पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) की सांसद महुआ मोइत्रा ने वहां के राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली से एक फोन आने पर वह ऐक्टिव हो जाते हैं और सुबह-शाम ट्वीट करने लगते हैं।

टीएमसी सांसद ने यह बात शनिवार को हिंदी चैनल आज तक पर प्रसारित सीधी बात कार्यक्रम में कही। पत्रकार प्रभु चावला के एक प्रश्न के जवाब में मोइत्रा ने आरोप लगाते हुए कहा, यह पूरे सेटअप जैसा है। बंगाल में एक्टिंग चीफ जस्टिस है, दूसरा- राज्यपाल और तीसरे हैं- एनएचआरसी के चैयरमैन। पूरा शतरंज का बोर्ड लगा हुआ है। आपको दिखाई नहीं देता? देश की जनता को इस चेस बोर्ड के बारे में मालूम पड़ चुका है।

चावला ने आगे पूछा, “क्या एनएचआरसी की रिपोर्ट (पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा से संबंधित) पूरी तरह से प्रेरित है? क्या एनएचआरसी और राज्यपाल ने मिलकर काल्पनिक रिपोर्ट बना दी है?” मोइत्रा बोलीं- हां, 250 फीसदी। 1000 फीसदी यह पहले से बनी हुई थी। हमारे क्षेत्र में एनएचआरसी के जो लोग आए थे, उन्होंने गांव से बुला-बुलाकर बोला कि आपको चोट लगी है…टीएमसी ने पीटा है न। किसी को घर में चोट लग जाए, तो वह भी तृणमूल की देन है। यह पूर्वनियोजित थी। धनखड़ साहब और एनएचआरसी के चेयरमैन ने मिलकर इसे तैयार किया था।

टीएमसी सांसद ने आगे सवाल उठाया, एनएचआरसी का चेयरमैन उन्हें क्यों बनाया गया? सिटिंग सुप्रीम कोर्ट जज रहते हुए उन्होंने नरेंद्र मोदी को लेकर कुछ कहा…वह कह सकते हैं, पर न्यायिक औचित्य नाम की भी चीज होती है। एक जज और एक राजनेता…एक नहीं होता है। हम जो कह सकते हैं, वह सुप्रीम कोर्ट का जज आपके पास आकर नहीं कह सकता है। यह एक चीज नहीं है। रंजन गोगोई को देखिए…। यौन शोषण वाले केस में उनके खिलाफ चीजें क्लियर नहीं हुआ, पर अगले दिन उन्हें राज्यसभा दे दिया है। लोग ये सब दिखता नहीं है क्या? यह पूरी तरह से खेल सजाकर रख दिया है। उनका एक ही मकसद है कि बंगाल को बदनाम करो और किसी भी तरह वहां पर राष्ट्रपति शासन लगवाओ और चुने जनाधिकार को खत्म करो।

चावला ने इसी पर पूछा कि आप बार-बार धनखड़ का नाम ले रही हैं। ममता कुछ दिन पहले उनसे मिली थीं। दो घंटे बैठक हुई थी। वह भी शांत हैं। आप भी शांत हैं। कुछ तो गुप्त बात हुई होगी। तीन साल से वह चुप नहीं है, पर इन दिनों शांत हैं। देखें- इस पर क्या बोलीं महुआः