ओलंपिक में गाँजा अब भी क्यों प्रतिबंधित है

  • रॉबिन लेविन्सन-किंग
  • बीबीसी न्यूज़
शा कैरी रिचर्डसन

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अमेरिका की धावक शा कैरी रिचर्डसन ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई कर लिया था, लेकिन उन्हें ओलंपिक जाने से रोक दिया गया. दरअसल अमेरिका में ट्रैक एंड फ़ील्ड ट्रायल के दौरान उनके गाँजे का सेवन करने की पुष्टि हुई थी.

गाँजा अमेरिका के कई प्रांतों में प्रतिबंधित नहीं है लेकिन खेलों की दुनिया में अब भी ये प्रतिबंधित है. इसकी वजह क्या है?

लहराते नारंगी बालों, बेहतरीन मुस्कान और बिजली सी रफ़्तार वाली रिचर्डसन को ओलंपिक की तैयारी के दौरान नज़रअंदाज़ करना मुश्किल था.

वो इतिहास की छठी सबसे तेज़ दौड़ने वाली धावक हैं और उन्हें टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल की दावेदार माना जा रहा था. लेकिन अब वो अमेरिकी धावक दल का हिस्सा नहीं है.

जुलाई के पहले सप्ताह में ये बताया गया कि रिचर्डसन ने क्वालिफ़ाइंग मुक़ाबले के दौरान गाँजे का सेवन किया और इसलिए वो दौड़ से बाहर हो गई हैं.

सज़ा के तौर पर अमेरिकी की एंटी डोपिंग एजेंसी ने उनके खेलने पर एक महीने की रोक लगा दी और उनकी जीत को भी रद्द कर दिया.

हालाँकि उन पर लगा 30 दिनों का प्रतिबंध तकनीकी तौर पर ओलंपिक में उनकी दौड़ से पहले ही समाप्त हो गया, लेकिन उन्हें टीम में जगह नहीं मिल पाई.

उन पर लगे प्रतिबंध ने एक बार फिर ओलंपिक खेलों में गाँजे पर प्रतिबंध पर चर्चा शुरू कर दी है.

गाँजा अमेरिका के कई प्रांतों में वैध है और इस बात को लेकर शक है कि उससे एथलीट की क्षमता बढ़ती है या नहीं. बहुत से लोग सवाल करते हैं कि फिर ये ओलंपिक में प्रतिबंधित क्यों हैं?

क्या गाँजे से शारीरिक क्षमता बढ़ जाती है?

कोलोराडो में रिचर्ड्सन के समर्थन में प्रदर्शन

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वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) ने साल 2004 में जब प्रतिबंधित पदार्थों की पहली सूची बनाई थी, तब उसमें गाँजे को भी शामिल किया था.

प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में उन्हें ही शामिल किया जाता है, जिनमें इन तीन में से दो विशेषताएँ होती हैं..

1. इनसे एथलीट की सेहत को नुक़सान होता हो

2. इनसे एथलीट के प्रदर्शन में बढ़ोत्तरी होती हो

3. ये खेलों की भावना के ख़िलाफ़ हों

जहाँ तक गाँजे का सवाल है, लोगों को सबसे ज़्यादा परेशानी दूसरे प्वाइंट से होती है.

2011 में स्पोर्ट्स मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक लेख में वाडा ने गाँजे को प्रतबंधित किए जाने का बचाव किया था.

इसमें गाँजे की तनाव कम करने की क्षमता का उल्लेख करते हुए वाडा ने कहा था कि इससे एथलीटों को दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है. प्रतियोगिता के पहले और उसके दौरान होने वाले तनाव को भी गाँजे से कम किया जा सकता है.

मॉन्ट्रियल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ क्यूबेक में स्पोर्ट्स साइंस विभाग के प्रमुख एलेन स्टीव कोमटॉयस कहते हैं कि सिर्फ़ इन आधार पर गाँजे को क्षमता में बढ़ोत्तरी करने वाली दवा नहीं कहा जा सकता है.

बीबीसी से बात करते हुए एलेन स्टीव कहते हैं, "आपको पूरे दृश्य को देखना होगा. हाँ, इससे तनाव कम हो जाता है लेकिन अगर वास्तविक शारीरिक डेटा को देखा जाए, तो पता चलता है कि इससे क्षमता कम होती है."

2021 जर्नल ऑफ़ स्पोर्ट्स मेडिसिन एंड फिज़िकल फ़िटनेस रिव्यू के लेखकों में एलेन स्टीव भी शामिल हैं. इस शोधपत्र में व्यायाम से पहले गाँजे के इस्तेमाल और उससे एथलीट की क्षमता पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण किया गया है.

इस शोध में पता चला कि गाँजे के सेवन से शरीर में रक्तचाप बढ़ जाता है और ताक़त और संतुलन कम हो जाते हैं. इससे क्षमता बढ़ाने के लिए ज़रूरी शारीरिक क्रियाओं में भी रुकावट आती है.

हालाँकि इस शोध में तनाव पर गाँजे के असर को शामिल नहीं किया गया. हालाँकि एलेन स्टीव कहते हैं कि गाँजे से जो नुक़सान होते हैं, वो इसके फ़ायदों पर भारी पड़ते हैं.

वो कहते हैं इससे ये कहा जा सकता है कि गाँजे से एथलीट की क्षमता बढ़ती है, इस तर्क में कोई दम नहीं है.

खेल भावना और ड्रग्स

रिचर्ड्सन

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हालाँकि वाडा के प्रतिबंध में सिर्फ़ क्षमता बढ़ाना ही शामिल नहीं हैं.

वाडा का गठन साल 1999 ओलंपिक में कई हाई प्रोफ़ाइल डोपिंग स्कैंडल सामने आने के बाद हुआ था.

वाडा का मक़सद दुनियाभर में खेलों में ड्रग्स के इस्तेमाल को ख़त्म करना है.

जब 2004 में वाडा ने प्रतिबंधित पदार्थों की अपनी सूची जारी की थी, तब गाँजा दुनियाभर के अधिकतर देशों में प्रतिबंधित था.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस ऑस्टिन में डोपिंग की रोकथाम के इतिहास पर शोध कर रहे जॉन होबरमैन कहते हैं, "वो दरअसल सामाजिक ज़िम्मेदारी से जुड़ी समस्या में नहीं फँसना चाहते हैं."

2011 में अपने शोध पत्र में वाडा ने कहा था कि गाँजा एक अवैध ड्रग है और इस वजह से ये खेल की भावना के ख़िलाफ़ है.

वाडा ने ये भी कहा था कि एथलीट दुनियाभर में युवाओं के रोल मॉडल होते हैं और ऐसे में एथलीट का गाँजे का सेवन करना सही नहीं है.

इस नियम की वजह से सिर्फ़ रिचर्डसन ही नहीं, बल्कि दर्जनों दूसरे एथलीटों ने भी मौक़े गँवाए हैं.

2009 में महान तैराक माइकल फ़ेल्प्स की गाँजे का सेवन करते हुए तस्वीरें सामने आईं थीं. इसके बाद उन पर तीन महीनों का प्रतिबंध लगा था और उन्हें केलॉग से मिली स्पॉनसरशिप भी गँवानी पड़ी थी.

साल 2006 में अमेरिकी धावक जब दूसरी बार गाँजे का सेवन करते हुए पकड़े गए थे, तब उन पर दो सालों का प्रतिबंध लग गया था.

वाडा के प्रतिबंधित पदार्थों की सूची प्रकाशित करने से पहले अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने कनाडा के स्नोबोर्डर रॉस रेबागलियाती का स्वर्ण पदक छीनने की कोशिश की थी. उनके भी गाँजे का सेवन करने की पुष्टि हुई थी.

हालाँकि जब अदालत ने ये फ़ैसला दिया कि गाँजे के ख़िलाफ़ कोई अधिकारिक नियम नहीं है, तो ओलंपिक समिति को उन्हें मेडल लौटाना पड़ा.

लेकिन बीते कुछ दशकों में गाँजे की क़ानूनी स्थिति और समाज का उसके प्रति नज़रिया बदल रहा है.

2013 में उरूग्वे ने मौजमस्ती के लिए गाँजे की ख़रीद और सेवन को क़ानूनी घोषित कर दिया था. 2018 में कनाडा ने भी प्रतिबंध हटा दिया था.

दक्षिण अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और नीदरलैंड्स समेत कई दूसरे देशों ने भी कुछ हद तक गाँजे के सेवन पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं.

अमेरिका में संघीय आधार पर तो गाँजा प्रतिबंधित है, लेकिन कई राज्यों ने इस पर लगी रोक हटा दी है. इनमें ओरेगॉन प्रांत भी शामिल हैं, जहाँ रिचर्डसन गाँजे का सेवन करते हुए पकड़ी गईं थीं.

माइकल फेल्प्स

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दवा के तौर पर गाँजे के इस्तेमाल को भी अब मान्यता मिल रही है. ब्रिटेन ने दवा के रूप में गाँजे के सेवन को मान्यता दे दी है.

यहाँ तक कि 2019 में वाडा ने भी कैनाबीडियोल (सीबीडी) को प्रतिबंधित सूची से हटा दिया था. ये गाँजे का ही एक दवा रूप है.

हालाँकि सीबीडी जापान समेत कई देशों में अभी भी प्रतिबंधित है. इस साल ओलंपिक जापान में ही हो रहे हैं.

इन बदलावों की वजह से ही रिचर्डसन पर लगे प्रतिबंध की आलोचना हो रही है.

एनबीसी समाचार चैनल से बात करते हुए धावक रिचर्डसन ने कहा था कि क्वालिफ़ायर दौड़ से एक सप्ताह पहले ही उनकी माँ का देहांत हुआ था और वो मानसिक अवसाद की वजह से गाँजे का सेवन कर रहीं थीं.

रिचर्डसन ने कहा था, "मैंने आपको शर्मिंदा किया है, मैं आपसे माफ़ी मांगती हूं, ये आख़िरी बार होगा जब अमेरिका 100 मीटर में गोल्ड लिए बिना वापस लौटेगा."

रिचर्डसन के लिए बढ़ती सहानुभूति ने वाडा को भी दुविधा में डाल दिया. जैसा कि होबरमैन कहते हैं, "आप ऐसा संस्थान नहीं चला सकते हैं जो नियमों से बंधा है और फिर अपनी सहूलियत के हिसाब से नियम बदल दे."

गाँजे पर प्रतिबंध मौजूद है, ऐसे में रिचर्डसन को छूट नहीं दी जा सकती थी.

होबरमैन कहते हैं, "इस नियम की वजह से ही इस युवा धावक को क़ीमत चुकानी पड़ रही है."

आगे क्या?

ड्रग्स

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अभी ये स्पष्ट नहीं है कि वाडा गाँजे पर लगा प्रतिबंध हटाने पर कब विचार करेगा. लेकिन वाडा पर दबाव बढ़ रहा है.

रिचर्डसन पर प्रतिबंध के बाद अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस नियम पर सवाल उठाए हैं.

हालाँकि बाइडन ने ये नहीं कहा कि इस नियम को समाप्त कर दिया जाना चाहिए. लेकिन इससे ये चर्चाएँ तो चल ही पड़ीं कि व्हाइट हाउस इस दिशा में कोई क़दम उठा सकता है.

बाइडन ने मिशिगन में शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था, "नियम तो नियम ही होते हैं, सभी को पता होता है कि उनके सामने क्या नियम हैं. वो नियम ऐसे ही बने रहेंगे या नहीं, ये अलग मुद्दा है."

वहीं अमेरिका में वाडा के नियमों का पालन करवाने वाली अमेरिकन डोपिंग अथॉरिटी का कहना है कि समय आ गया है जब इस नियम पर फिर से चर्चा की जानी चाहिए.

लेकिन जब तक ये नियम मौजूद है, तब तक रिचर्डसन और उनके जैसे दूसरे एथलीटों को गाँजे से दूर रहना होगा. या फिर वो किनारे पर रह सकते हैं.

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