भारत में आर्थिक उदारीकरण को शुरू हुए को करीब 30 साल हो चुके हैं। 1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारवाद के 30 साल पूरे होने पर देशभर में बड़े स्तर पर आर्थिक और सामजिक बदलाव हुए। उदारीकरण के 30 साल पूरे होने पर रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपने लिखे एक लेख में कहा है कि जब हम आजादी के 100 साल मनाएंगे तो भारत अमेरिका के बराबर खड़ा होगा।

इकोनॉमिक्स टाइम्स के लिए लिखे एक लेख में मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत 1991 में कमी वाली अर्थव्यवस्था था और 2021 में यह आधिक्य वाली अर्थव्यवस्था में बदल गया है। अब भारत को 2051 तक सभी के लिए समान समृद्धि वाली अर्थव्यवस्था में बदलना है। अब इक्विटी हमारी सामूहिक समृद्धि के केंद्र में होगी।

मुकेश अंबानी ने अपने लेख में लिखा कि उनके पिता धीरूभाई अंबानी आर्थिक उदारीकरण के पक्ष में थे। वे 1980 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के शुरुआती पैरोकारों में से एक थे। उनका मानना था कि छोटा सोचना एक भारतीय के लिए अशोभनीय है। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में हमने उपलब्धियों के साथ बड़े सपने देखने का अधिकार पाया है। अंबानी ने अपने लेख में यह भरोसा जताया कि आजादी के 100 साल पूरा होने पर 2047 तक भारत अमेरिका और चीन के बराबर खड़ा हो सकता है और दुनिया के तीन धनी देशों में शामिल हो सकता है।

 

अंबानी ने लिखा कि 1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद बड़े स्तर पर परिवर्तन हुए। इससे लाइसेंस-कोटा राज समाप्त हुआ, व्यापार और औद्योगिक नीतियां उदार हुई तथा पूंजी बाजार और वित्तीय क्षेत्र मुक्त हो सका। इन सुधारों से भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सका। आबादी भले ही 88 करोड़ से 138 करोड़ हो गई, लेकिन गरीबी की दर आधी रह गई।

इसके अलावा अपने लेख में मुकेश अंबानी ने पांच आइडिया भी दिए और कहा कि इससे भारत अपने आर्थिक समृद्धि के सपने को पूरा कर सकता है। इसमें उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को समान रूप से आर्थिक मजबूती प्रदान कर और खासकर गरीबों को मजबूत बनाकर आर्थिक समृद्धि हासिल की जा सकती है। मुकेश अंबानी ने अपने लेख में एक बार फिर से नए सिरे से औद्योगिक क्रांति को शुरू करने की वकालत की। साथ ही उन्होंने उद्यमिता को बढ़ाने पर भी जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने समृद्धि को आर्थिक पहलू के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण जैसे दूसरे जरूरी पहलुओं के नजरिए भी देखे जाने की वकालत की।