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कट्टर तालिबान के सपोर्ट में पाकिस्तान:इमरान ने तालिबानियों को आम नागरिक बताया, बोले- PAK की सीमा पर ऐसे 30 लाख रिफ्यूजी, इन पर एक्शन कैसे लें

इस्लामाबाद3 वर्ष पहले
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने एक बयान से जाहिर कर दिया है कि वो तालिबानी कट्टरपंथियों के समर्थक हैं। इमरान ने कहा कि तालिबानी कोई सैन्य संगठन नहीं हैं, बल्कि वो आम नागरिक हैं। इमरान ने ये बात अमेरिकी न्यूज चैनल PBS को दिए इंटरव्यू में कही हैं। इसी चैनल से बातचीत में इमरान ने कहा था कि अफगानिस्तान में सारी गड़बड़ अमेरिका ने की है।

इमरान के 3 चौंकाने वाले बयान
पहला: तालिबानियों को शरणार्थी बता दिया
इमरान ने कहा कि पाकिस्तान की सीमा पर 30 लाख ऐसे रिफ्यूजी हैं। बॉर्डर पर कैंप लगे हैं। कहीं इनमें एक लाख लोग हैं और कहीं 5 लाख। इनमें सिविलियंस भी हैं। ऐसे में कोई देश इन पर कार्रवाई कैसे कर सकता है? आप इन कैंपों को पनाहगाह कैसे कह सकते हैं? इमरान ने कहा कि बॉर्डर पर जो शरणार्थी हैं, उनमें ज्यादातर पश्तून हैं यानी तालिबानियों जैसा लड़ाका समुदाय।

दूसरा: 9/11 से पाकिस्तान का लेना देना नहीं
इमरान से जब पूछा गया कि पाकिस्तान में तालिबानियों के सुरक्षित पनाहगाह हैं? इस पर इमरान ने कहा- ये सुरक्षित पनाहगाह कहां हैं? 11 सितंबर 2001 में न्यूयॉर्क में जो कुछ हुआ, उससे पाकिस्तान का कुछ लेना-देना नहीं था। इसके बावजूद अफगानिस्तान में अमेरिकी जंग में हजारों पाकिस्तानियों ने अपनी जान गंवाई।

अल कायदा ने जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया तो उसमें एक भी पाकिस्तानी नागरिक शामिल नहीं था। उस समय तालिबान का कोई लड़ाका पाकिस्तान में नहीं था। अमेरिका और तालिबान की लड़ाई में 70 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिकों की मौत चुकी है। अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध से पाकिस्तान को 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

तीसरा: अमेरिका तालिबान को हैंडल नहीं कर पाया
इमरान ने कहा कि अमेरिका ने तालिबान को ठीक से हैंडल नहीं किया और सब गड़बड़ कर दिया। अफगानिस्तान की समस्या का हल सेना के जरिए नहीं निकाला जा सकता। मैं शुरू से ही यह कहता आया हूं, लेकिन मेरी बात कभी नहीं सुनी गई। उल्टा मुझे तालिबान खान और अमेरिका विरोधी कहकर संबोधित किया गया।

जानिए, अफगानिस्तान में क्या है तालिबान का गेम प्लान
तालिबान अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए चीन का सपोर्ट चाहता है। इसके लिए उसने चीन को यह भरोसा भी दिलाया है कि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकियों को किसी दूसरे देश को निशाना बनाने के लिए नहीं करने देगा। तालिबान लीडर मुल्ला बरादर अखुंद ने एक डेलिगेशन के साथ चीन के विदेश मंत्री वांग यी से 27 जुलाई को मुलाकात की है। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...)

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