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कोरोना वैक्सीन: दोनों टीके लगवाने के बाद भी टला नहीं है संक्रमण का डर

एजेंसी, चेन्नई। Published by: Jeet Kumar Updated Fri, 30 Jul 2021 06:04 AM IST
सार

दुनियाभर में डेल्टा स्वरूप के प्रसार से बढ़ते मामलों के बीच टीके लगवा चुके लोग भी संक्रमित मिल रहे हैं। इसे ‘ब्रेक थ्रू’ संक्रमण कहा जा रहा है। यहां वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी नैशविल, अमेरिका के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर और स्टाफ साइटिंस्ट संजय मिश्रा से जानिये ब्रेकथ्रू इंफेक्शन से जुड़े अहम सवाल-जवाब...

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Even after getting both dose of vaccines the danger of corona
कोरोना की वैक्सीन - फोटो : PTI
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विस्तार
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अगर आप भी कोरोना टीकों की दोनों खुराक लेने के बाद खुद को महामारी से पूरी तरह सुरक्षित मानकर चल रहे हैं तो यह धारणा गलत है।



 जानिये क्या है ब्रेकथ्रू इंफेक्शन और जानिए अहम सवाल-जवाब...

1) क्या है ब्रेकथ्रू संकमण
जब टीकाकरण के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो वैज्ञानिक इसे ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन कहते हैं। इसमें वायरस वैक्सीन से बने सुरक्षा चक्र को भी तोड़ने में कामयाब रहता है। फाइजर और मॉडर्ना के कोरोना टीके क्लीनिकल ट्रायलों में 94-95 फीसदी प्रभावी मिले हैं।


टीके के 95 प्रतिशत प्रभावशाली होने का अर्थ ये नहीं है कि टीका 95 प्रतिशत लोगों का बचाव करता है, जबकि अन्य पांच प्रतिशत लोग संक्रमित हो सकते हैं। टीके के प्रभावी होने का मतलब अपेक्षाकृत जोखिम का पता लगाना है।
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2) दोनों खुराक लेने के बाद भी संक्रमण कितना आम
अगर दोनों टीके लगवाने वाला व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो उसमें संक्रमण के लक्षण बहुत मामूली या नहीं भी होते हैं। मौजूदा ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन शायद डेल्टा स्वरूप के बढ़ते प्रसार के कारण हुआ है। लेकिन टीके ले चुके लोगों में संक्रमण अब भी विरला ही है।
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मसलन, अमेरिका में एक फरवरी से 30 अप्रैल 2021 के बीच हुए अध्ययन में टीके लगवा चुके 1,26,367 में से 86 लोगों में ही ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन मिला। इनमें से अधिकांश ने फाइजर-मॉडर्ना की खुराकें ली थीं। संक्रमितों का यह आंकड़ा 1.2 फीसदी ही रहा।

3) टीकाकरण के बाद भी संक्रमित हो जाना कितना खतरनाक
अमेरिका में सीडीसी के पास मौजूद आंकड़ों के हिसाब से ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामलों में 27 फीसदी लोग लक्षण रहित थे। सिर्फ 10 फीसदी लोगों के अस्पताल में भर्ती हुए, जिनमें से दो फीसदी की ही मौत हुई। वहीं, 2020 में टीका विकसित नहीं होने से पहले संक्रमण से छह फीसदी मरीजों की मौत हो रही थी।
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4) ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन की सबसे ज्यादा आशंका कब
इस संक्रमण की सबसे ज्यादा आशंका बंद जगहों और संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क के कारण होती है। मसलन, कम हवादार कार्यालयों, पार्टी, रेस्त्रां या स्टेडियम जैसे स्थानों पर संक्रमितों से संपर्क का खतरा ज्यादा रहता है। उन स्वास्थ्यकर्मियों में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन का खतरा रहता है, जो लगातार संक्रमितों की देखभाल में लगे रहते हैं।

इसके अलावा बुजुर्गों में भी ज्यादा खतरा है। वहीं, कमजोर प्रतिरक्षा वाले, अंग प्रत्यारोपण, हृदय, किडनी, लीवर, कैंसर के मरीज भी ब्रेकथ्रू के शिकार हो सकते हैं।

5) डेल्टा जैसे स्वरूप ने कैसे पैदा किया खतरा
वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के पहले के सभी स्वरूपों को मारने के लिए वैक्सीन विकसित की है। लेकिन इसके बाद भी कई नए स्वरूप सामने आ रहे हैं। हालांकि, ये टीके लगवा चुके लोग नए स्वरूपों से संक्रमित होने के बाद भी ज्यादा बीमार नहीं पड़ते।  यह सच है कि मौजूदा टीके पुराने स्वरूपों के मुकाबले डेल्टा जैसे स्वरूप पर कम असरदार हैं।

ब्रिटेन के जन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, एमआरएनए टीकों की दो खुराक अल्फा स्वरूप पर 89 फीसदी प्रभावी हैं लेकिन डेल्टा पर 79 फीसदी असरदार हैं। इसके खिलाफ एक खुराक तो सिर्फ 35 फीसदी ही प्रभावी है।

 

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