का सर्वोच्च पास प्रतिशत है.
सीबीएसई के मुताबिक, 65184 छात्रों का रिज़ल्ट घोषित नहीं किया गया है. इनका रिज़ल्ट 3-4 अगस्त को जारी किया जा सकता है.
पिछले साल सीबीएसई ने 13 जुलाई को रिज़ल्ट घोषित कर दिया था लेकिन इस साल 30 जुलाई को रिज़ल्ट आया है. सीबीएसई को इस साल मार्किंग स्कीम तय करने और फिर उसके आधार पर रिजल्ट तैयार करने में काफ़ी समय लग गया था. इस साल परीक्षा रद्द होने के कारण टॉपर लिस्ट और मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं की गई है.
सीबीएसई ने नतीजे असेसमेंट स्कीम के आधार पर दिए हैं और अधिकतर छात्रों को पास घोषित किया है.
सीबीएसई के पैनल ने मूल्यांकन के लिए 30-30-40 का फार्मूला अपनाया है जिसके तहत दसवीं और 11वीं के नतीजों को 30 प्रतिशत वेटेज दिया गया है जबकि 12वीं के प्री बोर्ड नतीजों को 40 फीसदी वेटेज दिया गया है.
इसी मार्किंग स्कीम के तहत नतीजे घोषित किए गए हैं.
क्यों रोके गए साठ हजार से अधिक छात्रों के नतीजे?
जिन छात्रों के नतीजे नहीं आए हैं वो ऐसे स्कूलों से हैं जहां इसी साल बारहवीं में छात्रों को शामिल किया गया था.
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बीबीसी को बताया कि साठ हज़ार से अधिक छात्रों के नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं ये देशभर के 1060 से अधिक स्कूलों से हैं.
संयम भारद्वाज ने बीबीसी से कहा, 'कुछ बच्चों के नतीजे हमने रोके हैं.
अधिकतर रिजल्ट उन स्कूलों के रोके गए हैं जिन्होंने पहली बार बारहवीं की परिक्षाएं कराई गई हैं.'
भारद्वाज कहते हैं, 'सीबीएसई जब इनके नतीजों का आंकलन कर रहा था तो लग रहा था कि सही से उनका असेसमेंट नहीं हो पा रहा है. इसलिए अभी उनके रिज़ल्ट को रोकने का निर्णय लिया गया है. 03-04 अगस्त तक उनके नतीजे जारी कर दिए जाएंगे.'
भारद्वाज कहते हैं, 'अब इन छात्रों को अलग से रेफ्रेंस इयर दिया जा रहा है ताकि इनका रिज़ल्ट पुराने परीक्षा परिणामों के अनुरूप ही बन सके.'
रिज़ल्ट लेटर उन बच्चों का होता है जिनका नतीजा किसी वजह से पूरा नहीं हो पाया होता है. सीबीएसई हर साल ऐसे रिजल्ट रोकता है.
भारद्वाज कहते हैं, 'लेकिन इतनी बड़ी तादाद में कभी बच्चों के नतीजे नहीं रोके गए हैं. इसकी वजह है कि 1060 नए स्कूलों के नतीजे रोक दिए गए हैं.'
सीबीएसई के मुताबिक उन स्कूलों के नतीजे भी रोके गए हैं जिनके बच्चों का डाटा पूरा नहीं था.
संयम भारद्वाज के मुताबिक, इस साल पास प्रतिशत बढ़ने की एक वजह ये भी है कि स्कूलों ने बच्चों को नंबर दिए हैं. ऐसे छात्र जो एक या दो नंबरों से फेल हो रहे होंगे उन्हें पास कर दिया गया है.
हांगकांग: चीनी राष्ट्रगान बजने पर लगे 'हाय-हाय' के नारे, हो रही है जाँच
हांगकांग में कुछ लोगों ने उस समय चीन का राष्ट्रगान बजने पर ‘हाय-हाय’ के नारे लगा दिए जब एदर चेंउग ने टोक्यो ओलंपिक में तलवारबाज़ी में गोल्ड मेडल जीता.
हांगकांग के एक शॉपिंग मॉल में सैकड़ों लोग एदर चेंउग का मैच देखने और उनका समर्थन करने के लिए इकट्ठे हुए थे.
उनके गोल्ड मेडल जीतने के बाद नियमों के मुताबिक़ चीन का राष्ट्रगान बजाया. जैसे ही चीनी राष्ट्रगान बजने लगा, भीड़ में से कुछ लोग ‘हाय-हाय’ करने लगे. वो लोग कह रहे थे, “हम लोग हांगकांग के हैं."
एक वीडियो में यह सारा घटनाक्रम देखा जा सकता है.
हाल ही में पास हुए एक क़ानून के मुताबिक़ चीनी राष्ट्रगान का अपमान करना ग़ैरक़ानूनी है.
इस क़ानून के मुताबिक़ दोषी पाए जाने वाले शख़्स को तीन साल तक की जेल हो सकती है और 6,400 डॉलर (तकरीबन पाँच लाख रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
ब्रिटेन का झंडा फहराया गया
कुछ रिपोर्ट्स का कहना है इस दौरान ब्रितानी झंडा भी फहराया गया और लोगों ने नारे लगाए.
कहा जा रहा है कि इसे नेशनल सिक्योरिटी लॉ के उल्लंघन के तौर पर भी देखा जा सकता है.
इस क़ानून के तहत चीन से अलग होने की माँग या 'अलगाववाद को भड़काने वाले' को उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है.
पुलिस सूत्रों ने स्थानीय मीडिया से बताया कि वो मॉल के सिक्यॉरिटी कैमरों से फुटेज जुटा रहे हैं और इसकी जाँच कर रहे हैं.
इसी हफ़्ते हांगकांग में नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत पहले व्यक्ति को सज़ा हुई थी.
ये दोनों ही क़ानून पिछले हफ़्ते भारी विवाद के बीच पारित किए गए थे. आलोचकों का कहना है कि ये क़ानून अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगाते हैं.
वहीं, हांगकांग प्रशासन और चीनी सरकार इन आरोपों से इनकार करते हैं और कहते हैं कि लोगों में शांति और 'देशभक्ति की भावना' बरक़रार रखने के लिए ये क़ानून ज़रूरी हैं.
क्यों होते हैं हांगकांग में चीन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन?
साल 2019 में हांगकांग में बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए थे.
हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर सुरक्षाबलों से भिड़ गए थे और लोकतांत्रिक सुधारों की माँग की थी.
इसके बाद से ही चीन ने पाबंदियां और कार्रवाइयाँ और कठोर कर दीं. कई ऐसे क़ानून पारित किए गए जिनका मक़सद ‘अलगाववाद’ और हिंसा पर लगाम लगाना था.
हांगकांग ब्रिटेन का उपनिवेश था जिसे साल 1997 में चीन को वापस सौंप दिया गया था.उसके बाद से ही इस पर ‘एक देश, एक व्यवस्था’ के तहत शासन किया गया है.
इसके तहत हांगकांग के लोगों को कुछ ऐसी आज़ादी और अधिकार मिलते हैं जो चीन के लोगों को नहीं मिलते हैं.
आलोचकों का कहना है कि नए चीनी क़ानूनों और पाबंदियों की वजह से अब हांगकांग के लोगों की आज़ादी और अधिकारों पर ख़तरा है.
ब्रिटेन ने चीन पर उन शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है जिसके तहत इसने हांगकांग को इसे वापस सौंपा था.
हालाँकि चीन इन आरोपों से इनकार करता आया है.
ब्रेकिंग न्यूज़भारत ने हॉकी में मेज़बान जापान को 5-3 से हराया, क्वार्टर फ़ाइनल में पहले ही पहुँच चुकी टीम
भारत की हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक के अंतिम पूल मैच में मेज़बान जापान को 5-3 से हरा दिया है.
भारत क्वार्टर फ़ाइनल में पहले ही पहुँच चुका है. अब उसका मुक़ाबला 1 अगस्त को होनेवाले मैच के विजेता से होगा.
शुक्रवार को इससे पहले भारतीय महिला टीम ने भी आयरलैंड को 1-0 से हरा दिया.
शनिवार को महिला टीम का मुकाबला दक्षिण अफ़्रीका से होना है जिसके बाद क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचनेवाली टीमों की स्थिति स्पष्ट होगी.
इस बीच पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी ने एलान किया है कि भारतीय हॉकी टीम यदि टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतती है तो टीम में शामिल प्रदेश के हर खिलाड़ी को सवा दो करोड़ रुपये दिए जाएँगे.
सऊदी अरब 18 महीने बाद खोलने जा रहा अपनी सीमा
18 महीने बाद सऊदी अरब रविवार से अपनी सीमा पयर्टकों के लिए खोलने जा रहा है.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सऊदी ने कई तरह की पाबंदी लगाई थी. इन्हीं पाबंदियों में सीमाओं को भी बंद कर दिया था.
महामारी शुरू होने से ठीक पहले सऊदी अरब ने पर्यटकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा लॉन्च किया था. सऊदी पर्यटकों को लुभाने के लिए कई पहल कर रहा है. यहाँ की सरकार प्रकृति प्रेमी और उत्सुक पर्यटकों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
सऊदी अरब का लक्ष्य है कि पयर्टन उद्योग को विकसित कर अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता तेल से कम करे और नई नौकरियाँ पैदा करे.
सऊदी ने अभी 49 देशों के लोगों को अपने यहाँ आने की अनुमति दी है. इनमें ज़्यादातर यूरोप के देश हैं और साथ ही चीन, अमेरिका भी शामिल हैं.
इन देशों के नागरिकों के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट और निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य है. इन्हें क्वॉरंटीन नहीं किया जाएगा.
जिन्होंने चीन की वैक्सीन सिनोफार्म या सिनोवैक ली है, उनके लिए किसी तीसरी वैक्सीन की एक डोज़ अनिवार्य है. भारत जैसे देशों को सऊदी अरब ने अभी रेड लिस्ट में डालकर रखा है.
दुनिया के नंबर वन जोकोविच ओलंपिक में हारे, गोल्डन स्लैम का सपना टूटा
सर्बिया के शीर्ष वरीयता प्राप्त टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच टोक्यो ओलंपिक में अपना जलवा बरक़रार नहीं रख सके. वो सेमीफ़ाइनल में जर्मनी के चौथी सीड के अलेक्ज़ेंडर ज़वरेव से 1-6, 6-3, 6-1 हार गए हैं.
इसके साथ ही उनके गोल्डन स्लैम बनाने, यानी चारों ग्रैंड स्लैम और ओलंपिक जीतने की कोशिश पर विराम लग गया है.
जोकोविच इस वर्ष ऑस्ट्रेलियन ओपन, फ़्रेंच ओपन और विंबलडन जीत चुके हैं. अब उनके सामने ओलंपिक और यूएस ओपन था जिसे जीत वो गोल्डन स्लैम बनाने वाले पहले पुरुष खिलाड़ी बन सकते थे.
जर्मनी की स्टेफ़ी ग्राफ़ दुनिया की एकमात्र टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1988 में ये उपलब्धि हासिल की थी.
सांसदों के सीटियाँ बजाने पर सभापति वेंकैया नायडू नाराज़, दी चेतावनी
राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में पेगासस मामले पर विरोध जता रहे कुछ सांसदों के व्यवहार पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि इससे सदन की मर्यादा और प्रतिष्ठा गिरी है.
उन्होंने शुक्रवार को सदन में कहा, "मुझे बताया गया कि कुछ सदस्य सदन में सीटी बजा रहे हैं. वो (शायद) सीटी बजा रहे हैं अपनी पुरानी आदत (की वजह) से. मगर ये सदन है."
"वहीं कुछ सदस्य मार्शलों के कंधों पर हाथ लगा रहे हैं. मुझे नहीं पता उन्होंने ऐसा क्यों किया. और कुछ ने मंत्रियों के सामने तख़्तियाँ लहराईं और उनको देखने नहीं दे रहे थे."
वेंकैया नायडू ने चेतावनी देने के लहज़े में कहा, "धैर्य की भी एक सीमा होती है और हमें सदन के धैर्य को समाप्त नहीं होने देना चाहिए."
उन्होंने कहा," इससे निबटने का दो ही रास्ता है - या तो इसे नज़रअंदाज़ किया जाए और सदन को बाज़ार बनने दे दिया जाये. हरेक अपनी सीटी बजाते रहे...और दूसरा - कार्रवाई की जाए."
वेंकैया ने सदस्यों से शालीनता बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, "इन सभी चीज़ों से सदन का मान और नीचे गिरा है. मैं इसे लेकर बहुत चिंतित हूँ."
ये कहते हुए कि उन्हें अफ़सोस है कि उन्हें आसन से ये कहना पड़ रहा है उन्होंने कहा," मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे सदस्य इस स्तर तक चले जाएँगे."
राज्यसभा में विपक्षी सांसद 19 जुलाई को मॉनसून सत्र के आरंभ होने के बाद से ही विभिन्न मुद्दों को लेकर सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे हैं.
इनमें इसराइली स्पाइवेयर पेगासस के ज़रिए अपने विरोधियों और आलोचकों की कथित जासूसी से लेकर कृषि क़ानून और तेल की कीमतों जैसे मुद्दे शामिल हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़पीवी सिंधु सेमीफ़ाइनल में, पदक के और करीब पहुँचीं
ओलंपिक में लवलीना बरगोहाईं के बाद भारत की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु भी सेमीफ़ाइनल में पहुँच गई हैं.
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने क्वार्टर फ़ाइनल में जापान की खिलाड़ी अकाने यामागुची को 2-0 से मात देकर अंतिम चार खिलाड़ियों में जगह बनाई.
शुक्रवार को भारत के लिए ये दूसरी अच्छी ख़बर आई.
इससे पहले लवलीना बोरगोहाईं ने बॉक्सिंग के सेमीफ़ाइनल में पहुँचकर अपना पदक पक्का कर लिया.
लवलीना ने 69 किलोग्राम भारवर्ग के क्वार्टर फ़ाइनल में चीनी ताइपे की निएन-चिन-चेन को हराकर ओलंपिक में भारत का दूसरा और अपने लिए कम-से-कम कांस्य पदक हासिल करना निश्चित कर लिया.
हांगकांग में नए सुरक्षा क़ानून के तहत पहली सज़ा- नारे के लिए नौ साल जेल
हांगकांग में एक व्यक्ति को विरोध प्रदर्शन करने पर नौ साल की सज़ा सुनाई गई है. उस व्यक्ति पर ये आरोप था कि उसने हाथ में नारे वाला एक झंडा लेकर पुलिस अफसरों के सामने मोटरसाइकिल चलाई थी.
टोंग यिंग-किट के हाथ में जो झंडा था, उस पर लिखा था, "हांगकांग को आज़ाद करो, ये हमारे समय की क्रांति है." इससे पहले उन्हें अलगाववाद और चरमपंथ को भड़काने के आरोप में दोषी करार दिया गया था.
टोंग यिंग-किट पहले व्यक्ति हैं जिन पर हांगकांग के विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत मुकदमा चलाया गया है. इस फ़ैसले के साथ ही ये साफ़ हो गया है कि आने वाले समय में इस सुरक्षा क़ानून के तहत किस तरह की कार्रवाई की जाएगी.
साल 2020 में इस क़ानून को लागू किए जाने के बाद से 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. आलोचकों का कहना है कि ये क़ानून हांगकांग की स्वायत्ता को कमज़ोर करता है और इससे लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को सज़ा देना आसान हो गया है.
लेकिन चीन की दलील है कि ये क़ानून हांगकांग में स्थिरता लाने के लिए ज़रूरी हो गया था. साल 2019 में जब हांगकांग में व्यापक रूप से लोकतंत्र समर्थक आंदोलन शुरू हुए थे तो ये क़ानून लाया गया था.
टोंग यिंग-किट के ख़िलाफ़ ये मुक़दमा 15 दिनों तक चला. मुक़दमे में इस बात पर ख़ासा ज़ोर दिया गया कि टोंग यिंग-किट के हाथ में जो झंडा था, उस पर लिखे नारे का क्या अर्थ है. हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान ये नारा बहुत लोकप्रिय रहा है.
अभियोजन पक्ष का कहना था कि ये नारा स्पष्ट रूप से हांगकांग को चीन की मुख्यभूमि से स्वतंत्र करने का आह्वान करता है जबकि बचाव पक्ष की दलील थी कि इस नारे के कई मतलब हो सकते हैं.
आख़िर में जज ने ये फ़ैसला दिया कि टोंग यिंग-किट के झंडे पर लिखे नारे से दूसरे लोगों में अलगाव के लिए उकसाया जा सकता था और उन्हें इसके लिए कसूरवार ठहराया जाता है.
टोंग यिंग-किट को इससे पहले बुधवार को बिना ज्यूरी वाली एक अदालत ने कसूरवार ठहराया था. अब तक हांगकांग में ब्रितानी परंपरा के तहत ज्यूरी वाली अदालतों में सुनवाई हुआ करती थी.
बचाव पक्ष ने ज्यूरी की मांग की थी लेकिन हांगकांग के जस्टिस सेक्रेटरी ने कहा कि शहर के संवेदनशील राजनीतिक माहौल को देखते हुए ज्यूरी के सदस्यों की सुरक्षा पर जोखिम हो सकता है.
चीन में कोरोना महामारी की नई लहर, डेल्टा वर्ज़न का खौफ़ और वैक्सीन पर सवाल
चीन के नानजिंग शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस की एक नई किस्म बीजिंग और पांच अन्य प्रांतों में फैल गई है. चीन के सरकारी मीडिया ने इसे "वुहान के बाद संक्रमण की सबसे गंभीर घटना" बताया है.
20 जुलाई को नानजिंग शहर के व्यस्त एयरपोर्ट पर कोरोना के इस प्रकार की पहचान की गई थी. उसके बाद से लगभग 200 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं.
चीन के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने एक सूत्र के हवाले से कहा है कि नानजिंग एयरपोर्ट से विमान सेवाएं 11 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं.
अधिकारियों को इस नाकामी के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि नानजिंग में व्यापक स्तर पर टेस्टिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिनहुआ का कहना है कि शहर की 93 लाख आबादी के अलावा यहां आने वाले सभी लोगों की टेस्टिंग की जाएगी.
अधिकारियों का मानना है कि कोरोना महामारी के नए मामले इस वायरस के अत्यंत संक्रामक डेल्टा वर्जन से जुड़े हो सकते हैं.
उनका कहना है कि इसका पता व्यस्त एयरपोर्ट पर चला और इसी वजह से बाक़ी जगहों पर फैल गया. इसके लिए एयरपोर्ट प्रबंधन की आलोचना की गई है.
कम्युनिस्ट पार्टी की एक वरिष्ठ अनुशासनात्मक समिति ने कहा है कि एयरपोर्ट पर निगरानी का पूरा इंतज़ाम नहीं था और ग़ैरपेशेवराना प्रबंधन व्यवस्था अपनाई गई थी.
जांच से ये पता चला है कि नया वर्जन चीन के कम से कम 13 शहरों में फैल गया है जिसमें चेंगदु और राजधानी बीजिंग भी शामिल है.
हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि महामारी की पहचान शुरुआती स्तर में ही कर ली गई है और इसे रोका जा सकता है.
नानजिंग में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि संक्रमित हुए लोगों में सात की स्थिति बेहद गंभीर है.
उधर, कोरोना संक्रमण के नए मामलों को लेकर चीन के सोशल मीडिया पर ये बहस भी शुरू हो गई है कि चीनी वैक्सीन डेल्टा वर्ज़न के ख़िलाफ़ कारगर है या नहीं.
हालांकि अभी तक ये बात साफ़ नहीं हो पाई है कि जो लोग संक्रमित हुए हैं, उन्होंने कोविड का टीका लिया था या नहीं.
दक्षिण एशिया के कई देश चीन में बनी कोविड वैक्सीन पर निर्भर कर रहे हैं.
हालांकि उनमें से कुछ देशों ने हाल ही में ये एलान किया है कि वे अन्य कंपनियों के वैक्सीन भी इस्तेमाल करेंगे.
ये कहा जाता है कि चीन अभी तक कोरोना महामारी पर काबू रखने में मोटे तौर पर कामयाब रहा है. उसने इसके लिए बोर्डर सील किए हैं और स्थानीय स्तर पर होने वाले संक्रमण को आगे फैलने से रोका है.
दीपिका कुमारी टोक्यो ओलंपिक में पदक पर निशाना लगाने से चूकीं
दीपिका कुमारी टोक्यो ओलंपिक में पदक पर निशाना लगाने से चूक गई हैं.
दीपिका क्वार्टरफ़ाइनल में दक्षिण कोरिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी आन सान से मात खाकर पदकों की दौड़ से 0-6 से हारकर बाहर हो गईं.
इससे पहले दिन में दुनिया की नंबर एक तीरंदाज़ दीपिका ने सटीक 10 निशाने लगाकर क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
उन्होंने पूर्व वर्ल्ड नंबर वन रूसी तीरंदाज़ केसिना पेरोवा को 3-2 से हराकर अंतिम 8 खिलाड़ियों में जगह बनाकर भारत के लिए उम्मीद जगा दी थी.
तालिबान से बचाकर अमेरिका लाए जा रहे हैं सेना की मदद करने वाले अफ़गान
अफ़गानिस्तान से सुरक्षित बचाए गए 2,500 एंटरप्रेटर (दुभाषिए) और उनके परिजन आज अमेरिका पहुँच सकते हैं.
ये सभी वो लोग हैं जिन्होंने तालिबान की आक्रामकता और युद्ध के बीच अमेरिकी सेना की मदद की थी.
ये 2,500 अफ़गान एंटरप्रेट्रर और उनके परिजन फ़िलहाल वॉशिंगटन डीसी के पास स्थित फ़ोर्ट ली आर्मी बेस में ठहरेंगे जहाँ उनके स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा (एसआईवी) की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा कार्यक्रम ख़ास तौर से उन्हीं लोगों के लिए है जिन्होंने साल 2001 से अफ़गानिस्तान में शुरू हुए युद्ध में अमेरिका की मदद की है.
अमेरिकी सेना के वतन वापसी के ऐलान के साथ ही उनकी मदद करने वाले अफ़गान लोगों को तालिबान से मिलने वाली धकमियाँ और ख़तरे भी बढ़ गए हैं.
ऐसे में इन लोगों को सुरक्षित बचाकर अमेरिका लाया जा रहा है.
अमेरिकी सेना की मदद करने वालों पर जान का ख़तरा
अमेरिकी सेना वीज़ा, मेडिकल जाँच और अन्य ज़रूरी प्रक्रिया पूरी होने तक इन सभी 2,500 लोगों को फ़ोर्ट ली में ही रखेगी.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक़ साल 2008 से लेकर अब तक करीब 70 हज़ार अफ़गान लोगों को स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा के माध्यम से अमेरिका में बसाया जा चुका है.
पिछले हफ़्ते अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि इस बार एसआईवी के लिए 20 हज़ार से ज़्यादा अफ़गान नागरिकों के आवेदन आए हैं जिनमें से करीब आधे लोगों को अभी प्रक्रिया का पहला चरण पूरा करना बाकी है.
अफ़गानिस्तान में तैनात रह चुके अमेरिकी सेना के पूर्व बटालियन कमांडर माइक जेसन ने बीबीसी को बताया कि स्पेशल इमिग्रेंट वीज़ा के लिए ज़रूरी कागजों का इंतज़ाम करने के लिए इन एंटरप्रेटर्स का तालिबान के क़ब्ज़े वाले इलाके में जाना ‘जान से मारे जाने के ख़तरे से खाली नहीं है.’
जैसन ने कहा, “अगर आप तालिबान के क़ब्ज़े वाले इलाके में जाते हैं तो एक तरीके से कबूल करते हैं कि आपने अमेरिकी सेना के लिए काम किया है और दूसरी तरफ़ हम उन लोगों से सबूत के साथ आने को कह रहे हैं.”
सेना की मदद करने वाले सैकड़ों लोग मारे गए हैं
'नो वन लेफ़्ट बिहाइंड' नाम की एक ग़ैर सरकारी संस्था का अनुमान है कि अब तक अमेरिकी-अफ़गान सेना की मदद करने वाले (या उनके परिजन) कम से कम 300 लोग मारे जा चुके हैं.
साल 2001 में अमेरिका सेना ने अफ़नास्तान में हमला करके तालिबान को सत्ता से बाहर कर दिया था लेकिन पिछले कुछ महीनों से अफ़गान सेना और तालिबान के बीच लड़ाई फिर तेज़ हो गई है.
अमेरिकी सैनिकों की वतन वापसी के ऐलान के बाद से तालिबान की आक्रामकता लगातार बढ़ती ही जा रही है.
अभी हाल ही में तालिबान ने ऐलान किया था कि उसके लड़ाकों ने अफ़गानिस्तान के 85 फ़ीसदी हिस्से पर क़ब्ज़ा पर लिया है.
हालाँकि अफ़गान सरकार इस दावे को ख़ारिज करती है और इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना लगभग असंभव है.