Interview: बतौर कलाकार खुद को सीमित नहीं करती: सुप्रिया पिलगांवकर
सुप्रिया पिलगांवकर कहती है अगर कोई प्रोजेक्ट हम दोनों के लिए आता है तो हम जरूर करेंगे। यहां तक कि अगर प्रोजेक्ट बहुत अच्छा है और उसमें मेरे लिए कुछ खास नहीं है। फिर भी बेटी के आसपास रहने और उसके साथ वक्त बिताने के लिए मैं उसे कर लूंगी।
दीपेश पांडेयl हाल ही में सोनी चैनल पर शुरू हुए शो 'कुछ रंग प्यार के ऐसे भी: नई कहानी' में सुप्रिया पिलगांवकर एक बार फिर से ईश्वरी दीक्षित का किरदार निभा रही हैं। यह वर्ष 2016 में शुरू हुए इसी शो का तीसरा सीजन है। करीब तीन दशक से फिल्मों और टीवी में सक्रिय सुप्रिया से इस शो और उनके सफर पर बातचीत...
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान क्या अनुभव रहे?
पहली लहर के दौरान ही मेरा पैर टूट गया था। इसके कारण मुझे अस्पताल में रहना पड़ा। इसके बाद दूसरी लहर शुरू होने से पहले ही मुझे और मेरी बेटी श्रिया को एक साथ कोरोना हो गया था। मुझ पर ज्यादा प्रभाव होने के कारण मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। शुक्र रहा कि दोबारा लाकडाउन लागू होने से पहले ही ठीक होकर मैैं घर आ गई थी। कोरोना से उबरने के लिए मैंने एक-डेढ़ महीने का वक्त अपनी सेहत का ध्यान रखने में ही बिताया। इस दौरान घर के सभी सदस्यों ने सारी जिम्मेदारियां बांट ली थीं ताकि मुझे ज्यादा से ज्यादा आराम मिल सके।
अलग-अलग किरदार निभाते हुए इतने वर्षों बाद फिर से ईश्वरी का किरदार निभाने में क्या चुनौतियां रहीं?
तीसरा सीजन काफी अंतराल के बाद आया है तो एक नयापन सा लग रहा है। इसमें किरदार वही हैं, लेकिन कहानी नई है। मेरे लिए पहली बार ईश्वरी का किरदार निभाना चैलेंजिंग था, क्योंकि उसमें काफी ग्रे शेड्स थे और उसके विचार सुप्रिया से बिल्कुल अलग थे। मुझे उसके व्यक्तित्व में ढलने में काफी वक्त लगा। अब मैं ईश्वरी को अच्छी तरह से समझने लगी हूं। इसलिए इस सीजन में मुझे उस किरदार को पकड़ना चैलेंजिंग नहीं लगा। ईश्वरी का किरदार मेरे कंफर्ट जोन से बाहर है। कई बार तो मैं खुद ईश्वरी के डायलाग या काम से सहमत नहीं होती हूं, लेकिन ये करने में मुझे मजा आता है। इसके लिए हमेशा मुझे अलर्ट रहना पड़ता है।
आप टीवी, सिनेमा, रंगमंच और ओटीटी प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं, व्यस्तता के बावजूद संतुलन कैसे बनाती हैं?
मैं कभी दो चीजें एक साथ नहीं करती हूं, जैसे अगर मैं टीवी में काम कर रही होती हूं तो कुछ दूसरा करने के लिए वक्त ही नहीं मिलता। हां, अगर कभी फिल्में या वेब सीरीज कर रही होती हूं तो बीच-बीच में फुर्सत मिलने पर विज्ञापन वगैरह भी कर लेती हूं, लेकिन थिएटर नहीं करती हूं। थिएटर दो प्रोजेक्ट्स के बीच लंबा अंतराल मिलने पर ही करती हूं। मुझे क्या करना है यह इस पर निर्भर करता है कि मैं उस वक्त क्या करना चाहती हूं या किसे प्राथमिकता देती हूं।
कई टीवी कलाकारों ने किरदारों के दोहराव की शिकायत के साथ टीवी से दूरी बना ली, कभी आपके मन में ऐसे खयाल नहीं आए?
बतौर कलाकार मैं खुद को कभी सीमित नहीं करती हूं। मुझे क्या अच्छा लगेगा यह मुझे भी नहीं पता होता है। अगर मैं थिएटर या टीवी किसी भी प्लेटफार्म को न भी बोल दूं और उस प्लेटफार्म पर मुझे कोई दिलचस्प आफर मिलता है तो मैं खुद को रोक नहीं पाऊंगी। यह लगभग हर कलाकार की फितरत होती है। इसलिए मेरे लिए खुद को किसी एक प्लेटफार्म पर सीमित रखना नामुमकिन है, अच्छा प्रोजेक्ट आने पर मैं खुद को ही गलत साबित कर बैठूंगी। मेरा स्वभाव कुछ ऐसा है कि अगर रिटायरमेंट के बाद भी मुझे कोई अच्छा आफर आता है तो मैं उसे आसानी से नहीं जाने दे सकती हूं।
कामेडी जानर में आपने काफी फिल्में की हैं। इससे लगाव का क्या कारण रहा?
फिल्म आवारा पागल दीवाना हो या सूरज पे मंगल भारी, मेरा कामेडी से बहुत ज्यादा लगाव रहा है। टीवी धारावाहिकों में अक्सर एक ही किरदार को लंबे समय तक निभाने में बोरियत महसूस होने लगती है। ऐसे में कामेडी प्रोजेक्ट करना अच्छा होता है। अच्छी और इंटेलिजेंट कामेडी करने में बहुत कम लोग माहिर होते हैं। मुझे जब भी मौका मिलेगा मैं जरूर काम करना चाहूंगी।
इंटरनेट वीडियो में आप और आपकी बेटी श्रिया अक्सर एक-दूसरे के साथ नजर आते हैं, क्या किसी प्रोजेक्ट में भी साथ आने की संभावना है?
अगर कोई प्रोजेक्ट हम दोनों के लिए आता है तो हम जरूर करेंगे। यहां तक कि अगर प्रोजेक्ट बहुत अच्छा है और उसमें मेरे लिए कुछ खास नहीं है। फिर भी बेटी के आसपास रहने और उसके साथ वक्त बिताने के लिए मैं उसे कर लूंगी। अगर जरूरत पड़ी तो मैं बेटी के लिए अपने रोल का बलिदान देने के लिए तैयार हूं।
आपकी फिल्म रश्मि राकेट भी कतार में है?
(आश्चर्य भाव से) अरे हां, उसके बारे में तो मैं भूल ही गई थी। जल्द ही निर्माताओं से उसकी रिलीज के बारे में पता करती हूं। पिछले साल लाकडाउन के बाद मैंने गत जनवरी में इसी फिल्म से काम की शुरुआत की थी। इस फिल्म में मैं एक जज का किरदार निभा रही हूं।