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- Taliban Afghanistan: Indian Journalist Danish Siddiqui Death | Taliban Spokesman Zabihullah Mujahid Exclusive Interview
भास्कर एक्सक्लूसिव:तालिबान ने भारत से बातचीत का दावा खारिज किया; दानिश की मौत पर माफी मांगने से इंकार, कहा- वे युद्धक्षेत्र में हमसे इजाजत लेकर नहीं आए थे
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- तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा- फिलहाल भारत सरकार के विदेश मंत्रालय या किसी अन्य चैनल से हमारी कोई बातचीत नहीं हो रही है
20 साल के लंबे वक्त के बाद अमेरिका के अफगानिस्तान से सेना हटाने के ऐलान के साथ ही देश के बड़े हिस्से में युद्ध जैसे हालात हैं और तालिबान ने अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। सामरिक लिहाज से अफगानिस्तान भारत के लिए महत्वपूर्ण रहा है। पिछले दो दशकों में भारत ने अफगानिस्तान में 2200 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है। तालिबान अफगान सत्ता पर काबिज होता है तो भारत पर क्या असर पड़ेगा? दैनिक भास्कर ने तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद से खास बातचीत की।
कैसे हुई बातचीत
इंटरव्यू से पहले थोड़ी सी चर्चा इस पर कि तालिबान के प्रवक्ता से बातचीत हुई कैसे। तालिबान के दो आधिकारिक प्रवक्ता हैं। पहले जबीउल्लाह मुजाहिद और दूसरे सुहैल शाहीन। जबीउल्लाह अफगान मसलों पर बात करते हैं, जबकि सुहैल कतर के दोहा ऑफिस से जुड़े हैं और शांति वार्ता के बारे में बयान देते हैं।
भास्कर की संवाददाता ने जबीउल्लाह से संपर्क किया। काफी कोशिशों के बाद वे बातचीत के लिए राजी हुए। उनकी शर्त थी कि वे पश्तो में ही इंटरव्यू देंगे। हमने काबुल के एक पत्रकार की मदद लेकर अपने सवाल पश्तो में जबीउल्लाह तक पहुंचाए और फिर पश्तो में उनके जवाबों को ट्रांसलेट किया गया। पढ़ते हैं तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद से बातचीत...
सवाल: इस समय अफगानिस्तान के कितने हिस्से पर तालिबान का कब्जा है?
जवाब: इस समय हमारी मिट्टी (अफगानिस्तान) का 85% हिस्सा तालिबान के कंट्रोल में है।
सवाल: क्या तालिबान इस समय भारत के साथ कोई बातचीत कर रहा है?
जवाब: इस पर मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि हम दुनिया के हर उस देश के साथ बात करते हैं और करने को तैयार हैं, जो हमारे साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। शर्त बस यह है कि वह हमारे आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे।
सवाल: क्या तालिबान ने भारत के विदेश मंत्रालय के साथ कोई बात की है?
जवाब: अभी तक भारत के किसी भी संस्थान या प्रतिनिधि के साथ तालिबान की कोई वार्ता नहीं हुई है।
(नोट: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 22 जून को कहा था कि केंद्र सरकार डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए तालिबान से बात कर रही है। उनका कहना था कि तालिबान से बात हो सकती है तो कश्मीर पर पाकिस्तान से बात क्यों नहीं हो सकती।)
सवाल: भारत ने अफगानिस्तान में भारी निवेश किया है। क्या तालिबान इस निवेश की सुरक्षा की गारंटी देता है?
जवाब: हम अपनी सरजमीं पर हर उस जायज निवेश का समर्थन करते हैं, जिससे देश के आर्थिक विकास में मदद मिल सके। हम अफगान राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले हर निवेश की सुरक्षा करेंगे।
सवाल: भारत को लेकर तालिबान की रणनीति क्या है?
जवाब: हमारी रणनीति किसी भी देश में हस्तक्षेप न करने की है। हम किसी भी देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं और न अपने देश को किसी को नुकसान पहुंचाने देंगे। हम हिंदुस्तान समेत अपने सभी पड़ोसी देशों और दुनिया के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।
सवाल: भारत की मौजूदा सरकार के बारे में तालिबान की क्या राय है?
जवाब: हम नहीं चाहते कि किसी दूसरे देश के अंदरूनी मामलों में दखल दें। भारत की सरकार को भारत के लोगों ने चुना है और पसंद किया है। इस बारे में हम कुछ नहीं कहेंगे।
सवाल: आरोप है कि भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत के बाद तालिबान ने उनके शरीर को कुचला? क्या ये सच है कि तालिबान ने दानिश सिद्दीकी की मौत के लिए माफी मांगी है?
जवाब: दानिश सिद्दीकी की मौत जंग में हुई है और ये पता नहीं चला है कि वो किसकी गोली से मारे गए। उनकी लाश के साथ कोई बेहुरमती नहीं हुई है। किसी ने उनकी लाश को नहीं जलाया है। हम उनकी लाश की तस्वीरें आपको दिखा सकते हैं, उस पर जलाने की कोई निशानी नहीं है। उनके कत्ल के बाद उनका शव लड़ाई वाले हिस्से में पड़ा रह गया था। हमने उन्हें बाद में पहचाना। इसके बाद उनकी लाश को रेडक्रॉस के हवाले कर दिया गया था।
हम दानिश सिद्दीकी की मौत के लिए माफी नहीं मांगते क्योंकि ये पता नहीं है कि वो किसकी गोली से मारे गए हैं। उन्होंने हमसे युद्धक्षेत्र में आने की इजाजत भी नहीं ली थी। वो दुश्मन के टैंक में सवार थे। वे अपनी मौत के लिए खुद जिम्मेदार हैं।
सवाल: क्या तालिबान अफगानिस्तान सरकार के साथ शांतिवार्ता में भारत की मदद चाहेगा?
जवाब: शांति प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए हम सभी की मदद चाहते हैं। बशर्ते कि वे अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने के तरफदार हों। भारत को काबुल एडमिनिस्ट्रेशन (अफगानिस्तान सरकार) को हथियार और बाकी सैन्य मदद नहीं देनी चाहिए, क्योंकि वो हमारे खिलाफ इस्तेमाल होंगे। उदाहरण के लिए भारत ने वॉर प्लेन अफगानिस्तान को दिए हैं। ऐसे कामों से हमारे संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
सवाल: तालिबान कश्मीर के बारे में क्या सोचता है?
जवाब: कश्मीर कश्मीरियों का मुद्दा है। किसी को कश्मीरियों के अधिकार नहीं रौंदने चाहिए। हम कश्मीर के मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। जो कुछ कश्मीरी चाहते हैं, हम भी उसी के तरफदार हैं। कश्मीरियों की आम सहमति से कश्मीर के मुद्दे का हल किया जाना चाहिए।
सवाल: बतौर तालिबान प्रवक्ता आप भारत से कुछ कहना चाहेंगे।
जवाब: हम कहना चाहेंगे कि भारत के लोग अपनी सरकार पर दबाव बनाएं कि वह अफगानिस्तान में नकारात्मक हस्तक्षेप न करे। भारत अफगान सरकार को ऐसे सैन्य उपकरण न दे, जिनका इस्तेमाल युद्ध में बच्चों, औरतों और बूढ़ों की जान लेने के लिए किया जाए। भारत को हथियार भेजने के बजाय अफगानिस्तान के लिए आर्थिक और मानवीय मदद भेजनी चाहिए जो आम लोगों के काम आ सके।
सवाल: कहा जाता है कि तालिबान पर पाकिस्तान का नियंत्रण है। क्या पाकिस्तान भारत-अफगानिस्तान संबंधों को प्रभावित कर सकता है?
जवाब: यह गलत बातें हैं। हम तालिबान पर पाकिस्तान के नियंत्रण को बिल्कुल नहीं मानते हैं। पाकिस्तान लाखों अफगानिस्तानी शरणार्थियों का मेजबान देश भी है। पाकिस्तान के साथ हमारी लंबी सीमा लगी है। इन्हीं वजहों से हम पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। हिंदुस्तान भी हमारे लिए अलग अहमियत रखता है। हम भारत के साथ सामान्य और एक दूसरे के लिए सम्मानजनक संबंध चाहते हैं। ऐसे संबंध जो उसूलों पर आधारित हों।
सवाल: पिछले तालिबान शासन के दौरान महिलाओं पर जुल्म की कई कहानियां सामने आईं। क्या इस बार तालिबान का नजरिया महिलाओं के प्रति बदलेगा?
जवाब: हम इस्लाम में महिलाओं और पुरुषों को दिए गए अधिकारों का सम्मान करते हैं। जो अधिकार इस्लाम ने महिलाओं को दिए हैं वो उन्हें दिए जाएंगे। इस बारे में दुष्प्रचार किया गया है।
सवाल: तालिबान की सरकार में महिलाओं की जगह क्या होगी, क्या वो दफ्तरों में काम कर सकेंगी?
जवाब: इसमें कोई शक नहीं है कि महिलाएं इस्लामी कानून के मुताबिक दफ्तरों में, एजुकेशन संस्थानों, मेडिकल संस्थानों और ऐसी दूसरी जगहों में जहां उनकी जरूरत होगी काम कर सकती हैं। उन्हें काम करने का मौका मिलेगा। हम महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने के लिए काम करेंगे।
सवाल: 1996 के तालिबान और 2021 के तालिबान में क्या अंतर है? क्या तालिबान ने अपनी रणनीति और नजरिए को बदला है?
जवाब:1996 में तालिबान का इंकलाब अफगानिस्तान में फैली अराजकता और अव्यवस्था को समाप्त करने के लिए था। उस वक्त भी हम दुनिया और दूसरे देशों के साथ बेहतर राजनीतिक और आर्थिक संबंध चाहते थे, लेकिन बदकिस्मती से कुछ देशों ने जानबूझकर समस्याएं पैदा कीं। ये देश हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहे थे।
सवाल: अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए तालिबान की क्या योजना है?
जवाब: हमारे सभी प्रयास अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए ही हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि हमारे देश में जो भी युद्ध के कारण हैं वो खत्म हो जाएं और अफगानिस्तान में पूरी तरह शांति हो जाए।
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