दिल्ली की 30% आबादी पर अभी भी कोरोना का खतरा, ना करें लापरवाही : विशेषज्ञ

नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने भी दिल्ली सरकार से सतर्क रहने को कहा है क्योंकि अगले तीन महीने अहम हैं और प्रतिबंध हटाने से कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं.

दिल्ली की 30% आबादी पर अभी भी कोरोना का खतरा, ना करें लापरवाही : विशेषज्ञ

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली:

विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण और संक्रमित होने के बाद बड़ी संख्या में लोगों में कोरोना वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने के साथ ही कोविड की दूसरी लहर को रोकने के लिए लागू पाबंदियों में सुरक्षात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में कोविड-19 आईसीयू का प्रबंधन देखने वाले डॉ युद्धवीर सिंह ने कहा कि जब संक्रमण के मामले कम हों तब आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए कुछ प्रतिबंधों में ढील देना आवश्यक है. 

उन्होंने कहा, 'लेकिन लोगों को बचाव के उपाय अपनाना बंद नहीं करना चाहिए. कोविड से बचाव के अनुरूप व्यवहार करते समय और प्रतिबंधों को लागू करने के दौरान सुरक्षात्मक रवैया अपनाना जरूरी है. संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में मामले सामने आए थे इसलिए ऐसा संभव है कि दिल्ली में सामुदायिक स्तर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई हो.'

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सर गंगा राम अस्पताल में कार्यरत डॉ पूजा खोसला ने कहा कि कोरोना वायरस जनित महामारी की दूसरी लहर से हमने यह सीखा है कि संक्रमण के मामले तेजी से कैसे बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा, “दुनिया के कई हिस्सों से चेतावनी के संकेत मिल रहे हैं. भारत में भी संक्रमण के मामलों में कम वृद्धि देखने को मिली है. संक्रमण कभी भी तीव्र गति से बढ़ सकता है. मुझे लगता है कि किसी को कोई धारणा नहीं पालनी चाहिए और दूसरी लहर जैसा संकट न आए इसके लिए सभी प्रयास करना चाहिए. सब कुछ खोल देना ठीक नहीं है. सभी कह रहे हैं कि तीसरी लहर आने में कुछ दिन ही बचे हैं.'

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर प्रज्ञा शर्मा ने कहा कि तीसरी लहर तो आएगी ही लेकिन इसमें कितने लोग संक्रमित होंगे यह बचाव के कदमों और टीकाकरण की गति पर निर्भर करेगा.उन्होंने कहा, 'टीका ले चुके लोगों के बड़ी मात्रा में संक्रमित होने के बावजूद, संक्रमण की गंभीरता कम होगी और अस्पतालों पर दबाव नहीं रहेगा.'

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वहीं, सफरदजंग अस्पताल के डॉ जुगल किशोर का कहना है कि पहले संक्रमित होने से और टीकाकरण के कारण लगभग 80 प्रतिशत लोगों में वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है. उन्होंने कहा, 'दूसरी लहर के दौरान सामने आए 60 प्रतिशत मामलों के लिए कोरोना वायरस का डेल्टा प्रकार जिम्मेदार था. हमने डेल्टा और ‘डेल्टा प्लस' के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं पाया है. इसलिए कोविड-19 के मामलों में अचानक वृद्धि की आशंका नहीं है जब तक कि कोई अधिक संक्रामक प्रकार सामने नहीं आता.'

अब भी ऐसे लोगों का प्रतिशत अधिक है जो संक्रमण का शिकार नहीं हुए हैं या विभिन्न कारणों से टीका लगने के बाद भी उनमें पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी नहीं बनी है. दिल्ली की लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या ऐसी है और यह संक्रमित हो सकती है. 

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उन्होंने कहा, 'दो चीजें हो सकती हैं- पहला, वायरस लोगों को धीरे-धीरे संक्रमित करता जाएगा जब तक की सामुदायिक स्तर पर प्रतिरोधक क्षमता विकसित न हो जाए. और दूसरा यह कि एक नया अधिक संक्रामक प्रकार सामने आए जिससे बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हों जब तक कि सभी में प्रतिरोधक क्षमता विकसित न हो जाए. लेकिन ऐसा लगता है कि तीसरी लहर दूसरी लहर की तरह गंभीर नहीं होगी.'

उन्होंने कहा कि एक और आशंका है कि पहले से संक्रमित होने और टीकाकरण के कारण जनित प्रतिरोधक क्षमता से अधिक ताकतवर वायरस का नया प्रकार सामने आए. डॉ किशोर ने कहा कि ऐसा होता है तो बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी. 

नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने भी दिल्ली सरकार से सतर्क रहने को कहा है क्योंकि अगले तीन महीने अहम हैं और प्रतिबंध हटाने से कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं. हालांकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के डॉ समीरन पांडा ने नौ जुलाई को हुई बैठक के दौरान दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बताया था कि तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी.

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